हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया कोलकाता की स्थापना कब , प्रथम लाइब्रेरियन कौन थे , national library of india kolkata in hindi
national library of india kolkata in hindi नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया कोलकाता की स्थापना कब , प्रथम लाइब्रेरियन कौन थे ?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडियाः कोलकाता के लेफ्टिनेंट-गर्वनरों और वायसरायों के घर में बनी इस लाइब्रेरी की स्थापना 1836 में एक गिजी सम्पत्ति की सार्वजनिक लाइब्रेरी के रूप में हुई। द्वारकानाथ टैगोर इसके पहले मालिक और बंगाली उपन्यासों के जनक प्यारीचंद मित्रा इसके पहले लाइब्रेरियन थे। लार्ड कर्जन ने इसे एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में बदला। उन्नीस सौ चैवन में पुस्तकों की सुपुर्दगी अधिनियम (सार्वजनिक लाइब्रेरी) लागू होने और 1956 में उसमें पश्चातवर्ती परिवर्तन के बाद से यह भारत में प्रकाशित सभी समाचार-पत्रों समेत समस्त प्रकाशनों की एक प्रति प्राप्त करती है। भारतीय राष्ट्रीय संदर्भ-ग्रंथ-सूची का संकलन इसी से संभव हो पाया है। लाइब्रेरी का दूसरा काम शोध छात्रों और गंभीर पाठकों के लिये उनके अभियाचित विषयों पर छोटी संदर्भ सूचियों का संकलन करना है।
नेहरू युवक केंद्रः ये केंद्र्र 15-25 आयु वर्ग के छात्रांे, गरै छात्रांे को रचनात्मक कार्यों, प्रतियोगी खेलों के विकास,शारीरिक शिक्षा, समुदाय सेवा वगैरह के लिये प्रेरित करते हैं। विशेष रूप से ये ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, साक्षरता और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिये कार्यरत हैं। राजा राममोहनराय राष्ट्रीय शिक्षा संसाधन केंद्रः इसकी स्थापना 1972 में नई दिल्ली में हुई। इसका उद्देश्य विश्वविद्यालय स्तर की अच्छी पुस्तकों के उत्पादन और भारतीय लेखन को प्रोत्साहन देने वाले सूचना केंद्र के रूप में कार्य करना है। इसी के साथ विदेशों से आयातित मुद्रित सामग्री का प्रपत्रीकरण और सांख्यिकीय विश्लेषण करना ताकि पुस्तकों के संदर्भ में सार्थक आयात नीति पर पहुंचा जा सके। इसके पास भारतीय लेखकों द्वारा लिखी गई विश्वविद्यालय स्तर की पाठ्य पुस्तकों का वृहत संग्रह होने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय द्वारा इंग्लैंड, अमेरिका और रूसी सरकार के सहयोग से लाई गई विदेशी पाठ्यपुस्तकों के सहायक संस्करण भी हैं।
साहित्य अकादमीः 1954 में भारत सरकार द्वारा भारतीय पत्रों के विकास के लिये नई दिल्ली में इस स्वायत्त संगठन की स्थापना की गई। यह एक भारतीय भाषा के साहित्यिक कार्य का दूसरे में अनुवाद, विदेशी भाषा के साहित्य का भारतीय भाषा में अनुवाद, साहित्यिक इतिहास और आलोचना पर कार्य का प्रकाशन, संदर्भ-ग्रंथ-सूची (जैसे भारतीय साहित्य की राष्ट्रीय संदर्भ-ग्रंथ-सूची) तैयार करना, पत्रों और साहित्य में प्रतिष्ठित लोगों को अकादमी की फेलोशिप देना, भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में प्रकाशित कार्यों के लिये पुरस्कार भी देती है। इसका प्रमुख लक्ष्य लोगों में साहित्य के प्रति प्रेम का प्रचार-प्रसार करना है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में हैं।
