मधुमक्खी का तंत्रिका तंत्र क्या है , nervous system of honey bee in hindi , प्रजनन तन्त्र (Reproductive system)

प्रजनन तन्त्र (Reproductive system) मधुमक्खी का तंत्रिका तंत्र क्या है , nervous system of honey bee in hindi ?

तात्रका तन्त्र (Nervous system):

मधुमक्खी का तंत्रिका तन्त्र भी अन्य कीटों की तरह केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र एक परिधीय तंत्रिका तन्त्र से मिलकर बना होता है।

केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र, मस्तिष्क, अद्योग्रसिकीय गुच्छक, खण्डीय गुच्छक व अधर तंत्रिका रज्जू से मिलकर बना होता है।

मस्तिष्क व अद्योग्रसिकीय गुच्छक सिर में पाये जाते हैं। मधुमक्खी का मस्तिष्क मुख्य रूप से दा दृष्टि पिण्डों (optic lobes) का बना होता है जिनमें संयुक्त नेत्रों से सूचनाएँ प्राप्त होती है। इसके बाद शृंगिकीय पिण्ड पाये जाते हैं जिनमें शृंगिकाओं से प्राप्त होने वाली सूचनाओं को ग्रहण किया जाता है। मस्तिष्क के मध्य भाग को मशरूम काय (mushroom body) कहा जाता है क्योंकि मस्तिष्क की काट में यह दो मशरूमों की तरह दिखाई देता है। यह क्षेत्र सूंघने की क्षमता, अल्प कालिक याददाश्त व दीर्घकालिक याददाश्त के लिए जिम्मेदार होता है। ग्रसिका के नीचे अद्योग्रसिकीय गुच्छक पाया जाता है जो अधर तंत्रिका रज्जू में सतत रहता है। अधर तंत्रिका रज्जू दोहरे धागे समान संरचना होती है जिसमें तीन वक्षीय व छ: उदरीय खण्डीय गुच्छक पाये जाते हैं। मस्तिष्क एवं खण्डीय गुच्छकों से कई जोड़ी तंत्रिकाएँ निकल कर विभिन्न अंगों को जाती है जो परिधीय तंत्रिका तन्त्र का निर्माण करती है।

तंत्रिका रज्जू से संलग्न पुछ महत्त्वपूर्ण अन्त: स्रावी ग्रन्थियाँ भी पायी जाती है। ग्रसिका के समीप एक कोर्पोरा एलाटा (corpora allata) नामक अन्त: स्रावी ग्रन्थि पायी जाती है जो एक महत्त्वपूर्ण जुवेनाइल हॉरमोन का स्रावण करती है। यह हॉरमोन श्रमिक व रानी मधुमक्खियों के विभेदन में सहायक होता है। यही नहीं यह हॉरमोन श्रमिकों में कार्य विभाजन के लिए भी जिम्मेदार होता है। . दूसरी अन्त: स्रावी ग्रन्थि कॉर्पोरा कार्डिएका (corpora cardiaca) नामक ग्रन्थि वक्ष में हृदय के समीप पायी जाती है। इस ग्रन्थि से स्रावित होने वाला हॉरमोन प्रोथोरेसिकोटोपिक हॉरमोन (PTTH कहलाता है। यह हॉरमोन वक्ष में उपस्थित पूर्व वक्षीय ग्रन्थि (prothorasiceland) को डक्डायोसोन हॉरमोन स्रावित करने के लिए प्ररित करता है। इक्डोयोसोन हॉरमोन त्वक पतन जिम्मेदार होता है।

इनके अतिरिक्त सिर में कुछ बहि:स्रावी ग्रन्थियाँ भी पायी जाती है। इनमें से मुख्य हैं चिबक या मेन्डिबुलर ग्रन्थियाँ, अद्योग्रसनीय ग्रन्थियाँ व लार ग्रन्थियाँ।

