(nuclear fission in hindi) नाभिकीय विखण्डन , नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया , प्रक्रिया , अनुप्रयोग , खोज : किसी बड़े नाभिक का दो या दो से अधिक छोटे छोटे नाभिकों में टूटने की प्रक्रिया को नाभिकीय विखण्डन कहते है।
नाभिकीय विखण्डन की खोज कब और किसने की ?
बहुत बड़े तत्वों के लिए
नाभिक विखंडन की खोज जर्मनी के ओटो हन (Otto Hahn) तथा उनके सहायक फ़्रिट्ज़ स्ट्रैसमैन (Fritz Strassmann) के द्वारा 17 अक्टूबर 1938 को की गयी थी।
तथा इसकी सैद्धांतिक रूप से व्याख्या जनवरी 1939 में Lise Meitner और ओटो रॉबर्ट फ्रिश द्वारा की गयी थी।
नाभिकीय विखण्डन की परिभाषा क्या है ?
नाभिकीय
भौतिक विज्ञान या रसायन विज्ञान में किसी बड़े नाभिक का छोटे छोटे दो या दो से अधिक नाभिकों में टूट जाना , नाभिकीय विखण्डन कहलाता है।
अर्थात इस प्रक्रिया में किसी
परमाणु का नाभिक दो या दो से अधिक नाभिकों में टूट जाता है , नाभिकीय विखण्डन के परिमाण स्वरूप या तो मुक्त न्यूट्रॉन प्राप्त होते है या गामा फोटॉन। और एक उच्च
ऊर्जा मुक्त होती है।
जैसा चित्र में दिखाया गया है –
उदाहरण : जब युरेनियम के नाभिक पर तीव्रगामी न्यूट्रॉनों की बौछार या बमबारी की जाती है तो युरेनियम का विखण्डन हो जाता है , जो निम्न प्रकार होता है –
नोट : युरेनियम का परमाणु क्रमांक 92 होता है और परमाणु भार या द्रव्यमान 235 होता है , युरेनियम के नाभिकीय विखण्डन के बाद यह दो नाभिकों Ba और Kr (क्रोमियम) में टूट जाता है और उच्च स्तर की ऊर्जा मुक्त होती है (लगभग 200 मेगा eV)
इस प्रक्रिया में ध्यान दे कि विखण्डन प्रक्रिया के बाद प्राप्त नाभिकों का कुल द्रव्यमान , बड़े (मूल) नाभिक के द्रव्यमान से कम प्राप्त होता है , ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि इस प्रक्रिया में उच्च ऊर्जा मुक्त हो जाती है और यह द्रव्यमान में आया अंतर ही उच्च ऊर्जा में परिवर्तित होकर मुक्त होता है।
नाभिकीय विखंडन के उपयोग : इस अभिक्रिया के आधार पर ही परमाणु रिएक्टर या परमाणु भट्टी का निर्माण किया जाता है। परमाणु भट्टी द्वारा उच्च विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
नाभिकीय विखण्डन की श्रृंखला अभिक्रिया (chain reaction of nuclear fission)
जब युरेनियम पर न्यूट्रॉन की बमबारी की जाती है तो यह छोटे छोटे नाभिकों में टूट जाता है , यहाँ ध्यान दे कि एक युरेनियम के नाभिक को तोड़ने के लिए केवल एक न्यूट्रॉन की आवश्यकता होती है लेकिन विखंडन के बाद तीन न्यूट्रॉन प्राप्त होते है अब ये तीन
न्यूट्रॉन अन्य तीन युरेनियम परमाणुओं के नाभिकों का विखंडन कर सकते है जिसके बाद हमें 9 न्यूट्रॉन प्राप्त होंगे जो आगे अन्य 9 युरेनियम के नाभिकों का विखण्डन कर देंगे , इस प्रकार आगे से आगे एक नाभिकीय विखंडन की श्रृंखला बन जाती है जिसे हम नाभिकीय विखण्डन की श्रृंखला कहते है।
यह दो प्रकार की होती है –
1. नियन्त्रित नाभिकीय विखंडन की श्रृंखला
2. अनियन्त्रित नाभिकीय विखंडन की श्रृंखला
अब हम यहाँ इन दोनों प्रकार को विस्तार से अध्ययन करते है –
1. नियन्त्रित नाभिकीय विखंडन की श्रृंखला (controlled chain reaction of nuclear fission)
ऐसी नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया जिसे कृत्रिम उपायों द्वारा नियंत्रित किया जा सके अर्थात इस प्रकार की अभिक्रिया को बाह्य किन्ही कृत्रिम उपायों द्वारा इस प्रकार संपन्न किया जाता है कि आगे केवल एक न्यूट्रॉन युरेनियम के नाभिक को विखंडित करे , और इसी प्रकार केवल एक ही न्यूट्रॉन आगे युरेनियम अभिक्रिया को आगे बढ़ाये और संपन्न करे तो इसे नियंत्रित नाभिकीय विखण्डन कहते है।
ऐसी अभिक्रिया से प्राप्त ऊर्जा को लाभदायक कार्यों में काम लिया जाता है जैसे विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करना आदि।
2. अनियन्त्रित नाभिकीय विखंडन की श्रृंखला (uncontrolled chain reaction of nuclear fission)
ऐसी अभिक्रिया जिन्हें किसी भी उपाय द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सके , अर्थात आगे से आगे न्यूट्रॉन युरेनियम को विखण्डित करते जाते है और यह अभिक्रिया बहुत तीव्रता से चलती है जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है। और चूँकि इस अभिक्रिया में आगे से आगे अभिक्रिया चलती जाती है इसलिए यह अभिक्रिया बहुत खतरनाक होती है और बहुत शीघ्र पूरी क्रिया संपन्न हो जाती है जिससे बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
उदाहरण : इसे परमाणु बम में इस्तेमाल किया जाता है।