JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: BiologyBiology

अंडज स्तनधारी किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है , उदाहरण monotremes lay eggs in hindi examples

monotremes lay eggs in hindi examples अंडज स्तनधारी किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है , उदाहरण ?

 अंडज स्तनधारी
सभी स्तनधारियों का एक-सा जटिल संगठन नहीं होता। कुछ निम्नसंगठित स्तनधारी जीवित बच्चे नहीं बल्कि अंडे देते हैं और उनको सेते हैं। फिर भी ये प्राणी अंडों से निकलनेवाले बच्चों को अपना दूध पिलाते हैं। ऐसे स्तनधारी अंडज स्तनधारी कहलाते हैं। इनमें से एक है बत्तख-चोंची प्लैटीपस (आकृति १४०) ।
प्लैटीपस की जीवन-प्रणाली बत्तख- चोंची प्लैटीपस एक मध्यम आकार का प्राणी है। पूंछ के साथ इसकी लंबाई लगभग ६० सेंटीमीटर होती है। उसके सिर के अगले हिस्से के आकार के कारण उसे बत्तखचोंची प्लैटीपस नाम दिया गया। यह हिस्सा चैड़ी चोंच की तरह निकला हुआ होता है, उसपर एक शृंगीय परत होती है और वह बत्तख की चोंच-सा लगता है।
बत्तख-चोंची प्लैटीपस छोटी छोटी नदियों के किनारे बसता है और अधिकांश जीवन पानी में बिताता है। यहां नदी-तल के कीचड़ में वह मोलस्क, कृमि, कीट डिंभ और दूसरे प्राणी पकड़कर खाता है। विशेष प्रकार की चोंच उसे नदी-तल में – भोजन ढूंढने में मदद देती है।
प्लैटीपस अपने परदेदार अंगों की सहायता से खूब तैरता है। चैड़ी और चपटी पूंछ उसे पतवार का काम देती है। प्लैटीपस की काली-भूरी फर इतनी मोटी होती है कि उसके जरिये शरीर में पानी नहीं पैठ सकता और जब वह पानी से बाहर श्निकलता है तो बिल्कुल गीला नहीं होता। उसके कर्ण-पालियां नहीं होती और जब वह गोता लगाता है तो उसके कर्ण-छिद्र बंद हो जाते हैं।
बत्तख-चोंची प्लैटीपस की जनन क्रिया प्लैटीपस किनारे पर मांद बनाता है जो पानी में भी खुलती है। मांद में वह अपने बालों का अस्तर लगाता है। यहां मादा दो छोटे अंडे देती है और उन्हें सेती है। अंडों से निकलनेवाले बच्चे केशहीन, अंधे और असहाय होते हैं। मादा उन्हें अपना दूध पिलाती है।
प्लैटीपस की स्तन-ग्रंथियों की संरचना अन्य स्तनधारियों की अपेक्षा सरलतर होती है और उनमें चूचियां नहीं होतीं। बच्चे को पिलाते समय मादा पीठ के बल लेटती है , बच्चे उसके पेट पर सवार हो जाते हैं, अपनी चोंच से दूध चूसते हैं और जीभ से उसे चाटते हैं।
बड़े होने पर वत्तख-चोंची प्लैटीपस के बच्चे मांद से बाहर निकलते हैं और पानी में अपनी मां के पीछे पीछे तैरने लग जाते हैं।
प्लैटीपस की किस्म के अंडज स्तनधारी बहुत कम हैं। ये केवल आस्ट्रेलिया और उसके पासवाले टापुत्रों में पाये जाते हैं।
प्रश्न – १. प्लटीपस की संरचना किस प्रकार जलचर जीवन के अनुकूल होती है ? २. प्लैटीपस को स्तनधारी वर्ग में क्यों गिनते हैं ? ३. अंडज और अन्य स्तनधारियों की जनन-क्रिया में कौनसे साम्य-भेद हैं ?