अकादमी 24 भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करती है जिनमें पुरस्कृत कृतियों का अनुवाद, भारतीय साहित्य के महान लेखकों के मोनोग्राफ, साहित्य का इतिहास, अनुवाद में महान भारतीय और विदेशी रचनाएं, उपन्यास, कविता और गद्य, आत्मकथाएं, अनुवादकों का रजिस्टर, भारतीय लेखकों के बारे में जागकारी (कौन, कौन है), भारतीय साहित्य की राष्ट्रीय संदर्भ सूची और भारतीय साहित्य का विश्वकोश शामिल हैं। अभी तक अकादमी इन विभिन्न श्रेणियों में कुल 6000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित कर चुकी हैं। अकादमी की तीन पत्रिकाएं हैं अंग्रेजी में द्विमासिक ‘इंडियन लिटरेचर’, हिंदी द्विमासिक ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ और संस्कृत छमाही पत्रिका ‘संस्कृत प्रतिभा’। अकादमी हर वर्ष औसतन 250 से 300 पुस्तकें प्रकाशित करती है। इसकी कई विशेष परियोजनाएं भी हैं, जैसे प्राचीन भारतीय सहित्य, मध्यकालीन भारतीय साहित्य और आधुनिक भारतीय साहित्य और पांच सहòाब्दियों के दस सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ। अकादमी ने ‘भारतीय काव्यशास्त्र का विश्वकोष’ तैयार करने की नई परियोजना भी शुरू की है।
साहित्य अकादमी साहित्य के इतिहास एवं सौंदर्यशास्त्र जैसे विभिन्न विषयों पर हर वर्ष अनेक क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन करती है। साथ ही, नियमित रूप से अनुवाद कार्यशालाएं भी लगाई जाती हैं। अकादमी हर वर्ष, आमतौर पर फरवरी के महीने में, सप्ताह भर का साहित्योत्सव आयोजित करती है जिसमें पुरस्कार वितरण समारोह संवत्सर भाषणमाला और राष्ट्रीय संगोष्ठी शामिल रहती हैं।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालयः राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दुनिया में रंगमंच काप्रशिक्षण देने वाले श्रेष्ठतम संस्थानों में से एक है तथा भारत में यह अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है जिसकी स्थापना संगीत नाटक अकादमी ने 1959 में की थी। इसे 1975 में स्वायत्त संगठन का दर्जा दिया गया जिसका पूरा खर्च संस्कृति विभाग वहन करता है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का उद्देश्य रंगमंच के इतिहास, प्रस्तुतिकरण, दृश्य डिजाइन, वस्त्र डिजाइन, प्रकाश व्यवस्था और रूप-सज्जा सहित रंगमंच के सभी पहलुओं का प्रशिक्षण देना है। इस विद्यालय में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की अवधि तीन वर्ष है और हर वर्ष पाठ्यक्रम में 20 विद्यार्थी लिए जाते हैं। प्रवेश पाने के इच्छुक विद्यार्थियों को दो चरणों से गुजरना पड़ता है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के डिप्लोमा को भारतीय विद्यालय संघ की ओर से एम.ए. की डिग्री के बराबर मान्यता प्राप्त है और इसके आधार पर वे काॅलेजों/विश्वविद्यालयों में शिक्षक के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं अथवा पीएच.डी. (डाॅक्टरेट) उपाधि के लिए पंजीकरण करा सकते हैं।
विद्यालय की एक अन्य महत्वपूर्ण गतिविधि है रंगमंच के बारे में पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करना तथा रंगमंच से जुड़े विषयों पर महत्वपूर्ण अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद कराना।
