JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: Biology

physiology of respiration in hindi श्वसन की कार्यिकी का वर्णन कीजिए

श्वसन की कार्यिकी का वर्णन कीजिए physiology of respiration in hindi ?

श्वसन की कार्यिकी (Physiology of Respiration)

सभी जीवित प्राणियों में श्वसन ( respiration) एक अति आवश्यक क्रिया होती है। सजीवों में विभिन्न क्रियाओं को करने हेतु ऊर्जा (energy) की आवश्यकता होती है तथा जीवों में ऊर्जा को प्राप्ति भोजन के दहन (combustion) के फलस्वरूप होती है । (कोशिकाओं में भोजन के दहन के, लिए ऑक्सीजन की आवश्कता होती है। प्राणियों द्वारा ऑक्सीजन बाहरी वातावरण से ग्रहण की जाती है। भोजन के दहन से कार्बन डाईऑक्साइड प्राप्त करने तथा कार्बन डाईऑक्साइड के बाहर निकालने । (की क्रिया को श्वसन (respiration) कहा जाता है। इस प्रकार श्वसन उन भौतिक-जैवरासायनिक क्रियाओं (physio-biochemical reaction) को सामूहिक रूप से प्रदर्शित करता है जिनके अन्तर्गत वायुमण्डल की ऑक्सीजन शरीर के अन्दर कोशिकाओं तक पहुँचती है तथा पचित एवं अवशोषित भोजन अवयवों के सम्पर्क में आकर उनके जैविक जारक अथवा ऑक्सीकरण द्वारा (ATP) अणुओं के रूप में ऊर्जा विमुक्त होती है और उत्पन्न कार्बन डाईऑक्साइड गैस शरीर के बाहर निष्कासित होती है। रॉबर्ट बॉयल (Robert Boyles) एवं रॉबर्ट हुक (Robert Hook) ने सर्वप्रथम 1600 में श्वसन का सही अर्थ समझाया था। लेवोजीयर (Lavosier ) ने 1700 में श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन के महत्व को दर्शाया था ।

जी.एस. कार्टर (GS.Carter) ने 1770 में श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन के महत्त्व को दर्शाया था।

(i) बाहरी श्वसन (External respiration)

इस क्रिया के अन्तर्गत श्वसन सतह ( respiratory surface) जैसे त्वचा ( skin), क्लोम (gills), फुफ्फुस (lungs) एवं बाहरी वातावरण के मध्य ऑक्सीजन एवं कार्बन डाईऑक्साइड का विनिमय (exchange) होता है। बाहरी श्वसन मुख्यतया ‘श्वांस लेने’ (breathing) की क्रिया से सम्बन्धित होता है। इसमें निम्न दो क्रियाऐं होती है-

(i) निश्वसन (Inspiration) : इस क्रिया श्वसन अंगों द्वारा बाहरी वातावरण की ऑक्सीजन को प्राणी की देह के अन्दर ग्रहण किया जाता है।

(ii) उच्छवसन (Expiration) : श्वसन अंगों अथवा फुफ्फुसों (lungs) द्वारा वायु को शरीर से बाहरी वातावरण में निकालने की क्रिया को उच्छवसन कहा जाता है।

  • आन्तरिक श्वसन या ऊत्तकीय श्वसन (Internal respiration इस क्रिया में बाहरी श्वसन द्वारा वायुमण्डल से प्राप्त ऑक्सीजन से प्राप्त ऑक्सीजन रूधिर द्वारा ऑक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में शारीरिक उत्तकों तक प्रेषित की जाती है तथा कोशिकाओं में भोजन के दहन से प्राप्त कार्बन डाईऑक्साइड रूधिर द्वारा श्वसनांगों की सतह की सहायता से बाहरी वातावरण को भेज दी जाती है। इस प्रकार रूधिर एवं कोशिकीय द्रव्य के मध्य श्चवसन गैसों का विनिमय आन्तरिक श्वसन कहलाता है

(ili) कोशिकीय श्वसन (Cellular respiration)

इस क्रिया में शारीरिक कोशिकाओं में भोज्य पदार्थों का रासायनिक विघटन (chemical degradation) होता है जिससे जैविक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

श्वसन के प्रकार ( Kinds of respiration)

श्वसन एक सामान्य क्रिया है जो ऑक्सीजन की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति में सम्पन्न होतीं है। ऑक्सीजन की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति के आधार पर श्वसन को निम्न दो प्रकारों में बाँटा जाता है।

(I) ऑक्सीय श्वसन (Aerobic respiration) : प्रोटोजोआ से लेकर वर्ग मैमेलिया के अधि कांश जन्तुओं में श्वसन की क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है। ये जन्तु ऑक्सीजन वातावरणीय वायु अथवा पानी से प्राप्त करते हैं। ऑक्सीकरण (oxidation) की क्रिया में, ऑक्सीजन, कार्बन एवं हाइड्रोजन से संयुग्मित होकर कार्बन डाईऑक्साइड एवं पानी का निर्माण करती हैं। इस क्रिया द्वारा काफी मात्रा में ऊर्जा की प्राप्ति होती है। रासायनिक दृष्टि से सम्पूर्ण क्रिया को निम्न परिवर्तन द्वारा निरूपित किया जा सकता है