 शशक के रक्त-परिवहन का नक्शा
क – गौण या फुफ्फुसीय वृत्त, ख – प्रधान वृत्त य १,२ (1,2). हृदय का बायां आधा हिस्सा (अलिंद और निलय) य ३(3). धमनियां , जिनके जरिये सारे शरीर में रक्त का परिवहन होता है य ४(4). शरीर की केशिकाएं य ५(5). शिराएं, जिनके जरिये रक्त हृदय में वापस आता है य ६,७ (6,7). हृदय का दाहिना आधा हिस्सा (अलिंद और निलय) य ८ (8). धमनियां जिनके जरिये रक्त फुफ्फुसों में पहुंचता हैय ६ (9). फुफ्फुसों का केशिका-जाल य १० (10). शिराएं, जिनके जरिये रक्त फुफ्फुसों से हृदय के बायें आधे हिस्से में पहुंचता है।
रक्त-परिवहन इंद्रियां शशक की रक्त-परिवहन इंद्रियां आम तौर पर पक्षियों की जैसी ही होती हैं। हृदय के चार कक्ष होते हैं। हृदय के बायें आधे हिस्से का ऑक्सीजन समृद्ध रक्त दाहिने आधे हिस्से के कारबन डाइ-आक्साइड युक्त रक्त से मिश्रित नहीं होता। इससे शरीर की इंद्रियों को पहुंचाये जानेवाले रक्त में ऑक्सीजन की ऊंची मात्रा सुनिश्चित होती है।
शरीर में रक्त दो वृत्तों से होकर बहता है। प्रधान वृत्त बायें निलय से निकलकर सारे शरीर में से होता हुआ दाहिने अलिंद में पहुंचता है और गौण या फुफ्फुसीय वृत्त दाहिने निलय से निकलकर फुफ्फुसों में से होता हुआ बायें अलिंद में पहुंचता है (प्राकृति १३९)।
उत्सर्जन इंद्रियां सेम के आकार के गुरदे उत्सर्जन की इंद्रियां हैं। वे रीढ़-दंड की बगलों में स्थित औदरिक गुहा में होते हैं (रंगीन चित्र १४) । गुरदों से मूत्र-वाहिनियां निकलकर मूत्राशय में पहुंचती हैं।
मूत्राशय से मूत्र-मार्ग निकलकर शरीर के बाहर खुलता है। अन्य स्तनधारियों की तरह शशक में भी उपापचय बड़े जोरों से होता है। शरीर का तापमान स्थायी होता है।
प्रश्न – १. शशक के शाकाहार से उसकी प्रांत के कौनसे संरचनात्मक लक्षण संबद्ध हैं ? २. भोजन का पाचन कौनसी इंद्रियों में होता है ? ३. शशक के शरीर में रक्त-परिवहन कैसे होता है ? ४. उत्सर्जन इंद्रियों की संरचना क्या है ?
व्यावहारिक अभ्यास – शशक जब खाना खाता है उस समय उसका निरीक्षण करो।

