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मध्यम कर्ण की हड्डियों का क्या कार्य है | middle ear bones name in hindi मानव के मध्य कान की हड्डी नाम

middle ear bones name in hindi working मध्यम कर्ण की हड्डियों का क्या कार्य है |  मानव के मध्य कान की हड्डी नाम क्या है ?

कान (ears) : कशेरूकियों में दो कार्यों संतुलन और सुनने के लिए आँख के पीछे एक जोड़ी कान होते हैं। जो statoacoustic अंग है। संतुलन का कार्य अत्यधिक आध्य और आधार मूल है। दूसरी तरफ सुनने से सम्बन्धित भाग , मछलियों से भिन्न होता है और कशेरूकियों के उदविकास के बढ़ते क्रम में क्षमता दर्शाता है।

स्तनियों में एक कान के तीन भाग है जिनके नाम बाह्य कर्ण , मध्य कर्ण और अंतकर्ण है। बाह्य और मध्य कर्ण केवल ध्वनि तरंगों को प्राप्त कर अंत: कर्ण एक स्थानांतरित करने से सम्बन्धित होते है। ग्राही कोशिका केवल अंत: कर्ण में होती है। जो सभी कशेरूकियों में पायी जाती है। ये सुनने या संतुलन दोनों का या केवल संतुलन का कार्य करती है।
बाह्य कर्ण : यह कर्ण का बाह्यतम भाग है जो कर्ण पिन्ना (auricle) और कर्णनाल (auditory canal) में विभेदित होता है। पिन्ना मुख्य भाग है जो केवल स्तनियों में पाया जाता है। पिन्ना स्तनियों के सिर पर सुस्पष्ट संरचना होती है। ये विभिन्न आकार के रोमयुक्त त्वचा के पतले वलन होते है , स्तनियों में यह अर्धकीपाकार होती है जिसकी लम्बी गुहा concha कहलाती है और मध्य कर्ण की तरफ 25 mm लम्बी श्रवण नाल वक्रत होती हुई होती है। नाल भी रोमीय त्वचा से आवरित रहती है। यह अन्दर से बंद होती है और पतली परन्तु सख्त , थोड़ी वक्रित और तिर्यक झिल्ली या ”eardrum” के द्वारा मध्य कर्ण से पृथक रहती है। श्रवण नाल के अस्तर में स्वेद ग्रंथि , सेरुमन ग्रंथि में रूपांतरित हो जाती है जो ”ear wax ” या सेरूमन स्त्रावित करती है।
पिन्ना वायु में उत्पन्न ध्वनि तरंगों को श्रवण नाल में निर्देशित करता है। मनुष्य में पिन्ना प्राय गतिमान होते है परन्तु अन्य जैसे खरगोश में ये विभिन्न दिशाओं में “radar antennas ” की तरह ध्वनि तरंगो को प्राप्त करते हैं।
मध्य कर्ण : यह वायु भरित कक्ष के रूप में होता है जिसे टिम्पेनिक गुहा कहते है जो एक युस्टेकियन (ऑडिटरी) नलिका द्वारा फेंरिक्स से जुडी रहती है। यह आंतरिक रूप से म्यूकस झिल्ली से आवरित रहता है। यह स्तनियों में बाह्य कर्ण से और अन्य कशेरूकियों में प्रत्यक्ष ध्वनि तरंगों को ग्रहण करता है और अंततः अंत: कर्ण के auditory भाग को स्थानांतरित कर देता है।
मनुष्य में टिम्पेनिक गुहा एक अस्थि में आवरित रहता है जो tympanic bulla कहलाती है , जो टेम्पोरल अस्थि का एक भाग है। यूस्टेकियन नलिका सापेक्षत: चौड़ी होती है और टिम्पेनिक गुहा ऑडिटरी संपुट से दो उपकरणों द्वारा जुडी है अण्डाकार fenestra ovalis और चक्रीय fenestra rotundus , प्रत्येक उपकरण एक पतली झिल्ली से घिरा रहता है।
मनुष्य की टिम्पेनिक गुहा में तीन छोटी अस्थिकाएं पायी जाती है , जिन्हें कर्ण अस्थि कहते है। उनके नाम है मैलियस , इन्कस और stapes
ये अस्थियाँ बाहर से अन्दर की ओर इसी क्रम में सिरे से सिरे द्वारा जुडी रहती है।
(1) मेलियस : यह सबसे बड़ी , हथौड़े के आकार की कर्ण अस्थि है। इसका बाहरी संकरा भाग टिम्पेनिक झिल्ली के विपरीत स्थित होता है जबकि अन्दर का चौड़ा भाग इनकस से जुड़ा रहता है।
(2) इनकस : यह निहाई (anvil) आकार की होती है। इसका बाहरी चौड़ा भाग मेलियस से जुड़ा रहता है। आंतरिक संकरा भाग स्टेपिस से जुड़ा रहता है।
(3) स्टेपिस : इसका आकार घोड़े की रकाब जैसा होता है। इसका बाहरी भाग इनकस से जुड़ा रहता है। अन्दर की ओर fenestra ovalis को आवरित करने वाली झिल्ली से plug की तरफ जुड़ा रहता है।
