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पीयूष ग्रंथि , हार्मोन , रोग , संरचना , ग्रंथियों के प्रकार , कार्य , Pituitary gland in hindi
प्राणियों में रासायनिक समन्वय एवं एकीकरण
परिचय : जन्तुओं में विभिन्न क्रियाओ का नियमन व नियंत्रण दो तंत्रों द्वारा किया जाता है , जिन्हें तन्त्रिका तंत्र व अन्त: स्त्रावी तंत्र कहते है | ये तंत्र समस्थापन (homeostatis) बनाये रखने में सहायक होते है |
अन्त: स्त्रावी ग्रीक भाषा का शब्द है जो Endo (एन्डो) व क्राइन (crine) से निर्मित है जिसका अर्थ है – आन्तरिक स्त्राव |
कलॉड बरनार्ड ने 1855 में अन्त: स्त्रावण शब्द का प्रयोग किया था |
थॉमस एडिसन को अन्त:स्त्रावी विज्ञान का जनक कहा जाता है |
हार्मोन शब्द का सर्वप्रथम उपयोग स्टारलिंग ने 1905 में किया था , हार्मोन की आधुनिक परिभाषा की जानकारी स्टारलिंग व बेलिस द्वारा दी गयी |
ग्रंथियों के प्रकार
ग्रंथियां तीन प्रकार की होती है –
- बहि: स्त्रावी ग्रंथियाँ : ऐसी ग्रंथियाँ जो अपना स्त्राव नलिकाओं के द्वारा त्याग करती है , उन्हें बहि स्त्रावी ग्रंथियाँ कहते है |
उदाहरण – लार ग्रंथियाँ , स्वेद ग्रंथियाँ , जठर ग्रंथियां , यकृत आदि |
- अन्त: स्त्रावी ग्रंथियाँ : ऐसी ग्रंथियाँ जो नलिका विहीन होती है और अपना स्त्राव सीधा रक्त में स्त्रावित करती है , अन्त: स्त्रावी ग्रंथियां कहलाती है | अन्त: स्त्रावी ग्रंथियों से स्त्रवित रासायनिक पदार्थो को हार्मोन कहते है |
उदाहरण – पीयूष ग्रन्थि , थॉयराइड ग्रन्थि , एड्रीनल ग्रन्थि आदि |
- मिश्रित ग्रन्थियाँ : ऐसी ग्रन्थियां वो बहि स्त्रावी व अन्त: स्त्रावी ग्रन्थियो की तरह कार्य करती है उन्हें मिश्रित ग्रंथियाँ कहते है |
उदाहरण – अग्नाशय , वृषण , अण्डाशय आदि |
मनुष्य में अन्त: स्त्रावी ग्रन्थियाँ एवं उनके कार्य
- हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) : हाइपोथैलेमस अग्र मस्तिष्क का वह भाग है जो डाएनसेफेलोन की गुहा की फर्श का निर्माण करती है , इसमें धूसर द्रव के अनेक हाइपोथैलेमस केन्द्रक स्थित होते है , हाइपोथैलेमस द्वारा दो प्रकार के हार्मोन , मोचक हार्मोन व निरोधी हार्मोन का संश्लेषण होता है | जो पीयूष ग्रन्थि के हार्मोनों के उत्पादन व स्त्राव का नियमन व नियंत्रण करते है , हाइपोथैलेमस ग्रन्थि को अन्त: स्त्रावी नियमन का सर्वोच्च कमान्डर या प्रदान ग्रन्थि कहा जाता है |
हार्मोन व उनके कार्य : हाइपोथैलेमस से 10 प्रकार के मोचक व निरोधी हार्मोन स्त्रवित होते है जिन्हें न्यूरो हार्मोन कहते है |
न्यूरो हार्मोन का नाम | कार्य |
1. वृद्धि हार्मोन मोचक हार्मोन (GHRH) | वृद्धि हार्मोन स्त्रवण का प्रेरण |
2. वृद्धि हार्मोन निरोधी हार्मोन (GHIH) | वृद्धि हार्मोन स्त्रवण का संदमन |
3. थाइरोट्रोपिन मोचक हार्मोन (TRH) | थाइरोट्रोपिन हार्मोन स्त्रावण का उत्तेजन |
4. प्रोलेक्टिन मोचक हार्मोन (PRH) | प्रोलेक्टिन के स्त्रावण का उत्तेजन |
5. प्रोलेक्टिन मोचक निरोधी हार्मोन (PR.IH) | प्रोलेक्टिन के स्त्रावण का संदमन |
6. मैलेनोसाइट स्टिनुलिंटिंग हार्मोन – मोचक हार्मोन (MSH-RH) | मैलेनोसाइट हार्मोन के स्त्रावण का प्रेरण |
7. मैलेनोसाइट स्टिमुलेंटिग हार्मोन निरोधी हार्मोन | मैलेनोसाइट हार्मोन के स्त्रवण का संदमन |
8. कोटिकोट्रोपिन मोचक हार्मोन (CRH) | कोटिकोट्रोपिन हार्मोन के स्त्रावण का प्रेरण |
