mycobacterium leprae in hindi , माइकोबैक्टीरियम लेप्रे , कोढ़ या लेप्रोसी रोग क्या , जीवाणु के कारण उपचार लक्षण

जान पाएंगे mycobacterium leprae in hindi , माइकोबैक्टीरियम लेप्रे , कोढ़ या लेप्रोसी रोग क्या , जीवाणु के कारण उपचार लक्षण ?

माइकोबैक्टीरियम लेप्रे (Mycobacterium leprae)

कोढ़ या लेप्रोसी (leprosy) अर्थात् कुष्ठ रोग का ज्ञान मनुष्य को वैदिक काल से है इसे छूत का रोग माना जाता रहा है व रोगी को अछूत समझ कर उसके हाल पर ही मृत्यु से जूझने को छोड़ दिया जाता है। जबकि वास्तव में यह रोग छूने से नहीं लगता इसका उपचार सम्भव है। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 10 करोड़ रोगी कुष्ठ से पीड़ित हैं। यह रोग मुख्यत: दक्षिण पूर्व एशिया, व दक्षिणी अमेरिका में अधिक व्यापक है। प्राथमिक संक्रमण के बाद लक्षण प्रकट होने 3-6 वर्ष लग जाते हैं अतः रोग की पहचान होने में काफी विलम्ब हो जाता है। लेपरा बेसिलस की खोज का श्रेय हेनस (Hanson ; 1868) को है। अतः इसे हेनसन का बैसिलस या हेन्सन का रोग भी कहते हैं।

आकारिकी (Morphology)

माइकोबैक्टीरियम लेप्रे सीधी या वक्र सूक्ष्म शलाखा रूपी जीवाणु होते हैं, इनका आमाप 1.8px 0.2 – 0.5 ́ होता है। इनकी कोशिकाओं की आकृति में कुछ परिवर्तन एवं ध्रुव काय उपस्थित हो सकती है। ये मुग्दाराकार, पार्श्व मुकुलिन या शाखित अवस्था में भी उपस्थित होती हैं। ये ग्रैम संवर्गी अर्थात् ग्राही प्रकार के जीवाणु हैं अभिरंजन सामान्य विधि से बिना किसी विशेष क्रिया के सम्भव होते हैं। ये भी एसिड फास्ट प्रकार के जीवाणु हैं। जीवाणु एकल या निवह अवस्था में पाया जाता है जो कोशिकाओं के भीतर या बाहर रहता है। जीवाणु लिपिड जैसे पदार्थ द्वारा एक दूसरे के निकट बने रहते हैं। ये काय “ग्लोबी” (globi) कहलाती है । जीवाणु ग्लोबी की कुछ समानान्तर पंक्तियाँ मिलकर सिगार जैसे रचना बनाती है।

संवर्धन (Culture)

लेपरा बैसिलाई को संवर्धन किसी माध्यम में या ऊत्तकीय संवर्धन द्वारा अभी तक संभव नहीं हो सका है। अनेकों प्रयास किये गये हैं किन्तु पूर्ण सफल प्रयोग नहीं हो सके हैं।

प्रतिरोधकता (Resistance)

ये जीवाणु गर्म व नमी वाले वातावरण में 9-16 दिन तक जीवनक्षम बने रहते हैं तथा नमी युक्म मृदा 46 दिनों तक जीवित रह सकते हैं। धूप में 2 घण्टे तक रखने तथा अल्ट्रावायॅलट किरणों युक्त प्रकाश में 30 मिनट तक रखने पर नष्ट किये जा सकते हैं।

कुष्ठ रोग (Leprosy)

यह एक कष्ठदायक भयानक रोग है जो आरम्भ में त्वचा पर धब्बों में रूप में प्रकट होता है और तंत्रिकाओं व श्लेष्मा सतह को प्रभावित करता है। शीघ्र ही किसी भी ऊत्तक व अंगों में भी फैल जाता है। इन क्षेत्रों में असंवेदनशीलता विकसित होने लगती है। रोग मुख्यतः लेप्रोमेट्स तथा ट्यूबरकुलोइड प्रकार का होता है यह रोगी की प्रतिरोधकता के अनुसार ही उसे प्रभावित करता है। लेप्रोमेट्स प्रकार (lepromatous type) अर्थात् अतिपाती ( acute ) रूप के रोग में रोगी के ऊत्तकों में गाँठनुमा उभार बन जाते हैं जिनमें कणयुक्त ऊत्तक होता है एवं रिक्तिका युक्त कोशिकाएँ होती हैं। ये उभार फटकर जीवाणुओं को प्रभावित करते हैं एवं देह पर क्षति ( lesion) जिसे लेप्रोमा (leproma) कहते हैं, प्रकट होते हैं। जीवाणु नासिका, श्वसन नलिका, मुख में प्रवेश कर श्लेष्मिक द्रवों के साथ देह के अन्तरांगों में प्रवेश करते हैं। ये नेत्र, वृषण, अस्थि आदि में पहुँच जाते हैं। ट्यूबरकुलोइड लेप्रोसी (tuberculoid leprosy) अर्थात् निम्न अवस्था में जीवाणु त्वचा पर उभार व घाव उत्पन्न करता है जिन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। ये स्थान अलग से दिखाई देते हैं जिनमें संवेदनशीलता कुछ कम हो जाती है तंत्रिकीय ऊत्तक भी शीघ्र ही इनके द्वारा संक्रमणित हो जाते हैं। ये क्षेत्र अधिक हाथ व पैरों पर होते हैं। रोग का प्रारूप किसी प्राणी में प्रतिरक्षी – प्रतिक्रिया (immune response) पर निर्भर करता है। दोनों प्रकार के कुष्ठ रोग एक-दूसरे में परिवर्तनशील हो सकते हैं।