संगीत नाटक अकादमीः भारतीय सरकार द्वारा 1953 में नई दिल्ली में स्थापित यह स्वायत्त संगठन संगीत, नृत्य और नाटक के विकास हेतु कार्यरत है। यह संगोष्ठियों, प्रतियोगिताओं और संगीत समारोहों का आयोजन करता है। यह संगीत, नृत्य व नाटक संस्थानों के साथ इनसे जुड़े कलाकारों को अनुदान भी देता है। पारंपरिक शिक्षकों को वित्तीय सहायता और छात्रों को छात्रवृत्ति देता है। प्रस्तुति कलाओं पर किए गएशोध कार्यों को सस्ती दरों पर प्रकाशित भी कराता है। इसकी टेप और डिस्क लाइब्रेरी में भारतीय शास्त्रीय, लोक, जगजातीय संगीत और नृत्य, नाटक सामग्री का सबसे बड़ा संग्रह है। नृत्य नाटक में प्रशिक्षण हेतु इसके दो राष्ट्रीय संस्थान हैं कथक केंद्र नई दिल्ली और जवाहरलाल नेहरू नृत्य अकादमी इम्फाल। यह देश में कठपुतली तमाशे के विकास में भी मदद कर रहा है। लोक नाट्य के संसाधन, वेशभूषा (मुखौटे, कठपुतली वगैरह) के लिये इसकी अपनी दीर्घा ‘यवनिका’ है। इन तीनों क्षेत्रों में हिंदी और अंग्रेजी पुस्तकों को यह पुरस्कृत करता है। प्रतिष्ठित कलाकारों को फैलोशिप देता है और इन क्षेत्रों में विशेष शोध का संचालन करता है। शास्त्रीय, लोक व जगजातीय संगीत सामग्री से परिपूर्ण इसकी दीर्घा का नाम ‘असावरी’ है।
अकादमी मंचन कलाओं के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और परियोजनाओं की स्थापना एवं देख-रेख भी करती है। इनमें सबसे पहला संस्थान है इंफाल की जवाहरलाल नेहरू मणिपुरी नृत्य अकादमी जिसकी स्थापना 1954 में की गई थी। यह मणिपुरी नृत्य का अग्रणी संस्थान है। 1959 में अकादमी ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना की और 1964 में कत्थक केंद्र स्ािापित किया। ये दोनों संस्थान दिल्ली में हैं। अकादमी की अन्य राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में केरल का कुटियट्टम थिएटर है जो 1991 में शुरू हुआ था और 2001 में इसे यूनेस्को की ओर से मानवता की उल्लेखनीय धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की गई। 1994 में ओडिशा,झारखंड और पश्चिम बंगाल में छऊ नृत्य परियोजना आरंभ की गई। 2002 में असम के सत्रिय संगीत, नृत्य, नाटक और संबद्ध कलाओं के लिए परियोजना समर्थन शुरू किया गया। मंचन कलाओं की शीर्षस्थ संस्था होने के कारण अकादमी भारत सरकार को इन क्षेत्रों में नीतियां तैयार करने और उन्हें क्रियान्वित करने में परामर्श और सहायता उपलब्ध कराती है। इसके अतिरिक्त अकादमी भारत के विभिन्न क्षेत्रों के बीच तथा अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संपर्कों के विकास और विस्तार के लिए राज्य की जिम्मेदारियों को भी एक हद तक पूरा करती है। अकादमी ने अनेक देशों में प्रदर्शनियों और बड़े समारोहों-उत्सवों का आयोजन किया है।
द खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रे्रेरीः 1891 में पटना में स्ािापित इस वाचनालय में अरबी और फारसी पांडुलिपियों के साथ उपमहाद्वीप में मुगल/राजपूत चित्रों का प्रचुर संग्रह है। इसके अलावा एक लाख से अधिक दुर्लभ प्रकाशित पुस्तकें व आवधिक भी हैं। पटना में गंगा के किनारे के समीप बनी खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी लगभग 21000 ओरिएंटल पांडुलिपियों और 2-5 लाख प्रिंटिंग पुस्तकों के साथ एक अद्वितीय भण्डार है। यद्यपि इसकी नींव पहले ही रखी जा चुकी थी, लेकिन बिहार खान बहादुर खुदाबख्श के बेटे ने 4,000 पांडुलिपियों के साथ, जिनमें से 1,400 पांडुलिपियां उन्हें अपने पिता मौलवी मौहम्मद बख्श से विरासत में मिली थीं, अक्टूबर 1891 में जनता के लिए खोला।
