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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द | वाक्य के लिए एक शब्द लिखिए इन हिंदी | one word substitution in hindi

one word substitution in hindi अनेक शब्दों के लिए एक शब्द | वाक्य के लिए एक शब्द लिखिए इन हिंदी बाताइये क्या होगा हिंदी व्याकरण लिस्ट पीडीऍफ़ ?

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

समास, तद्धित और कृदन्त द्वारा वाक्यांश या वाक्य एक शब्द अथवा पद के रूप में संक्षिप्त किए जा सकते हैं । वस्तुतः वाक्य के शब्दों के अनुसार ही एक शब्द अथवा पद निर्माण होना चाहिए। कुछ ऐसे लाक्षणिक पद या शब्द होते हैं जो एक वाक्य या वाक्यांश का अर्थ देते हैं । कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

अनेक शब्द   एक शब्द

जानने की इच्छा  =  जिज्ञासा

जिसके पार देखा न जा सके  = अपारदर्शक

जिसके पार देखा जा सके   = पारदर्शक

जिसके हृदय में ममता नहीं है  =  निर्मम

जिसके समान द्वितीय नहीं है  = अद्वितीय

जिसके शेखर पर चन्द्र हो   = चन्द्रशेखर

जिसके आने की तिथि मालूम न हो  = अतिथि

जिसके दस आनन हैं   = दशानन

जिसके पाणि में चक्र है   = चक्रपाणि

जिसके पाणि में वज्र है   = वज्रपाणि

जिसके पाणि में वीणा है  = वीणापाणि

जिसके पाणि में शूल है ।  = शूलपाणि

जिसे चार भुजाएँ हैं     = चतुर्भुज

जिसकी ग्रीवा सुन्दर हो   = सुग्रीव

जो भू को धारण करता है  = भूधर

जिसके दो पद हैं  = द्विपद

जिसके चार पद हैं   = चतुष्पद

जिसका कोई नाथ (मालिक) न हो  = अनाथ

जिसे वेद में विश्वास नहीं है  = नास्तिक

जिसे वेद में विश्वास है  = आस्तिक

जिसे भय नहीं है  = निर्भय

सिर पर धारण करने योग्य = शिरोधार्य

दो बार जन्म लेने वाला  = द्विज

जिसका कोई शत्रु नहीं जनमा है  = अजातशत्रु

जिसका जन्म अन्त्य (ओछी) जाति में हुआ हो  = अन्त्यज

जिसका (धव) मर गया है  = विधवा

जिसका पति जीवित (साथ) है = सधवा

अन्डे से जन्म लेने वाला  = अण्डज

जल में जन्म लेने वाला  = जलज

जिसका जन्म अग्र (पहले) हुआ हो  = अग्रज

जिसका जन्म अनु (पीछे) हुआ हो  = अनुज

जिसका कारण पृथ्वी है अथवा जो पृथ्वी से संबद्ध है  = पार्थिव

जिसका दूसरा उपाय नहीं है  = अनन्योपाय

जो सब कुछ जानता है  = सर्वज्ञ

जिसमें पाप नहीं है  = निष्पाप

तेजवाला   = तेजस्वी

जिसने बहुत कुछ देखा या सुना है  =  बहुदर्शी

जो कहा न जा सके   = अकथनीय

अनुचित बात के लिए आग्रह   = दुराग्रह

विशेष रूप से ख्यात  =  विख्यात

जिसकी उपमा न हो  =  अनुपम

जिसका निवारण नहीं किया जा सके  =  अनिवाय

जिसका अनुभव किया गया है  = अनुभूत

जो अल्प (कम) जानता है  =  अल्पज्ञ

जो बहुत जानता है  =  बहुज्ञ

जो कुछ नहीं जानता है   = अज्ञ

जो अग्र (आगे) की बात सोचता है   = अग्रसोची

