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पर्वसन्धि की संरचना (nodal structure in hindi) | यूनीलेक्यूनर पर्वसन्धि (unilacunar node) ट्राइलेक्यूनर पर्व सन्धि (trilacunar node)

(nodal structure in hindi) पर्वसन्धि की संरचना क्या है ? यूनीलेक्यूनर पर्वसन्धि (unilacunar node) ट्राइलेक्यूनर पर्व सन्धि (trilacunar node) की परिभाषा किसे कहते है ?

पर्वसन्धि की संरचना (nodal structure in hindi) : प्ररोह अक्ष में अनेक पर्व (internode) और पर्वसन्धियाँ (node) पायी जाती है। पर्वसन्धियों पर शाखाएँ और पत्तियाँ उपस्थित होती है जिसके कारण इसकी संरचना पर्व से भिन्न और जटिल दिखाई देती है। पर्व की आंतरिक संरचना समांग और सरल होती है। जिसमें संवहन सिलिंडर सतत रूप में उपस्थित होता है। पर्वसन्धि से संवहन संपूल शाखाओं तथा पत्तियों में प्रवेश करते है जिसके फलस्वरूप संवहन सिलिंडर एक अथवा अधिक स्थानों पर टूट जाता है।

तने के प्रत्येक पर्वसन्धि से निकलकर पत्ती में जाने वाले संवहन संपुल पर्ण ट्रेस (leaf trace) कहलाते है। तने का संवहन ऊत्तक प्रसारित होकर पत्ती में पर्ण ट्रेस के रूप में प्रवेश करता है। पर्ण ट्रेस संपूल का अन्तस्थ भाग केवल जाइलम का बना होता है लेकिन आधारी भाग जाइलम और फ्लोयम दोनों से बना होता है। किसी पर्वसंधि पर स्थित पत्ती में प्रवेश करने वाले सम्पूल आवश्यक नहीं की उसी पर्व संधि से निकले अपितु अनेक जातियों में पर्ण ट्रेस निचे की पर्वसंधि से निकलने के बाद वल्कुट से होकर ऊपर की पर्वसन्धि पर स्थित पत्ती में प्रवेश करती है। इसी प्रकार पर्वसंधि में शाखा में प्रवेश करने वाला संपूल शाखा ट्रेस कहलाता है।
पर्ण ट्रेस के ठीक ऊपर संवहन ऊत्तको के बजाय मृदुतकी क्षेत्र पाए जाते है जिन्हें पर्ण विदर (leaf gap) कहते है। यहाँ वल्कुट और मज्जा सतत हो जाते है। पर्ण विदर के ऊपर और नीचे पाशर्व सम्बन्ध स्थापित हो जाते है अर्थात संवहन तंत्र की सतता समाप्त नहीं होती है। इसी प्रकार शाखा ट्रेस के साथ शाखा विदर (branch gap) पाए जाते है। शाखा विदर पर्णविदर की तुलना में अधिक बड़े और फैले हुए होते है।
प्रत्येक पर्वसन्धि पर उपस्थित पर्णट्रेसों की संस्था में विविधता पायी जाती है। प्राय: टेरिडोफाइट्स में इनकी संख्या एक होती है , अनावृतबीजी पादपों में इनकी संख्या 1 अथवा 2 हो सकती है और आवृतबीजी पादपों में 1 , 3 , 5 अथवा अधिक होती है। यह संख्या प्रत्येक वर्गक का एक लाक्षणिक गुण होता है।
सिनट (1914) के अनुसार प्रत्येक पत्ती में पर्ण विदर की संख्या के आधार पर द्विबीजपत्तियों में निम्नलिखित तीन प्रकार की पर्व सन्धियाँ पायी जाती है –

1. यूनीलेक्यूनर पर्वसन्धि (unilacunar node)

जब प्रत्येक पत्ती का संवहन संपूल केवल एक पर्ण विदर बनाता है तो यह यूनीलेक्यूनर पर्वसंधि कहलाती है। एनोनेसी , एरीकेसी , एपोसाइनेसी और सोलेनेसी आदि कुलों में इस प्रकार की पर्वसंधि पायी जाती है।

2. ट्राइलेक्यूनर पर्व सन्धि (trilacunar node)

जब प्रत्येक पत्ती का संवहन संपूल तीन पर्ण ट्रेस और तीन पर्ण विदर बनाता है। इसमें एक मध्य और दो पाशर्व पर्ण विदर सम्बद्ध होते है इसलिए यह ट्राइलेक्यूनर पर्वसंधि कहलाती है। इस प्रकार की पर्वसन्धि रेननकुलेसी , मिलिएसी और पोलीमोनेसी आदि कुलों में पायी जाती है।

3. मल्टीलेक्यूनर पर्वसन्धि (multi lacunar node)

इस प्रकार की पर्व सन्धि में प्रत्येक पत्ती से अनेक पर्णट्रेस और पर्ण विदर सम्बद्ध रहते है। इस प्रकार की पर्वसंधि ऐरेलिएसी और चिनोपोडीएसी कुलों में पायी जाती है।

 

वर्गिकी और तने , पुष्प और पत्ती की तुलनात्मक आकारिकी में पर्वसन्धि की आंतरिक संरचना का महत्वपूर्ण स्थान है। सिनोट (1914) के अनुसार आवृतबीजियों में ट्राइलेक्यूनर पर्वसंधि का पाया जाना एक आदिम लक्षण है और ट्राइलेक्यूनर संधि के न्यूनीकरण से यूनीलेक्यूनर और विस्तारण से मल्टीलेक्यूनर पर्व सन्धि का विकास हुआ है।
मार्सडेन और बैली (1955) ने उपरोक्त तीन प्रकार की पर्वसंधियों के अतिरिक्त एक चौथी प्रकार की पर्वसंधि दो पर्ण ट्रेस युक्त यूनीलेक्यूनर पर्वसन्धि का पाया जाना बताया। उनके अनुसार यह सबसे आद्य पर्वसन्धि है जिससे अन्य सभी प्रकार की पर्वसन्धियों का विकास हुआ है।
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