रोग की व्यापकता

यह मानव जाति का ही रोग है जो केवल रोगी के द्वारा ही फैल सकता है। रोगी के नाक से बहने वाले द्रव के साथ जीवाणु बाहर निकलते हैं। संक्रमण संभवतः श्वांस द्वारा या त्वचा के द्वारा होता है। यह बहुत अधिक छूत का रोग नहीं है साथ रहने वाले परिवार में भी 5% से अधिक रोग के फैलने की संभावना नहीं रहती है। रोग धीरे-धीरे 2-5 वर्षों में ही प्रकट होता है। 15-20 करोड़ व्यक्ति विश्व में इस रोग से ग्रस्त हैं । यह रोग अधिकतर गर्म व पश्चिमी भाग में ही पाया जाता है। यह गन्दे इलाकों व गरीब लोगों का रोग है। सामान्य व्यक्ति में रोग की जीवाणु के प्रति उचित प्रतिरोधक क्षमता होती है। जिसके कम होने व निरन्तर रोगी के सम्पर्क में रहने तथा अन्य कारकों के उग्र होने पर संक्रमण हो सकता है।

निदान (Diagnosis)

यह रोग ट्यूबरकुलोइड अवस्था में कुछ कठिनाई के द्वारा पहचाना जाता है त्वचा, नासिका श्लेष्मा व कर्ण पिण्डकों से प्रादर्श (specimen) लेकर रोग का निदान किया जाता है। आदर्श लेन हेतु ऊत्तकीय भाग देह से बाहर निकाल कर स्लाइड पर लेपित किये जाते हैं। इन्हें जील तकनीक द्वारा 5% सल्फ्यूरिक अम्ल की सहायता से अभिरंजिम करके परीक्षण किया जाता है।

उपचार (Treatment)

डाइअमीनोडाइफिनाईल सल्फोन नामक औषधि (DDS-Dapsone) के इंजेक्शन दिये जाने से रोग का उपचार सम्भव हैं। हालांकि रोग के जीवाणु इस दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर लेते हैं अतः एक से अधिक प्रकार की औषधियाँ रोगी को दी जाती हैं। इनमें रीफोम्पिसीन, क्लोफेजिमिन, इथिनोमाइड व प्रोथिनामाइड मुख्य हैं। रोग एक बार लुप्त होने पर पुनः उत्पन्न हो सकता है अत: उपचार लगभग 8 वर्ष तक किया जाता है ताकि पुनः उत्पन्न न हो। कुछ क्षेत्रों में BCG वेक्सीन इस रोग में प्रभावी पाया गया है।

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित के अतिलघु उत्तर दीजिये ।

Give very short/one word answer for the following.

  1. दो ग्रैम ग्राही रोगजनक जीवाणुओं के नाम लिखिये।

Write names of two Gram positive pathogenic bacteria.

  1. स्टेफिलोकोकस ऑरियस द्वारा उत्पन्न रोगों के नाम लिखिये ।

Write the names of diseases and caused by Staphylococcus aures.

  1. लाभकारी स्ट्रेप्टोकोकाई के दो नाम बताइये।

Give two names of beneficial Streptococci.

  1. कार्नीबैक्टीरियम बैसिलाई द्वारा उत्पन्न रोग कौन-सा है।

Which disease is caused by Comybacterium bacilli.

  1. टेटनस रोग के कारक का नाम बताइये ।

Write the name of bacteria which causes disease tetnus.

  1. ग्रैम धनात्मक जीवाणु ग्रैम अभिरंजन ग्रहण कर किस रंग के दिखाई देते हैं।

Of which colour appear after staining the bacteria of Gram positive type with Gram stain ?

  1. कार्नीबैक्टीरिया अभिरंजन एवं गति के आधार पर किस प्रकृति के होते हैं।

Of which nature are the Comybacteria on the basis of staining and movement?