C6H34O12 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 38 ATP

(2) अनॉक्सीय श्वसन (Anaerobic respiration) : यह क्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सम्पन्न होती है परन्तु इसमें भी कार्बन डाई ऑक्साइड का निष्कासन होता है इस क्रिया में कार्बोहाइड्रेट्स एवं वसाओं का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है जिससे अनेक मध्यवर्ती उत्पाद एवं काफी मात्रा में ऊर्जा की प्राप्ति होती है। अनॉक्सीय श्वसन अनेक (जीवाणुओं (bacteria), यीस्ट कोशिकाओं (yeast cells) में तथा परजीवी कृतियों (parastic worms) जैसे एस्केरिस (Ascaris) एवं टीनिया (Taenia) में पाया जाता है।

श्वसनांग (Respiratory organs)

निम्न अकशेरुकी जन्तुओं में कोई विशेष श्वसन अंग उपस्थित नहीं होते हैं। प्रोटोजोअन्स (protozoans). स्पंज (sponges), सीलेन्ट्रेट्स (coelenterates) एवं हेल्मिन्थ (helminthes) आदि जन्तुओं में श्वसन क्रिया सामान्य सतह (general body surface) से सम्पन्न की जाती है। इन जन्तुओं में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाईऑक्साइड का विनिमय सीधे ही विसरण की विधि द्वारा परिपूर्ण होता है। अधिकांश जन्तुओं में श्वसनांगों के रूप में क्लोम अर्थात् फेफड़े (सभी ट्रेटापोड कशेरूकी जन्तु) होते हैं। कुछ कशेरूकियों में क्लोम एवं फुफ्फुस के अतिरिक्त अन्य रचनाऐं जैसे त्वचा (skin) भी सहायक श्वसनांग की तरह कार्य करती है। गिल्स अथवा फुफ्फुस अपनी सहायक रचनाओं से साथ मिलकर एक श्वसन तंत्र (respiratory system) का निर्माण करते हैं। श्वसनांगों की सतह के नीचे श्वसनीय गैसों के विनिमय हेतु सुक्ष्म रक्त कोशिकाओं (blood capillaries) का जाल पाया जाता है।

मेंढ़क के टेडपोल लाव में जलीय आवास के कारण मछलियों की तरह श्वसन हेतु गिल्स (gills) उपस्थित रहते हैं। वयस्क मेंढक में जल एवं स्थलीय आवास के कारण फुफ्फुस उपस्थित रहते हैं परन्तु इसमें त्वचा एवं मुख-ग्रसनीय गुहिका ( bucco-pharyngeal cavity) भी श्वसनांगों की तरह कार्य करते हैं। सरीसृपों (reptiles). पक्षी स्तनियों (birds) एवं सहायक (mammals) में फुफ्फुस मुख्य श्वसन अंगों के रूप में फुफ्फुस (lungs) उपस्थित रहते हैं। सभी जन्तुओं में आहार नाल से बाहरी वलन द्वारा उग्मित होते हैं तथा ये रूधिर कोशिकाओं से पूरी तरह परिपूर्ण होते हैं

श्वसन अंगों की विशेषताएँ निम्न होती हैं :

  1. श्वसनांगों की सतह का अत्यधिक पतला (thin) होना ताकि गैसें सुगमता से विनिमय कर सके।
  2. श्वसन सतह का सदैव नम (moist) बना रहना।
  3. श्वसन सतह का अत्यन्त विस्तृत होना एवं गैसीय विनिमय (gaseous exchange) में सहायता करना ।
  4. श्वसन सतह पर सघन रक्त कोशिकाओं का जाल बिछा होना ।
  5. श्वसन सतह तक शुद्ध वायु ( ऑक्सीजनयुक्त) को ले जाने तथा अशुद्ध वायु (कार्बन डाईऑक्साइड युक्त) को वापिस लाने के निश्चित मार्ग का उपस्थित होना।
  6. गैसीय विनिमय हेतु श्वसन मार्ग का होना उसमें ऑक्सीजन के वाहक के कार्य हेतु वाहक पदार्थ के रूप में श्वसन वर्णक (respiratory pigment) या हीमोग्लोबिन (haemoglobin) का पाया जाना ।

फुफ्फुस की रचना (Structure of lungs)

फुफ्फुस अर्थात् (फेफड़े (lungs) शंकु आकृति की स्पंजी रचना होते हैं जो वक्षीय गुहा (throacic cavity) के मध्यावकाश (mediastimum) भाग के दोनों ओर स्थित रहते हैं। मध्यावस्था भाग में हृदय (heart), ग्रसिका (oesophagus), श्वांस नली (trachea ) तथा बड़ी वाहिनियाँ (large vessels) उपस्थित रहती है। इन रचनाओं के चारों ओर की गुहा को प्लूरल गुहा (pleural cavity) कहते हैं। इसी की तरह एक आवरण फुफ्फुसीय गुहा को भी रेखित करता है जैसे पेराइटल प्लूरा (parital pleura) कहते हैं इन दोनों आवरणों के मध्य उपस्थित गुहा की फ्लूरल गुहा (plural cavity) कहते हैं। जिसमें सीलोमिक द्रव्य (coelonic fluid) भरा रहता है। खरगोश के बाँये पश्च पिण्ड (left posterior lobe), दाहिने फेफड़ें के चार पिण्ड होते हैं, अग्र एजाइगस पिण्ड (anterior lobe). पश्च एजाइगस पिण्ड, दायाँ अग्र पिण्ड एवं दायाँ पश्चपिण्ड । (मनुष्य में बाँयें फेफड़े में दो पिण्ड ऊपरी पिण्ड (upper lobe) एवं निचला पिण्ड (lower lobe) तथा दाहिने फेफड़े में तीन पिण्ड होते हैं : ऊपरी पिण्ड (upper lobe), मध्य पिण्ड (middle lobe) एवं निचला या पश्च पिण्ड (lower lobe)।

Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

8 hours ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now