कर्ण अस्थि टिम्पेनिक गुहा की भित्ति से series of elastic ligaments के द्वारा अपनी सापेक्षित स्थिति में सुरक्षात्मक रूप से निलंबित रहती है। इसके अतिरिक्त मेलियस टिम्पेनिक गुहा की भित्ति से एक मजबूत पेशी tensor tympany द्वारा जुडी रहती है जिसका ऊपर की तरफ खींचना टिम्पेनिक झिल्ली में पूर्ण तनाव बनाये रखता है।
मेलियस इनकस और स्टेपिस क्रमशः भ्रूणीय articular , quadrate और mandibular अस्थि के स्थानांतरण से बनी होती है। (सरीसृप के निचले जबड़े की अस्थि)
अंत: कर्ण : कशेरूकियों का अंत: कर्ण कोमल परन्तु जटिल और अर्धपारगम्य झिल्लिमय संरचना लेबिरिन्थ (membranous labyrinth ) है। इसमें एक्टोडर्मल एपिथिलियम से आवरित बंद नलिका और कोष्ठ होते है। मेंढक में यह pro otic अस्थि द्वारा निर्मित otic कैप्सूल और बॉडी ऑडिटरी और द्रव के साथ सुरक्षात्मक रूप से रखा जाता है। सम्पुटिय द्रव लिम्फ जैसा होता है और पेरिलिम्फ़ कहलाता है। यह मस्तिष्क के सेरेब्रोस्पाइनल द्रव के द्वारा निर्मित होता है।
लेबिरिन्थ में कक्ष समान दो एंलार्जेमेंट्स होते है। ऊपरी बड़ा युट्रिकुलस और छोटा सेक्युलस जो छोटी और संकरी sacculo  utricular duct से जुड़ा रहता है। एक छोटी और संकरी एंडोलिम्फेटिक नलिका या तो सेक्युलस से (मेंढक में) या sacculo utricular duct से पृष्ठीय विस्तारित होती है और कपाल गुहा में प्रवेश करती है और पश्च मस्तिष्क के ऊपर पृष्ठीय एंडोलिम्फेटिक कोष्ठ में समाप्त होती है।
तीन लम्बी और संकरी अर्धवर्तुलाकार नलिकाएं , युट्रिकुलस से उत्पन्न होती है और इसी में खुलने के लिए वापस वक्रित होती है। ये विभिन्न तलों में एक दुसरे के समकोण (लगभग) पर स्थित होती है। यह बाह्य , अग्र और पश्च अर्द्धवृत्ताकार नलिकाएं (duct) होती है। बाहरी नलिका क्षैतिज तल में बाहर की तरफ पायी जाती है जबकि अन्य से उदग्र होती है। युट्रिकुलस के पृष्ठ भाग से crus commune के द्वारा जुड़ी होती है। प्रत्येक नलिका का दूरस्थ सिरा जो पुनः युट्रिकुलस में खुलता है , दिर्घित होकर ampulla बनाता है।
स्तनियों में लम्बी परन्तु संकरी cochlear नलिका और cochlea एक छोटी ductus reunions के द्वारा सेक्युलस से जुडी रहती है। cochlea निम्न रूपों (frog) के lagena के समजात होती है। स्तनियों में यह सर्पिलाकार कुंडलित होती है और प्रत्यास्थ लिगामेंट के द्वारा जुड़कर 2.5 (2 और आधा) घुमाव बनाती है .झिल्लिमय और अस्थिल लेबिरिन्थ के मध्य संकरा रिक्त स्थान होता है जो peri lymphatics space कहलाता है .यह पेरिलिम्फ़ द्रव्य द्वारा भरा होता है .अस्थिल लेबिरिन्थ सामान्यतया तीन भागों में विभाजित होता है।
(i) एक अण्डाकार vestibule जिसमें युट्रिकुलस और सेक्युलस आते हैं।
(ii) अर्द्धवृत्ताकार नलिका के चारों तरफ तीन अस्थिल अर्द्धवृत्ताकार नलिका होती है।
(iii) कोक्लिया के चारों तरफ कॉक्लियर नलिका होती है।
प्रत्येक एम्पुला की भित्ति पर अन्दर एक पिण्ड पर प्रभावी मोटाई होती है जिसे ampullary sensory crista कहते हैं। क्रिस्टा के ऊपर एथिलियम कई परत मोती हो जाती है और इसकी सबसे ऊपरी परत स्तम्भाकार हो जाती है। कुछ स्तम्भाकार कोशिका संवेदी होती है , ये प्रत्येक अपने मुक्त सिरे पर लम्बे , नुकीले और गतिशील संवेदी रोम युक्त होती है। अनेक अगतिशील सूक्ष्मविलाई एन्डोलिम्फ में उभरे रहते है। रोम रहित अन्य स्तम्भाकार कोशिका संवेदी कोशिका को सहारा देती है।
दो संवेदी उभार उपस्थित जो maculae कहलाते है। इनमें से एक प्रत्येक युट्रिकुलस में पाया जाता है। ये सभी संवेदी उभार ऑडिटर तंत्रिका के vestibular शाखा से अंतर्निवेशित होते हैं।
संवेदी उभार (cristae और maculae) मानव में भी पाए जाते है। प्रत्येक मेक्युला (mecula) ऊपर की तरफ जिलेटिन की मोटी आच्छद , otolithic membrane द्वारा आवरित रहता है। otoconia इस झिल्ली की बाहरी भाग में जमा होते है और संवेदी कोशिका के kinocilia इसमें धंसे रहते है।
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