पत्ती के शीर्ष (leaf apices types in hindi) | पर्ण धरातल (leaf surfaces) | पर्ण में शिरा विन्यास (venation in leaf)

(leaf apices types in hindi) पत्ती के शीर्ष : पर्ण शीर्ष में विभिन्नतायें निम्नलिखित प्रकार की होती है –

1. निशिताग्र (acute) : न्यूनकोण बनाकर समाप्त होने वाला तीखा शीर्ष , जैसे – गुड़हल।

2. लम्बाग्र अथवा पुच्छिन (acuminate or caudate) : ऐसी पर्ण शीर्ष जो लम्बी और पतली दुम भाँती हो , जैसे – पीपल।

3. कस्पिडेट (cuspidate) : लम्बे कठोर और शूल में समाप्त होने वाला पर्णशीर्ष , जैसे – अनानास और खजूर।

4. कुठाग्र (obtuse) : वह पर्ण शीर्ष जो नुकीला नहीं हो , जैसे – टर्मिनेलिया प्रजाति।

5. रेटयूस (retuse) : ऐसी कुंठाग्र पर्णशीर्ष जिसके सिरे पर छिछली खाँच हो , जैसे – आक्जेलिस कोरिम्बोसा अथवा खट्टी बूटी।

6. कोर खाँची : जिस पर्ण शीर्ष में खाँच बनी हो , जैसे बाहिनिया।

7. तीक्ष्णाग्री (mucronate) : एक ऐसा गोलाईदार पर्णशीर्ष जो अचानक ही एक छोटी नोक में समाप्त हो गया हो , जैसे – केसिया ओब्टयूसीफ़ोलिया।

8. प्रतानी (cirrhose) : प्रतानधारी और कुंडलित शीर्ष , जैसे – ग्लोरी लिलि।

पर्ण धरातल (leaf surfaces)

1. अरोमिल (glabrous) : रोम या अन्य किसी प्रकार की संरचना रहित सपाट और चिकना धरातल , जैसे – गुड़हल।
2. खुरदरा (rough) : ऐसा धरातल हो स्पर्श करने पर कठोर प्रतीत हो , जैसे – पेट्रिया।
3. लसदार (glutinous) : चिपचिपे पदार्थ से ढका पर्ण धरातल , जैसे – तम्बाकू।
4. नीलाभ (glaucous) : हरा और चमकदार पर्ण धरातल , जैसे निम्बू।
5. शूलधारी (spiny) : काँटों से ढका धरातल , जैसे – पीली कटेली।
6. रोमिल (hairy) : रोमों से ढका हुआ धरातल , जैसे आँकड़ा।

पर्ण में शिरा विन्यास (venation in leaf)

पत्तियों की शिराओं या संवहन बंडलों का व्यवस्थाक्रम शिराविन्यास कहलाता है। यह निम्नलिखित प्रकार का होता है –
1. समानान्तर (parallel) : शिराविन्यास का ऐसा प्रारूप जिसमें पत्ती की प्रमुख शिराएँ परस्पर समांनातर अथवा लगभग समानान्तर होती है , जैसे केला।
2. जालिकावत (reticulate) : जिसमें पर्ण शिराएँ एक जाली के रूप में अनियमित रूप में फैली होती है , जैसे – पीपल।
3. एकशिरीय (unicostate) : जिसमें केवल एक मुख्य शिरा हो। यह समानांतर या जालिकावत दोनों प्रकार का होता है। उदाहरण – केला और पीपल।
4. बहुशिरीय (multicostate) : जिसमें एक से अधिक मुख्य शिराएँ हो। यह भी समानांतर और जालिकावत दोनों प्रकार का होता है। इसे दो वर्ग में रखते है –
(i) अभिसारी (convergent) : शिराएँ पर्णफलक के आधार से शीर्ष की तरफ वक्रित रूप से फैलती है , जैसे – गेहूँ और स्माइलेक्स।
(ii) अपसारी (divergent) : शिराएँ पर्णफलक के आधारीय भाग से निकलती है तथा फिर पत्ती के किनारों की तरफ पहुँचती हुई एक दुसरे से दूर हट जाती है , कद्दू।

रूपान्तरित पर्ण (modified leaves)

पत्तियों का प्रमुख कार्य सामान्यतया प्रकाश संश्लेषण द्वारा पौधे के लिए भोजन बनाने और रन्ध्रों के माध्यम से गैसीय विनिमय और वाष्पोत्सर्जन का होता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न पौधों में पत्तियां कायिक जनन , सुरक्षा , संग्रह और पौधों के आरोहण में सहायता आदि महत्वपूर्ण कार्य भी संपादित करती है। विभिन्न प्रकार के इन आवश्यक कार्यो को करने के लिए पौधों में अनेक प्रकार के पर्ण रूपांतरण पाए जाते है , कुछ प्रमुख रूपान्तरण निम्नलिखित प्रकार से है –
1. प्रतान (tendrils) : ये पतली , धागे अथवा तंतुनुमा कुंडलित संरचनाएँ होती है , जो आरोही पौधों के ऊपर चढने में सहायक होती है , आरोही पौधों में निम्नलिखित प्रकार के प्रतान पाए जाते है –
(a) पर्णप्रतान (leaf tendrils) : कुछ पौधों , जैसे – लेथाइरस सैटाइवस में सम्पूर्ण पत्ती ही प्रतान में रूपान्तरित हो जाती है।
(b) पर्णक प्रतान (leaflet tendrils) : यहाँ संयुक्त पर्ण के शीर्षस्थ पर्णक प्रतानों में रूपांतरित हो जाते है , जैसे मटर।
(c) पर्णशीर्षप्रतान (leaf tip tendril) : कुछ पौधों , जैसे – ग्लोरिओसा में पर्णशीर्ष कुंडलित होकर प्रतान में रूपान्तरित हो जाता है।
(d) पर्णवृन्त प्रतान (petiole tendrils) : अनेक पौधों जैसे नास्टरशियम और क्लिमेटिस में पर्णवृंत लम्बा , तार के समान और लचीला तथा कुंडलित होकर प्रतान के रूप में कार्य करता है। और ठोस आधार के चारों तरफ लिपट कर पौधे के आरोहण में सहायक होता है।
(e) अनुपर्ण प्रतान (stipule tendril) : कुछ पौधों जैसे स्माइलेक्स में अनुपर्ण प्रतानों में रूपांतरित हो जाते है।

