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Categories: BiologyBiology

पादप संग्रहालय का महत्व क्या है | पादप संग्रहालयों की महत्ता (role or significance of herbaria in hindi)

(role or significance or importance of herbaria in hindi museum) पादप संग्रहालय का महत्व क्या है | पादप संग्रहालयों की महत्ता ?

हरबेरियम शीट तैयार करना (preparation of herbarium sheet) : हरबेरियम शीट पर सूखे पादप प्रतिरूप को चिपकाया जाता है। एक हरबेरियम शीट की प्रामाणिक साइज़ (स्टैण्डर्ड साइज़) 28.75 x 41.25 cm. अथवा 11.50” x 17.50″ होती है। ये हर्बेरियम शीट अत्यन्त मोटी और मजबूत कार्डशीट की बनी होती है , जिससे इनको लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। कार्डशीट के ऊपरी सिरे पर पादप संग्रहालय का नाम लिखा रहता है और शीट के नीचे की तरफ दायें कोने में पादप प्रतिरूप से सम्बन्धित सूचनाओं का लेबल या तो छपा होता है जिसमें तत्सम्बन्धी प्रविष्टि कर देते है अथवा लेबल चिपकाया जाता है। सूखे पादप प्रतिरूप को हर्बेरियम शीट पर सावधानीपूर्वक चिपकाया जाता है। प्रतिरूप चिपकाने की इस प्रक्रिया को आरोपण (mounting) कहते है।

शीट पर पौधे को चिपकाने के लिए मरक्यूरिक क्लोराइड युक्त सरेस के घोल को 12″ x 18″ साइज की ट्रे में भर लेते है और सूखे हुए प्रतिरूप को इस घोल की सतह पर तैराकर जब सरेस पूरी सतह पर लग जाए तो चिमटी के द्वारा सावधानीपूर्वक उठाकर हरबेरियम शीट पर रख देते है। शीट पर मोटी शाखाएँ गोंदयुक्त बाँस के कागज की सहायता से भी चिपकाई जाती है। पादप प्रतिरूप को चिपकाने के लिए सेलोफेन टेप का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कुछ समय बाद स्वत: ही कागज से अलग हो जाता है।
पादप प्रतिरूप को अच्छी तरह चिपकाने के बाद दुसरे अथवा तीसरे दिन इसके मुख्य अक्ष के 2 अथवा 3 जगह पर मोटे धागे से शीट के साथ टाँके लगा देते है। जिससे प्रतिरूप स्थायी तौर पर शीट से लगा रहे।
सामान्यतया एक शीट पर एक ही पौधा चिपकाना चाहिए।
यदि विच्छेदित पुष्प और फल आदि शीट पर सुरक्षित रखने हो तो उनको कागज अथवा पोलीथिन की छोटी थैली में रखकर हर्बेरियम शीट पर चिपका देना चाहिए।

हर्बेरियम शीट नामांकन (labelling of herbarium sheet)

हर्बेरियम शीट के निचले दायें कोने पर 3 इंच x 5 इंच (7.5 x 12.5 cm) के आकार का एक लेबल लगाया जाता है .इसमें पादप प्रतिरूप से सम्बन्धित फिल्ड डायरी में उतारी गयी सभी आवश्यक सूचनाएँ अंकित कर ली जाती है .हर्बेरियम शीट के लेबल में निम्नलिखित सूचनाएं होनी चाहिए –
1. लेबल के शीर्षक में उस संस्थान का नाम जहाँ यह पादप संग्रहालय अवस्थित है (जैसे – herbarium department of botany govt. college jhalawar) वैसे शीर्षक उस क्षेत्र का नाम भी परिलक्षित कर सकता है , जहाँ से ये पौधे इक्कठे किये गये हो (जैसे – flora of jaipur district अथवा flora of rajasthan)
2. पादप कुल का नाम।
3. पौधे का वानस्पतिक नाम।
4. उस स्थान का नाम जहाँ से पौधा एकत्र किया गया है।
5. पौधा एकत्र करने की विधि।
6. आवास
7. स्वभाव , बाहुल्य आदि।
8. पौधा एकत्र करने वाले का नाम।
9. संग्राहक संख्या।
10. पौधे का स्थानीय नाम और स्थानीय निवासियों द्वारा पौधे का कोई उपयोग हो तो इसकी सूचना।
11. अन्य कोई महत्वपूर्ण सुचना।

पादप संग्रहालय में हरबेरियम शीटों का रख रखाव (filing of herbarium sheets)

हर्बेरियम शीट पर अच्छी तरह चिपकाएँ गए और पूर्णतया परिरक्षित पादप प्रतिरूप को सुव्यवस्थित , क्रमबद्ध और किसी मान्य वर्गीकरण प्रणाली के अनुरूप रखने की प्रक्रिया को फाइलिंग कहते है।
एक प्रजाति के सभी पादप प्रतिरूपों को मोटे कागज के एक फोल्डर में रखते है और पादप प्रतिरूप युक्त फोल्डर को निश्चित पादप वर्गीकरण प्रणाली के अनुरूप लकड़ी अथवा स्टील की बनी अलमारियो में बने खाँचो में व्यवस्थित किया जाता है। भारत और इंग्लैंड में बैंथम और हुकर अमेरिका में बैस्से और अन्य यूरोपीय देशों में एलंगर और प्रेंटल के वर्गीकरण के अनुरूप वहां के पादप संग्रहालय व्यवस्थित किये गये है।
हरबेरियम शीट क्योंकि एक स्थायी संग्रह है और निरंतर सन्दर्भ हेतु प्रयुक्त की जाती है , अत: इन पर चिपकाए गए पादप प्रतिरूपों पर सूक्ष्मजीवों (कवक और जीवाणु) और कीटों के आक्रमण का निरंतर खतरा बना रहता है और इसकी वजह से ये शीटें क्षतिग्रस्त अथवा नष्ट हो सकती है। अत: हर्बेरियम शीटों को किसी भी प्रकार की क्षति से बचाने के लिए इनमें समय समय पर कवकनाशी और कीटनाशी पाउडर छिड़का जाता है। इसके अतिरिक्त हरबेरियम की अलमारियों और इनके खाँचो में भी कीट प्रतिरक्षी पदार्थ जैसे – (डी. डी. टी. , नेफ्थलीन बाल आदि) रखते जाते है। वर्ष में एक बार सभी शीटों को बंद कमरे अथवा संदूक में रखकर कार्बन डाई सल्फाइड से धूमित (धूनी) किया जाता है।

