खजुराहो का मंदिर किसने बनवाया था , khajuraho temple built by in hindi which king dynasty

khajuraho temple built by in hindi which king dynasty खजुराहो का मंदिर किसने बनवाया था ?

खजुराहोः मध्य प्रदेश स्थित खजुराहो 950 से 1050 ईसवी में चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा किया गया था। 950 से 1050 ईसवी के मध्य लगभग 85 मंदिरों का निर्माण किया गया था, लेकिन अब यहां केवल 25 मंदिर ही शेष हैं। इन मंदिरों का निर्माण पन्ना के हल्के बलुआ पत्थर से किया गया है, जो गुलाबी से लेकर हल्के पीले रंग के हैं तथा कुछ में ग्रेनाइट का प्रयोग भी किया गया है।
यहां निर्मित अधिकतर मंदिर शक्ति को समर्पित हैं। खजुराहो स्थित मंदिरों को तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है पश्चिमी, पूर्वी तथा दक्षिणी। इन मंदिरों में पश्चिमी समूह के मंदिर तथा उद्यान श्रेष्ठ हैं। यहां स्थित लगभग सभी मंदिरों में पश्चिमी समूह के मंदिर तथा उद्यान श्रेष्ठ हैं। पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख मंदिर हैं वरहा मंदिर (900-925), लक्ष्मण मंदिर (950), कंदरिया महादेव मंदिर (1025-50), जगदम्बरी मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वनाथ मंदिर। पूर्वी क्षेत्र के प्रमुख मंदिर हैं गहनताई (10वीं शताब्दी), ज्वारी मंदिर (11वीं शताब्दी), वमाना मंदिर (11वीं शताब्दी), ब्रह्मा मंदिर (10वीं शताब्दी), जैन मंदिर, पारसवनाथ मंदिर (10वीं शताब्दी में निर्मित यह सबसे बड़े मंदिरों में से एक है), आदिनाथ मंदिर (11वीं शताब्दी) शांतिनाथ मंदिर तथा यहां एक छोटा जैन संग्रहालय एवं तस्वीर दीर्घा भी है। दक्षिणी समूह के प्रमुख मंदिर हैं दुलादेव मंदिर (12वीं शताब्दी) तथा छत्तरभुज मंदिर (1100)।
गंगोत्रीः उत्तराखंड में ऋषिकेश से 248 किलोमीटर दूर 3,140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री गढ़वाल हिमालय का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। 18वीं शताब्दी के शैल निर्मित मंदिर यहां की प्रमुख विशेषता है। ऐसी मान्यता है कि गंगा इसी स्थान से पृथ्वी पर उतरी थी। उत्तरकाशी से 55 किलोमीटर दूर गंगापानी में ऋषिकुण्ड में गर्म पानी के झरने हैं। यहीं पर 15वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है। गंगोत्री से 14 किलोमीटर दूर स्थित भोजबासा (3,500 मीटर) एवं गौमुख (3970 मीटर) प्राकृतिक सौन्दर्य को अपने में समेटे हुए हैं। गौमुख ही वर्तमान भागीरथी नदी का उदगम् स्थल है। यहां साधुओं द्वारा स्थापित दो आश्रम भी हैं, जहां साधु वर्ष भर निवास करते हैं।
गयाः बिहार स्थित गया में एक मान्यता के अनुसार विष्णु ने इस नगरी को सभी अस्थायी पापों को समाहित कर लेने की शक्ति प्रदान की है। गया की प्रसिद्धि का आधार यहां निर्मित अनेक प्राचीन मंदिर हैं। गया अनेक बौद्ध विहारों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां निर्मित विष्णुपद मंदिर का निर्माण विष्णु के चरणों की छाप पर किया गया है। 30 मीटर ऊंचे इस मंदिर में सुंदर नक्काशी किए गए आठ स्तंभ हैं।
