जड़त्व क्या है ? (inertia in hindi) , जडत्व किसे कहते है , परिभाषा , उदाहरण , जड़त्व in english माप

(inertia in hindi) जडत्व किसे कहते है , परिभाषा , उदाहरण , जड़त्व in english माप क्या है ? जड़त्व क्या है ?

जड़त्व (inertia) : जड़त्व शब्द की उत्पत्ति जड़ता शब्द से हुई है जिसका अर्थ स्थिरता या अपरिवर्तनीयता से है।

प्रत्येक वस्तु अपनी विराम अवस्था या गति की अवस्था में ही बने रहना चाहती है और अपनी अवस्था में होने वाले परिवर्तन का विरोध करता है। इसी कारण वस्तु की अवस्था में परिवर्तन करने के लिए बाह्य बल की आवश्यकता होती है। वस्तु के इस गुण को गैलिलियो ने “जडत्व” नाम दिया।

अत: जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण है जिस कारण वह अपनी विराम अवस्था या एकसमान गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।

द्रव्यमान और जड़त्व में सम्बन्ध

अधिक द्रव्यमान की वस्तु की विराम अवस्था या गति की अवस्था में परिवर्तन करने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है अर्थात अधिक द्रव्यमान की वस्तु अपनी विराम अवस्था या गति की अवस्था में होने वाले परिवर्तन का अधिक विरोध करती है।

इस तरह अधिक द्रव्यमान की वस्तु का जडत्व अधिक होता है अर्थात द्रव्यमान जड़त्व की माप है।

जड़त्व के प्रकार

जडत्व तीन प्रकार का होता है –

  1. विराम का जड़त्व
  2. गति का जडत्व
  3. दिशा का जडत्व

1. विराम का जड़त्व (inertia of rest in hindi)

वस्तु का वह गुण जिस कारण वह अपनी विराम अवस्था में होने वाले परिवर्तन का विरोध करती है , विराम का जडत्व कहलाता है।

विराम के जड़त्व के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित है –

(i) बस या रेलगाड़ी के अचानक चलने पर उसमे बैठे यात्री पीछे की ओर गिर पड़ते है :- बस अथवा रेलगाडी के अचानक चलने पर यात्री के शरीर का निचला भाग जो बस अथवा रेलगाड़ी के सम्पर्क में है , शीघ्र ही बस या रेलगाड़ी के साथ गति प्रारंभ कर देता है लेकिन शरीर का ऊपरी भाग जो बस अथवा रेलगाड़ी के संपर्क में नहीं है , अपने विराम के जड़त्व के गुण के कारण विराम अवस्था में ही बना रहता है , जिस कारण यात्री पीछे की ओर गिर पड़ते है।

(ii) खिड़की के शीशे से बंदूक की गोली के टकराने पर शीशे में एक छोटा गोल छेद बनता है परन्तु पत्थर के टकराने पर शीशा चटख जाता है :- बंदूक की गोली का वेग अत्यधिक होने के कारण खिड़की के शीशे से टकराने पर गोली शीशे के सम्पर्क में बहुत कम समय रहती है अत: शीशे के केवल उसी भाग में तीव्र गति उत्पन्न हो पाती है और शीशे में एक गोल और गोली के आकार का छेद बन पाता है और शीशे का शेष भाग विराम के जडत्व के कारण अपने स्थान पर विराम अवस्था में बना रहता है। पत्थर का वेग कम होने के कारण वह शीशे के सम्पर्क में अधिक समय तक रहता है जिस कारण शीशे का शेष भाग भी गतिमान हो जाता है और शीशा चटख जाता है।

(iii) एक द्रव्यमान M को चित्रानुसार दो धागों A और B से सम्बन्ध करते है :-

यदि धागे B को अचानक झटके से खिंचा जाता है , तो इसमें तनाव उत्पन्न हो जाता है लेकिन द्रव्यमान M के विराम के जड़त्व के कारण यह बल धागे A में संचरित नहीं हो पाता है , अत: धागा B टूट जाता है।

यदि धागे B को एक स्थायी बल F द्वारा खिंचा जाता है , तब यह द्रव्यमान M द्वारा धागे B से धागे A की ओर संचरित हो जाता है। चूँकि धागे A में तनाव B की अपेक्षा Mg (द्रव्यमान M का भार) से अधिक होता है , अत: इस स्थिति में धागा A टूट जाता है।

2. गति का जडत्व (inertia of motion in hindi)

