JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

Malacostraca Sub class in hindi , मलाकॉस्ट्रका उपवर्ग किसे कहते हैं , सियामस (Cyamus) ट्रिस्किनोस्टोमा (Trischinostoma)

पढेंगे Malacostraca Sub class in hindi , मलाकॉस्ट्रका उपवर्ग किसे कहते हैं , सियामस (Cyamus) ट्रिस्किनोस्टोमा (Trischinostoma) ?

  1. उपवर्ग-मेलाकोस्ट्राका (Sub class Malacostraca)

इस उपवर्ग में आने वाले परजीवी दो गणों में वर्गीकृत किये जाते हैं-

(i) गण – आइसोपोडा (order Isopoda) (ii) गण – एम्फिपोडा ( Amphipoda)

  1. गण-आइसोपोडा (Order Isopoda) : इस गण में आने वाले प्रमुख परजीवी निम्न प्रकार है-बोपाइरस (Bopyrus), ग्नेथिया ( Gnathia), डेनेलिया (Danalia), पोरटुनिओन (Portunion), साइमोथोआ (Cynothoa) रीनोसीला (Renocila), आदि ।

(i) बोपाइरस (Bopyrus) : यह प्रॉन व श्रिम्पों के गिल प्रकोष्ठों का परजीवी होता है। यह एक पुंपूर्वी (protoandric) उभयलिंगी जन्तु होता है। इसमें एक ही जन्तु पहले नर की तरह व्यवहार करता है व शुक्राणु उत्पन्न करता है । तत्पश्चात् यही जन्तु मादा में रूपान्तरित हो जाता है। इसकी लारवल अवस्थाएँ स्वतन्त्र जीवी होती है तथा कोपेपोड्स, आस्ट्रेकोड्स या सिरिपिडियन जन्तुओं को संक्रमित करती है। वयस्क मादा का शिरोवक्ष अण्डाकार व बड़ा होता है जो अधर सतह पर पालिदार अण्ड प्रवर्गों में विभाजित रहती है । जम्भिका पाद छेदन व मुख चूसने योग्य होता है। 8 जोड़ी वक्षीय उपांग पाये जाते हैं जो पोषक के शरीर पर लटकने में सहायक होते हैं। उदर छोटा, खण्डित तथा उपांग विहीन होता है।

(ii) ग्नेथिया (Gnathia) : इनके वयस्क स्वतन्त्र जीवी होते हैं परन्तु ये पोषण ग्रहण नहीं करते हैं। लारवा अवस्था, जो इनकी परजीवी अवस्था होती है, के दौरान संचित खाद्य सामग्री से ही अपना काम चलाते हैं।

इनके लावा विभिन्न मछलियों पर बाह्य परजीवी के रूप में पाये जाते हैं। इस दौरान ये इतना अधिक पोषक पदार्थ संचित करते हैं कि इनका खण्डीभवन विलुप्त हो जाता तथा ये गोलाकार आकृति धारण कर लेते हैं। वयस्क लैंगिक द्विरूपता प्रदर्शित करते हैं। मादा का शरीर पूर्णतया अण्डाशय से भरा रहता है जबकि नर में यकृत प्रमुख होता है ।

(iii) डेनेलिया (Danalia) : इसकी लारवा अवस्थाएँ मुक्तजीवी होती है। प्रथम मुक्त रूप से तैरने वाली लारवा अवस्था एपिकेरिडियन लारवा ( Epicaridian larva) कहलाती है। यह अगली अवस्था के लारवा में रूपान्तरित होता है जिसे क्रिप्टोनिस्कस (Cryptoniscus ) कहते हैं। इसके वक्ष में एक जोड़ी वृषण पाये जाते हैं। वृषणों के अन्तिम छोर पर ह्वासित अण्डाशय पाये जाते हैं । स्वतन्त्र जीवी अवस्था में यह नर की तरह व्यवहार करता है तथा मादा को निषेचित करता है जो दूसरे क्रस्टेशियाई परजीवी सेकुलाइना पर परजीवी होती है। ये अतिपरजीविता (hyper paprasitism) का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं अर्थात् ये परजीवी पर – परजीवी होते हैं। इसमें सेकुलाइना स्वयंय केकड़े पर परजीवी होता है।

(iv) पोरटुनिऑन (Portunion ) : ये लाल रंग के क्रस्टेशियाई जन्तु होते हैं जिनकी मादाएँ दूसरे केकड़ों (crabs) की वक्षगुहा में परजीवी के रूप में रहती है। विकास के दौरान ये निम्न लारवा अवस्थाओं को प्रदर्शित करती है- एपिकेरिडियन, क्रिप्टोनिस्कस तथा बोपाइरस । बोपाइरस अवस्था नर की तरह का व्यवहार प्रदर्शित करते हुए केकड़े के गिल प्रकोष्ठ में वक्षीय भित्ति पर चिपक जाता है। यही जन्तु बाद में मादा में रूपान्तरित होकर धीरे-धीरे पोषक की वक्षीय भित्ति को भेद कर भीतर स्थापित हो जाती है। परजीवी के शरीर में हासित सिर व उदर पाया जाता है। वक्षीय उपांग (brood pouch) का निर्माण करते हैं। भ्रूण थैले में कई छिद्र पाये जाते हैं इनसे निषेचित अण्डों को बाहर निकालती है।

