JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: indian

ललित कला अकादमी की स्थापना कब हुई थी , lalit kala academy was established in which year in hindi

पढो ललित कला अकादमी की स्थापना कब हुई थी , lalit kala academy was established in which year in hindi ?

सांस्कृतिक संबंधों हेतु भारतीय परिषद (इंडियन काउंसिल फाॅर कल्चरल रिलेशंस) नई दिल्लीः इसके क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, कोलकता, चेन्नई, सुवा (फिजी) जाॅर्जटाउन (गुयाना) और सेनफ्रांसिस्को (अमेरिका) में हैं। सरकार द्वारा प्रायोजित यह स्वायत्त संस्था भारत और दूसरे देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों की स्थापना, प्रवर्तन और विनिमय का कार्य करती है। इसके अतिरिक्त संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सहायता करना, भारतीय अध्ययन का विदेशों में विकास, कला व साहित्य संबंधी प्रदर्शनियां, भारतीय संस्कृति के अध्ययन हेतु विदेशी छात्रों को निमंत्रण, विदेशी छात्रों के लिये ग्रीष्म अवकाश शिविरों का आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, अंतरराष्ट्रीय समझ के लिये जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार देना, आजाद स्मृति व्याख्यान, कलात्मक वस्तुएं व पुस्तकें विदेशों में प्रस्तुत करना, निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन, विदेशों में भारतीय छात्रों हेतु संस्कृति केंद्रों की स्थापना, भारत में विदेशी शैक्षणिक व सहयोगी संस्थानों को सामग्री देना भी इसका काम है।
भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषदः उन्नीस सौ बहत्तर में नई दिल्ली में स्थापित यह परिषद ऐतिहासिक शोध के संबंध में राष्ट्रीय नीति का क्रियान्वयन करती है साथ ही इतिहास संबंधी वैज्ञानिक लेखन को प्रोत्साहित करती है। यह सम्मेलनों के आयोजन,शोध कार्यों व पत्रिकाओं के प्रकाशन हेतु अनुदान भी देती है। यह इतिहास के क्षेत्र में छात्रों को अनुदान,शोध परियोजना का संचालन करने के साथ फैलोशिप भी प्रदान करती है। भारतीय इतिहास कांग्रेसः उन्नीस सौ पैंतीस में स्थापित आधुनिक भारतीय इतिहास कांग्रेस से 1938 में ‘आधुनिक’ शब्द हटा लिया गया। इसका लक्ष्य इतिहास के विज्ञानसम्मत अध्ययन को प्रवर्तन और प्रोत्साहन, गतिविधियों/बुलेटिन/मेमो/जर्नल और दूसरे कार्यों का प्रकाशन, भारत और विदेश में कार्यरत समान उद्देश्यीय संगठनों की सहायता करना है। स्थापना के वक्त से ही इसकी बैठक प्रति वर्ष होती है।
इस्लामी अध्ययन का भारतीय संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज)ः उन्नीस सौ तिरसठ में नई दिल्ली में स्थापित इस संस्थान का प्रमुख उद्देश्य इस्लामी सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देना है। इसके साथ विभिन्न देशों में इस्लामी अध्ययन कर रहे छात्रों व संस्थानों के मध्य अंतर्संवाद को बढ़ाना और भारत पर इस्लाम का प्रभाव और इस्लामी अध्ययन में भारत के योगदान पर शोध का संचालन करना व सुविधा,ं उपलब्ध कराना भी इसका काम है। संस्थान के पास अरबी व फारसी की करीब 500 पांडुलिपियों के अलावा इस्लाम पर सर्वश्रेष्ठ संग्रहण है।
इंंिडयन सोसायटी आॅफ ओरिएंटल आर्ट, कोलकाताः यह संस्थान पुरातन और आधुनिक भारतीय एवं ओरिएंटल कला के ज्ञान को बढ़ावा देता है। यह कलात्मक वस्तुओं का संग्रहण, प्रदर्शनियों, सम्मेलनों, व्याख्यानों का आयोजन, अध्ययन व शोध का संचालन करने के साथ कलाकारों, शिल्पकारों और कला के छात्रों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कार, डिप्लोमा हेतु छात्रवृत्ति व जर्नल तथा कलाचित्रों, का प्रकाशन भी करता है। इसके पास कला पुस्तकों का दुर्लभ व आधुनिक भंडार है।
जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्लीः उन्नीस सौ बीस के असहयोग व खिलाफत आंदोलन की लहर में 1920 में अलीगढ़ में मौलाना महमुदूल हसन ने इसकी स्थापना की। मुहम्मद अली, एम.ए. अंसारी, हकीम अजमल खां, डाॅजाकिर हुसैन जैसे राष्ट्रवादी नेता इससे जुड़े थे। उन्नीस सौ पच्चीस में एक विश्वविद्यालय के रूप में यह दिल्ली स्थानांतरित हो गया। मानवीय विषयों में विशिष्टीकृत इस संस्थान में धार्मिक अध्ययन का भी एक विभाग है। संस्थान के पुस्तकालय में पुस्तकों का समृद्ध भंडार है जिसमें इस्लामी व ओरिएंटल अध्ययन की पांडुलिपियां भी शामिल हैं।
जमायत-उल-उलेमा-ए-हिंद (1933)ः यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े कुछ राष्ट्रवादी मुस्लिम संगठनों का समूह है। स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़े इस संगठन का प्रभाव 1947 के बाद बढ़ा। 1949 के लखनऊ अधिवेशन में राजनीति को त्यागकर इस संगठन द्वारा मुस्लिमों के धार्मिक व सांस्कृतिक उत्थान तथा साम्प्रदायिक सहिष्णुता के क्षेत्र में सक्रिय होने का गिर्णय लिया गया।
ललित कला अकादमीः भारतीय कला की देश-विदेश में जागकारी देने के लिये सरकार ने 1954 में ललित कला अकादमी की स्थापना की। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये अकादमी प्रदर्शनियां, कार्यशालायें, प्रकाशन और शिविरों का आयोजन करती है। हर साल यह एक राष्ट्रीय प्रदर्शनी और तीन साल में ट्रायनेल-इंडिया नामक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन करती है। अकादमी कलाकारों के लिये, शिविर, संगोष्ठी व व्याख्यानों का आयोजन करने के अलावा देश के ख्यातिनाम कला संगठनों को अनुदान भी देती है। प्रतिष्ठित कलाकारों को फैलोशिप देकर यह सम्मानित भी करती है। अकादमी के पास गढ़ी, नई दिल्ली और कोलकाता में कलाकारों के लिये स्थायी कांप्लेक्स भी है, जहां चित्रकारी, ग्राफिक्स, सिरेमिक व मूर्तिकला का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके चेन्नई और लखनऊ में क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें व्यवहारिक प्रशिक्षण और कार्य की सुविधायें उपलब्ध करायी जाती हैं।
ललित कला अकादमी कला संस्थाओं/संगठनों को मान्यता प्रदान करती है और इन संस्थाओं के साथ-साथ राज्यों की अकादमियों को आर्थिक सहायता देती है। यह क्षेत्रीय केंद्रों के प्रतिभावान युवा कलाकारों को छात्रवृत्ति भी प्रदान करती है। अपने प्रकाशन कार्यक्रम के तहत् अकादमी समकालीन भारतीय कलाकारों की रचनाओं पर हिंदी और अंग्रेजी में मोनोग्राफ और समकालीन पारंपरिक तथा जगजातीय और लोक कलाओं पर जागे-माने लेखकों और कला आलोचकों द्वारा लिखित पुस्तकें प्रकाशित करती है। अकादमी अंग्रेजी में ‘ललित कला कंटेंपरेरि’, ‘ललित का एंशिएंट’ तथा हिंदी में ‘समकालीन कला’ नामक अर्द्धवार्षिक कला पत्रिकाएं भी प्रकाशित करती है। इसके अलावा अकादमी समय-समय पर समकालीन पेंटिंग्स और ग्राफिक्स के बहुरंगी विशाल आकार के प्रतिफलक भी निकालती है। अकादमी ने अनुसंधान और अभिलेखन का नियमित कार्यक्रम भी शुरू किया है। भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से संबद्ध समसामयिक लोक कला संबंधी परियोजना पर काम करने के लिए अकादमी विद्वानों को आर्थिक सहायता देती है।
भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागारः यह भारत के सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़े रिकार्ड संग्रहकर्ता में से है। उन्नीस सौ इक्यानवे में स्थापित इस संस्था का पूर्व नाम इम्पीरियल रिकार्ड्स डिपार्टमेंट था। उन्नीस सौ सैंतालीस से अब तक इसके पास सर्वे आॅफ इंडिया से प्राप्त पचास हजार से ज्यादा फाइलें, खंड, पांडुलिपियां और नक्शे हैं। अधिकारिक आंकड़ों के साथ एक सूक्ष्म फिल्म पुस्तकालय भी है जिसमें भारत के यूरोप व अमेरिका के साथ संबंधों से संबंधित आंकड़े हैं। सत्रह सौ पैंसठ से 1873 के बीच लिखे गए पत्रों का भी इसमें संग्रहण है। साथ ही आधुनिक भारतीय इतिहास के हजारों खंड इसके पुस्तकालय में उपलब्ध हैं। इंग्लैंड, फ्रांस, हालैंड, डेनमार्क और अमेरिका से जुड़ी भारतीय सामग्री की माइक्रोफिल्म प्रतियां भी यहां हैं। महत्वपूर्ण शख्सियतों के गिजी प्रपत्र भी संस्था में हैं। उन्नीस सौ सैंतालीस से यह केंद्र अभिलेख प्रबंधन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम का संचालन भी कर रहा है।
अभिलेखागार की मुख्य गतिविधियां हैं (i) विभिन्न सरकारी एजेंसियों और शोधकर्ताओं को रिकाॅर्ड उपलब्ध कराना, (ii) संदर्भ मीडिया तैयार करना, (iii) उक्त उद्देश्य के लिए वैज्ञानिक जांच-पड़ताल का संचालन और अभिलेखों की सार-संभाल करना, (iv) अभिलेख प्रबंधन कार्यक्रम का विकास करना, (v) अभिलेखों के संरक्षण में लगे व्यक्तियों और संस्थानों को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना, (vi) पेशेवर और उप-पेशेवर स्तर पर पांडुलिपियों, पुस्तकों और अभिलेखों के संरक्षण, प्रबंधन और प्रकाशन के क्षेत्र में प्रशिक्षण देना, और (अपप) देश में विभिन्न विषयों पर प्रदर्शनियां आयोजित करके अभिलेखों के प्रति जागरूकता बढ़ाना। राष्ट्रीय अभिलेखागार राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, स्वैच्छिक संगठनों और अन्य संस्थानों को आर्थिक सहायता देता है ताकि अभिलेख संबंधी विरासत की हिफाजत की जा सके और अभिलेख विज्ञान का विकास हो।
नेशनल बुक ट्रस्ट (राष्ट्रीय पुस्तक न्यास)ः अच्छे साहित्य के सृजन और उत्पादन को प्रोत्साहन देकर उसे सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिये भारत सरकार ने 1957 में नई दिल्ली में इसकी स्थापना की। यह न्यास भारतीय लेखकों द्वारा लिखी गई विश्वविद्यालय स्तरीय पाठ्य-पुस्तकों का कम दरों पर प्रकाशन करता है। यह भारतीय भाषाओं के चुनिंदा कार्यों का प्रकाशन भी करता है। इसके अलावा यह राष्ट्रीय पुस्तक मेलों और प्रांतीय पुस्तक प्रदशर्नियों का भी आयोजन करता है। यह फ्रेंकफर्ट, बेलग्रेड, कायरो, मास्को और अन्नम में होने वाले अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में भी भाग लेता है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषदः उन्नीस सौ इकसठ में स्थापित यह संस्थान स्कूली शिक्षा के लिये शिक्षा मंत्रालय का प्रमुख सलाहकारी निकाय है। यह मंत्रालय की नीतियों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करता है। स्कूली शिक्षा के प्रसार के लिये यह राज्य शिक्षण विभाग, विश्वविद्यालयों और दूसरे संस्थानों के निकट सहयोगी के रूप में काम करता है। साथ ही स्कूली बच्चों के लिये सभी विषयों में आदर्श पाठ्य-पुस्तकों का भी निर्धारण करता है।
नेशनल गैलरी आॅफ माडर्न आर्ट (आधुनिक कला की राष्ट्रीय दीर्घा)ः नई दिल्ली स्थित सरकार द्वारा प्रायोजित यह कला दीर्घा ललित कला संबंधी कार्यों (चित्रकारी आदि) का संरक्षण करता है। यह प्रदशर्नियों के आयोजन के साथ उसके लिए दीर्घाओं की व्यवस्था भी करता है। व्याख्यानों, संगोष्ठियों और सेमिनारों के आयोजन के साथ यह तस्वीरों, पोस्टकार्ड, ग्रीटिंग और प्रकाशन करता है। इसके अलावा यह कला के क्षेत्र में अध्ययन और शोध को प्रोत्साहन देता है।
नेशनल गैलरी आॅफ माॅडर्न के मुख्य लक्ष्य एवं उद्देश्यः
ऽ सन् 1850 से अब तक की आधुनिक कलाकृतियों (आधुनिक कलात्मक वस्तुओं) को हासिल कर उनका संरक्षण करना
ऽ गैलरियों का संगठन, देख-रेख और विकास करना ताकि स्थायी तौर पर प्रदर्शन कार्य किया जा सके
ऽ अपने परिसर ही नहीं बल्कि देश के अन्य भागों और विदेशों में भी विशिष्ट प्रदर्शनियों का आयोजन
