Mandibulata in hindi उपसंघ- मेन्डिबुलेटा क्या है , वर्ग – क्रस्टेशिया (Crustacea) उपवर्ग – मेलाकोस्ट्रेका (Malacostraca)

जाने Mandibulata in hindi उपसंघ- मेन्डिबुलेटा क्या है , वर्ग – क्रस्टेशिया (Crustacea) उपवर्ग – मेलाकोस्ट्रेका (Malacostraca) ?

संघ-आर्थोपोडा (Arthropoda)

द्विपार्श्वसममित, त्रिस्तरीय, खण्डयुक्त शरीर, देहगुहीय तथा शारीरिक गठन ऊत्तक अंग स्तर तक का होता है।

संधियुक्त उपांग पाये जाते हैं। काइटिनी क्यटिकल का बाह्य कंकाल पाया जाता है जिसे समय-समय पर नवीनीकृत किया जाता है।

परिसंचरण तन्त्र खुले प्रकार का होता है। देहगहा हीमोसील कहलाती है।

उत्सर्जन ग्रीन ग्रन्थियों या मेल्पिजियन नलिकाओं द्वारा।

उपसंघ- मेन्डिबुलेटा (Mandibulata)

सिर के उपाँग में एक या दो जोडी श्रगिकाएँ एक जोडी मेन्डीबल तथा दो जोड़ी जम्भिकाएँ पायी जाती है।

नेत्र अधिकांशत: संयुक्त होते हैं।

वर्ग-क्रस्टेशिया (Crustacea)

इनके बाह्य कंकाल में कैल्शियम लवण पाये जाते हैं। उनमें दो जोड़ी शृंगिकाएँ एक जोड़ी मेन्डिबल तथा दो जोड़ी जम्भिकाएँ पायी जाती हैं।

श्वसन गिल्स द्वारा तथा उत्सर्जन ग्रीन ग्रन्थियों द्वारा होता है।

विभिन्न लारवा अवस्थाएँ पायी जाती है।

उपवर्ग – मेलाकोस्ट्रेका (Malacostraca)

शरीर सिर वक्ष एवं उदर में विभेदित होता है। वक्ष में 8 तथा उदर में 6 खण्ड पाये जाते हैं।

गण-डेकापोडा (Decapoda)

गमन के लिए पाँच जोड़ी या दस टाँगें पायी जाती है।

जाति-पेलिमोन माल्कमसोनाई (Palaemon malcolmsonii)

स्वभाव एवं आवास (Habits and Habitat)

पेलिमोन वंश के समूह को सामान्य भाषा में झींगा या प्रॉन (Prawn) कहा जाता है। झींगे अलवणीय तथा लवणीय दोनों प्रकार के जल में पाये जाते हैं। पेलिमोन माल्कमसोनाई जाति स्वच्छ । जल में पायी जाती है। यह स्वच्छ जल के स्रोतों, नदियों, झीलों एवं तालाबों में निवास करता है।। यह एक रात्रिचर (nocturnal) प्राणी होता है जो दिन के समय पैंदे पर रहता है तथा रात्रि में भोजन की खोज में सतह पर आ जाता है। यह एक सर्वआहारी (omnivorous) प्राणी होता है यह शैवाल, मॉस (Moss), छोटे-छोटे जीवों, तथा मलबे (debris) आदि को भोजन के रूप में ग्रहण करता है। जलाशय के पैंदे पर यह 5 जोड़ी चलन टाँगों की सहायता से गमन करता है तथा जो 5 जोड़ी प्लवपादों  (pleopods) की सहायता से यह जल में तैरता है। शत्रु की पकड़ से बचाव के लिए यह  अपने उपांगो का त्याग भी कर सकता है इसे स्वांगोच्छेदन (autotomy) कहते हैं। मनुष्य प्रॉन की कुछ जातियों को भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है।

बाह्य लक्षण (External Features)

