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पर्ण विलगन (leaf abscission in hindi) | पर्ण विलगन की परिभाषा क्या है ? विल्गन leaf abscission meaning in hindi

leaf abscission meaning in hindi (leaf abscission in hindi) पर्ण विलगन की परिभाषा क्या है ? विल्गन |

पर्ण विलगन (leaf abscission) : पौधों से पत्तियों , पुष्पों या फलों का गिर जाना अथवा अलग हो जाना एक विशेष प्रक्रिया के कारण संचालित होता है , इसे विलगन कहते है। नूरमान और वैल (1976) के अनुसार , विभिन्न पौधों , जैसे – पोपूलस , टेक्सोडियम और पेरीबिया में विलगन की प्रक्रिया के कारण न केवल पत्तियाँ , पुष्प और फल बल्कि शाखाएँ भी पौधें से अलग हो जाती है। जेरोनी और साथियों (1978) के अनुसार कोचिया इंडिका नामक पौधों में विलगन की प्रक्रिया के कारण , पौधे का सम्पूर्ण वायवीय भाग , जड से अलग हो जाता है।

काष्ठीय द्विबीजपत्री पौधों और जिम्नोस्पर्म्स की पत्तियाँ , पर्ण मृत्यु के पूर्व इनके पर्णाधार ऊतकों में होने वाले कुछ परिवर्तनों की वजह से झडती है अथवा विलगन दर्शाती है। एक पर्णपाती वृक्ष की परिपक्व पर्ण अथवा पत्ती में आधारीय सिरे पर कोशिकाओं का एक संकरा क्षेत्र दिखाई पड़ता है , इसे विलगन क्षेत्र (abscission zone) कहते है। इस क्षेत्र की कोशिकाएँ अपने आस पास वाली दूसरी कोशिकाओं से संरचनात्मक भिन्नता प्रदर्शित करती है। बाहरी तौर पर देखने से एक हल्की खाँच की उपस्थिति के द्वारा विलगन क्षेत्र की पहचान होती है , इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र की कोशिकाओं का रंग भी बाह्यत्वचा परत की तुलना में कुछ अलग होता है। इस क्षेत्र का संवहन तंत्र मुख्यतः मध्य भाग में संकेन्द्रित रहता है और इसमें दृढोतक और स्थूल कोणोतक अपेक्षाकृत अल्पविकसित होते है या पूर्णतया अनुपस्थिति होते है। विलगन क्षेत्र में कोशिकाओं की दो परतों को आसानी से विभेदित किया जा सकता है।
(1) विलगन परत (abscission layer) अथवा पृथक्करण पर्त जिसके द्वारा और जिसकी सक्रियता के कारण पत्ती का तने अथवा शाखा से विलगन होता है , और
(2) सुरक्षात्मक परत (protective layer) जो पत्ती की विलगन कोशिकाओं को सूखने से बचाने का और विलगन क्षेत्र में कवक और परजीवी और रोगकारी सूक्ष्मजीवों के प्रवेश को रोकने का कार्य करती है। विभिन्न पत्तियों के विलगन क्षेत्रों के निर्माण में पृथक्करण अथवा विलगन परत का निर्माण सामान्य विभेदन के दौरान ही हो जाता है लेकिन कुछ अन्य पौधों में पतझड़ अथवा पत्तियों के गिरने से कुछ समय पहले ही विलगन परत का निर्माण हो पाता है।

हैजमेन (1971) के अनुसार पर्ण विलगन के दौरान वैसे तो अनेक जैविक क्रियाएं संपन्न होती है परन्तु ये सभी प्रक्रियाएँ किसी एक पादप प्रजाति में पत्ती के गिरने अथवा विलगन के समय नहीं होती है।

वेब्सटर (1970) के अनुसार फेसियोलस में पर्णविलगन के समय चार प्रकार की जैविक क्रियाएँ अतिव्यापी क्रम में पायी जाती है , ये है –
(1) मज्जाकोशिकाओं का विघटन
(2) वल्कुट में कोशिका विभाजन
(3) कोशिका सुदीर्घीकरण और विभेदन और
(4) वल्कुट और संवहनी कोशिकाओं का विघटन
पुविरया (1974) के अनुसार विलगन क्षेत्र में मृदुतकी कोशिकाओं का लिग्नीकरण , वाहिकीय तत्वों में टाइलोसस का निर्माण और चालनी तत्वों में केलोस निक्षेपण भी पाया जाता है। पर्णविलगन की अंतिम प्रक्रिया में पर्णाधार कोशिकाओं की भित्तियों का एन्जाइमी अपघटन होने लगता है। यह प्रक्रिया मध्य पटलिका से केल्सीयम और पेक्टिन के विस्थापन के साथ प्रारंभ होती है और सेल्यूलोज भित्ति के अपघटन के साथ यह निरन्तर जारी रहती है। अन्त में स्क्लेरीकृत (sclerified) वाहिकीय तत्व अथवा ऊतक फट जाते है फेसी (1980) के अनुसार संवहन ऊतक की कोशिकाओं के मध्य उपस्थित मध्य पटलिककायें भी विघटित हो जाती है। सेक्सटन और हाल (1974) के अनुसार , पर्ण विलगन के उद्दीपन हेतु आवश्यक एंजाइम का स्त्राव गोल्जीकाय पुटिकाओं से हो सकता है। कुछ प्रजातियों में भौतिक प्रतिबलों के कारण जैसे – तेज हवा , तूफ़ान अथवा आँधी अथवा ओले गिरना आदि के कारण भी विलगन की प्रक्रिया होती है। कुछ हारमोन्स जैसे आक्सिन तो पर्ण विलगन को निरुद्ध करते है अथवा रोकते है लेकिन इथाइलीन जैसे कुछ हारमोन पर्ण विलगन का उद्दीपन करते है। इनके द्वारा कुछ ऐसे एंजाइम स्त्रावित होते है जो कोशिका भित्ति अपघटन में सक्रीय होते है।

प्रश्न और उत्तर

1. द्विबीजपत्री पर्ण होती है –
(अ) पृष्ठाधारी
(ब) समाद्विपारशर्वीय
(स) केन्द्रीय
(द) शल्कवत
उत्तर : (अ) पृष्ठाधारी
2. प्रेरक अथवा बुलीफ़ार्म कोशिकाएँ पायी जाती है –
(अ) जलीय पौधों में
(ब) वृक्षों में
(स) क्षुप में
(द) घास की पत्तियों में
उत्तर : (द) घास की पत्तियों में
3. पारिजात प्रकार के पर्णरन्ध्र पाए जाते है –
(अ) कुकुरबिटेसी में
(ब) मोरेसी में
(स) फेबेसी में
(द) रूटेसी में
उत्तर : (स) फेबेसी में
4. मध्यज प्रकार के पर्णरन्ध्र पाए जाते है –
(अ) फेबेसी में
(ब) मोरेसी में
(स) रूटेसी में
(द) क्रुसीपेरी में
उत्तर : (द) क्रुसीपेरी में
5. पत्तियों में ऊतक तंत्र पाए जाते है –
(अ) तीन प्रकार के
(ब) दो प्रकार के
(स) चार प्रकार के
(द) चार से अधिक
उत्तर : (अ) तीन प्रकार के
6. पत्ती का भरण ऊतक कहलाता है –
(अ) वल्कुट
(ब) क्लोरोफिल
(स) केटाकिल
(द) मिजोफिल
उत्तर : (द) मिजोफिल
7. केन्द्रिक पर्ण पायी जाती है –
(अ) आम में
(ब) बरगद में
(स) दूब में
(द) प्याज में
उत्तर : (द) प्याज में
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