चित्तौड़गढ़ः राजस्थान में अजमेर से 152 किलोमीटर दक्षिण में तथा उदयपुर से 112 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित चित्तौड़गढ़ अपने ऐतिहासिक दुग्र के लिए प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ राजस्थान के प्राचीनतम नगरों में से एक है तथा इसकी स्थापना बापू रावल ने 728 में की थी। यह दुग्र समुद्र तल से लगभग 152 मीटर ऊंचाई पर दक्षिण से उत्तर तक लगभग 6 वग्र किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। इस दुग्र में भव्य राजमहल, मंदिर एवं कुण्ड भी हैं। यहां स्थित विजय स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भ ने करवाया था, यह स्तम्भ 47 वग्र फीट आधार पर स्थित है। जो 30 फीट चैड़ा और 122 फीट ऊंचा है। यहां स्थित कीर्ति स्तम्भ जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। कीर्ति स्तम्भ अपने आधार पर 35 फीट व्यास तथा 75 फीट ऊंचाई लिये है।
चिदम्बरमः तमिलनाडु स्थित चिदम्बरम 907 से 1310 ईसवी तक चोलाओं की राजधानी थी। चिदम्बरम एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ तमिल कवियों एवं संतों का भी निवास स्थान रहा है। चिदम्बरम के आकर्षण का प्रमुख केंद्र यहां स्थत नटराज मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण हिर.य वर्ण चक्रवाती ने करवाया था। मंदिर के परिसर में स्थित प्रमुख स्थल हैं सुब्रह्म.यम मंदिर, नवग्रह पूजा स्थल, शिवगंगा जलाशय, शिवकुमासुंदरी मंदिर, राजसभा, देवसभा, गोविंदराज पूजा स्थल, नृत्य सभा तथा गणेश पूजा स्थल आदि। चिदम्बरम से 15 किलोमीटर दूर स्थित पिछावरम मैंैंगंग्र्रावेव भारत के समृद्धतम वनों में से है।
चित्रकूटः मध्य प्रदेश स्थित चित्रकूट विंध्य-पहाड़ियों के उत्तर में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि राम और सीता ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान यहां 11 वर्ष व्यतीत किए थे। चित्रकूट में मंदाकिनी नदी पर बना रामघाट अनेक श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदाकिनी नदी के किनारे बनाये गये अनेक मंदिर दर्शनीय हैं। जागकी कुंड एक अन्य प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। चित्रकूट से 18 किलोमीटर दूर स्थित महोबा (उत्तर प्रदेश) ‘राम कुंड झील’, मदन सागर, विजय सागर, कल्याण एवं किरत सागर आदि भी दर्शनीय हैं। चरखारी स्थित पहाड़ी किला तीन ओर से पानी से घिरा है।
चित्रदुग्रः कर्नाटक स्थित चित्रदुग्र ग्रेनाइट पहाड़ियों की गोद में अवस्थित है। चित्रदुग्र स्थित ‘सात घेरों के किले’ का निर्माण नायक पोलीगार ने 17वीं शताब्दी में करवाया था। टीपू सुल्तान ने यहां एक महल, मस्जिद तथा तेल कुंओं का निर्माण करवाया। यहां एक गुफा, मंदिर सहित 14 मंदिर हैं। हिडिम्बेश्वर यहां स्थित प्राचीनतम मंदिर है।
जयपुरः राजस्थान की राजधानी जयपुर की स्थापना 1727 में सवाई राजा जयसिंह ने की थी। जयपुर अपनी नगर-निर्माण योजना के लिए विख्यात है, इसके मुख्य शिल्पी श्री विद्याधर थे। यहां स्थित हवा महल पांच मंजिलों वाला गोल एवं झरोखों तथा खिड़कियों की एकरूपता युक्त पिरामिडनुमा इमारत है, जो भारत में स्थापत्य कला एक उदाहरण है। जयपुर से 11 किलोमीटर उत्तर-पूर्व
में स्थित आमेर के महल माओटा झील के किनारे पहाड़ी पर निर्मित हैं। आमेर के राजमहल के प्रवेश द्वार पर स्थित गणपति की मूर्ति, महलों में दीवान-ए-खास तथा जयमंदिर कला के उत्कृष्ट प्रतीक हैं। आमेर की प्रसिद्ध का आधार 150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जयगढ़ किला है। जयपुर स्थित जंतर मंतर मुबारक महल के बाहरी प्रांगण में स्थित है। सम्राट यंत्र, जयप्रकाश, राम यंत्र, राशिवलय यंत्र, कपाली यंत्र तथा क्रांति यंत्र आदि वेधशाला के प्रमुख यंत्र हैं। राजमहल सिटी पैलेस महल जयपुर के प्राचीन नगर के 1/7 भाग पर विस्तृत है। इस महल में प्रवेश हेतु सात द्वार हैं। संगमरमर की बारीक नक्काशी से बना महल का बाहरी भाग अत्यंत सुंदर है। सिटी पैलेस के दीवान-ए-खास के उत्तरी-पश्चिमी पाश्र्व में स्थित चंद्रमहल राजपूत शिल्पकला का विशिष्ट उदाहरण है।