प्रॉन का शरीर लम्बा बेलनाकार तकुए के आकार का होता है। इनका शरीर जल में तैरने के लिए धारारेखित होता है ताकि तैरते समय जल के प्रति कम से कम प्रतिरोध उत्पन्न कर सके। प्रॉन के शरीर का परिमाण जाति अनुरूप भिन्न होता है। वयस्क पेलिमोन माल्कमसोनाई लगभग 25 से 40 सेमी लम्बा होता है। शिश अवस्था में प्रॉन के शरीर का रंग सफेद होता है परन्तु वयस्क अवस्था में जाति अनुसार रंग भिन्न हो जाते हैं। जैसे पीला, नीला या हरिताभ (greenish)।

शरीर के खण्ड : वयस्क प्रॉन का शरीर 19 खण्डों का बना होता है। इसके शरीर को स्पष्ट रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है

  1. सिरोवक्ष (Cephalothorax) तथा
  2. उदर (Abdomen)
  3. सिरोवक्ष (Cephalothorax) : यह भाग सिर एवं वक्ष के संगलन से बनता है। यह वर्ग क्रस्टेशिया का विशेष गुण है। इस भाग में कुल 13 खण्ड पाये जाते हैं। इसमें से 5 खण्टु मिस तथा 8 खण्ड वक्ष के होते हैं। प्रत्येक खण्ड में एक जोड़ी सन्धियुक्त उपांग पाये जाते हैं इस तरह इस भाग में कुल 13 जोड़ी उपांग पाये जाते हैं। सभी 13 खण्ड परस्पर संगलित होते हैं तथा पृष्ठ की तरफ एक बड़ी ढाल जैसी संरचना से ढके रहते हैं जिसे पृष्ठवर्म या केरापेस (carapace) कहते
  4. उदर (Abdomen): सिरोवक्ष की तरह इस भाग के खण्ड परस्पर संगलित नहीं होते हैं। यह भाग स्पष्ट रूप से छः खण्डों का बना होता है। उदर के अन्तस्थ भाग पर शंकु रूपी पुच्छ प्लेट या पुच्छ खण्ड (telson) पाया जाता है। उदर का प्रत्येक खण्ड एक-दूसरे से गतिशील सन्धि द्वारा जडा रहता है। उदर खण्ड पृष्ठ की तरफ मेहराबदार तथा पार्श्व की तरफ चपटे होते हैं। उदरीय खण्ड सिरोवक्ष के नीचे की तरफ मुड़े हुए होते हैं। उदर के प्रत्येक खण्ड में एक जोड़ी उपांग पाये जाते हैं जिन्हें प्लवपाद (pleopods) कहते हैं।

बाह्य छिद्र (External apertures)

मुख (Month) : सिरोवक्ष के अग्र सिरे पर अनुप्रस्थ दरार के रूप में मध्य अधर सतह पर पाया जाने वाला छिद्र मुख कहलाता है। पृष्ठ की तरफ यह तुण्ड (rostrum) तथा पार्श्व एवं अधर की तरफ जम्भिका पादों (maxillipedes) तथा जम्भिका (maxilla) द्वारा घिरा रहता है।

गुदा (Anus) : यह एक अनुदैर्घ्य छिद्र होता है, जो पुच्छखण्ड (telson) के आधार पर अधर सतह पर पाया जाता है।

वृक्क-छिद्र (Renal aperture) : वृक्क छिद्र एक जोड़ी होते हैं तथा ये प्रत्येक शृंगिका के कक्षांग (coxa) की आन्तरिक सतह पर एक उभरी हुई पेपिला (papilla) पर खुलते हैं।

सन्तुलन पुटियों के छिद्र (Opening of statocyst) : ये भी एक जोड़ी छिद्र होते हैं। ये प्रत्येक प्रशृंगिका (antennule) के पूर्व कक्षांग (precoxa) के पृष्ठ सतह पर एक गर्त में स्थित होते

नर जनन छिद्र (Male genital opening) : प्रॉन में नर व मादा पृथक्-पृथक् होते हैं। अत: नर जनन छिद्र केवल नर प्रॉन में पांचवी जोड़ी चलन टांगों के कक्षांग (coxa) के अन्दर की सतह पर पाये जाते हैं।

मादा जनन छिद्र (Female genital opening) : मादा जनन छिद्र केवल मादा प्रॉन में पाये जाते हैं। ये तीसरी जोड़ी चलन टांगों के कक्षांगों (coxa) के भीतरी सतह पर खुलते हैं।