(v) साइमोथोआ (Cymothoa) : ये भी उभयलिंगी क्रस्टेशियाई जन्तु होते हैं इनकी युवा नर अवस्था स्वतन्त्र जीवी होती है । वृद्धि के कुछ समय पश्चात् ये मछलियों पर बाह परजीवी के रूप में स्थापित होकर मादा की तरह व्यवहार करते हैं।

  1. गण एम्फिपोडा ( Order Amphipoda)

इस गण में निम्न दो प्रमुख परजीवी सम्मिलित किये जाते हैं।

(i) सियामस (Cyamus) (ii) ट्रिस्किनोस्टोमा (Trischinostoma)

(i) सियामस (Cyamus) : यह व्हेल की त्वचा पर बाह्य परजीवी के रूप में पाया जाता है व इसे व्हेल लाइस भी कहा जाता है। शरीर पृष्ठ से प्रतिपृष्ठ की तरह चपटा होता है तथा 6 शिरोवक्षीय खण्डों में बंटा होता है। उदर ह्रासित होता है। पोषक की त्वचा पर चिपकने के लिए पाँच जोडी वक्षीय टांगों में हुक्स पाये जाते हैं। पोषक के शरीर पर चिपकने के लिए शिरोवक्ष में दो जोड़ी चिपचिपे बाइसस धागे (byssus threads) पाये जाते हैं। प्रशृंगिकाएँ छोटी तथा श्रृंगिकाएँ बड़ी होती है। ये दोनों संवेदी संरचनाएँ होती है।

(vi) उपवर्ग – सिरिपिडिया (Subclass – Cirripdia)

इस उपवर्ग के परजीवी क्रस्टेशियाई जन्तुओं को निम्न चार गणों में वर्गीकृत किया जाता है- 1. गण – राइजोसिफेला ( Order : Rhizocephala)

इस गण में आने वाले महत्वपूर्ण परजीवी निम्न है-

  1. सेकुलाइना (Sacculina), (ii) पेल्टोगेस्टर ( Peltogester) (iii) पेल्टोगेस्टेरेला (Peltogesteralla) (iv) लर्नियोडिस्कस (Lerneodiscuss)
  2. सेकुलाइना (Sacculina) : यह केकडों का परजीवी जन्तु होता है। वयस्क जन्तु परम ह्रासन (extreme degeneration) की स्थिति को प्रदर्शित करता है। इसका व्यस्क प्राणी एक अण्डाकार कोष (ovoidsac) के समान दिखाई देता है जो पोषक (केकड़े) के उदर से एक छोटे से वृन्त द्वारा चिपका रहता है। इसमें खण्डों, उपांगों, संवेदी अंगों एवं भोजननली का अभाव होता है। इसमें केवल एक पतले थैले के समान प्रवार में बन्द जनन ग्रन्थियाँ पायी जाती है। इसे सेकुलाइना एक्स्टरना (Sacculian externa) कहते हैं। इसके वृन्त से असंख्य कोमल तन्तुओं या मूलाकों के समान मूलतन्त्र पोषक केकड़े के शरीर के सब भागों में फैले रहते हैं। ये मूलाभ केकड़े के सम्पूर्ण शरीर से पोषक तत्वों का अवशोषण करते हैं। इस मूलाभ तन्त्र को सेकुलाइना इन्टरना (Sacculina interna) कहते हैं। लैंगिक परिपक्वता अवधि आने पर केकड़े के उदर भाग पर स्थित थैले समान शरीर, जिसके पश्च सिरे पर जनन छिद्र पाया जाता है, से प्रथम अवस्था का लारवा नोप्लियस बाहर निकलता है। नोप्लियस (Nauplius) लारवा 3-4 माह तक जल में स्वतन्त्र रूप से जीवन व्यतीत करता है। इसके पश्चात् यह साइप्रिस (Cypris) लारवा में बदल जाता है। जिसका शरीर एक द्विकपाटीय खेल में बन्द रहता है। साइप्रिस लारवा के प्रशृंगिका में हुक समान प्रवर्ध पाया जाता है जिसकी सहायता से यह अपने पोषक ( केकड़े) से चिपक जाता है। इसके बाद साइप्रिस लारवा के धड़, कपाट व उपांग विलुप्त हो जाते हैं और यह गोलाकार कोशिकाओं के पिण्ड में बदल जाता है जिसे केन्द्रोजन (kentrogen) लारवा कहते हैं। इसकी जर्म कोशिकाएँ एक खोखले शूक के द्वारा पोषक केकेड़ के शरीर में प्रवेश कर मध्य आन्त्र से चिपक जाता है। अब इससे अनेक मूलाभ प्रवर्ध निकल कर केकड़े के सब भागों में फैल जाते हैं व इनकी सहायता से पोषण प्राप्त करने लगता है।