2. शल्क पर्ण (scale leaves)

विभिन्न पौधों में वाष्पोत्सर्जन दर में कमी लाने के लिए अथवा कभी कभी मुख्य संरचना को सुरक्षा प्रदान करने के लिए , कुछ पत्तियाँ झिल्लीदार , सूखी , भूरी अथवा हल्के पीले रंग की संरचना में विकसित होती है , ऐसी पत्तियों को शल्क पर्ण कहते है। कुछ पौधों जैसे प्याज में ये पत्तियाँ मोटी और माँसल भी हो जाती है और शल्ककन्द के शल्क पत्रों के रूप में भोज्य पदार्थों के संचय का कार्य करती है।

3. पर्णशूल (leaf spines)

अनेक पौधों में जानवरों द्वारा चराई से पौधे को सुरक्षित रखने या वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करने के लिए पत्तियाँ या इनके विभिन्न घटक शूल अथवा काँटों में रूपांतरित हो जाते है। नागफनी में सम्पूर्ण पर्ण शूल में रूपान्तरित हो जाती है और बबूल और बेर में अनुपर्ण शूल में रूपांतरित हो जाती है।

4. पर्णाभ वृन्त (phyllode)

कुछ पौधों जैसे ऑस्ट्रेलियन बबूल में पर्णवृंत , पर्ण फलक के समान चपटा हो जाता है , इसके पर्णक शीघ्र ही गिर जाते है और पर्णाभ वृन्त सामान्य पत्ती की तरह प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है।

5. कीट भक्षी पौधों में रूपान्तरण (modification in the insectivorous plants)

अनेक जलोदभिदों और दलदलों में पाए जाने वाले पौधों को मृदा से नाइट्रोजन की आपूर्ति नहीं के बराबर होती है। नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए इनमें से अनेक पौधों , जैसे ब्लैडर वर्ट और घटपर्णी पादप आदि कीटभक्षी हो जाते है। ब्लैडर वर्ट में कुछ पालियाँ बैलून अथवा ब्लैडरनुमा संरचनाओं में परिवर्तित हो जाती है। इन ब्लैडरों में छोटे वाल्व पाए जाते है जो अतिसूक्ष्म कीटों को बैलून में फंसाने में सहायक होते है , क्योंकि ये केवल भीतर की तरफ ही खुलते है।
इसी प्रकार घटपर्णी में पर्णाधार पर्ण के समान चपटा और पर्ण वृंत कुंडलित हो जाता है , यहाँ पर्णफलक एक घट अथवा कलश जैसी संरचना में रूपान्तरित हो जाता है। इसके साथ ही पर्णशीर्ष इसका ढक्कन बनाता है। यह सम्पूर्ण संरचना अपने द्वारा स्त्रावित रस और आकर्षक आकृति द्वारा कीटों को आकर्षित कर फँसाने में सहायक होती है।

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1 : अधिपर्ण होती है –
(a) सामान्य पर्ण
(b) शल्क पर्ण
(c) बीज पत्र
(d) सहपत्र
उत्तर : (d) सहपत्र
प्रश्न 2 : पत्ती तने के किस भाग से विकसित होती है –
(a) पर्व
(b) पर्व संधि
(c) दोनों से
(d) किसी से नहीं
उत्तर : (b) पर्व संधि
प्रश्न 3 : पत्ती के समारम्भन के लिए आवश्यक है –
(a) ट्यूनिका
(b) कार्पस
(c) ट्यूनिका और कार्पस
(d) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर : (c) ट्यूनिका और कार्पस
प्रश्न 4 : पर्ण विन्यास कहलाता है –
(a) तने पर पुष्प व्यवस्था क्रम
(b) तने पर पत्ती व्यवस्था क्रम
(c) तने पर शाखाओं का क्रम
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर : (b) तने पर पत्ती व्यवस्था क्रम
प्रश्न 5 : विषमपर्णता पायी जाती है –
(a) पीली कटेली
(b) मटर
(c) एलो
(d) रेननकुलस
उत्तर : (d) रेननकुलस
प्रश्न 6 : पत्ती में संवहन पूल में सबसे पहले किसका विभेदन होता है –
(a) मेटाजाइलम
(b) मेटाफ्लोयम
(c) प्रोटोजाइलम
(d) प्रोटोफ्लोयम
उत्तर : (d) प्रोटोफ्लोयम
प्रश्न 7 : बड़े थाल जैसा पर्णफलक किसमें पाया जाता है –
(a) राफिया टीडीगेरा
(b) विकटोरिया रेजिया
(c) नील्मबियम निलम्बो
(d) सेजीटेरिया
उत्तर : (b) विकटोरिया रेजिया