(Lead accumulator battery) सीसा संचायक बैटरी , अम्ल स्टोरेज बैट्री , लैड बैटरी क्या है , उपयोग , एनोड कैथोड किस धातु का बना होता है , चित्र : यह द्वितीयक सेल प्रकार का होता है क्यूंकि इसमें विद्युत धारा का उत्पादन सेल के अन्दर नहीं होता है बल्कि इसमें बाह्य स्त्रोत से उत्पन्न विद्युत धारा को इसमें संग्रहीत किया जाता है। यह रिवर्स सेल होता है अर्थात इस सेल में जब बाह्य स्रोत का विद्युत वाहक बल का मान बैट्री या सेल के विद्युत वाहक बल से अधिक होता है तो अभिक्रिया उल्टी (विपरीत दिशा में चलने) लगती है।
अर्थात इस सेल की कुल अभिक्रिया को बिल्कुल उल्टा दिशा में क्रिया करवाया जा सकता है इसके लिए बैटरी या सेल को ऐसे बाह्य पॉवर स्रोत से जोड़ना पड़ता है जिसका विद्युत वाहक बल का मान सेल के विद्युत वाहक बल से अधिक हो।
इस प्रकार के सेल विद्युत धारा या ऊर्जा को बाह्य स्रोत की सहायता से संग्रहित करता है जिसे चार्ज होना कहते है और डिस्चार्ज की स्थिति में यह संग्रहित विद्युत ऊर्जा को सप्लाई करता है और इसलिए ही इस प्रकार के सेल या बैटरी को स्टोरेज या संचायक सेल कहा जाता है।
इस प्रकार के सेल में वोल्टेज का मान इलेक्ट्रोड के आकार पर निर्भर नहीं करता है बल्कि यह सल्फ्यूरिक अम्ल के विलयन की शक्ति (स्ट्रेंथ) पर निर्भर करता है।
इस प्रकार की बैटरियों का इस्तेमाल वाहनों आदि में किया जाता है , उपयोग में लेने के बाद जब इस प्रकार की बैट्री निरावेशित हो जाती है तो इन बैटरी को पुन: आवेशित या चार्ज किया जा सकता है इसलिए इन्हें द्वितीयक प्रकार की बैटरी की श्रेणी में रखा गया है।
सीसा संचायक बैटरी में एनोड Pb (लेड) का बना हुआ होता है , इसमें Pb-Sb की जाली होती है जिसमें बारीक चूर्णित रूप में स्पंजी लेड भरा हुआ रहता है।
इस बैट्री में कैथोड के रूप Pb-Sb की जाली में PbO2 का बारीक चूर्ण भरा हुआ रहता है।
इस प्रकार कैथोड और एनोड की प्लेट बनी हुई रहती है , इस प्रकार की बैटरी में एनोड और कैथोड की ये अनेको प्लेट एकांतर क्रम में व्यवस्थित रहती है जैसा चित्र में दर्शाया गया है –
अर्थात इस सेल की कुल अभिक्रिया को बिल्कुल उल्टा दिशा में क्रिया करवाया जा सकता है इसके लिए बैटरी या सेल को ऐसे बाह्य पॉवर स्रोत से जोड़ना पड़ता है जिसका विद्युत वाहक बल का मान सेल के विद्युत वाहक बल से अधिक हो।
इस प्रकार के सेल विद्युत धारा या ऊर्जा को बाह्य स्रोत की सहायता से संग्रहित करता है जिसे चार्ज होना कहते है और डिस्चार्ज की स्थिति में यह संग्रहित विद्युत ऊर्जा को सप्लाई करता है और इसलिए ही इस प्रकार के सेल या बैटरी को स्टोरेज या संचायक सेल कहा जाता है।
इस प्रकार के सेल में वोल्टेज का मान इलेक्ट्रोड के आकार पर निर्भर नहीं करता है बल्कि यह सल्फ्यूरिक अम्ल के विलयन की शक्ति (स्ट्रेंथ) पर निर्भर करता है।
इस प्रकार की बैटरियों का इस्तेमाल वाहनों आदि में किया जाता है , उपयोग में लेने के बाद जब इस प्रकार की बैट्री निरावेशित हो जाती है तो इन बैटरी को पुन: आवेशित या चार्ज किया जा सकता है इसलिए इन्हें द्वितीयक प्रकार की बैटरी की श्रेणी में रखा गया है।
सीसा संचायक बैटरी में एनोड Pb (लेड) का बना हुआ होता है , इसमें Pb-Sb की जाली होती है जिसमें बारीक चूर्णित रूप में स्पंजी लेड भरा हुआ रहता है।
इस बैट्री में कैथोड के रूप Pb-Sb की जाली में PbO2 का बारीक चूर्ण भरा हुआ रहता है।
इस प्रकार कैथोड और एनोड की प्लेट बनी हुई रहती है , इस प्रकार की बैटरी में एनोड और कैथोड की ये अनेको प्लेट एकांतर क्रम में व्यवस्थित रहती है जैसा चित्र में दर्शाया गया है –
इनको पृथक करने के लिए ग्लास की शिट लगी हुई रहती है , कैथोड और एनोड की ये सभी प्लेट एकांतर क्रम में H2SO4 में डूबी हुई रहती है , इसके चारों ओर का पात्र प्लास्टिक आदि शख्त पदार्थ का बना हुआ रहता है , इस प्रकार की बैटरी में H2SO4 विद्युत अपघट्य के समान कार्य करता है।
सीसा संचायक बैटरी की कार्य विधि या अभिक्रिया
जब बैट्री कार्य करना शुरू करती है अर्थात संग्रहित विद्युत को देना शुरू करती है तो यह डिस्चार्ज होना शुरू हो जाती है इस स्थिति में बैट्री में लेड की प्लेट पर ऑक्सीकरण होना शुरू हो जाता है अर्थात एनोड पर ऑक्सीकरण शुरू हो जाता है तथा लेड ऑक्साइड की प्लेट पर अपचयन होना शुरू हो जाता है अर्थात इस बैट्री में निम्न अभिक्रिया शुरू हो जाती है –
एनोड पर निम्न अभिक्रिया होती है –
कैथोड पर निम्न अभिक्रिया होती है –
जब यह बैटरी विद्युत देता है या डिस्चार्ज होता है उस स्थिति में इसमें H2SO4 समाप्त होता जाता है जिसके कारण बैट्री का घनत्व कम होने लगता है और जब बैटरी का घनत्व 1.2 cm-3 हो जाता है उस स्थिति में बैट्री को पुन: चार्ज करने की आवश्यकता होती है।
जब बैट्री डिस्चार्ज हो जाती है तो इसे पुन: चार्ज करने के लिए इसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है अर्थात बैट्री को बाह्य विद्युत धारा स्रोत द्वारा जोड़ दिया जाता है , इस स्थिति में बैटरी में पहले के विपरीत अभिक्रिया निम्न होती है , बैटरी में चार्ज होते समय निम्न अभिक्रिया संपन्न होती है –
कैथोड पर –
एनोड पर –
चार्ज होते समय बैट्री में कुल क्रिया निम्न है –