JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: sociology

institutionalisation meaning in hindi संस्थायन का अर्थ क्या है हिंदी में institutionalization in hindi

institutionalization in hindi institutionalisation meaning in hindi संस्थायन का अर्थ क्या है हिंदी में ?

 ईसाई धर्म, आधुनिक समाज और सामाजिक विकास
(Christianity, Modern Society and Social Evolution)
ईसाई आंदोलन ने नये मल्यों पर आधारित शांतिपर्ण अस्तित्व के लिए एक नये समाज की रचना के लिए और मनुष्यों के चयन के लिए भी एक दशा निर्धारित की। ईसाई धर्म ने जिन सामाजिक मूल्यों को वैधता प्रदान की उनके माध्यम से वह आधुनिकीकरण और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। फिर भी, सामाजिक विकास और आधुनिकीकरण के प्रत्येक चरण में ईसाई धार्मिक व्यवस्था और उसके मूल्य आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं, परिवार और नातेदारी जैसी सामाजिक संस्थाओं और स्तरीकरण की व्यवस्था जैसे अन्य कारकों के साथ अंतरनिर्भरता के जटिल संबंध बना कर रहा ।

प) संस्थायन (Institutionalisation)
इस संदर्भ में ईसाई संस्थायन के स्वरूपों के बारे में कुछ जानकारी ले लेना अत्यावश्यक है। संस्थायन का पहला रूप यह मानकर चलता है कि ईसाइयों की धार्मिक संगति एक बिल्कुल अलग सत्ता है जिसके अन्य समाज के साथ स्थायित्वपूर्ण संबंध नहीं होते। इसके उदाहरणस्वरूप भक्तिवादी पंथों का नाम लिया जा सकता है।

संस्थायन का दूसरा रूप कैथोलिक चर्च का है। ‘‘इसकी व्याख्या एक स्थापित चर्च के अर्थ में की जाती है, जो एक राजनीतिक रूप से संगठित समाज का राजकीय धर्म है।‘‘ चर्च और राज्य महत्वपूर्ण संगठन हैं। इसलिए चर्च ने पारलौकिक उन्मुखता हासिल कर ली और अंततः मठवाद के अपने विशेष संस्करण से इसका सरोकार हो गया और उसने अपने धर्म संघों को सांसारिक पुरोहिती के ऊपर रखा .एक अर्थ में, इससे सांसारिक राजनीतिक सत्ता को एक विशेष दर्जा मिल गया, क्योंकि सांसारिक राजतंत्र से मेल खाता कोई पोप संबंधी राजतंत्र नहीं था।

संस्थायन का तीसरा रूप है प्रोटेस्टैंट पंथों का उदय । यहाँ बुनियादी तौर पर अलगाव परम सांस्कारिक व्यवस्था को लेकर हुआ, जिसमें ‘‘असली‘‘चर्च ‘‘अदृश्य‘‘ रहा और उद्धार

विश्वास पर निर्भर रहा…बुनियादी तौर पर प्रोटेस्टैंटवाद की ओर आने का मतलब था एक विशेष प्रकार के धार्मिक संरक्षणवाद से छुटकारा। प्रोटेस्टैंट संप्रदाय की मुख्य शाखा ने कैल्विनवाद में पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की स्थापना के लिए सांसारिक सक्रियता पर अत्यधिक बल दिया।

प्रोटेस्टैंट सुधार आंदोलन ने सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की अपनी सामान्य प्रवृत्ति के माध्यम से आधुनिकीकरण और आर्थिक विकास का द्वार खोल दिया। प्रोटेस्टैंट संप्रदाय के मानने वालों ने विज्ञान का अध्ययन किया और कानून की भी दीक्षा ली। प्रोटेस्टैंट का सुधार आंदोलन राष्ट्रवाद के विकास से निकटता से जुड़ गया-बाइबिल के ढेरों अनुवाद देशी बोलियों में हुए और कुछ प्रोटेस्टैंट क्षेत्र तेजी से आर्थिक विकास की दिशा में आगे बढ़ गये” (वेबर, डब्ल्यू, 1972: 246)।

