केल्विन प्लांक का कथन , क्लासियस का कथन , kelvin planck statement and clausius statement in hindi

kelvin planck statement and clausius statement in hindi , केल्विन प्लांक का कथन , क्लासियस का कथन क्या है , ऊष्मागतिकी या ऊष्केमा के सन्दर्भ में कथन या स्टेटमेंट  :-

कार्नो का इंजन :  सन 1824 में कार्नो नामक वैज्ञानिक ने विभिन्न उत्क्रमणीय प्रक्रमो पर आधारित एक ऐसे ऊष्मीय इंजन की कल्पना की जिसके द्वारा सम्पूर्ण उष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जा सके। 

अर्थात कार्नो ने दक्षता 100% प्राप्त करने का प्रयास किया।

कार्नो इंजन के निम्न चार भाग होते है –

  1. ऊष्मा स्रोत
  2. स्टैंड
  3. कार्यकारी / क्रियाकारी पदार्थ
  4. सिंक
  5. ऊष्मा स्रोत: ऊष्मा स्रोत एक उच्च ताप वाली वस्तु होती है जिसका नियत ताप T1K होता है , ऊष्मा स्रोत की ऊष्माधारिता उच्च होनी चाहिए ताकि ताप में कोई परिवर्तन नहीं हो। उष्मीय इंजन , ऊष्मा स्रोत से ऊष्मा ग्रहण करता है।
  6. स्टैंड: स्टैंड एक ऐसी वस्तु होती है जिसके ऊपर कार्यकारी पदार्थ को रख करके रुदोष्म प्रक्रम से गुजारा जाता है।
  7. सिंक: सिंक निम्न ताप वाली वस्तु होती है जिसका नियत ताप T2Kहोता है। सिंक की ऊष्मा धारिता भी उच्च होनी चाहिए।

कार्नो चक्र :

ऊष्मीय इंजन विभिन्न उत्क्रमणीय प्रक्रमों से होता हुआ एक चक्रीय प्रक्रम से गुजरता है जिसे कार्नो चक्र कहते है , कार्नो चक्र के निम्न भाग होते है।

  1. समतापीय प्रसार
  2. रुदोष्म प्रसार
  3. समतापीय संपीडन
  4. रुदोष्म संपीडन
  5. समतापीय प्रसार: सबसे पहले कार्यकारी या क्रियाकारी पदार्थ को ऊष्मा स्रोत पर रखा जाता है जिसके कारण निकाय में समतापीय प्रसार होता है।

अत: समतापीय प्रसार में किया गया कार्य –

W1 = 2.303 RT1log10(V2/V1)  समीकरण-1

  1. रुदोष्म प्रसार: जब कार्यकारी पदार्थ को ऊष्मा स्रोत से स्टैंड पर रखा जाता है तो निकाय में रुदोष्म प्रसार होता है। अत: रुदोष्म प्रसार के दौरान किया गया कार्य

W2 = (R/1-r)[T2 – T1]  समीकरण-2

  1. समतापीय संपीडन: जब कार्यकारी पदार्थ को स्टैंड से सिंक पर रखा जाता है तो निकाय में समतापीय संपीडन होता है अत: समतापीय संपीडन के दौरान किया गया आर्य –

W3 = -2.303 RT2log10(V3/V4)  समीकरण-3

  1. रुदोष्म संपीडन: जब कार्यकारी पदार्थ को सिंक से स्टैंड पर रखा जाता है तो निकाय में रुदोष्म संपीडन होता है अत:

रुदोष्म संपीडन के दौरान किया गया कार्य –

W4 = (R/1-r)[T2 – T1]

W4 = -R/1-r[T1 – T2] समीकरण-4

कार्नो चक्र के दौरान किया गया कार्य –

W = W1 + W2 + W3 + W4   समीकरण-5

W = 2.303 RT1log10(V2/V1 + (R/1-r)[T2 – T1] -2.303 RT2log10(V3/V4) -R/1-r[T1 – T2]

हल करने पर –

W = 2.303 RT1 log10V2/V1 – 2.303 RT2log10V3/V4

W = 2.303 R [T1log10V2/V1 – T2log10V3/V4]  समीकरण-6

रुदोष्म समीकरण से –

T Vr = T Vr-1

बिंदु B व C पर –

T1V2r-1 = T2V3r-1

T1/T2 = (V3/V2)r-1   समीकरण-7

बिंदु D व A पर –

T2V4r-1 = T1V1r-1

T1/T2 = (V4/V1)r-1  समीकरण-8

समीकरण 7 और समीकरण 8 से –

(V3/V1)r-1 = (V4/V1)r-1

V3/V2 = V4/V1

V3/V1 = V2/V1

समीकरण-6 से –

W = 2.303R [T1log10V2/V1 – T2log10V2/V1]

W = 2.303R log10V2/V1[T1 – T2]

कार्नो इंजनकी दक्षता –

n = w/w1

n = {2.303R log10V2/V1[T1 – T2]}/{2.303 RT1log10V2/V1}

n = [T1 – T2]/T1

n = T1/T1 – T2/T1

n = 1-T2/T1

ऊष्मागतिकी का द्वितीय (दूसरा नियम)

ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम किसी क्रिया के होने या न होने की जानकारी देता है। ऊष्मा गतिकी के द्वितीय नियम को निम्न दो कथनों के रूप में पढ़ा जाता है –

  1. केल्विन प्लांक का कथन
  2. क्लासियस का कथन
  3. केल्विन प्लांक का कथन: केल्विन प्लांक ने बताया कि किसी भी उष्मीय इंजन के द्वारा ऊष्मीय ऊर्जा को पूर्ण रूप से यांत्रिक ऊर्जा में नहीं बदला जा सकता अर्थात ऊष्मीय इंजन की दक्षता 100% नहीं होती है अत: ऊष्मीय इंजन में सिंक का होना आवश्यक है।
  4. क्लासियस का कथन: इस कथन के अनुसार उष्मा का निम्न ताप से उच्च ताप की ओर स्वत: प्रवाह संभव नहीं है अत: ऊष्मा प्रवाह के लिए निकाय पर बाह्य कार्य किया जाता है।