ऽ एक शिक्षण एवं डाक्युमेंटशन सेंटर का विकास ताकि आधुनिक कलात्मक वस्तुओं से संबंधित दस्तावेजों को हासिल कर उनका संरक्षण किया जा सके तथा उनकी देखभाल भी की जा सके।
ऽ विशेष प्रकार के पुस्तकालय का विकास जिसमें संबंधित पुस्तकें, नियतकालिक पत्र-पत्रिकाएं, चित्र और अन्य आॅडियो-विजुअल सामग्रियां उपलब्ध हों।
ऽ व्याख्यानों, परिसंवादों और सम्मेलनों का आयोजन तथा कला के इतिहास, कला की आलोचना, संग्रहालय विज्ञान और दृश्य एवं परफाॅर्मिंग आर्ट (प्रदर्शन कला) में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन देना।
नेशनल गैलरी आॅफ माॅडर्न आॅर्ट का सबसे महत्वपूर्ण दायित्व है गुणवत्ता सुनिश्चित करना और उत्कृष्टता के मानकों को तैयार करना और उन्हें बरकरार रखना। नेशनल गैलरी आॅफ माॅडर्न आर्ट के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों में सौंदर्यबोध एवं शिक्षा के उद्देश्य न केवल स्पष्टतः परिभाषित हैं बल्कि ये प्रयास किए जा रहे हैं कि ये उद्देश्य इसके संगठन में अंतर्निहित और संगठन की सभी गतिविधियों में व्याप्त हों।
सबसे बड़ी बात यह है कि नेशनल गैलरी आॅफ माॅडर्न आर्ट के सहयोग से लोगों के बीच आधुनिक कला के कार्यों की समझ बढ़ी है और वे उनका अधिक आनंद ले रहे हैं। आधुनिक कला की वस्तुओं का संबंध हमारे दैनिक जीवन से जोड़कर और उन्हें मानवीय भावना की अहम अभिव्यक्ति के रूप में महसूस करके आधुनिक कला की समझ और उसके आनंद में हमारी वृद्धि हुई है।
राष्ट्रीय कला संग्रहालय बनाने का विचार पहली बार सन् 1949 में अंकुरित और स्फुटित हुआ। इस विचार को सींचने का श्रेय प्रथम प्रधानमंत्री स्वयं पंनेहरू और मौलाना आजाद के साथ-साथ हुमायूं कबीर जैसे संवेदनशील अफसरशाह को जाता है। कला के क्षेत्र में सक्रिय समुदाय की भी इसमें उल्लेखनीय भूमिका रही। 29 मार्च, 1954 को पं. जवाहरलाल नेहरू और गणमान्य कलाकारों एवं कला प्रेमियों की उपस्थिति में देश के उपराष्ट्रपति डाॅ.एस. राधाकृष्ण ने औपचारिक रूप से एगजीएम, का उद्घाटन किया। इस उद्देश्य से ल्युटियंस दिल्ली की एक भव्य इमारत, जयपुर हाउस, के चयन ने इस संस्थान की गरिमा एवं महत्व को रेखांकित कर दिया। सन् 1936 में जयपुर के महाराजा के निवास के लिए तैयार इस भवन के वास्तुकार थे सर आर्थर ब्लूमफील्ड। तितली के आकार के इस भवन के मध्य में एक गोलाकार सभागार है। इसे केंद्रीय षटकोण की परिकल्पना की शैली में तैयार किया गया जो सर एडविन ल्युटियंस की कल्पना थी। गौरतलब है कि ल्युटियंस ने ही हर्बर्ट बेकर के सहयोग से दिल्ली की नई राजधानी की परिकल्पना की और उसे साकार किया। अन्य देशी रियासतों के भवनों जैसे बीकानेर और हैदराबाद हाउस के साथ जयपुर हाउस भी इंडिया गेट के बाहरी घेरे पर शोभायमान हैं। जयपुर हाउस के सुप्रसिद्ध वास्तुकार ने इस भवन के विभिन्न झरोखों के बीच जो समरसता दी है, जो तालमेल कायम किया है उससे इस इमारत को एक खास पहचान मिली है।
यह गैलरी अपनी श्रेणी में भारत का एक प्रमुख संस्थान है। यह भारत सरकार के संस्कृति विभाग के एक अधीनस्थ कार्यालय की तरह कार्यरत है। एगजीएम, की दो शाखाएं है। एक मुंबई में है और दूसरी बंगलुरु में। गैलरी देश के सांस्कृतिक दर्शन का संग्रहालय है और यह 1857 से लेकर लगभग पिछले 150 वर्षों में दृश्य एवं प्लास्टिक कलाओं के बदलते स्वरूपों को बखूबी प्रदर्शित करता है। कुछ भूली-बिसरी और हल्की-फुल्की कलात्मक वस्तुओं को छोड़कर एगजीएम, के संग्रह को आज यकीनन और निर्विवाद आधुनिक एवं समकालीन कला का देश का सबसे महत्वपूर्ण संग्रह कहा जा सकता है।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

6 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

6 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

6 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now