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पादप जल संबंध क्या है? यह पौधों में किस प्रकार भूमिका निभाता है। plant water relations notes in hindi

plant water relations notes in hindi पादप जल संबंध क्या है? यह पौधों में किस प्रकार भूमिका निभाता है ?

 पादप जल सम्बन्ध (Plant-Water Relations)

जल जीवजगत के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण संसाधन है जिसके बिना सजीवों का जीवन असंभव है। लारेंस (Lawrence 1913) एवं अनेक वैज्ञानिकों ने जल के महत्त्व को समझाया है तथा बताया कि पृथ्वी पर जल की उपस्थिति के कारण ही यह जीवों के रहने योग्य समुचित स्थान है। वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर भी जीवन की खोज में जुटें हैं परंतु जल (अथवा इसके विकल्प, उदाहरण – अमोनिया) के अभाव में वहाँ जीवन संभव नहीं है।

जल का महत्व (Importance of water)

जल सजीवों का मुख्य घटक है। क्योंकि कोशिकाओं का उद्भव जलीय माध्यम में हुआ है तथा जीवन सम्बंधी सभी क्रियायें जल से ही सम्पन्न होती हैं। लगभग सभी कार्यिकी क्रियाओं के लिए जल की आवश्यकता होती है यह पादपों के लिए हाइड्रोजन का स्रोत है जो प्रकाश संश्लेषण में जल के प्रकाश अपघटन से मुक्त होती है। जीवित ऊत्तकों के उनके कुल घटकों का 70–90% भाग जल होता है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं अन्य यौगिक जल के साथ मिल कर पादप कोशिकाओं की भित्ति एवं कोशिकाद्रव्य (protoplasm) बनाते हैं। जल विकरों (enzymes) का जलायोजन (hydration) करता है जिसके परिणामस्वरूप ये सभी कार्यिकी क्रियाओं को प्रेरित (trigger) करते हैं। जल कोलॉयडी पदार्थों को जलायोजित करता है जो कोशिका में परासरणी विभव ( osmotic potential) को नियंत्रित करते हैं। जल कोशिका को स्फीत बनाये रखता है। यह कोशिकाद्रव्य घटक है। इसे सार्वत्रिक विलायक (universal solvent) भी कहते हैं।

जल के अणु अन्य जल के अणुओं के साथ क्षीण हाइड्रोजन बंध बनाते है। इस असाधारण गुण के कारण जल में अनेक विशेषताएँ पायी जाती है।

जल की संरचना एवं भौतिक रासायनिक विशेषताएँ

(Structure and Physicochemical properties of water)

(1) जल के अणुओं की संरचना में एवं ध्रुवियता (Structure and Polarity of water molecules) – जल का अणु एक ऑक्सीजन परमाणु तथा दो हाइड्रोजन परमाणुओं से बना होता है। ऑक्सीजन परमाणु हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ सह बन्ध (covalent bond) बनाते हैं। दो O-Hबंधों के बीच 105° का कोण होता है। चूंकि ऑक्सीजन परमाणु हाइड्रोजन के बजाय अधिक इलेक्ट्रान ऋणात्मक होता है, यह सह-बंध के इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करता है। इस आकर्षण के कारण ऑक्सीजन सिरे की तरफ आंशिक ऋणात्मक आवेश तथा प्रत्येक हाइड्रोजन की तरफ एक आंशिक धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है। ये दोनो आंशिक आवेश बराबर होते हैं अतः जल के अणु पर कुल आवेश शून्य (no net charge) होता है। परन्तु उक्त आंशिक आवेशों की वजह से एवं जल के अणु के विशिष्ट आकार के कारण यह एक ध्रुवीय अणु (polar molecule) बन जाता है। विपरीत आंशिक आवेश की वजह से जल अणु दूसरे जल अणुओं को अपनी ओर आकर्षित करते है तथा एक क्षीण हाइड्रोजन बंध बनाते है जो कि जल के अनेक असाधारण भौतिक गुणों का कारण है। जल के विभिन्न अणुओं के O एवं H परमाणुओं के मध्य हाइड्रोजन बंध के कारण इनका संगठित लैटिस (network) अथवा समूह सा बन जाता है जो लगातार बनता बिगड़ता रहता है। अन्य इलेक्ट्रो ऋणात्मक परमाणु (O या N आदि) युक्त अणुओं तथा जल के बीच भी हाइड्रोजन बन्ध बन सकते हैं। कोशिका में प्रोटीन, पोलीसेकेराइड, न्यूक्लिक अम्लों एवं अन्य अणुओं की संरचना भी हाड्रोजन बंधों के कारण अत्यधिक प्रभावित होती है। हाइड्रोजन बंध के कारण ही DNA के सह रज्जुओं (complementary strands ) के मध्य स्थिर क्षारक युगलता (base pairing) संभव हो पाती है।

