हिंदी माध्यम नोट्स
प्रिज्म से प्रकाश का अपवर्तन , light refraction prism in hindi , द्विफोकसी लेंस , मोतियाबिन्द , प्रिज्म
द्विफोकसी लेंस
द्विफोकसी लेंस दो अलग अलग प्रकार के लेंस से बना होता है। द्विफोकसी लेंस अवतल लेंस तथा उत्तल लेंस से मिलकर बनाया जाता है। द्विफोकसी लेंस के उपरी भाग में अवतल लेंस को तथा उत्तल लेंस को निचले भाग में लगाया जाता है जिससे व्यक्ति आँखों को उपर करके दूर की वस्तुओं को तथा आँखों को नीचे करके नजदीक की वस्तुओं को देख पाता है।
कभी कभी किसी व्यक्ति के नेत्र में दोनों ही प्रकार के दोष निकट दृष्टि तथा दूर दृष्टि दोष हो जाता हैं। ऐसे व्यक्तियों को वस्तुओं को सुस्पष्ट देख सकने के लिये द्विफोकसी लेंस की आवश्यकता होती है।
इन सभी प्रकार के दृष्टि दोषों को अपवर्तन दोष कहते हैं क्योंकि इन दोष के कारण अभिनेत्र लेंस द्वारा वस्तुओं से आती हुई प्रकाश का अपवर्तन सही तरीके से नहीं हो पाता है।
आज आधुनिक तकनीकों के विकसित हो जाने से नेत्रों के अपवर्तन दोष का संशोधन संस्पर्श लेंस अथवा शल्य चिकित्सा द्वारा भी हो जाता है।
संस्पर्श लेंस = इस प्रकार के लेंस चश्मों में लगाये जाने वाले लेंसों की तरह ही होते हैं। परंतु ये विशेष प्रकार के रेशेदार जेलीवत पदार्थों से बने होते हैं तथा सामान्य लेंस की तुलना में काफी छोटे होते हैं। संस्पर्श लेंस को सीधा आँखों की सतह पर लगाया जाता है।
मोतियाबिन्द
नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों में दूधिया तथा धुँधला हो जाता है। जिसके कारण नेत्र की दृष्टि में कमी या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिन्द कहते हैं। मोतियाबिन्द का संशोधन शल्य चिकित्सा के द्वारा किया जाता है।
प्रिज्म से प्रकाश का अपवर्तन
जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है या झुक जाती है तथा जब सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो अभिलम्ब से दूर हट जाती है। प्रकाश के विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करने के बाद अभिलम्ब की ओर मुड़ना तथा सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करने के बाद अभिलम्ब से दूर मुड़ने की प्रक्रिया को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
प्रिज्म
पारदर्शी पदार्थ, जैसे सीसा, प्लास्टिक आदि से बनी वैसी वस्तु जिसमें कम से कम आयताकार पार्श्व पृष्ठ आपस में न्यूनकोण (90 डिग्री से कम का कोण) बनाते हों, प्रिज्म कहलाते हैं।
प्रिज्म के द्वारा प्रकाश का अपवर्तन
जब कोई प्रकाश की किरण हवा से काँच के प्रिज्म में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब की तरफ झुक जाती है। पुन: जब ये प्रकाश की किरण प्रिज्म से बाहर हवा में निकलती है तो अभिलम्ब से दूर झुक जाती हैं।
प्रिज्म से प्रकाश का अपवर्तन स्नेल के नियम का पालन करते हैं। स्नेल के नियम के अनुसार
1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब सभी एक ही तल में होते हैं।
2. प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिये आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (angle of refraction) की ज्या (sine) का अनुपात स्थिर होता है। इस नियम को स्नेल का अपवर्तन नियम भी कहते हैं।
यदि i आपतन कोण हो तथा r अपवर्तन कोण हो तब
Sini / sinr = स्थिरांक
माना कि एक प्रकाश की किरण AB काँच के एक प्रिज्म PQR में बिन्दु E से प्रवेश करती है। हवा से प्रिज्म में प्रवेश करने पर प्रकाश की किरण अभिलम्ब NN’ की तरफ मुड़ जाती है तथा प्रिजम में EF पथ पर आगे बढ़ती है। जब प्रकाश की किरण EF प्रिज्म से बाहर आती है और हवा में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब MM’ से दूड़ मुड़ जाती है तथा CD पथ पर हवा में आगे जाती है।
यहाँ,
Ø ∠A प्रिज्म कोण है।
Ø AB या ABE या AE आपतित किरण है।
Ø बिन्दु E प्रिज्म की सतह पर आपतन बिन्दु है। जहा से प्रकाश की किरण प्रवेश करती है।
Ø NN’ आपतन बिन्दु E पर अभिलम्ब है।
Ø ∠ i आपतन कोण है।
Ø EF अपवर्तित किरण है।
Ø CD निर्गत किरण है।
Ø ∠ e निर्गत कोण है।
Ø MM’ निर्गत बिन्दु F पर अभिलम्ब है।
Ø DS या CD या FCD निर्गत किरण है।
Ø GH जिसे बिन्दु रेखा द्वारा दिखाया गया है, प्रकाश की किरण AB का मूल पथ है।
Ø ∠D विचलन कोण है।
प्रकाश की किरण प्रिज्म में प्रवेश करने के बाद इसका अपवर्तन होता है और अपवर्तन के पश्चात ∠D पर विचलित होती है जिसे विचलन कोण कहते हैं। ऐसा प्रिज्म के द्वारा बनाये गये न्यून कोण, जिसे प्रिज्म कोण कहते हैं के कारण होता है। जबकि प्रकाश की एक किरण सीसे के आयताकार पट्टी से परावर्तन के बाद बाहर आती है तो यह आपतित किरण के समानांतर जाती है।
श्वेत प्रकाश का विक्षेपण
जब कोई श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म में प्रवेश करती है तो अपवर्तन के बाद ये सात रंगों में विभाजित हो जाती है। प्रकाश के अवयवी वर्णों में विभाजन को ही विक्षेपण कहते हैं।
काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का विक्षेपण
जब श्वेत प्रकाश की किरण का एक प्रिज्म से अपवर्तन होता है तो यह सात रंगों में विभाजित हो जाती है तथा एक सात रंगों की पट्टी का निर्माण करता है। प्रकाश के इन अवयवी वर्णों के बैंड को स्पेक्ट्रम कहते हैं। प्रकाश के ये सात रंग एक खास क्रम में होते हैं, यह क्रम है: बैंगनी , जामुनी , नीला , हरा , पीला , नारंगी तथा लाल । स्पेक्ट्रम के इन रंगों को अंगरेजी के शब्द VIBGYOR से याद रखा जा सकता है। शब्द VIBGYOR का प्रत्येक अक्षर क्रम से एक एक रंगों के नाम को बतलाता है। यथा: V – Violet, I- indigo, B – blue, G – green, Y – yellow, O – orange, R – Red.
प्रकाश के इन अवयवी वर्णों के बैंड के रंगों को क्रमानुसार हिन्दी के शब्द बैनीआहपीनाला से भी याद रखा जा सकता है। बैनीआहपीनाला शब्द में बै – बैगनी, नी – नीला, आ – आसमानी, ह – हरा, पि – पीला, ना – नारंगी तथा ला – लाल रंग को सूचित करता है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…