जो नया आया हुआ हो   = नवागन्तुक

जो भू के गर्भ (भीतर) का हाल जानता हो  = भूगर्भवेता

स्वेद से उत्पन्न होने वाला   =  स्वदेज

जो किये गये उपकारों को मानता है  = कृतज्ञ

जो किये गए उपकारों को नहीं मानता है  =  अमर

नहीं मरने वाला जो बहुत बोलता है  = वाचाल

जो तीनों कालों को देखता है  = त्रिकालदर्शी

जो किसी की ओर (प्रति) से है  = प्रतिनिधि

सब कुछ खानेवाला  = सर्वभक्षी

जो सबमें व्याप्त है  = सर्वव्यापी

शिव का उपासक या शिव से संबद्ध =  शैव

शक्ति का उपासक या शक्ति से संबद्ध  = शाक्त

जो इन्द्रियों (गो) के ज्ञान के अतीत (बाहर) है  = गोतीत, इन्द्रियातीत

विष्णु का उपासक या विष्णु से संबद्ध  =  वैष्णव

इन्द्रियों को जीतनेवाला    =     जितेन्द्रिय

जो तीनों कालों को जानता है    =  त्रिकालज्ञ

जन्म लेते ही मर या गिर जाना   = आदण्डपात

अवश्य होने वाला    = अवश्यम्भावी

जो स्त्री के वशीभूत है   = स्त्रैण

जो युद्ध में स्थिर रहता है   = युधिष्ठिर

जो कर्त्तव्य से च्युत होगया है   = कत्र्तव्यच्युत

जो कठिनाई (गुरु) से पचता है   = गुरूपाक

जो आसानी से पच जाता है   = लघुपाक

जो शोक करने योग्य नहीं है   = अशोच्य

कठिनाई से समझने योग्य   =  दुर्बोध

जो विषयों में आसक्त है    = विषयासक्त

जो स्त्री सूर्य भी न देख सके   = असूर्यम्पश्या

जो अत्यन्त कष्ट से निवारित किया जा सके  =  दुर्निवार

विदेश में वास करने वाला  =  प्रवासी

जो बात वर्णन के अतीत (बाहर) है  =  वर्णनातीत

प्रतिकूल पक्ष का   = विपक्षी

जो देखा नहीं जा सकता  = अदृश्य

जो दिन में एक बार भोजन करते हैं  =  एकाहारी

जो मृत्यु के समीप हो  =  मुमूर्षु

जो ठेंगे-सा नाटा हो  = ठिंगना

जो कहा गया है ै =  कथित

जो सरों में जन्म लेता  =  सरसिज

हजो पूर्व (पहले) में था, पर अब नहीं है  = भूतपूर्व

अतिशय या अति (बढ़ा-चढ़ाकर) उक्ति कहना   = अतिशयोक्ति, अत्युक्ति

मिष्ठ या मधुर भाषण करने वाला  = मिष्टभाषी, मधुरभाषी

जो आमिष (मांस) नहीं खाता = निरामिष

जो स्वयं उत्पन्न हुआ है = स्वयंभू

जो पहरा देता है   = प्रहरी

बुरा (इ) आग्रह  = दुराग्रह

जो आग्रह सत्य हो = सत्याग्रह

जो उक्ति बार-बार कही जाय  = पुनरूक्ति

जो हमेशा रहनेवाला है  = शाश्वत

जो मुकदमा दायर करता  = वादी, मुद्दई

जो अश्व (घोड़ा) का आरोही (सवार) है  =  अश्वारोही

मार्ग दिखाने वाला   = पथप्रदर्शक

तीनों विधियों (शीतल, मंद, सुगन्धित) की वायु =  त्रिविद वायु

जो दूसरे (पर) के अधीन है   = पराधीन

जो देखने में प्रिय लगता है  =  प्रियदर्शी

आया हुआ  = आगत

लौटकर आया हुआ  = प्रत्यागत

जो पुरुष अभिनय करे   = अभिनेता

जो स्त्री अभिनय करे   = अभिनेत्री

आँखों से परे   =   परोक्ष

आँखों के सामने  = प्रत्यक्ष

परलोक का  =  पारलौकिक

लोक से सम्बन्धित  =  लौकिक

जो चिरकाल तक ठहरे   = चिरस्थायी