पद) प्रोटेस्टैंन्ट मत और आर्थिक विकास (Protestantism and Economic Development)
मैक्स बेबर ने प्रोटेस्टैंट नीति और यूरोप में पूंजीवाद के विकास के बीच एक कारणात्मक संबंध को इंगित किया है। द प्रोटेस्टैंट इथिक्स एंड दि स्प्रिट ऑफ कैपिटलिज्म नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में वेबर में लिखा है कि प्रोटेस्टेंट अतिनैतिक पंथों ने इस सांसारिक संन्यास के प्रति अपने धार्मिक विश्वासों और मूल्यों को तार्किक आधार दिया, और यह ‘‘बुलाहट‘‘ अर्थात ईश्वर द्वारा निधारित कार्य की अवधारणा के माध्यम से संभव हुआ। यह अवधारणा सुधारवादी आंदोलन की देन थी। वेबर के अनुसार अतिनैतिकतावादी पंथों के प्रोटैस्टैंट लोगों के लिए मुख्य बुलाहटे ये हैंः

क) एक पूर्ण पारलौकिक परमेश्वर का अस्तित्व है, जिसने इस संसार की रचना की और जो इस पर राज्य करता है। लेकिन वह मनुष्य के सीमित मस्तिष्क की समझ और पहुंच से परे है।
ख) इस सर्वशक्तिमान और रहस्यमय परमेश्वर ने हम सबके लिए उद्धार या नरक दंड भोगने की नियति पहले से तय की हुई है। इसलिए हम अपने कार्यों से उस परमेश्वर के आदेश को नहीं टाल सकते जो हमारे जन्म से पहले ही पारित हो चुका है।
ग) परमेश्वर ने अपनी ही महिमा के लिए इस संसार की रचना की।
घ) कोई मनुष्य चाहे उसे सुख/दुख में से जो कुछ मिले उसे परमेश्वर की महिमा और धरती पर परमेश्वर के राज्य संबंधी कर्तव्यों को पूरे करते रहना चाहिए।
च) सांसारिक वस्तुएं, मनुष्य की प्रकृति और शरीर सब पाप और मृत्यु की व्यवस्था के अंग हैं और मनुष्य को उद्धार केवल परमेश्वर की कृपा से मिल सकता है। (अैरन, 1967ः221-222)

इन बुलाहटों की मदद से कैल्विनपंथी प्रोटेस्टैंट लोगों के लिए आत्म-अनुशासित, कार्य के प्रति समर्पित और ईमानदार होना, और इस संसार के संन्यास का पालन करना संभव हो गया। उनके लिए काम ही पूजा है, और वहाँ आलस्य या सुस्ती की कोई गुंजाइश नहीं है। कैल्विनपंथी विश्वास की इस विशेष प्रकृति के कारण ही इस सिद्धांत और पूंजीवाद की भावना के बीच संबंध बना, जिसकी विशेषता थी वैध आर्थिक क्रियाकलापों के माध्यम से धन कमाने के प्रति विलक्षण समर्पण। इसके मूल में यह विश्वास काम करता है कि अपने चुने हुए व्यवसाय (बुलाहट) के कर्तव्य और गुण के रूप में दक्षता से काम करना महत्वपूर्ण है। इन दोनों के बीच संबंध और पूंजीवादी आर्थिक शासन का उदय, वेबर के अनुसार, केवल पश्चिम में हुआ। लेकिन, इस प्रकार का संबंध केवल प्रोटेस्टेंट नीति के लिए ही विशिष्ट है। यह कैथोलिक संप्रदाय में नहीं पाया जाता, न ही यह हिन्दू, इस्लाम, कंफ्यूशियसवाद, यहूदी और बौद्ध जैसे धर्मों में मिलता है, जिनका तुलनात्मक विश्लेषण वेबर ने किया है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए आप ई.एस.ओ.-13 के खंड 4 की इकाई 15 को एक बार फिर पढ़ सकते हैं।