जयपुर से 13 किलोमीटर दक्षिण में स्थित सांगनेर 11वीं शताब्दी के प्राचीन संघीजी के जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। नाहरगढ़ किले की तलहटी में जहां जयपुर के दिवंगत राजाओं की छतरियां निर्मित हैं, उस स्थल को ‘गैटोर’ कहते हैं। नगर के उत्तर पश्चिम में स्थित नाहरगढ़ दुग्र में हवा मंदिर एवं माधवेन्द्र भवन स्थापत्य कला के सुंदर उदाहरण हैं। राम निवास बाग तथा विद्याधर बाग जयपुर स्थित प्रमुख उद्यान हैं।
जूनागढ़ः गुजरात स्थित जूनागढ़ दूसरी से चैथी शताब्दी तक क्षत्रप शासकों के अधीन गुजरात की राजधानी थी। जूनागढ़ स्थित अपरकोट दुग्र, जामा मस्जिद, नवगहन कुंआ (1060), बौद्ध गुफा विहार, अशोक शिलालेख, बाहा-उद-दिन-भर का मकबरा, नवाब महल आदि दर्शनीय हैं। जूनागढ़ से कुछ दूर स्थित विलिंगडन बांध (1936) तथा गिरनार पहाड़ी भी दर्शनीय हैं। जूनागढ़ के समीप स्थित नेमीनाथ (1128) तथा मल्लीनाथ (1231) 19वें जैन तीर्थंकर को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर हैं।
जैसलमेरः राजस्थान के थार मरुस्थल में स्थित जैसलमेर एक जिला-नगर है। इसकी स्थापना राव जैसल ने 1156 में की थी। यहां स्थित जैसलमेर दुग्र राजस्थान का प्राचीनतम दुग्र है। इस दुग्र में विलास महल, रंग महल, राज विलास तथा मोती महल की चित्रकारी तथा शिल्प नक्काशी उत्कृष्ट है। जैसलमेर स्थित पटुओं की हवेली, नथमल की हवेली तथा दीवान जालिमसिंह की हवेली आदि भी अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं।
जोधपुरः यह राजस्थान में लूनी नदी के उत्तर में स्थित है। इसकी स्थापना 1459 में राठौर सरदार राव जोधा ने की थी। यहां स्थित बालसमंद झील अपने महल तथा उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित मेहरनगढ़ दुग्र राजस्थान के प्रख्यात दुर्गों में से एक है। यहां चामु.डा देवी का मंदिर, चित्रशाला तथा प्राचीन ग्रंथों का पुस्तकालय भी है। जोधपुर के प्राचीन राजाओं की छतरियां एवं देवालय मण्डोर में निर्मित हैं। महाराजा अजीत सिंह की छतरी जोधपुर शिल्पकला का सुंदर नमूना है। मण्डोर स्थित उद्यान में ‘वीरों की गैलरी’ बनी है, जिनमें सोलह आदमकद प्रतिमाएं बनी हैं जो पर्यटकों को अधिक आकर्षित करती हैं। छीतर झील के पास स्थित उम्भेद भवन बालू पत्थर से निर्मित आधुनिक वास्तुकला का अद्वितीय नमूना है। जोधपुर शहर से 65 किलोमीटर दूर स्थित औसियां वैणव तथा जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित जैन मंदिर कला की दृष्टि से अद्वितीय हैं। यहां स्थित हरिहर के तीन मंदिर खजुराहो के समान प्रसिद्ध हैं।
जौनपुरः उत्तर प्रदेश में वाराणसी से 58 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में स्थित जौनपुर क्षेत्रीय इस्लामी वास्तुकला (14वीं-18वीं शताब्दी) का प्रमुख केंद्र है। जौनपुर की स्थापना फिरोजशाह ने 1360 में की थी। एक समय में शरकी वंश की राजधानी रहे जौनपुर में आज मकबरों के केवल अवशेष ही शेष हैं। 1564-68 में निर्मित अकबरी सेतु (200 मीटर) का निर्माण अफगान वास्तुकार अफजल अली ने किया था। अकबरी सेतु के उत्तर में स्थित किले में जौनपुर की प्राचीनतम मस्जिद (1377) है। वर्तमान में शेष सबसे प्रमुख मस्जिद अटाला है, जो कि किले से 400 मीटर उत्तर में अवस्थित है। यहीं पर 1408 में हिंदू अटाला देवी मंदिर का निर्माण किया गया है।