9. ल्युटिनाइजिंग हार्मोन मोचक हार्मोन (LHRH) | ल्युटिनाइजिंग हार्मोन के स्त्रवण का प्रेरण |
10. पुटकिय स्टिमुलेटिंग हार्मोन मोचक हार्मोन (PSHRH) | पुटकीय स्टीमुलेटिंग हार्मोन के स्त्रावण का प्रेरण |
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पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland in hindi )
स्थिति : यह ईफन्डीनुलम द्वारा हाइपोथैलेमस से जुडी रहती है |
संरचना : यह मटर के दाने के समान गुलाबी रंग की ग्रन्थि है , मनुष्य में (पुरुष में) इसका भार 0.5-0.6 gm तक होता है तथा स्त्रियों में इसका भार 0.6 – 0.7 gm तक होता है , इसे मास्टर ग्रन्थि भी कहते है , यह भ्रूणीय एक्टोडर्म से निर्मित दो पालियो की बनी होती है |
- एडिनोहाइपोफाइसिस : यह भ्रूण की एक्टोडर्म से विकसित बड़ी पाली होती है जो पार्स ट्यूबरेलिस , पार्स डिस्टेलिस व मध्य भाग से मिलकर बनी होती है |
- न्यूरोहाइपोफाइसिस : यह हाइपोथैलेमस की इफन्डीबुलम से विकसित पश्च व छोटी पाली होती है जो इन्फन्डीबुलम मध्य भाग व पार्स नर्वोसा से मिलकर बनी होती है |
- एडिनोहाइपोफाइसिस के हार्मोन
- वृद्धि हार्मोन या सोप्रेटोट्रोपिक हार्मोन (GH/STH)
कार्य (work) : यह शरीर की सामान्य वृद्धि करता है , यह कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है , अस्थियो की वृद्धि करता है तथा उत्तक क्षय को रोकता है | यकृत में ग्लूकोनियो जिनेसिस व ग्लाइको नियोजिनेसिस क्रियाओ को प्रेरित करता है |
प्रभाव
कमी से
- बौनापन या मिजेटिस
- साइमंड रोग – लैंगिक क्षमता की कमी
अधिकता से
- महाकायता / भीमकायता
- अग्रातिकायता
- काइफोसिस (कूबड़ का विकास)
- गौनैडोट्रोपिक हार्मोन : यह जनदो (gonads) को प्रेरित करता है , यह दो प्रकार का होता है –
- पुटिका प्रेरक हार्मोन (FSH) : नर में शुक्रजनन नलिकाओ की वृद्धि तथा शुक्र जनन को प्रेरित करता है , मादा में पुटक वृद्धि तथा प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के स्त्रवण को प्रेरित करता है |
- ल्युटि नाइजिंग हार्मोन (LH) : नर में यह अन्तराली कोशिकाओ को प्रेरित करता है तथा टेस्टेस्टेरोन हार्मोन के स्त्रवण को प्रेरित करता है | मादा में अण्डोत्सर्ग व कोर्पस ल्युटियस के विकास में सहायक होता है |
- थोयरोइड प्रेरक हार्मोन (TSH) : यह एक ग्लाइको प्रोटीन हार्मोन है , यह थायराइड ग्रन्थि की वृद्धि व सामान्य क्रियाओ को प्रेरित करता है |
- एडिनोकार्टिकोट्रोपिक हार्मोन : यह एड्रीनल ग्रन्थि के वल्कुट भाग को प्रेरित करता है |
- लेक्टोजेनिक / प्रोलेक्टिन / मैमोट्रोपिक हार्मोन : यह प्रोटीन से निर्मित हार्मोन है , यह स्त्रियों में दूध निर्माण को प्रेरित करता है तथा कोपर्स ल्यूटियम से प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन को प्रेरित करता है |
- मिलैनोसाइट प्रेरक हार्मोन (MSH) : यह त्वचा की वर्णक कोशिकाओ का नियमन करता है |
न्यूरोहाइपोफाइसिस के हार्मोन
- एन्टीडाइयुरेटिक हार्मोन / वेसोप्रेसिन (ADH) : यह दूरस्थ कुंडलित नलिका व संग्राहक नलिका में जल का अवशोषण करता है , यह शरीर में जल नियमन कर परासरण को नियन्त्रित करता है |
- ऑक्सीटोसिन : यह गर्भावस्था में गर्भाशय की दीवारों के अनैच्छिक पेशियों के संकुचन को प्रेरित करता है , यह प्रसव पीड़ा उत्पन्न कर शिशु के जन्म में सहायक होता है , यह स्तन ग्रंथियों में दूध स्त्रवण को प्रेरित करता है |
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