 शशक का जनन और परिवर्द्धन
शशक की मादा एक वर्ष में कई बार औसतन पांच से आठ तक बच्चे देती है।
मादा के शरीर में भ्रूण का परिवद्र्वन अन्य रीढ़धारियों की तरह मादा की जननेंद्रियां हैं उसके अंडाशय । इनमें अंड-कोशिकाएं परिपक्व होती हैं। नर के वृषणों में शुक्राणुओं का परिवर्द्धन होता है।
अन्य स्थलचर रीढ़धारियों की तरह शशकों में भी प्रांतरिक संसेचन होता है और वह अंड-वाहिनियों के अंदर होता है । अंड-वाहिनियों से अंडा एक विशेष इंद्रिय में चला जाता है। इसे गर्भाशय कहते हैं। इसी में भ्रूण का परिवर्द्धन होता है। भ्रूण को घेरनेवाली परतों का गर्भाशय की दीवारों से समेकन होता है। माता के रक्त में मिले हुए पोषक पदार्थ और ऑक्सीजन रक्त-वाहिनियों की पतली दीवारों से भ्रूण के रक्त में पहुंचते हैं। दूसरी ओर भ्रूण के रक्त का कारबन डाइ-आक्साइड और तरल उत्सर्जन रक्त-वाहिनियों की दीवारों के जरिये माता के रक्त में पहुंचता है।
गर्भाशय में भ्रूण के परिवर्द्धन के लिए आवश्यक सभी स्थितियां मौजूद रहती हैं, जैसे – प्रॉक्सीजन , भोजन, गरमी , नमी और विभिन्न प्रतिकूल बाह्य प्रभावों से बचाव।
शरीर में भ्रूण का परिवर्द्धन लगभग एक महीने तक जारी रहता है। सभी बहुकोशिकीय स्तनधारियों की तरह संसेचित अंडे के विभाजन से वह शुरू होता है। एक विशेष अवस्था में जल-श्वसनिका-छिद्र दिखाई देते हैं पर वे पूरी तरह कटे हुए नहीं होते। फिर एक रज्जु तैयार होती है। बाद में इसकी जगह कशेरुक लेते हैं। शुरू शुरू में शशक का भ्रूण उरग के भ्रूण जैसा लगता है और बाद में उसमें स्तनधारियों के लक्षण आ जाते हैं। इन सबसे यह संकेत मिलता है कि स्तनधारी अल्प-संगठित रीढ़धारियों से अवतरित हुए हैं।
जन्म के बाद का परिवर्द्धन शशक जब पैदा होते हैं तो केशहीन , अंधे और स्वतंत्र रूप जन्म के बाद का से चलने और भोजन ढूंढने के लिए असमर्थ होते हैं। मादा अपने परिवर्द्धन बच्चों के लिए घोंसला बनाती है और उसके अंदर अपने कागरों का अस्तर लगाती है। यहां वह बच्चों को अपना दूध पिलाती है। शरीर के औदरिक हिस्से में स्थित स्तन-ग्रंथियों से यह दूध रसता है। बच्चे बड़े होते रहते हैं, देखने लग जाते हैं और उनपर फर की परत चढ़ने लगती है। लगभग तीन सप्ताहों में वे घोंसले से बाहर निकलते हैं। इस अवधि में उनकी आवश्यकताएं बदल जाती हैं। वे मां का स्तनपान करना छोड़ देते हैं और वनस्पतियां खाना शुरू कर देते हैं।
जन्म के पांच-छः महीने बाद शशक वयस्क हो जाता है और स्वयं बच्चे पैदा कर सकता है।
स्तनधारी वर्ग की विशेषताएं स्तनधारी अत्यंत सुविकसित रीढ़धारियों का वर्ग है। उनका शरीर बालों से ढंका रहता है। उनके कोशिकाओं में गड़े हुए विभिन्न आकार के दांत , चार कक्षों वाला हृदय , शरीर का स्थायी तापमान और कोस्टेक्स सहित सुविकसित मस्तिष्क गोलार्द्ध होते हैं।
स्तनधारियों का जनन जीवित बच्चों के रूप में होता है और वे माता का स्तनपान करते हैं।
इस समय स्तनधारियों के लगभग ४,००० प्रकार ज्ञात हैं।
प्रश्न – १. शशक का भ्रूण किस प्रकार सांस और भोजन करता है ? २. तीन हफ्ते के शशक और नवजात शशक में (संरचना और आवश्यकताओं की दृष्टि से ) क्या अंतर है ? ३. सजीव जन्म और स्तनपान में कौनसी सुविधाएं हैं ? ४. स्तनधारी वर्ग की विशेषताएं क्या हैं ?
व्यावहारिक अभ्यास – स्कूल के शशक-बाग में शशकों के परिवर्द्धन का निरीक्षण करो। शशक के नवजात बच्चों का स्वरूप और भोजन का तरीका नोट कर लो। वह समय नोट कर लो जब शशक के बच्चे के शरीर पर बाल दिखाई देने लगते हैं। वह देखने , घोंसले के बाहर दौड़ने और वनस्पतियां खाने लग जाता है।

Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

9 hours ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now