(2) जल की ध्रुवियता के कारण जल सर्वश्रेष्ठ विलायक (Excellent solvent due to polarity of water ) – जल के भौतिक गुणों के कारण यह जैवरासायनिक प्रक्रियाओं के लिए उपयुक्त माध्यम है। प्रथम, जल सर्वश्रेष्ठ विलायक है जो अन्य विलायकों के बजाय अनेक प्रकार के पदार्थों को अत्यधिक मात्रा में घोल सकता है। जल के अणुओं के छोटे आकार एवं उनमें उपस्थित ध्रुवता के कारण जल आयनकारी पदार्थों एवं OH अथवा – NH2 युक्त पदार्थों (जैसे- शर्करा एवं प्रोटीन) का अच्छा विलायक हैं।

हाइड्रोजन बंध के कारण ही साधारण तापक्रम पर जल द्रव अवस्था में होता है। जल में आसंजन बल (adhesive force) एवं ससंजन बल – (cohesion force) होता है। जल में आयनी करण (ionization) की क्षमता होती है। जल के इन गुणों के कारण ही पादपों में रसारोहण (ascent of sap) एवं खाद्य पदार्थों का चालन (transport) संभव हो पाता है।

(3) जल की उच्च विशिष्ट ऊर्जा (High specific heat of water)- पानी की उच्च विशिष्ट ऊर्जा के कारण, किसी सजीव का तापक्रम स्थिर रहता है तथा विभिन्न चयापचय क्रियाएँ सामान्य स्तर पर होती है। जल की विशिष्ट ऊर्जा 1.0 होती

है।

(4) जल के संलयन की उच्च ऊर्जा (High heat of fusion of water)- जल के संलयन के लिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है। 1 ग्राम बर्फ को O°C पर पिघल कर जल में बदलने में 80 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है अतः जल की संलयन ऊर्जा 80 कैलोरी होती है। जल के इस गुण के कारण जल एक दम से जमता नहीं है। इस कारण फसलों में पानी देकर उन्हें पाले से बचाया जा सकता है। पानी जमने के बाद आयतन में फैलता है अतः बर्फ पानी की सतह पर तैरती है।

(5) जल की उच्च वाष्पीकरण ऊर्जा (High heat of vaporization of water)- एक ग्राम द्रव को वाष्प में बदलने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा वाष्पीकरण ऊर्जा कहलाती है। जल में 100° C पर यह 539 कैलोरी होती है। इसका उच्चमान हाइड्रोजन बंधों की वजह से होता है। जल के इस विशेष गुण के कारण पादप वाष्पोत्सर्जन द्वारा अपना तापक्रम नियंत्रित कर सकते हैं।

(6) जल का आयनीकरण (lonisation in water)- जल के अणु हाइड्रोजन आयन (H+) एवं हाइड्रॉक्सिल आयन (OH) में विभक्त हो जाते हैं। इस गुण के कारण जल कई प्रकार के रासायनिक यौगिकों के साथ अभिक्रिया कर सकता है तथा उन्हे विलयन (solution) के रूप में बनाये रखता है।

(7) जल की पारदर्शिता (Transparency of water)- जल प्रकाश के प्रति पारदर्शी होता है। जल के इस गुण के कारण कोशिकाओं में उपस्थित हरित लवक प्रकाश संश्लेषण के लिये समुचित प्रकाश अवशोषित कर सकते है। अनेक जलीय एवं समुद्री पादप भी जल के इस गुण के कारण प्रकाश अवशोषित करके वृद्धि कर सकते है। इन पादपों पर अनेक जलीय जंतु जीवित रहते हैं।