वस्तु का वह गुण जिस कारण वह अपनी एक समान गति में होने वाले परिवर्तन का विरोध करती है , गति का जड़त्व कहलाता है।

गति के जडत्व के कुछ महत्वपूर्ण व्यावहारिक उदाहरण :-

(a) चलती हुई बस अथवा रेलगाड़ी के अचानक रुकने पर उसमे बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते है :- चलती बस या रेलगाड़ी में यात्री भी गाडी की चाल से गति करता है। बस या रेलगाड़ी के अचानक रूकने पर यात्री के शरीर का निचला भाग जो गाडी के सम्पर्क में है गाडी के साथ तेजी से रुक जाता है , लेकिन शरीर का ऊपरी भाग गति के जड़त्व के उसी चाल से गति करता रहता है , जिस कारण यात्री आगे की ओर झुक जाता है।

(b) चलती गाडी से उतरने पर यात्री को गाडी की गति की दिशा में कुछ दूरी तक दौड़ना चाहिए अन्यथा वह आगे की ओर गिर पड़ता है :- चलती गाड़ी में यात्री भी गाडी की चाल से गति करता है। चलती गाड़ी से उतरने पर जैसे ही शरीर का निचला हिस्सा पृथ्वी के सम्पर्क में आता है , वह विराम अवस्था में आ जाता है लेकिन शरीर का ऊपरी हिस्सा गति के जड़त्व के कारण उसी चाल से आगे की तरफ गति करता रहता है जिससे वह आगे की ओर गिर पड़ता है। यदि यात्री कुछ दूरी तक गाडी की गति की दिशा में दौडता है तो शरीर के उपरी भाग को भी रुकने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है और यात्री सुरक्षित रहता है।

(c) यदि एक समान वेग से चलती रेलगाड़ी में गेंद को उर्धवाधर उछाले , तब वह लौटकर फेंकने वाले के हाथ में वापस गिरती है :- चलती रेलगाड़ी में यात्री और गेंद दोनों एक समान चाल से गति करते है। गेंद को उछालने पर गति के जड़त्व के कारण गेंद क्षैतिज दिशा में उसी चाल से गति करती रहती है और सदैव यात्री के ठीक ऊपर ही बनी रहती है और अनंत: यात्री के साथ में वापस लौट आती है।

3. दिशा का जड़त्व (inertia of direction in hindi)

वस्तु का वह गुण जिस कारण वह अपनी गति की दिशा में होने वाले परिवर्तन का विरोध करती है , दिशा का जडत्व कहलाता है।
दिशा के जड़त्व के कुछ महत्वपूर्ण व्यावहारिक उदाहरण :-
(a) यदि एक पत्थर को डोरी से बाँधकर क्षैतिज वृत्तीय पथ में घुमाएँ , तब डोरी टूटने पर पत्थर स्पर्श रेखीय दिशा में गति करता है :- वृत्तीय पथ के किसी भी बिंदु पर पत्थर की चाल स्पर्श रेखीय दिशा में होती है। डोरी का तनाव उसे वृत्तीय पथ पर गति प्रदान करता है। डोरी के टूटने पर डोरी का तनाव शून्य हो जाता है अत: अब पत्थर वृत्तिय पथ पर गति न करके अपनी दिशा के जड़त्व के कारण , स्पर्श रेखीय दिशा में गति करता है।
(b) गाडी के टायर के सम्पर्क में आये कीचड़ के कणों से बचने के लिए मडगार्ड लगाये जाते है :- गाड़ी के टायर के सम्पर्क में आये कीचड के कण अपनी दिशा के जड़त्व के कारण अपनी स्पर्श रेखीय चाल की दिशा में गति करते है और वाहन को गंदा करते है जिससे बचने के लिए मडगार्ड प्रयुक्त किये जाते है।
(c) जब कोई बस या कार किसी वृक्काकार मोड़ पर मुडती है तो उसमे बैठे यात्री दिशा के जड़त्व के कारण बाहर की ओर गिरने लगते है।

इस टॉपिक के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये

  1. किसी पेड़ की शाखा को तेजी से हिलाने पर फल टूट कर क्यों गिर जाते है ?
  2. एक मोटर साइकिल सवार के द्वारा केवल आगे के ब्रेक तेजी से लगाने पर मोटर साइकिल पलट जाती है , इस घटना को समझाइये ?
  3. गाड़ी या ट्रेन में यात्री को सिट को पकडकर बैठना चाहिए , यदि वह ऐसा न करे तब क्या होगा ?