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परिधीय तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं peripheral nervous system in hindi प्रकार , कार्य क्या होता है ?
peripheral nervous system in hindi परिधीय तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं प्रकार , कार्य क्या होता है ?
परिधीय तंत्रिका तंत्र (peripheral nervous system)
यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र और शरीर ऊतकों के मध्य विस्तारित लम्बे पतले और सफेद धागे (तंत्रिकाक्ष के समूह) है जिन्हें तंत्रिका (nerves) कहा जाता है , से बना होता है | प्रत्येक तंत्रिका , तंत्रिका तंतुओं के समूह fascicule , से बने होते हैं और संयोजी ऊतक द्वारा जुड़े रहते है और सफ़ेद तंतुमय संयोजी ऊतक आच्छद जिसे epineurium कहते हैं के द्वारा आवरित रहता है |
माइलिन आच्छद की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर तंत्रिका तंतुओं को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है –
- माइलिन युक्त तंत्रिका तंतु
- माइलिन रहित तंत्रिका तन्तु
कार्य के आधार पर न्यूरॉन और तंत्रिका तंतु दो श्रेणियों में विभाजित होते हैं –
- चालक न्यूरॉन और चालक तंत्रिका तंतु
- संवेदी न्यूरॉन और संवेदी तंत्रिका तन्तु
संघटक के आधार पर तंत्रिकाएँ तीन प्रकार की होती है –
- संवेदी तंत्रिका
- चालक तंत्रिका
- मिश्रित तंत्रिका
उत्पत्ति के आधार पर तंत्रिकाएँ दो प्रकार की होती हैं –
- कपालीय और प्रमस्तिष्क तंत्रिकाएं जो या तो मस्तिष्क से उत्पन्न होती है या फिर मस्तिष्क में समाप्त होती है |
- तंत्रिकाएँ जो मेरुरज्जु से उत्पन्न होती है |
कपाल तंत्रिकाएँ (Cranial nerves) : आदमी में , 12 जोड़ी कपाल तंत्रिकाएं होती है जो foramina of skull से गुजरती है और मुख्यतया सिर से परिधीय ऊत्तकों को आपूर्ति करती है | वेगस (vagus) (X th) तंत्रिका अपवाद है जो उदर तक विस्तारित होती है | एक तरफ की 12 कपाल तंत्रिकाओं का प्रथम अक्षर लेने पर Oooptafagvah शब्द बनता है | कपाल तंत्रिकाओं को उनकी उत्पत्ति , आपूर्ति अंग , प्रकृति और कार्य को सारणी बद्ध किया गया है |
संवेदी के तीन युग्म (I , II और VIII) , 5 युग्म चालक के (III , IV , VI , XI , XII) और 4 युग्म मिश्रित (V , VII , IX और X) तंत्रिका के होते है | pathetic is thinnest.
नाम | उत्पत्ति | In nervation | Nature | Function (कार्य) |
1. घ्राण | नासिका कक्ष की घ्राण एपीथिलियम | मस्तिष्क के घ्राण पिण्ड , नासिका कक्ष | संवेदी | गंध |
2. दृक | आँख रेटिना , दो दृक तंत्रिकाएं | हाइपोथेलेमस के सामने डाइएनसिफेलोन तिर्यक | संवेदी | दृश्य |
3. Occulomotor | मध्य मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क वृंत | चार नेत्र पेशी और सिलियरी काय आइरिस की पेशी | चालक | आँख की गति |
4. Pathetic or trochlear | प्रमस्तिष्क वृंत के समीप | आँख की उधर्व तिर्यक पेशी | चालक | आँख की गति |
5. Trigeminal size (Largest nerve)
V1
V2
V3 | मेड्युला ओब्लागेटा के अग्र पाशर्व भाग फूलकर Gasserian ganglion बनाता है और तीन शाखाएं बनाता है | Ophthalmic
मैक्सिलेरी
मैंडीबुलर |
नाक के त्वचा संवेदांग माथा और पलकें ऊपरी होंठ के त्वचा ग्राही , गाल निचली भौहें , ऊपरी जबड़े के मसूड़े और दांत |
निम्न होंठ के त्वचा ग्राही , निम्न जबड़े के मसूड़े और दांत , पिन्ना और निम्न जबड़े की पेशियाँ |
मिश्रित |
स्पर्श और निम्न जबड़े की गति |
6. अपचालक (abducens) (सबसे छोटी तंत्रिका ) | मेड्युला ओब्लोगेटा के अग्र भाग की मध्य अधर भाग | बाह्य आँख रेक्टस पेशी | चालक | नेत्र गोलक की गति |
7. आमनी (Facial) | Vth कपालीय तंत्रिका के पीछे के मेड्युला ओब्लोगेटा की अग्र पाशर्व साइड से , यह फूलकर geniculate ganglion बनाती है | | जीभ के पश्च 2/3 भाग पर स्वाद के संवेदी तंतु | चेहरे की पेशी के चालक तंतु लार ग्रंथि , गर्दन आदि | | मिश्रित | भोजन का स्वाद चेहरे की अभिव्यक्ति , लार स्त्राव , गर्दन की गति | |
8. श्रवण (Auditory) | अंत:कर्ण (vestibular and cochlear branches) | VII th के पीछे मेड्यूला ऑब्लोगेटा की अग्र पाशर्व सतह | संवेदी | सुनना और संतुलन |