जो नष्ट होने वाला है  =   नश्वर

जो रथ पर सवार है  =  रथी

जो चक्र धारण करता है   = चक्रधर

जो जन्म से अन्धा है  =  जन्मान्ध

जो हमेशा खड्ग (तलवार) हस्त (हाथ) में लिये तैयार है  =  खड्गहस्त

जो हाथ से मुक्त (खूब देने वाला) है   = मुक्तहस्त

जो कष्ट सहन करके =  कष्टसहिष्णु

जो दूसरे से ईर्ष्या करता है  =  ईष्र्यालु

जो फल आहार करता है  = फलाहारी

जो माँस आहार करता है  = मांसाहारी

जो शाक आहार करता है =  शाकाहारी

जो मत्स्य का आहार करता है  = मत्स्याहारी

जो शत्रु की हत्या करता है =  शत्रुघ्न

जो पिता की हत्या कर चुका  =  पितृहंता

जो आत्मा की हत्या करता है  = आत्मघाती

जो नभ या ख (आकाश) में चलता है  = नभचर, खेचर

गृह बसाकर रहने वाला = गृहस्थ

जो विज्ञान जानता है = वैज्ञानिक

जो प्रिय बोलता है =  प्रियंवद

जो कोई वस्तु वहन करता है  = वाहक

बिना वेतन के   = अवैतनिक

बिना अंकुश का   = निरंकुश

जो व्याकरण जानता है   = वैयाकरण

हृदय को विदारण करने वाला  =  हृदयविदारक

समान वय (उम्र) वाला  =  समवयस्क

व्यक्ति पहले पहल मत को प्रवर्तित (जारी) करने वाला आदि =  प्रवत्र्तक

बहुत-सी भाषाओं का बोलने वाला =  बहुभाषाभाषी

बहुत-सी भाषाओं को जानने वाला  = बहुभाषाविद्

प्राण देने वाली दवा  =  प्राणदा

धन देने वाला (व्यक्ति या देवता) =  धनय, कुबेर

अपनी इच्छा से दूसरों की सेवा करने वाला =  स्वयंसेवक

जानने की इच्छा रखने वाला  = जिज्ञासु

लोम (रोंगटे खड़े करने वाला  = लोमहर्षक

जो बातें पुस्तक के आरम्भ में कही या लिखी जायें  = भूमिका, प्राक्कथन

वह पुरुष जिसकी पत्नी साथ नहीं है  = विपत्नीक

वह पुरुष जिसकी पत्नी साथ है  = सपत्नीक

वह स्त्री जिसका पति आने वाला है  = आगमिष्यत्पतिका

वह स्त्री जिसे पति छोड़ दे  = परित्यक्ता

पाद (पैर) से मस्तक तक  = आपादमस्तक

न बहुत शीत और न बहुत उष्ण =  समशीतोष्ण

पीछे-पीछे गमन करने वाला  = अनुगामी

जिसने प्रतिष्ठा प्राप्त की हो =  लब्धप्रतिष्ठ

पर्वत की कन्या =  पार्वती

कुन्ती का पुत्र =  कौन्तेय

दशरथ का पुत्र =  दाशरथि

गंगा का पुत्र =  गांगेय

महल के अन्तः (अन्दर) का पुर = अन्तःपुर

वचन द्वारा जो कहा न जा सके  = अनिर्वचनीय

जो उर (छाती) के बल गमन करता है =  उरग

जानुओं तक जिसकी बाहुएँ हैं  = आजानुबाहु

याचना करने वाला =  याचक

करने योग्य  = करणीय

पूजने योग्य  = पूजनीय, पूज्य

पूछने योग्य  = प्रष्टव्य

देखने योग्य = द्रव्टव्य

सुनने योग्य  = श्रव्य, श्रवणीय

अपने उच्च आचारों से जो पूत (पवित्र) है  = आचारपूत

जिसे जीता न जा सके  = अजेय

चलने-फिरने वाली सम्पत्ति  = चलसम्पत्ति

जो अनुकरण करने योग्य हो  = अनुकरणीय

खून से रँगा या सना =  रक्तरंजित

आदि से अन्त तक =  आद्योपान्त

दाव (जंगल) का अनल (अग्नि)  = दावानल

जठर (पट) का अनल  = जठरानल