  1. कुष्ठ रोग को किस अन्य नाम से जाना जाता है ?

With which other name Leprosy disease is known?

  1. लेप्रोसी की पहचान किस परीक्षण द्वारा की जाती है ?

By which test Leprosy detected?

  1. स्टिकोसिस रोग किस रोगजनक द्वारा उत्पन्न होता है ?

By which germ psittacosis disease developed?

  1. रिकेट्सिया मनुष्य में कौनसा रोग उत्पन्न करते हैं।

Which disease is developed in man by Rikettsia?

  1. सार्स से क्या अभिप्राय है? यह किस मानव तंत्र का रोग है?

What is meant by SARS? To which human system it belongs.

  1. सही अथवा गलत बताइये :

Mark true or false :

  1. माइकोबैक्टीरियम ग्रैम ग्राही जीवाणु है ।

Micobacterium is gram positive bacteria.

  1. कुष्ठ रोग छूत का रोग नहीं है?

Leprory is not developed by contact.

  1. तपेदिक का टीका केलमेट व गुएनिन के द्वारा विकसित किया गया।

Vaccine for tuberculosis was developed by Calmette and Guenin.

  1. प्रवाहिका एवं मेनिनजाइटिस महामारी के रूप के फैलते हैं।

Dairrhoea and meningitidis develops as epidemic disease..

  1. डिलोकोकस निमोनिएई की खोज पास्तेर व स्टर्नबर्ग ने 1881 में की।

Pasteur and Sternburg discovered Dipococcus pneumoniae in 1881.

  1. कोकाई में साइट्रोक्रोमस उपस्थित होते हैं।

Cytochromes are present in cocci.

  1. कोकाई बीजाणु बनाने या न बनाने वाले जीवाणु हो सकते हैं।

Cocci may be of spore forming or non spore forming type bacteria.

8.टेटनस के जीवाणु की आकृति ढोल बजाने की लकड़ी समान होती है।

The shape of spores of tetnus is like drum stick.

  1. नाइसीरिया लैंगिक संबंध स्थापित करने से नहीं फैलता।

Neisseria does not spread by making sexual contacts.

  1. मस्तिष्क ज्वर का कारक नाइसीरिया मैनिन्जाइटिडिस नहीं है।

Brain fever is not caused by Neisseria meningitidis.

  1. बेचसल्बम ने मस्तिक ज्वर के कारक की खोज की।

Weicheselbaum was the discoverer of brain fever.

  1. नाइसीरिया मेनिनजाइटिडिस वे मैनिन्गोकॉकस एक ही जीवाणु है ।

Neisseria meningitidis and Meningococcus is one and same bacteria.

  1. न्यूमोकॉकस वायुवीय, विकल्पी अनाक्सीजीवी 37°C के आदर्श तापक्रम पर वृद्धि करता है।

Pneumoccus is aerobioc, facultative anaerobic bacteria. Which grows at 37°C optimum temperature.

  1. जबड़ों को भिंजना व धनुस्तम एक ही रोग है ।

Lock Jaw and tetnus is one and the same disease.

  1. कुष्ठ रोग का उपचार सम्भव नहीं है।

Leprosy is uncurable disease.

III. दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long answer quastions)

  1. स्टेफिलोकोकॉई जीवाणुओं के लक्षण देते हुए इनसे उत्पन्न होने वाले रोग एवं उपचार की विधि पर प्रकाश डालिए।

Describe the characters of Staphylococci bacteria, given the details of disease and method of treatment.

  1. स्ट्रेप्टोकोकॉई जीवाणुओं के लक्षण देते हुए इनसे उत्पन्न होने वाले रोग एवं उपचार की विधि पर प्रकाश डालिए।

Describe the characters of Streptococci bacteria, give the details of disease and method of treatment.

  1. डिप्थीरिया रोग के जीवाणु के मुख्य लक्षण देते हुए रोग व उपचार की विधि पर लेख लिखिये।

Describe the main characteristics of diptheria, also give an account of disease and mode of treatment.

  1. टेट्नस पर लेख लिखिये ।

Write an essay on tetanus.

  1. तपेदिक रोग के प्रमुख लक्षणों का वर्णन करते हुए उपचार की विधि पर प्रकाश डालिए ।

Describe the main characteristics of tuberculosis also give the mode of treatment.

  1. कुष्ठ रोग पर निबन्ध लिखिये ।

Write essay on laprosy.

  1. चिकित्सा महत्त्व के ग्रैम ग्राही जीवाणुओं पर लेख लिखिये ।

Write an account on Gram positive bacteria of medical importance.

  1. चिकित्सा महत्त्व के ग्रैम अग्राही जीवाणुओं पर लेख लिखिये ।

Write an account on Gram negative bacteria of medical importance.