9. जिव्हा ग्रसनी (glosso-pharyngeal) | मेड्यूला ऑब्लोगेटा की पाशर्व साइड | जीभ के अग्र 1/3 भाग पर स्वाद कलिका की संवेदी तन्तु फेरिक्स की पेशी के चालक तंतु और पैरोटिक ग्रंथि | मिश्रित | Tasting of food , salivation , swallowing |
10. Vagus or pneumo-gastric (longest) | IX th के पीछे मेड्यूला ऑब्लोगेटा की पाशर्व सतह | ग्राही के संवेदी तंतु आंतरिक अंगों की भित्ति में पेशी के चालक तंतु , आहारनाल , ह्रदय , वाहिनियाँ , ट्रेकिया फेफड़े वृक्क , genital tracts आदि | मिश्रित | संवेदना और गति |
11. Accessory spinal | X th के पीछे मेड्युला ऑब्लोगेटा की पाशर्व सतह | लेरिंक्स , फेरिंक्स , गर्दन और कंधे की पेशी | चालक | लेरिंक्स , फेरिंक्स गर्दन और कंधे की गति |
12. Hypoglossal | मेड्युला ऑब्लोगेटा के पश्च भाग में अधर सतह पर | जीभ के नीचे हाइपोग्लोसल पेशी | चालक | जीभ की गति |
मेरुरज्जु (spinal cord) :
स्थिति आवरण (location and coverings) : यह केन्द्रीय तंत्रिका का पश्च भाग है जो कशेरुक दण्ड के साथ मध्य पृष्ठीय नाल में पाया जाता है | मरुरज्जू भी मस्तिष्क की तरह तीन सुरक्षात्मक झिल्लियों से आवरित रहता है और अतिरिक्त अवकाश epidural space पायामेटर के ऊपर होता है | एपिडयूरल रिक्त स्थान में वसीय और संयोजी ऊत्तक और शिराएँ होती है |
यह मस्तिष्क के आधार से द्वितीयक lumbar vertebra तक विस्तरित रहता है | इसका व्यास भिन्न भिन्न स्तर पर परिवर्तित होता है | ग्रीवा और कटिक्षेत्र में इसका व्यास अधिक होता है | cervical लम्बन fourth ग्रीवा से प्रथम वक्षीय कशेरुका तक विस्तारित होता है | यह वह क्षेत्र है जिसमें से भुजाओं को आपूर्ति करने वाली तंत्रिकाएं उत्पन्न होती है | यह अजीब प्रतीत होता है कि लम्बर (lumbar) enlargement thoracic क्षेत्र में होना चाहिए लेकिन यह स्थिति इसलिए होती है क्योंकि मरुरज्जू की वृद्धि की दर कशेरुक दंड की वृद्धि दर से कम होती है |
कशेरुक दंड में द्वितीयक कटि कशेरूका के नीचे के क्षेत्र में तंत्रिकाएँ होती है जो मेरुरज्जु से उच्च स्तर पर शाखन द्वारा उत्पन्न होती है | ये तंत्रिकाएँ संग्रहित रूप से cauda equine अथवा horse’s tail कहलाती है | मरुरज्जू conus medullaris के रूप में समाप्त होती है | वास्तव में conus medullaris मरुरज्जू का निम्न शंकुनुमा भाग है | conus medullaris के चारों तरफ तंतुमय संयोजी ऊतक का आवरण filum terminale होता है जो मरुरज्जू को कशेरुक दंड में स्थित रखता है |
Posterior median sulcus और anterior median fissure मेरुरज्जु को दायें और बाएं दो सममित आर्द्धांशो में पृथक करता है | मेरूरज्जु के अन्दर तितली के आकार का क्षेत्र grey matter होता है | मायलिन (myelin) के अभाव के कारण इसका नाम grey matter और इसके चारों तरफ माइलिन युक्त तंत्रिका तंतुओं के समूह होते हैं जो fascicule अथवा white columns कहलाते है जो मेरुरज्जु का white matter बनाते है |
मेरुरज्जु के प्रत्येक खण्ड में रज्जू के प्रत्येक तरफ मेरु तंत्रिकाएं उत्पन्न होती है | प्रत्येक मेरूतंत्रिका दो nerve roots के द्वारा रज्जु (cord) से जुडी रहती है | पृष्ठीय तंत्रिका मूल में संवेदी एक्सान (Axons) के समूह होते हैं | (carrying incoming signals) जिसके कोशिका काय dorsal root ganglion (पृष्ठीय मूल गुच्छिका) में स्थित होते है | ये तंत्रिकाएँ (Axon) धूसर द्रव्य के (grey matter) पश्च श्रृंग में विस्तारित होते है जहाँ वे अन्य न्यूरोंस के साथ सिनेंप्स (synapses) बनाते है | इनमें से कुछ interneurons कहलाते है | interneurons रज्जु के धूसर द्रव्य से सम्बन्धित छोटे न्यूरोन होते हैं जो अन्य अंतरा न्यूरोन और चालक न्यूरोन जिनकी कोशिका काय धूसर द्रव्य के अग्र श्रृंग में स्थित होते हैं , के साथ सिनेप्स (synapses) बनाते है | खोखली केन्द्रीय नलिका में प्रमस्तिष्क मेरु द्रव्य (CSF) भरा होता है |
मेरुरज्जु के सफ़ेद द्रव्य के साथ दो प्रकार की fasciculi अथवा तंत्रिकाओं के समूह आरोही नाल (ascending tracts) कहलाते है जो संवेदी आवेगों को मस्तिष्क तक ले जाती है , पृष्ठीय funiculi और अवरोही नाल (descending tracts) जो चालक आवेगों को मस्तिष्क के मरुरज्जू के विभिन्न स्तर पर मेरूतंत्रिकाओं पर पाशर्वीय और अधरीय funiculi के द्वारा ले जाती है , होते हैं |
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