वाडव (समुद्र) का अनल  = वाडवानल

जो राजगद्दी का अधिकारी हो  = युवराज

जो दायर मुकदमे का प्रतिवाद (बचाव या काट) करे = प्रतिवादी

रात और संध्या के बीच की बेला =  गोधूलि

नव (अभी-अभी) जन्म- हुआ  = नवजात

जो सबसे आगे गिनने योग्य है  = अग्रगण्य

जहाँ तक सघ सके  = यथासाध्य

वृष्टि का अभाव =  अनावृष्टि

अत्यधिक वृष्टि  = अतिवृष्टि

पुत्र का पुत्र  =  पौत्र

पुत्र की वधू =  पुत्रवधू

उपकार के प्रति किया गया उपकार =  प्रत्युपकार

एक-एक अक्षर तक  = अक्षरशः

दिन पर दिन  =  दिनानुदिन

जिसका प्रतिद्वन्द्वी शासक न हो =  अप्रतिशासन

जहाँ खाना सदा मुफ्त मिलता है =  सदाव्रत

जहाँ औषध दान स्वरूप मिलती है  = दातव्य औषधालय

अनिश्चित वृत्ति (जीविका)  = आकाशवृत्ति

जो धर्माचरण करता है  = धर्मात्मा

जिसका मन किसी अन्य (दूसरी) ओर हो  = अन्यमनस्क

जो पांचाल देश की है  = पांचाली

द्रुपद की पुत्री =  द्रौपदी

किसी के पास रखी हुई दूसरे की वस्तु  = थाती, धरोहर, अमानत

जो यान (सवारी) जल में चलता है  = जलयान

युग निर्माण करने वाला  = युगनिर्माता

जो पुरुष लोहे की तरह दृढ़ है = लौहपुरूष

जहाँ लोगों का मिलन हो  = सम्मेलन

जहाँ नदियों का मिलन हो  = संगम

जो पर्दे में रहे  = पर्दानशीं

जिसका उदर लम्बा हो  = लम्बोदर

जो सबसे आगे रहता है  = अग्रणी

जिसका मूल नहीं है  = निर्मूल

जो मोक्ष चाहता है  = मुमुक्षु

जिसकी मति (बुद्धि) शीघ्र सोचने वाली है  = प्रत्युत्पन्नमति

जिसकी बुद्धि कुश के अग्र की तरह पैनी हो =   कुशाग्रबुद्धि

वह मनुष्य जिसकी स्त्री मर गयी है =  विधुर

कम बोलने वाला  = मितभाषी

जिसे तोड़ा न जा सके  = अभेद्य

जो कठिनाई से तोड़ा जा सके  = दुर्भेद्य

जिसकी आशा न की गई हो  = अप्रत्याशित

जिसका अर्थ, कार्य या प्रयोजन सिद्ध हो चुका हो  = कृतकृत्य, कृतकार्य

जिस पेड़ के पत्ते (पर्ण) झड़ गए हों  = अपर्ण

जो मापा न जा सके  =  अपरिमित, अपरिमेय

देखने की इच्छा  = दिदृक्षा

तैरने की इच्छा =  तितीर्षा

लाभ की इच्छा  = लिप्सा

जीतने की इच्छा  = जिगीषा

खाने की इच्छा  = बुभुक्षा

करने की इच्छा  = चिकीर्षा

मरण तक  = आमरण

जीवन भर  = आजीवन

जन्म भर या जन्म से लेकर =  आजन्म

कई में से एकमात्र  = अन्यतम

उच्चवर्ग के पुरुष के साथ निम्नवर्ग की स्त्री का विवाह = अनुलोम विवाह

किसी काम में दूसरे से बढ़ने की इच्छा या उद्योग  = स्पद्र्धा

बिना पलक गिराए  = निर्निमेष, अपलक

जो बाएँ (सव्य) हाथ से सधा हुआ है =  सव्यसाची

मेघ की तरह नाद (आवाज) करने वाला  = मेघनाथ

जिस स्त्री को कोई सन्तान न हो =  बाँझ, बन्थ्या

गुरु के समीप रहने वाला विद्यार्थी  = अन्तेवासी

जिसका ज्ञान इन्द्रियों के द्वारा न हो  = अगोचर, अतीन्द्रिय

एक ही उदर से जन्म लेने वाला = सहोदर

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