 भारत में ईसाई धर्म (Christianity in India)
ई.एस.ओ.-12 की इकाई 17 में हमने भारत में ईसाई सामाजिक संगठन पर विस्तार से विचार किया है। हमारा सुझावं है कि भारत में ईसाई समाज के परिवार, विवाह और उत्तराधिकार जैसी संस्थाओं के विषय में जानकारी हासिल करने के लिए आप उस इकाई को पढ़ें । भारत में ईसाई धर्म का प्रवेश लगभग उसकी शुरुआत से ही अर्थात ईसा मसीह के एक प्रेरित थॉमस के भारत आगमन के साथ हुआ । जैसा कि किस्सा चला आ रहा है, थॉमस 52 ईसवीं में केरल के तट पर पहुंचे और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से सात गिरजाघर बनवाये। केरल से वे मद्रास गये, जहाँ मायलापोर में 72 ईसवी में उन्हें मार डाला गया। केरल के प्रारंभिक ईसाइयों के वंशज संत थॉमस ईसाई के नाम से जाने गये। उन्हें सीरियाई ईसाई भी कहा जाता है। इसलिए नहीं कि वे सीरिया से आये, बल्कि इसलिए कि वे अपनी उपासना में लैटिन पद्धति की बजाय सीरियाई पद्धति का इस्तेमाल करते हैं। सीरियाई ईसाइयों ने केरल में एक आंशिक समाज की स्थापना की। यह एक समृद्ध समुदाय था और इन्हें ऊंची जाति का माना जाता था। उन्हें अपने धर्म को देश के अन्य हिस्सों में फैलाने में शायद अधि कि प्रयास नहीं करना पड़ा।

 यूरोपियों का आगमन (Advent of Europeans)
भारत में ईसाई धर्म का प्रसार 16वीं शताब्दी के प्रारंभ में भारत में आने वाले यूरोपियों के साथ शुरू हुआ। पहले पुर्तगाली मिशनरी आये और फिर उनके बाद डच, फ्रांसीसी और अंग्रेज और दूसरे यूरोपीय और अमेरिकी मिशनरी आये । भारतीय ईसाइयों ने जिस मिशनरी के प्रभाव में अपने धर्म का परिवर्तन किया उन्होंने उसी मिशनरी के धार्मिक तौर तरीकों को अपना लिया और उसी के अनुसार वे अलग-अलग चर्चों और संप्रदायों में बंट गये। दूसरी ओर, स्थिति यह थी कि विभिन्न देशों के मिशनरी भारत के उन हिस्सों में सक्रिय थे जहाँ उनके देशों का राजनीतिक दबदबा था, इसलिए भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न संप्रदायों के भारतीय ईसाई फैल गये।

भारत में वैसे तो यूरोपीय देशों में सबसे अधिक इंग्लैंड का राजनीतिक दबदबा रहा, लेकिन शुरू में वे यहाँ मिशनरी गतिविधियों की अनुमति देने को लेकर पशोपेश में रहे। उस शासनकाल में मिशनरियों ने मुख्य रूप से आदिवासी और पहले से अछूते माने जाने वाले वर्गों में कार्य किया। भारतीयों को रोमन कैथोलिक संप्रदाय में धर्मान्तरित करने में सबसे अधिक सफलता पुर्तगाली मिशनरियों को मिली। उन्होंने सबसे अधिक सफलता दक्षिण भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों में हासिल की। यहाँ तक कि आज भारतीय ईसाइयों की लगभग दो तिहाई संख्या दक्षिणी प्रांतों में मिलती है, और यह भी कि कैथोलिक ईसाई बाकी तमाम संप्रदायों के कुल ईसाइयों से संख्या में कहीं अधिक हैं।

 ईसाई आबादी (Christian Population)
1981 की जनगणना के अनुसार भारत में ईसाइयों की संख्या 16.77 मिलियन थी, जो यहां की कुल जनसंख्या का 2.43 प्रतिशत था। ईसाई धर्म के मानने वाले भारत के प्रत्येक प्रांत और लगभग प्रत्येक जिले में मिलते हैं। लेकिन उनकी अधिकांश संख्या कुछ विशेष क्षेत्रों में ही मिलती है। मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडू, गोआ और नागालैंड, मिजोरम, मेघालय,

