हमारी app डाउनलोड करे और फ्री में पढाई करे
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now
Download our app now हमारी app डाउनलोड करे

अभिक्रिया की आण्विकता की परिभाषा क्या है , अभिक्रिया की आणविकता (molecularity of reaction in hindi)

By   January 21, 2019
(molecularity of reaction in hindi) अभिक्रिया की आण्विकता की परिभाषा क्या है , अभिक्रिया की आणविकता : वह रासायनिक अभिक्रिया जो केवल एक पद में पूर्ण रूप से संपन्न हो जाती है ऐसी अभिक्रिया को प्राथमिक अभिक्रिया कहते है।

तथा वे अभिक्रिया जो एक से अधिक पदों में संपन्न होती है ऐसी अभिक्रियाओं को जटिल अभिक्रियायें कहा जाता है।
तथा वे सभी पद जिनसे होकर कोई जटिल अभिक्रिया पूर्ण होती है उन पदों को अभिक्रिया की क्रियाविधि कहते है , किसी भी रासायनिक अभिक्रिया की क्रियाविधि पद में प्रत्येक पद प्राथमिक पद की तरह कार्य करता है।

अभिक्रिया की आण्विकता

किसी भी प्राथमिक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले  क्रियाकारक के परमाणु , अणु , या आयन जो एक साथ संघट्ट करके अभिक्रिया को आगे बढ़ाते है या पूर्ण करते है , क्रियाकारक के इस परमाणु , अणु या आयन की संख्या को ही उस अभिक्रिया की आण्विकता कहते है।
अर्थात क्रियाकारक के न्यूनतम परमाणु , अणु या आयनों की संख्या जो अभिक्रिया को संपन्न करने के लिए आवश्यक होती है तथा जिसका मान उस रासायनिक अभिक्रिया के क्रियाकारक स्टाइकियोमीट्री गुणांको के योग के बराबर होता है , उस संख्या को ही अभिक्रिया की आणविकता कहते है।
इसे निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है –
जब कोई अभिक्रिया स्टाइकियोमीट्री संतुलित है तो क्रियाकारक के स्पिसिज (परमाणु , अणु या आयनों) की संख्या को अभिक्रिया की आण्विकता कहते है।
जब किसी अभिक्रिया में केवल एक स्पिसिज भाग लेता है तो उसे एकाणुक अभिक्रिया कहते है।
एकाणुक अभिक्रिया का उदाहरण –
PCl5  →  PCl3 + Cl2
द्विअणुक अभिक्रिया : जब किसी अभिक्रिया में दो स्पिसिज भाग लेते है अर्थात दो अणु एक साथ संघट्ट करके उत्पाद बनाते है तो उसे द्विअणुक अभिक्रिया कहते है।
द्विअणुक अभिक्रिया के उदाहरण :
2HI  →  H2 + I2
NO + O3  →  NO2 + O2
त्रिअणुक अभिक्रिया : जब किसी अभिक्रिया में तीन स्पिसिज भाग लेते है अर्थात वे अभिक्रिया जिसमें तीन अणु एक साथ संघट्ट या टक्कर करके उत्पाद में परिवर्तित होते है तो ऐसी अभिक्रिया को त्रिअणुक अभिक्रिया कहते है।
त्रिअणुक अभिक्रिया के उदाहरण –
2CO + O2  →  2CO2
ध्यान दे कि तीन से अधिक अणुओं का एक साथ संघट्ट करके उत्पाद बनाने की संभावना बहुत ही कम होती है इसलिए त्रिअणुक से अधिक आणविकता सामान्यतया नहीं पायी जाती है।
अत:
‘किसी अभिक्रिया के क्रियाकारकों के स्पिसिज (परमाणु , अणु या आयन) की वह न्यूनतम संख्या  जो आपस में संघट्ट करके उत्पाद या क्रियाफल में परिवर्तित होते है , कणों की उस संख्या को उस अभिक्रिया की आणविकता कहा जाता है। ‘
याद रखिये कि सम्पूर्ण अभिक्रिया का वेग सबसे धीमे पद के वेग पर निर्भर करता है।
उदाहरण के लिए H2O2 के विघटन का अध्ययन करते है –
यह विघटन दो पदों में संपन्न होता है –
Step 1: H2O2 → H2O + [O] (धीमा पद)
Step 2: [O] + [O] → O (तीव्र पद)
कुल अभिक्रिया 
H2O2 → H2O + 1/2O2
चूँकि सम्पूर्ण अभिक्रिया का वेग सबसे धीमे पद के वेग पर निर्भर करता है अत: अभिक्रिया का वेग स्टेप 1 अभिक्रिया पर निर्भर करता है जो प्राथमिक अभिक्रिया प्रतीत हो रही है।

रासायनिक अभिक्रिया की कोटि और आण्विकता में अन्तर

1. अभिक्रिया की कोटि को प्रयोगों के आधार पर ज्ञात किया जाता है , अभिक्रिया की आण्विकता को सैदान्तिक रूप से बताया जा सकता है , इसके लिए प्रयोगों की आवश्यकता नहीं होती है।
2. रासायनिक अभिक्रिया की कोटि शून्य , ऋणात्मक या भिन्नात्मक भी हो सकती है लेकिन आण्विकता का मान शून्य , ऋणात्मक , भिन्नात्मक , अन्नत नहीं हो सकता है , आण्विकता का मान केवल प्राकृत संख्या (1 , 2 , 3 आदि) हो सकता है।
3. अभिक्रिया की कोटि प्राथमिक और जटिल दोनों अभिक्रियाओं के लिए लागू है लेकिन अभिक्रिया की आण्विकता केवल प्राथमिक अभिक्रियाओं के लिए लागू है , जटिल अभिक्रिया के लिए आण्विकता परिभाषित या लागु नहीं होती है।