हिंदी माध्यम नोट्स
परावर्तन के नियम , laws of reflection of light in hindi , फोकस दूरी , द्वारक , गोलीय दर्पण से प्रकाश का परावर्तन
फोकस दूरी
गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा फोकस बिन्दु के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं। फोकस दूरी को अक्षर ‘f’′ से निरूपित किया जाता है।
फोकस दूरी गोलीय दर्पण के वक्रता त्रिज्या के आधे के बराबर होता है या गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी की दो गुना होती है
R=2f
द्वारक =
गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की वृत्ताकार सीमारेखा का व्यास दर्पण का द्वारक कहलाता है।
अनंत से आती हुई प्रकाश की सभी किरणें परावर्तन के बाद दर्पण के फोकस बिंदु पर मिलती है।
1.परावर्तन के नियम के अनुसार आपतन कोण i , परावर्तन कोण r के बराबर होता है। यहाँ पर भी आपतन कोण i , परावर्तन कोण r के बराबर होता है। यहाँ पर DC आपतन बिन्दु D पर अभिलम्ब है।
2.मुख्य अक्ष के समानांतर आने वाली प्रकाश की सभी किरणें, अवतल दर्पण से परावर्तन के पश्चात या टकराने के बाद , गोलीय दर्पण के फोकस बिंदु पर अभिसरित (केन्द्रित) होती है, इसी वजह से अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण भी कहा जाता है।
अनंत से आने वाली प्रकाश की किरणों का उत्तल दर्पण की सतह से परावर्तन
मुख्य अक्ष के समानांतर अनंत से आती हुई प्रकाश की किरण उत्तल गोलीय दर्पण पर टकराती है या परावर्तन के पश्चात गोलीय दर्पण के मुख्य फोकस बिन्दु पर अपसरित होती हुई प्रतीत होती है।
मुख्य अक्ष के समानांतर आने वाली प्रकाश की सभी किरणें, उत्तल दर्पण से परावर्तन के पश्चात, गोलीय दर्पण के फोकस बिंदु से अपसरित (निकलती) होती हुई प्रतीत होती है, अत: उत्तल दर्पण को अपसारी दर्पण भी कहा जाता है।
अवतल दर्पण के मुख्य फोकस से गुजरने वाली किरण का परावर्तन
गोलीय अवतल दर्पण के फोकस बिंदु से गुजरने वाली प्रकाश की किरणे अवतल दर्पण के परावर्तक पृष्ठ से परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समानांतर निकलती है या जाती है।
अवतल दर्पण के मुख्य फोकस से गुजरने वाली किरण का परावर्तन
अनंत से आती हुई प्रकाश की किरणे , जो की मुख्य अक्ष के समानांतर होती हैं का परावर्तन उसके मुख्य फोकस बिंदु से गुजरने वाली प्रकाश की किरणे के परावर्तन का बिल्कुल उल्टा होता है।
उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस की ओर निर्देशित किरण का परावर्तन
उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस की ओर निर्देशित प्रकाश की किरणे दर्पण के परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समानांतर लौट जाती है।
वक्रता केन्द्र की दिशा में आती हुई प्रकाश की किरण का अवतल दर्पण से परावर्तन
वक्रता केन्द्र से गुजरने वाली प्रकाश की किरणे गोलीय दर्पण से परावर्तन के बाद वापस उसी दिशा में लौट जाती है।
वक्रता केन्द्र की निर्देशित प्रकाश की किरण का उत्तल दर्पण से परावर्तन
वक्रता केन्द्र की निर्देशित प्रकाश की किरण का उत्तल दर्पण से परावर्तन के पश्चात समान मार्ग पर उल्टी दिशा में लौट जाती है।
मुख्य अक्ष से तिर्यक दिशा में आपतित किरण का अवतल दर्पण से परावर्तन
मुख्य अक्ष से तिर्यक दिशा में आपतित किरण या दर्पण के धुव से परावर्तन के बाद तिर्यक दिशा में ही मुख्य अक्ष से समान कोण बनाते हुए परावर्तित होती है।
आपतित तथा परावर्तित किरणें आपतन बिन्दु पर मुख्य अक्ष से समान कोण बनाते हुए परावर्तन के नियमों का पालन करती हैं।
मुख्य अक्ष से तिर्यक दिशा में आपतित किरण का उत्तल दर्पण से परावर्तन
मुख्य अक्ष से तिर्यक दिशा में ही दर्पण के ध्रुव पर आपतित किरण का उत्तल दर्पण से परावर्तन के पश्चात तिर्यक दिशा में ही मुख्य अक्ष से समान कोण (r) बनाते हुए परावर्तित होती है।
मुख्य अक्ष से तिर्यक दिशा में आपतित किरण का उत्तल दर्पण से परावर्तन
प्रकाश की किरणें किसी भी तरह के परावर्तक पृष्ठ से परावर्तन के बाद परावर्तन के नियमों का पालन करती है, सभी स्थितियों में आपतन कोण (i) , परावर्तन कोण (r) के बराबर होता हैं।
वास्तविक प्रतिबिम्ब : प्रतिबिम्ब जिसे पर्दे पर उतारा जा सकता है, को वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं। वास्तविक प्रतिबिम्ब हमेशा दर्पण के सामने की ओर बनता है। यह उत्तल और अवतल दर्पण दोनों में बनता है।
आभासी प्रतिबिम्ब : प्रतिबिम्ब जिसे पर्दे पर नहीं उतारा जा सकता है, को आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं। आभासी प्रतिबिम्ब हमेशा दर्पण के पीछे बनता है। यह केवल उतल दर्पण में ही बनता है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…