अन्तराहैलोजन यौगिक (interhalogen compounds in hindi) , गुण , बनाने की विधियाँ

(interhalogen compounds in hindi) अन्तराहैलोजन यौगिक : जब दो अलग अलग हैलोजन परमाणु आपस में एक दुसरे के साथ अभिक्रिया करते है तो इस प्रकार बने यौगिक को अंतरा हैलोजन यौगिक कहते है अत: इनमें दो हैलोजन यौगिक उपस्थित रहते है और दोनों हैलोजन यौगिक आपस में बन्ध द्वारा जुड़े हुए रहते है।
जैसे : क्लोरीन मोनोफ्लोराइड, ब्रोमीन ट्राइफ्लोराइड, आयोडीन पेंटाफ्लोराइड, आयोडीन हेप्टाफ्लोराइड आदि अंतरा हैलोजन यौगिकों के उदाहरण है।
याद रखे कि हैलोजन तत्व ,  17 वें वर्ग के तत्वों को कहा जाता है जिनमे फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन या एस्टेटाइन , ये पांच तत्व शामिल है अत: हम कह सकते है कि ये तत्व आपस में एक दुसरे के साथ मिलकर अभिक्रिया करते है और यौगिक बनाते है तो ऐसे बने यौगिको को ही अन्तराहैलोजन यौगिक कहा जाता है।

अन्तराहैलोजन यौगिकों के प्रकार

इनमें परमाणुओं की संख्या के आधार पर अंतरा हैलोजन यौगिको को चार भागों में बांटा जा सकता है जो निम्न है –
  • XY टाइप के यौगिक
  • XYटाइप के यौगिक
  • XYटाइप के यौगिक
  • XY7 टाइप के यौगिक
लिखने की इस पद्धति में यह समझे कि यहाँ x बड़े आकार के तत्व को या कम विद्युत ऋणता वाले हैलोजन तत्व को प्रदर्शित करता है।
जबकि Y छोटे आकार के तत्व को या अधिक विद्युत ऋणता वाले हैलोजन तत्व को प्रदर्शित करता है।
 अंतरा हैलोजन यौगिको में सामान्यतया फ़्लोरिन विद्युत ऋणात्मक तत्व की भांति व्यवहार करता है जबकि अन्य हैलोजन तत्व विद्युत धनात्मक तत्व की भांति व्यवहार करते है।
अन्तरा हैलोजन के प्रति अणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या को त्रिज्या अनुपात सिद्धांत के अनुसार ज्ञात किया जाता है , इसका सूत्र निम्न है –
त्रिज्या अनुपात = बड़े हैलोजन अणु की त्रिज्या/छोटे हैलोजन अणु की त्रिज्या
जैसे जैसे हैलोजन तत्वों की त्रिज्याओं का अनुपात बढ़ता जाता है , प्रति अणु परमाणुओं की संख्या बढती जाती है।
उदाहरण : आयोडीन हेप्टाफ्लोराइड में प्रति अणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या सबसे अधिक होती है क्यूंकि इसमें त्रिज्या अनुपात सबसे अधिक होता है , इसलिए इसे XY7 प्रकार के अंतरा हैलोजन यौगिक में शामिल किया जाता है।

अन्तराहैलोजन यौगिक बनाने की विधियाँ

अंतराहैलोजन यौगिक बनाने की दो मुख्य विधियाँ है जिसमें पहली विधि में दो हैलोजन यौगिको को आपस में सीधे ही मिश्रित किया जाता है और दूसरी विधि में एक हैलोजन तत्व को दूसरे निम्न अंतरा हैलोजन के साथ अभिक्रिया करवाई जाती है।
1. इसमें हैलोजन यौगिक आपस में क्रिया करते है और अंतरा हैलोजन यौगिको का निर्माण करते है।
उदाहरण : जब समान आयतन का क्लोरिन और समान आयतन में फ़्लोरिन आपस में लगभग 473K ताप पर क्रिया करते है और क्रिया करके उत्पाद के रूप में क्लोरीन मोनोफ्लोराइड बनाते है।
2. दूसरी विधि में हैलोजन तत्व दुसरे कम अन्तरा हैलोजन तत्वों के साथ क्रिया करते है और अंतराहैलोजन यौगिको का निर्माण करते है।
उदाहरण : जब फ़्लोरिन की क्रिया आयोडीन पेंटाफ्लोराइड की क्रिया लगभग 543K ताप पर आपस में अभिक्रिया करवाई जाती है तो उत्पाद के रूप में आयोडीन हेप्टाफ्लोराइड अंतरा हैलोजन यौगिक बनता है।
यहाँ फ़्लोरिन हैलोजन तत्व है और आयोडीन पेंटाफ्लोराइड , एक निम्न (कम) अंतरा हैलोजन है।