(ii) पेल्टोगेस्टर (Peltogaster ) : यह हर्मिट क्रेब का अन्तः परजीवी जन्तु है। इसका शरीर थैले समान होता है तथा हर्मिट क्रेब की प्रवाह गुहा में स्थित रहता है। इससे खण्डीभवन व उपांग अनुपस्थित होते हैं। लारवा मुक्त जीवी होता है व इसमें सुविकसित उपांग पाये जाते हैं। 2. गण- एपोडा (Order : Apoda)

इस गण का प्रमुख उदाहरण प्रोटिओलीपस (Proteolepas) है जिसकी खोज चार्ल्स डारविन ने की थी। यह अन्य खण्डावरों (barnacles) के प्रवार गुहा में परजीवी के रूप में पाया जाता है। इसका शरीर 11 खण्डों का बना होता है जिसमें 8 खण्ड वक्षीय व तीन खण्ड उदरीय होते हैं। उदरीय खण्डों में उपांगों का अभाव होता है। श्रृंगिका पोषक से चिपकने के लिए रूपान्तरित होती है। इससे आगे की ओर एक तीक्ष्ण शुण्डिका पायी जाती है जो भेदन व चूसने के अनुकूल होती है।

  1. गण – एक्रोथोरेसिका ( Order – Acrothoracica)

इस गण के प्रमुख उदाहरण है एलसिप्पे (Allcippe) व ट्राइपेट्सा (Trypetsa)। ये घोंघें (Snail) के कवच को भेदकर उसमें प्रवेश करते हैं अत: इन्हें सामान्यतया खण्डावर (boring barnacles) भी कहते हैं। छेदन एलसिप्पे में छः से कम वक्षीय उपांग पाये जाते हैं। शृंगिकाएँ शरीर के मध्य में पायी जाती हैं। मुखांग शुण्डिका के रूप में भेदने व चूसने योग्य होते हैं। नर छोटा होता है व मादा के शरीर से चिपका रहता है।

  1. गण – एस्कोथेरेसिका ( Order – Ascotoracica)

इस गण में प्रमुख रूप से निम्न परजीवी आते हैं-

(i) एस्कोथोरेक्स (Ascothorax) (ii) लोरा (laura) (iii) डेन्ड्रोगेस्टर (Dendrogaster) आदि । 1. एस्कोथोरेक्स (Ascothorax) : यह संघ इकाइनोडर्मेटा के सदस्यों जैसे समुद्री लिली (sea lilies) तथा सर्पतारे ( serpent stars) पर बाह्य परजीवी तथा समुद्री तारों (sea stars) व कोरल में अन्त:परजीवी के रूप में पाया जाता है। इसका शरीर द्विकपटी पृष्ठवर्म (carapace) से ढका रह है। इसमें तैरने के लिए 6 जोड़ी वक्षीय उपांग पाये जाते हैं। जम्भिकाएँ भेदने व चूसने के लिए रूपान्तरित होती है। इसमें केवल एक श्रृंगिका पायी जाती है जो हुक के समान होती है जिसकी सहायता से यह पोषक से चिपकता है । उदर में कोई उपांग नहीं पाये जाते हैं।

प्रश्न (Questions)

लघुत्तरात्मक प्रश्न

  1. वर्ग क्रस्टेशिया के कितने उपवर्ग के जन्तु परजीविता प्रदर्शित करते हैं ? उनके नाम लिखिये ।
  2. उपवर्ग कोपेपोडा के प्रमुख परजीवियों के नाम बतायडे ।
  3. सिरिपिडिया उपवर्ग के प्रमुख परजीवी जन्तुओं के नाम लिखिये ।
  4. बोपाइरस किसका परजीवी है ? इस पर टिप्पणी लिखिये ।
  5. सेकुलाइना पर टिप्पणी लिखिये ?
  6. ब्रेन्कियूरा उपवर्ग के प्रमुख परजीवियों के नाम लिखिये । दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
  7. क्रस्टेरिया में परजीविता पर निबन्ध लिखिये ।
  8. उपवर्ग ब्रेन्कियूरा के परजीवियों का वर्णन कीजिये ।
  9. उपवर्ग कोपेपोडा के परजीवियों का वर्णन कीजिये ।
  10. उपवर्ग सिरिपिडिया के परजीवियों का वर्णन कीजिये ।
  11. निम्न पर टिप्पणियाँ लिखिये-

(i) सेकुलाइना (ii) मोन्स्ट्रिलोइडा (iii) अर्गुलस (iv) बोपाइरस

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now