in which state did the pattachitra style of painting originated in hindi पट चित्र किस राज्य की कला है , पट्टचित्र चित्रकला कहा बनाई जाती है ?
पत्तचित्र
पत्तचित्र एक परम्परागत चित्रकला शैली है जिसका उद्गम एवं पल्लवन ओडिशा में हुआ। पत्तचित्र शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है कपड़े/कैनवास पर चित्रकारी। पत्तचित्र कला में प्रयोग किए जागे वाले परम्परागत रंग लाल, नीला, काला एवं सफेद हैं, जिन्हें हिंगुला, रामराजा, हरितला, लैम्प की कालिख एवं नारियल के जले हुए खोपरों जैसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है। ब्रुश को घरेलू जागवरों के बालों से तैयार किया जाता है। चित्रकार शुरुआती चित्र के लिए पेंसिल या चारकोल का इस्तेमाल नहीं करते, लेकिन साधारण तरीके से या तो हल्के लाल या पीले रंग के ब्रुश से प्रत्यक्ष तौर पर चित्रण करते हैं। तब इनमें रंग भरे जाते हैं।
ये चित्रकला विशेष रूप से जगन्नाथ एवं वैष्णव पूजा से प्रेरित हैं; इसके विषय जयदेव के गीत-गोविंद, नवगुंजरा, रामायण ,वं महाभारत से लिए गएहैं। विषय शिव एवं शक्ति पूजा से भी प्रेरित हो सकते हैं। भक्ति आंदोलन के अभ्युदय के साथ राधा एवं कृष्ण के चित्र नारंगी, लाल एवं पीले जैसे विविध रंगों में पेंट की गई। कुछ चित्रों में सामाजिक दृश्यों को भी चित्रित किया गया है। ये चित्र ओडिशा के प्राचीन शैलचित्रों, विशेष रूप से पुरी, कोणार्क एवं भुवनेश्वर के धार्मिक केंद्रों को प्रतिबिम्बित करते हैं, जो 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक के हैं। रघुराजपुर गांव के आस-पास का क्षेत्र पत्तचित्र चित्रकला का सुप्रसिद्ध केंद्र है। यह शैली लोक एवं शास्त्रीय तत्वों का सुंदर मिश्रण है। वेशभूषा में मुगल प्रभाव दिखाई देता है। अधिकतर चित्रों की पृष्ठभूमि को फूल एवं पत्तियों से सजाया गया है जिसमें अधिकांशतया लाल रंग का प्रयोग किया गया है। पेंटिंग्स को सुंदर एवं सजीले बार्डर से फ्रेम किया गया है।
ओडिया भाषा में ताड़पत्र पत्तचित्र को तालपत्तचित्र के नाम से जागा जाता है। ताड़पत्रों को पेड़ से तोड़ने के बाद कुछ समय के लिए रख दिया जाता है ताकि वह सख्त हो जाए। तब इन्हें आपस में सिलकर एक कैनवास तैयार किया जाता है। तब इन पर काली या सफेद स्याही का इस्तेमाल करके आकृतियां बनाई जाती हैं। पाम के किनारे पंखों की तरह सुगमता से मुड़ जाते हैं और बेहतर संरक्षण के लिए एक सुघटित ढेर में रखे जाते हैं।
इस चित्रकला में रेखाएं गहरी स्पष्ट एवं तीखी होती हैं। सामान्य तौर पर इसमें कोई भू-दृश्य, परिदृश्य एवं दूरगामी दृश्य (डिस्टेंट व्यू) नहीं होता।