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लिपिड्रस की परिभाषा , क्या है , प्रकार , नाइट्रोजनी क्षार , प्राथमिक , द्वितीयक उपापचयन , वृहत जैव अणु
लिपिड्रस (Lipids) : इन्हें वसा भी कहते है , ये जल में अघुलनशील होते है , वसा के अणु का निर्माण एक अणु ग्लिसरोल व तीन अणु वसीय अम्ल से होता है |
- वसीय अम्ल : ये संतृप्त या असंतृप्त हो सकते है , इन्हें निम्न सूत्र से दर्शाते है |
HOOC-R
R में कार्बन परमाणु की संख्या 1 से 19 तक हो सकती है , जैसे पाल्मीटिक अम्ल CH3-(CH2)14-COOH
- ग्लिसरोल : या ट्राइहाइड्रोक्सी प्रोपेन होते है |
लिपिड्रस के प्रकार : लिपिड्रस तीन प्रकार की होती है –
- साधारण लिपिड्रस : जब लिपिड्रस में वसीय अम्ल व ग्लिसरोल के ही अणु होते है तो उसे साधारण लिपिड्रस कहते है , इन्हें ट्राइग्लिसरोइड भी कहा जाता है |
- संयुक्त लिपिड्रस : जब लिपिड्रस वसीय अम्ल व ग्लिसरोल के अतिरिक्त फास्फोरस या नाइट्रोजन के अणु भी हो तो उसे संयुक्त लिपिड्रस कहते है , ये कोशिका झिल्ली , ह्रदय , यकृत , वृक्क आदि में पायी जाती है | उदाहरण – लेसिथिन
- व्युत्पन्न लिपिड्रस : ये साधारण व संयुक्त लिपिड्रस के व्युत्पन्न होते है , ये तंत्रिका उत्तक , त्वचा , मस्तिष्क आदि में पायी जाती है , इनमे स्टेरोइड्रस , स्टेरोल्स व केरोटिनॉइड्रस , कोलेस्ट्रोल आदि शामिल किये गए है |
नाइट्रोजनी क्षार : जीवों में अनेक कार्बनिक यौगिक विषम चक्रीय रूप में पाये जाते है , जैसे – नाइट्रोजनी क्षार , ये निम्न प्रकार के होते है –
एडिनिन (A)
थाइमीन (T) / यूरेसिल (U)
ग्वानिन (G)
साइटोसीन (C)
ये नाइट्रोजनी क्षार पेन्टोज शर्करा से जुड़कर न्यूक्लिऑक्साइड बनाते है , यदि न्युलियोक्साइड से फास्फेट समूह जुड़ जाता है तो नव निर्मित अणु को न्यूक्लिपेटाइड कहते है , न्यूक्लिपेटाइड संयोजित होकर न्यूक्लिक अम्ल (DNA और RNA ) बनाते है जो आनुवांशिक पदार्थ के रूप में कार्य करते है |
प्राथमिक और द्वितीयक उपापचयन
- प्राथमिक उपापचयन : जीव उत्तको में कुछ जैव अणु प्रमुखता से पाये जाते है , जिन्हें प्राथमिक उपापचयन कहते है | प्राथमिक उपापचयन ज्ञात कार्य करते है तथा कार्यिकी में प्रमुख भूमिका निभाते है , उदाहरण – कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , वसा आदि |
- द्वितियक उपापचयन : पादप कवक व सूक्ष्म जीवों की कोशिकाओं में प्राथमिक उपापचयन के अतिरिक्त अन्य यौगिक भी पाये जाते है जिन्हें द्वितीयक उपापचयन कहते है | द्वितीयक उपापचयन की सजीवों में कार्य व भूमिका स्पष्ट नहीं है जबकि मनुष्य के आर्थिक महत्व के होते है |
वर्णक – कैरेटीनाड्रस , एन्थ्रोसाइनिनस
एल्केल्वोइडस – मार्फीन , फोडेसीन
टरपिन्वोइड्स – मोनोटरपीस , डाईटरपीस
आवश्यक तेल – निम्बू , घास तेल
टोक्सिन – एम्ब्रिन , रिसिन
लेक्टिन्स – फोनकेनेवेसीन
ड्रग्स – बीनवलेस्टीन , करकुमीन
बहुलक पदार्थ – रबर , गोंद , सैलुलोज
वृहत जैव अणु (macro biomolecule)
वे जैव अणु जिनका अणुभार 10000 डोल्टन या अधिक होता है उन्हें वृहत जैव अणु कहते है जैसे प्रोटीन न्यूक्लिक अम्ल , पोलेसेकेराइड आदि |
वे वे वृहत जैव अणु बहुलक होते है तथा आपस में संगठित होकर जीवों का संगठन बनाते है |
जैसे –
अवयव | कुल कोशिकीय भार का % |
जल | 70 – 90 |
प्रोटीन | 10-15 |
कार्बोहाइड्रेट | 3 |
लिपिड्रस | 2 |
न्यूक्लिक अम्ल | 5-7 |
आयन | 1 |
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