 संप्रदाय और पंथ (Denomination and Sects)
दुनिया में जिस तरह ईसाई समाज में अनेक विभाजन मिलते हैं, उसी तरह भारत में भी ईसाई समाज अलग-अलग संप्रदायों और पंथों में बंटा हुआ है। अधिकांश प्रोटेस्टैंट संप्रदाय ‘चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया‘ और ‘चर्च ऑफ साउथ इंडिया‘ नाम से दो चर्चों में बंटे हैं। दूसरे भारतीय ईसाइयों में रोमन कैथोलिक, एंग्लिकन और सीरियाई ईसाई हैं जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाकर रखी है। भारतीय ईसाइयों का सबसे बड़ा संप्रदाय रोमन कैथोलिक भी लैटिन उपासना पद्धति मानने वालों और सीरियाई उपासना पद्धति मानने वालों में बंटा है। ये अलग-अलग संप्रदाय के ईसाई देश के अलग-अलग हिस्सों में संकेन्द्रित हैं और उनके रीति-रिवाज बिल्कुल अलग हैं और उनमें उनके धर्मान्तरण के इतिहास और परिस्थिति की झलक मिलती है।

 मिशनरी और कल्याणकारी गतिविधियाँ (Missionaries and Welfare Activities)
अपने धर्म के सामाजिक दर्शन के अनुरूप चलते हुए भारतीय ईसाई, देश में सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियों में खूब हिस्सा लेते हैं। उनकी विशेष दिलचस्पी दलितों के कल्याण में है। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सेवाएं जगविदित हैं। आज केरल देश का सर्वाधिक साक्षर प्रांत है और वहाँ की स्वास्थ्य सेवाएं सबसे अच्छी हैं और इसका श्रेय जितना वहाँ के प्रबुद्ध शासकों को जाता है, उससे अधिक ईसाई चर्चों को जाता है।

कार्यकलाप 2
अपने अनुभव के आधार पर मिशनरियों की सामाजिक गतिविधियों पर लगभग एक पृष्ठ की टिप्पणी लिखिए। संभव हो तो, अध्ययन केन्द्र के अन्य छात्रों के साथ अपनी टिप्पणी का मिलान कीजिए।

समाजशास्त्र के विद्यार्थी होने के नाते, आपकी दिलचस्पी इस बात की जानकारी करने में होगी कि ईसाई धर्म पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति की सामाजिकता (अनेकसंख्यकता) का क्या प्रभाव पड़ा। ई.एस.ओ.-12 की इकाई 17 में आपको इन पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

बोध प्रश्न 3
प) ईसाई धर्म द्वारा प्रचारित आदर्श समाज के तीन बुनियादी सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए।
क) ………………………………………………………………………………………………………………………………………
ख) ………………………………………………………………………………………………………………………………………
ग) ………………………………………………………………………………………………………………………………………

पप) व्यापक संसार के साथ चर्च के सामंजस्य के परिणामों की पाँच पंक्तियों में विवेचना कीजिए।
पपप) भारत में ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदायों के नाम बताइए।

 बोध प्रश्नों के उत्तर

बोध प्रश्न 3
प) क) सार्वभौमिक भाईचारा
ख) समतावादी दृष्टिकोण
ग) दलितों की सेवा

पप) ईसाई धर्म में संसार के साथ न तो पूर्ण सामंजस्य की बात है और न ही पूर्ण अस्वीकारता की। उसमें एक संतुलित दृष्टिकोण पाया जाता है। प्रारंभिक चर्च आत्मिक रूप से तो संसार को अस्वीकार करता है, लेकिन यथार्थ में उसे स्वीकार करता है।

पपप) क) रोमन कैथोलिक
ख) ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स चर्च
ग) सीरियाई ईसाई।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

6 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

6 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

6 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now