(8) जल का उच्च सतही तनाव (High surface tension of water)- जल में उच्च सतही तनाव होता है अतः जल के इस गुण के कारण मृदा में जल मृदा सतह पर पाया जाता है। जो कि पादपों को आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

पादप जीवन के लिए जल की महत्ता (Importance of water to plant life)

जल सभी सजीवों का मुख्य घटक है क्योंकि कोशिकाओं की उत्पत्ति उच्च जलीय माध्यम में होती है तथा सभी जैव प्रक्रियाएँ इसी की उपस्थिति में संभव है। जन्तु जगत की अपेक्षा पादपों का जीवन पूर्ण रूपेण प्रत्यक्षतः जल पर निर्भर करता हैं। पादप जीवन में जल एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। सजीव ऊतकों में सामान्यतः उनके सम्पूर्ण भार का 70% भाग जल होता है। पादपों द्वारा प्रत्येक एक ग्राम कार्बनिक पदार्थों (organic matter) के निर्माण के लिए लगभग 500 ग्राम जल का अवशोषण-जड़ों द्वारा करके सम्पूर्ण पादप शरीर में संवहित किया जाता है। जल परिवहन में आंशिक (partial) असंतुलन (imbalance) जल न्यूनता (water-deficits) उत्पन्न कर अपसामान्यं वृद्धि (malfunctioning) को प्रेरित करता है। पादपों के लिए जल की महत्ता का मुख्य कारण पादपों का स्वपोषी (autotrophic) होना है। पादपों के लिए जल की महत्ता को निम्न बिन्दुओं में समझ सकते हैं।

  • प्रकाश संश्लेषण के दौरान काबोहाइड्रेट निर्माण हेतु जल हाइड्रोजन दाता की तरह कार्य करता है।

(ii) जल कोशिकाओं के भीतर कॉलोइडल पदार्थों को जलायोजित (hydrate) कर कोशिका के परासरण विभव (osmotic potential) को नियंत्रित (regulate) करने वाले घटकों का निर्माण करता है। –

  • जल कोशिकांगों की प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के साथ-साथ पादपों की बनावट को भी निर्धारित करता है।

(iv) रासायनिक कारक के रूप में यह पादपों की अनेक रासायनिक क्रियाओं में भाग लेता है जैसे- प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन आदि ।

(v) पोषक तत्वों (Nutrient elements) तथा कार्बनिक अणुओं (organic molecules) के मृदा से मूलों (roots) में संवहन के लिए जल एक माध्यम का कार्य करता है तथा प्रकाश संश्लेषण के लिए लवणों को उपलब्ध कराता है।

(vi) जल पादपों के नियमन तंत्र (regulatory system) को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। कोशिकांगों के उत्प्रेरण तथा गतिविधियों, कोशिका संरचना, कोशिका विभाजन तथा लम्बवत् वृद्धि (elongation) को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स तथा वृद्धि कारक पदार्थों के लिए जल वाहक का कार्य करता है।

(vii) पादप ऊतकों की आकृति तथा दृढ़ता (solidity) का निर्धारण भी जल की मात्रा पर निर्भर करता है।

(viii) कोशिका का जलस्थैतिक दाब (hydrostatic pressure) उनके जल घटक पर निर्भर करता है तथा बाहरी दाब के विरूद्ध कोशिका विवर्धन (enlargement) को प्रेरित करता है।

(ix) जल लवणों (salts) व अणुओं (molecules) के लिए सार्वत्रिक विलायक ( universal solvent) है जो विभिन्न जैवरासायनिक क्रियाओं के लिए माध्यम का कार्य करता है।

(x) जल की उच्च तापीय क्षमता (heat capacity) तापक्रम (temperature) के दैनिक उतार-चढ़ाव (fluctuations) को नियंत्रित व निर्धारित करती है।

(xi) जल अधिकांश रासायनिक क्रियाओं के लिए जैव रासायनिक वातावरण उपलब्ध कराता है।

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