चिबकीय या मेन्डिबुलर ग्रन्थियाँ (mandibular glands) सरल थेले समान संरचनाएँ होती है व मेन्डिबल के साथ पायी जाती है। रानी मधुमक्खी में यह ग्रन्थि शक्तिशाली रानी फीरोमोन का स्रोत होता है युवा श्रमिक मधमक्खियों में यह ग्रन्थि वसा युक्त श्वेत पदार्थ का स्रावण करती है जिसे अधोग्रसनी ग्रन्थि (hypopharyngeal gland) के स्रावण के साथ मिला कर रॉयल जेली (roxljelly) या श्रमिक जैली का निर्माण करती है जो क्रमशः रानी मधुमक्खी व श्रमिक मधुमक्खी को खिलायी जाती है। पुरानी भोजन खोजी श्रमिक मधुमक्खियों में यह ग्रन्थि हेप्टेनोन ( heptanone) नामक पदार्थ का स्रावण करती है जो एलार्म फीरोमोन का एक घटक होता है। इसी तरह अधोग्रसनीय ग्रन्थि युवा मधुमक्खियाँ में प्रोटीन युक्त स्रावण उत्पन्न करती है जबकि भोजन खोजी पुरानी मधुमक्खियों में यह इनवर्टेज (Invertase) नामक एन्जाइम का स्रावण करती है (जो सुक्रोज को ग्लूकोज व फ्रक्टोज में बदलता है) सिर में एक जोड़ी लार ग्रन्थियाँ भी पायी जाती है जो लार का स्रावण करती है जो मोम शल्को के साथ मिल कर मोम के भौतिक गुणों को परिवर्तित करती है ।

प्रजनन तन्त्र (Reproductive system) :

मधुमक्खियों की तीन ज्ञातियाँ ज्ञात हैं 1. रानी 2. पुंमक्षिका या ड्रोन या नर मधुमक्खी, 3. श्रमिक मधुमक्खी ।

इनमें से रानी मधुमक्खी मादा तथा प्रजनन योग्य होती है। नर मक्षिका या ड्रोन जननक्षम नर होती है तथा श्रमिक मक्खी जनन अक्षम होती है।

रानी मधुमक्खी में मादा जनन तन्त्र पाया जाता है जिसमें अण्डाशय व शुक्रग्राहिका (ovary and sperma theca) महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। अण्डे देने वाली रानी मधुमक्खी के अण्डाशय में कई नलिकायें (ovarioles) पाये जाते हैं जिनमें पीले रंग के दिखाई देने वाले परिपक्व अण्डे पाये जाते हैं। ये अण्डे अण्डाशयकों की नलिकाओं में धीरे-धीरे नीचे उतरते हैं व परिपक्व व बड़े होते रहते हैं। ये परिपक्व अण्डे अण्डवाहिकाओं (oviduct) में आ जाते हैं जहाँ से रानी मधुमक्खी इन अण्डों को बाहर निकालती है। रानी मधुमक्खी में एक शुक्रगुहिका पायी जाती है जिसमें, कामद उड़ान के समय नर मक्षिका या ड्रोन के साथ मेथुन क्रिया करते हुए ग्रहण किये गये, शुक्राणुओं का संचय किया जाता है। एक बार ग्रहण किये गये शुक्राणु जीवन पर्यन्त, जब तक रानी मधुमक्खी अण्डे देती रहती है, शुक्रग्राहिका में संचित शुक्राणु इन अण्डों को निषेचत करते रहते हैं। शुक्रग्राहिका में शुक्राणु कई वर्षों तक जीवित रह सकते हैं।

नर या ड्रोन मधुमक्खी में नर जननांग पाये जाते हैं। नर जननांग केवल एक बार ही काम आते हैं क्योकि कामद उडान के समय मैथुन क्रिया के बाद नर मक्षिका मर जाती है। मैथुन क्रिया हवा में ही होती है तथा इस दौरान नर मक्षिका शुक्राणु रानी मक्षिका की शुक्र ग्राहिका में छोड़ देती है। मैथुन क्रिया के समय होने वाला स्वखलन इतना विस्फोटक होता है कि ध्वनि मनुष्य के कानों द्वारा भी सुनी जा सकती है।