झांसीः उत्तर प्रदेश स्थित झांसी का महत्व अपने ऐतिहासिक किलों, रानी लक्ष्मीबाई तथा 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका के लिए है। झांसी में निर्मित किले के निर्माण का श्रेय बीर सिंह देव को है। किसी समय में लक्ष्मीबाई का निवास रहा रानी महल वर्तमान में एक संग्रहालय है। झांसी से 19 किलोमीटर दूर स्थित ओरछा अपने तीन ऐतिहासिक महलों के लिए प्रसिद्ध है। ओरछा स्थित प्रसिद्ध स्थलों में सम्मिलित हैं राजमहल, राय परवीन महल, जहांगीर महल, राम राजा मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, फूल बाग,शहीद स्मारक, शाही छतरियां आदि।
तंजावुर (तंजौर)ः तमिलनाडु स्थित तंजौर चोल राज्य की राजधानी थी। तंजौर स्थित 93 मंदिरों में से अधिकतर के निर्माण का श्रेय चोल राजाओं को ही है। यहां स्थित प्रसिद्ध वृहदेश्वर मंदिर का निर्माण राजराजा-I ने करवाया था, जिसकी विशेषता है कि इसकी छाया कभी जमीन पर नहीं पड़ती। तंजौर स्थित महल एवं शिवगंगा जलाशय के समीप स्थित वाट्र्ज चर्च भी दर्शनीय स्थल हैं। जनवरी माह में आयोजित त्यागराज संगीत उत्सव भी विशेष रूप से दर्शनीय है।
तिरुचिलापल्लीः तिरुचिलापल्ली स्थित प्रमुख दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं 1660 में निमिर्त 84 मीटर ऊंचा शैल किला, विनायक मंदिर, तयुमनस्वामी मंदिर, तेपाकुलम, नादिरशाह मस्जिद। त्रिचि से 3 किलोमीटर दूर स्थित श्रीरंगम श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। विष्णु को समर्पित मंदिरों में श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर का विशेष स्थान है। तिरुवनाइकवल स्थित सात गोपुरमों से निर्मित जम्बूकेश्वर मंदिर तथा शिव मंदिर दर्शनीय हैं। तिरुचिलापल्ली के समीप स्थित तिरुथाना, तुर्राईए, तिरुवेल्ेल्लारी तथा करूर में निर्मित ऐतिहासिक चोल एवं पल्लव मंदिर दर्शनीय हैं।
तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंदम)ः 1750 में त्रावणकारे की राजधानी तिरुवनतं पुर म वर्तमान में केरल राज्य की राजधानी है। तिरुवनंतपुरम स्थित प्रसिद्ध मंदिरों, महलों तथा गिरजा घरों में सम्मिलित हैं श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, क्राइस्ट चर्च तथा कानककुनु महल। शंकंकुमुखम तिरुवनंतपुरम स्थित प्रसिद्ध समुद्र तट है। शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित वेली पर्यटक ग्राम में स्थित झील में नौकायन का आनंद लिया जा सकता है। तिरुवनंतपुरम से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम घाट की गोद में स्थित नय्यर वन्यजीव अभयारण्य, नय्यर बांध तथा 23 वग्र किलोमीटर क्षेत्र में फैला अगत्स्य वनम जैविक उद्यान आदि भी दर्शनीय स्थल हैं। शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित मुकुनी पहाड़ी मंे चाय के बाग हैं। पोनमुडी तिरुवनंतपुरम के समीप स्थित प्रसिद्ध पहाड़ी स्थल है। तिरुवनतंपुरम स्थित प्रसिद्ध संग्रहाल हंै नेपियार संग्रहालय, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, श्री चित्रा कला दीर्घा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संग्रहालय आदि।