खुदाबख्श खान ने अपने सम्पूर्ण व्यक्तिगत पुस्तक संग्रह को पटना के लोगों को एक ट्रस्ट से डीड करके दान कर दिया। इसके बेहद ऐतिहासिक एवं बौद्धिक महत्व को जागकर भारत सरकार ने एक संसद अधिनियम, 1969 द्वारा इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के तौर पर घोषित किया। वर्तमान में यह पुस्तकालय पूरी तरह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
पुस्तकालय की इस्लामी अध्ययन, तिव्ब (यूनानी औषध), तजकीरा (कथा), तस्सववुफ (इस्लामी रहस्यवाद), तुलनात्मक धर्म, मध्यकालीन इतिहास, दक्षिण-पूर्व एशियाई इतिहास, पश्चिम एशियाई इतिहास, केंद्रीय एशियाई इतिहास, मध्यकालीन विज्ञान, स्वतंत्रता आंदोलन एवं राष्ट्रीय एकीकरण पर साहित्य तथा उर्दू, फारसी, और अरबी साहित्य में विशिष्टता है। इसके पास अरबी, फारसी, उर्दू, तुर्की, हिंदी एवं संस्कृत में 21,000 पांडुलिपियां एवं ताड़-पत्र हैं। इसमें ईरानी, मुगल, मध्य एशिया, कश्मीरी एवं राजस्थानी कला की शानदार सौगात शामिल है।
तंजावुर महाराजा सरफोजी का सरस्वती महल वाचनालयः तंजावुर महाराज सरफोजी सरस्वती महल वाचनालय, तंजावुर संस्कृति का एक अमूल्य भंडार है और ज्ञान का एक खजागा है जिसे नायकों एवं मराठाओं के उत्तरोगार वंशों द्वारा समृद्ध किया गया। इस पुस्तकालय में कला, संस्कृति एवं साहित्य पर पांडुलिपियों का दुर्लभ संग्रह है। राॅयल पैलेस लाइब्रेरी के रूप में इसका संरक्षण 1535-1675 ईस्वी में तंजावुर के नायक राजाओं द्वारा किया गया और मराठा शासकों ने 1676-1855 के बीच इसका पोषण बौद्धिक समृद्धि के लिए किया। तंजावुर स्थित यह वाचनालय विश्व के चुनिंदा मध्यकालीन वाचनालयों में से है। मद्रास सरकार ने 1918 में इसे सार्वजनिक रूप दे दिया था। तमिलनाडु पंजीयन अधिनियम, 1975 के तहत् इसका एक समुदाय के रूप में पंजीकरण 1986 में हुआ। इसके पास संस्कृत, मराठी, तमिल, तेलुगू और अन्य भाषाओं की दुर्लभ व विपुल पांडुलिपियां हैं। इसके अलावा तंजावुर चित्रकला शैली को दर्शाते ढेरों लघु चित्र व रंगीन चित्रकारियां हैं।
एशियाटिक सोसायटी, कोलकाताः सत्रह सौ चैरासी में अग्रगण्य भारत विज्ञानी सर विलियम्स जोन्स (1764-1794) ने एशियाई इतिहास, कला, पुरावशेषों, विज्ञान और साहित्य का गहन अध्ययन करने हेतु इसकी स्ािापना की। यह संस्थान भारत में सभी साहित्यिक व वैज्ञानिक गतिविधियों का पुरोधा और विश्व की सभी एशियाटिक सोसायटीज का संरक्षक है। एशियाटिक सोसायटी के प्रारंभिक दिनों में, विलियम जोन्स काफी प्रयासों के बावजूद भूमि का एक खण्ड भी प्राप्त नहीं कर सके, जहां पर इसका निर्माण किया जा सके। इसका कोई स्थायी पता नहीं था, और ना ही कोई निश्चित स्थान था जहां पर यह अपनी बैठकें कर सके तथा इसके पास वित्त भी नहीं था। 1805 में सरकार ने पार्क स्ट्रीट, कोलकाता में सोसायटी को एक भू-खण्ड उपहार स्वरूप भेंट किया। भूखण्ड पर भवन का निर्माण 1808 ईस्वी में पूरा हुआ और एक वर्ष में पुस्तकों, पत्रों एवं अभिलेखों का यहां पर संग्रह कर लिया गया। इस सोसायटी के पास दुर्लभ पुस्तकों, पांडुलिपियों, सिक्कों, पुराने चित्रों और अभिलेख सामग्री का समृद्ध संग्रह है। इसका एक संग्रहालय भी है।
Recent Posts
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…
elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है
दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…