घुटने की संधि क्या है knee joint are which type of joint in hindi घुटने की संधि का नाम कहलाती है हिंज संधि क्या है

knee joint are which type of joint in hindi घुटने की संधि का नाम कहलाती है हिंज संधि क्या है घुटने की संधि क्या है ?

घुटने की संधि = Hinge joint (हिंज संधि) कहते हैं | 

सायनोवियल संधि छ: प्रकार की होती है

  • कन्दुक – खल्लिका संधि : यह अस्थि कन्दुक जैसा सिर बनाती है जो कि एक सॉकेट में फिट हो जाता है जो अन्य अस्थि द्वारा बनाया जाता है | सिर युक्त यह अस्थि सभी दिशाओं में गति कर सकती है | कंधे की संधि और कुल्हे की संधि इस प्रकार का उदाहरण है |
  • Hinge joint : यह संधि केवल एक ही तल में गति होने देती है | घुटने की संधि , कोहनी की संधि टखने की संधि और अँगुलियों की बीच संधि |
  • Angular , Ellipsoid or condyloid joint : यह दो दिशाओं में गति करने देता है | g. कलाई और मेटाकार्पो फेलेंजियल संधि साइड टू साइड , back to front .
  • विसर्पी संधि (gliding joint) : यह संधि दो अस्थियों की एक दूसरे के ऊपर sliding गति होने देता है | यह संधि जायगैपोफाइसिस के मध्य , यह कलाई में कार्पल्स के मध्य और टखनों में टार्सल के मध्य और स्टर्नम और क्लेविकल के बीच की संधि इसी प्रकार की है |
  • Pivot joint (खूंटीदार) : यह संधि एक अस्थि की दूसरी पर केवल एक घूर्णन गति होने देता है जो नियत हो जाती है | एटलस और एक्सिस के मध्य की संधि इसी प्रकार की होती है |
  • Saddle joint : यह संधि कन्दुक खल्लिका संधि से समानता दर्शाती है लेकिन दोनों कन्दुक और खल्लिका कम विकसित होती है | मानव के अंगूठे की मेटाकार्पल के मध्य की संधि और सम्बन्धित कार्पल्स भी इसी प्रकार की होती है |

Texture के आधार पर अस्थियों का वर्गीकरण :

  • स्पंजी अस्थि (कैन्सीलस अथवा कैन्सीलेट अथवा ट्रेबीक्यूलर अस्थि) : यह हल्के वजन की अस्थि है जिसकी मैट्रिक्स विभिन्न पतली , वक्रीय अन्त: सेंटिक्स प्लेट , विभिन्न आकार की नलिकाओं जिन्हें Trabeculaeकहते हैं , के द्वारा बनी होती है | ये बड़ा सतही क्षेत्रफल प्रदान करती है जो कि एण्डोस्टियम द्वारा आवरित होती है | Trabeculaeके मध्य का अवकाश लाल अस्थि मज्जा युक्त होता है | Trabeculaeके अन्दर मैट्रिक्स लैमिली के रूप में होती है और अनियमित होती है | सामान्यता Trabecular सतह के समान्तर होती है | आंतरिक आपूर्ति चैनल trabeculaeके अन्दर उपस्थित नहीं होते | पोषण सीधा ही एन्डोस्टियम से लैक्यूनी में कैनालिकुली द्वारा विसरित होता है | कैन्सीलस अस्थि लम्बी अस्थियों की एपिफाइसिस और मेटाफाइसिस के अन्दर पायी जाती है | इस प्रकार की अस्थि दोनों compact &cancellous part रखती है जिसे diploic bone कहते हैं |
  • Compact bone (periosteal bone ; dense bone , Ivory bone) : ये वो अस्थि है जिसमें संकरी आपूर्ति चैनल और यदि उपस्थित हो तो एक केन्द्रीय मज्जा गुहा को छोड़कर बाहर से अन्दर तक नियमित मैट्रिक्स पायी जाती है | मैट्रिक्स लैमीली में होती है | लैमिली तीन प्रकार की होती है | circumferential , Interstitial और concentric . मज्जा गुहा यदि उपस्थित हो तो सामान्यत: वसायुक्त पीली मज्जा से भरी होती है | संयोजी अस्थि सभी अस्थियों के बाहरी भाग में पायी जाती है | यह बाह्य रूप से साफ्ट अथवा लम्बी अस्थियों के डायफाइसियल भाग , क्लेविकल , स्कैपुला , इन्नोमिनेट , भाग और टांग की अस्थियों में उपस्थित होती है |

Compact and spongy bones मेंविभेद

Compact bone Spongy bone
1.    सघन होती है | स्पंजी होती है |
2.    मैट्रिक्स नियमित मैट्रिक्स अनियमित , ट्रेबीक्यूली के रूप में होती है |
3.    भारी होती है | हल्के वजन की होती है |
4.    अधिक तनाव सहन नहीं कर सकती | अधिक तनाव सहन करने के लिए विशिष्टीकृत होती है |
5.    हेवरसियन तंत्र उपस्थित | हेवरसियन तंत्र छोटा
6.    लैमिली नियमित होती है | लैमिली अनियमित होती है |
7.    लैमिली तीन प्रकार की होती है

परिवलयपरिधीय , अंतरकोशिकीय , संकेन्द्रीय

यहाँ इस प्रकार का विभेदन नहीं होता
8.    मैट्रिक्स वेस्कुलर होता है | वेस्कुलेराइजेशन कम होता है |
9.    केन्द्रीय मज्जा गुहा उपस्थित हो सकती है | अनुपस्थित होती है |