पादप संग्रहालयों की महत्ता (role or significance of herbaria)

पादप वर्गिकी सम्बन्धी अध्ययन अर्थात पौधे की पहचान , नामकरण और वर्गीकरण आदि वनस्पतिशास्त्र की अन्य सभी शाखाओं के अध्ययन का आधार स्तम्भ है। यदि किसी पौधे के कुल , वंश अथवा प्रजाति के बारे में आवश्यक जानकारी नहीं हो तो उस पौधे से सम्बन्धित अन्य अध्ययन कार्य प्रारंभ नहीं किये जा सकते। इसलिए अन्य शाखाओं के अध्ययन के लिए पहले आसपास उग रहे पौधों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हमारे लिए आवश्यक है और यह जानकारी हरबेरियम के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। ये केंद्र पौधों के आवास और आकारिकीय लक्षणों से सम्बन्धित जानकारी के महत्वपूर्ण स्रोत है। इसलिए पौधों से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के अध्ययनों में पादप संग्रहालयो की महत्वपूर्ण भूमिका है। हर्मेरियम के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए हमारे देश में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर पादप संग्रहालयों की स्थापना और विकास के बारे में प्रयास किये जाने चाहिए।

विश्व के प्रमुख पादप संग्रहालय (some important herbaria of the world)

विश्व में अनेक पादप संग्रहालयों में हर्बेरियम शीटों का विशाल संग्रह है और अधिकांशत: संस्थानों अथवा पादप संग्रहालयों में इन हर्बेरियम शीटों को बैंथम हुकर अथवा बैस्से अथवा एंग्लर और प्रेंटल पद्धति के अनुरूप व्यवस्थित किया गया है। विश्व के कुछ प्रमुख पादप संग्रहालय निम्नलिखित प्रकार से है –
1. रॉयल बोटेनिक गार्डन्स क्यू , इंग्लैंड (royal botanical garden kew , england) : स्थापना वर्ष 1841 , विश्व का सबसे बड़ा हर्बेरियम संग्रहालय , लगभग 60 , 00 , 000 पादप प्रतिरूप संग्रहित है।
2. वी. एल. कोमोरोव बोटेनिक इंस्टीट्यूट , लेनिनग्रेड (v. l. komarov botanical institute leningrad) : स्थापना वर्ष 1714 , हर्बेरियम की शुरुआत सन 1823 में , हरबेरियम शीटों की संख्या 50 , 00 , 000 जो रुसी , यूरोपीय और उत्तरी एशियाई पादप प्रजातियों के है।
3. ब्रिटिश म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री , लन्दन (british museum of natural history , london) : इस निजी संस्थान की स्थापना सन 1753 में हुई थी। इसमें सभी पादप वर्गों के लगभग 40,00,000 पादप प्रतिरूप उपलब्ध है।
4. बोटेनिक गार्डन , पेरिस (botanic garden , paris) : यह फ़्रांस का प्रमुख पादप संग्रहालय है , जहाँ लगभग 35,00,000 हर्बेरियम शीटों का संग्रह है जो विश्व के लगभग सभी भागों की वनस्पति को निरुपित करती है।
5. स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट , वाशिंगटन , यू. एस. ए. (smithsonian institute washington usa) : इस स्वायत्तशासी संस्थान की स्थापना सन 1868 में हुई थी। यहाँ एकत्र लगभग 27,00, 000 हरबेरियम शीट्स में विश्व के लगभग सभी हिस्सों सभी हिस्सों के पादप समूह निरुपित होते है।

भारत के कुछ महत्वपूर्ण हर्बेरियम (selected indian herbaria)

हमारे देश में पादप वर्गिकी के क्षेत्र में सुव्यवस्थित अध्ययन और अन्वेषण कार्य वैसे तो 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुकर द्वारा रचित कालजयी ग्रन्थ फ्लोरा ऑफ़ ब्रिटिश इण्डिया (flora of british india 1876-1897) के प्रकाशन के साथ ही प्रारम्भ हो गया था और जैसे जैसे पादप अन्वेषण के कार्य में गति आई तो इसके साथ ही पादप प्रतिरूपों को एकत्र करने और इनको सुखाकर हरबेरियम शीट बनाना अर्थात पादप संग्रहालयों की स्थापना का कार्य भी व्यापक स्तर पर संचालित होने लगा .भारत में हर्बेरियम स्थापना के कार्य का श्रीगणेश सर्वप्रथम “भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण संस्थान” द्वारा प्रारंभ किया गया जिसके सौजन्य से सेन्ट्रल नेशनल हर्बेरियम (CNH) की स्थापना कोलकाता में की गयी थी।
तत्पश्चात अनेक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों ने भी हर्बेरियम स्थापना के कार्य में गहरी दिलचस्पी ली और अपने स्तर पर उपयोगी पादप संग्रहालयों की , स्थापना की जो आज भी हमारे देश में जारी पादप वर्गिकी और वनस्पतिशास्त्र के अध्ययन और शोध में सार्थक योगदान कर रहे है।
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