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राष्ट्रीय बाल नीति घोषित की गई राष्ट्रीय बाल नीति किस सन में घोषित की गई कब लागू national child policy in hindi
national child policy in hindi in india राष्ट्रीय बाल नीति घोषित की गई राष्ट्रीय बाल नीति किस सन में घोषित की गई भारत में कब लागू ?
राष्ट्रीय बाल नीति
कोई भी देश इस बात के लिए बाध्य नहीं है कि राष्ट्र संघ महासभा के बाल अधिकारों की घोषणा में निश्चित किए गए सिद्धांतों को वह कार्यान्वित करे ही। तथापि भारत सरकार ने संसाधनों की उपलब्धता तथा देश के सामने आने वाली समस्याओं के परिणाम के आधार पर परिस्थिति के अनुकूल कार्यक्रमों द्वारा इन अधिकारों को पाने के प्रयास करने प्रारंभ कर दिए हैं। पहली बार तीसरी पंचवर्षीय योजना में सामाजिक कल्याण क्षेत्र के अंतर्गत बाल विकास पर एक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
वर्ष 1967 में भारत सरकार ने इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और समस्याओं पर विचार करने के लिए एक समिति नियुक्त की। समिति ने उन क्षेत्रों का पता लगाया जहाँ कार्यवाही की आवश्यकता थी तथा उचित कार्यवाही करने के अनुकूल कार्यक्रमों के सुझाव दिए। समिति ने बाल विकास के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाने की आवश्यकता महसूस की तथा देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के परिप्रेक्ष्य में बच्चों की आवश्यकताओं का समेकित उद्देश्य प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करने का सुझाव दिया।
समिति के सुझावों पर विचार करने के पश्चात् भारत सरकार ने 22 अगस्त, 1974 की राष्ट्रीय बाल नीति पर एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव के अनुसार बच्चे सर्वोपरि महत्त्व की राष्ट्रीय परिसंपत्ति है। मानव संसाधनों के विकास के लिए हमारी राष्ट्रीय योजनाओं में बच्चों के कार्यक्रमों को एक महत्त्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिए जिससे बड़े होकर हमारे बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ, समाज के लिए अपेक्षित दक्षताओं तथा अभिप्रेरणाओं से संपन्न हृष्ट-पुष्ट नागरिक बन सकें।
नीति तथा उपाय
राज्य को आदेश दिया गया है कि वह बच्चों को उनके जन्म से पूर्व तथा जन्म के बाद और विकास काल में उनके शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक विकास को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त सहायता प्रदान करे। राज्य उत्तरोत्तर इस प्रकार की सहायताओं का कार्यक्षेत्र और अधिक बढ़ाता जाए जिससे यथोचित समय में देश के सभी बच्चों के संतुलित विकास के लिए इष्टतम परिस्थितियाँ प्राप्त हो सकें।
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए गए:
प) सभी बच्चों को एक व्यापक स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
पप) बच्चों के आहार में कमियों को दूर करने के उद्देश्य से पोषण सहायता कार्यक्रम लागू किए जाएंगे।
पपप) गर्भवती माताओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करने, उनकी देखभाल करने, पोषण तथा पोषण संबंधी शिक्षा देने के लिए कार्यक्रम प्रारंभ किए जाएंगे।
पअद्ध सरकार 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा देने की व्यवस्था करेगी जिसके लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाएगा जो संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर होगा। विद्यालयों में होने वाले अपव्यय तथा निष्क्रियता को कम करने के लिए विशेष प्रयत्न किए जाएँगे, विशेष तौर पर लड़कियों तथा समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन वर्गों के उन बच्चों के लिए जो विद्यालय जाने की उम्र से छोटे हैं उनके लिए अनौपचारिक शिक्षा के कार्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे।
अ) जो बच्चे औपचारिक स्कूली शिक्षा का पूरा-पूरा लाभ नहीं उठा सकते हैं, उन्हें उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अन्य प्रकार की शिक्षा दी जाएगी।
अपद्ध विद्यालयों, सामुदायिक केंद्रों तथा ऐसी ही अन्य संस्थाओं में व्यायाम, खेल, क्रीड़ा तथा अन्य प्रकार के सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक कार्यकलापों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
अपप) सब को समान अवसर प्रदान करने की दृष्टि से समाज के कमजोर वर्ग के सभी बच्चों अर्थात ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के बच्चों को विशेष सहायता प्रदान की जाएगी।
अपपप) उन बच्चों को शिक्षा, प्रशिक्षण तथा पुनर्वास के लिए सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी तथा उन्हें उपयोगी नागरिक बनने में सहायता दी जाएगी जो सामाजिक रूप से असुविधापूर्ण स्थिति में है, जो अपराधी हो गए हैं, जिन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर कर दिया गया है या जो अन्य प्रकार से संकट में हैं।
पग) बच्चों को उपेक्षा, क्रूर तथा शोषण से बचाया जाएगा।
ग) 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को जोखिम वाले व्यवसाय में लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी या उनसे भारी काम नहीं लिया जाएगा।
गप) शारीरिक रूप से विकलांग, संवेगात्मक रूप से परेशान तथा मानसिक रूप से मंद बच्चों की देखभाल, विशेष उपचार, शिक्षा तथा पुनर्वास के लिए सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
गपप) खतरे या प्राकृतिक संकट के समय सुरक्षा तथा राहत देने में बच्चों की वरीयता दी जाएगी।
गपपप) बच्चों, विशेषकर समाज के कमजोर वर्ग से आने वाले प्रतिभासंपन्न बच्चों का पता लगाने, प्रोत्साहित करने तथा सहायता देने के लिए विशेष कार्यक्रम बनाए जाएंगे।
गपअ) विद्यमान कानूनों में संशोधन किया जाना चाहिए जिससे कानूनी झगड़े, चाहे वे माता-पिता या संस्थाओं के साथ हों, में बच्चों के हित का सर्वोपरि ध्यान रखा जाए।
गअ) बच्चों के लिए सहायता की व्यवस्था करते समय पारिवारिक बंधन को मजबूत करने के प्रयास किए जाने चाहिए जिससे सामान्य परिवार, आस-पड़ोस तथा सामुदायिक परिवेश में बच्चों का विकास हो सके।
कोष्ठक 2
राष्ट्रीय बाल विकास मंडल (National Child Development Board)
राष्ट्रीय बाल विकास मंडल की स्थापना दिसंबर 1974 में हुई थी। भारत का प्रधानमंत्री इसका अध्यक्ष होता है और मानव संसाधन विकास मंत्री उपाध्यक्ष होता है। इस मंडल के मुख्य उद्देश्य हैं:
क) बाल कल्याण और विकास संबंधी कार्यक्रमों को बनाना और उसके कार्यान्वयन की समीक्षा करना।
ख) इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में विभिन्न सरकारों और निजी एजेंसियों द्वारा किए गए प्रयासों के बीच तालमेल रखना।
ग) कार्यान्वित सेवाओं में रह गई कमियों का पता लगाना और इन्हें दूर करने के उपाय सुझाना।
घ) समय-समय पर कार्रवाई के प्राथमिकता क्षेत्रों के बारे में सुझाव देना।
ड.) बाल कल्याण और विकास के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता का प्रतीक बनकर एक अति प्रभावशाली निकास के रूप में कार्य करना।
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