हरित क्रांति के राजनीतिक परिणाम क्या है सकारात्मक परिणाम बताइए impact of green revolution in hindi

impact of green revolution in hindiहरित क्रांति के राजनीतिक परिणाम क्या है सकारात्मक परिणाम बताइए ?

हरित क्रान्ति के परिणाम (Results of green revolution) :
(1) सांख्यिकी परिणाम (Statistical results) :
(a) सांख्यिकी विश्लेषण से ज्ञात होता है कि सन् 1978-79 में हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप 131 मिलियन टन अनाज की पैदावार हुई। इससे भारत की गिनती अधिक खाद्यान्न उत्पादक देशों में होने लगी थी तथा भारत उस समय खाद्यान्न निर्यात करने की क्षमता रखता था ।
(b) सन् 1947 से 1979 के मध्य जब किसानों को हरित क्रान्ति निवेशों के अन्तर्गत कृषि हेतु आवश्यक सुविधाएँ मुहैया करायी गयीं, तो भारत में कृषिगत इकाई क्षेत्र में खाद्यान्न की उपज पहले की अपेक्षा 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गयी ।
(c) हरित क्रान्ति के 10 वर्ष के समय काल में खाद्यान्नों के लिए कुल कृषिगत क्षेत्र के 7 से 22 प्रतिशत क्षेत्रों में स्थानीय परम्परागत बीजों के स्थान पर आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित बीज की खेती की जाने लगी ।
(d) इस क्रान्ति के दौरान अन्य अनाजों की तुलना में सबसे अधिक उत्पादन गेहूँ का हुआ है। गेहूँ
फसल के कुछ क्षेत्रफल में से 90.6 प्रतिशत भूमि उन्नत बीजों के अन्तर्गत है जबकि देश की प्रथम फसल चावल के आधे भाग 57.6 प्रतिशत पर ही उन्नत बीजों का उपयोग हो पाया है। इसी प्रकार बाजरे के क्षेत्र का 60.7 प्रतिशत, मक्का का 55.7 प्रतिशत तथा ज्वार के 53.5 प्रतिशत भाग ही उन्नत बीजों से लाभान्वित हो पाये हैं। इसका स्पष्ट प्रभाव उनकी उपज दर पर पड़ा है। अतः यह कहा जा सकता है कि हरित क्रान्ति मूलत: गेहूँ क्रान्ति ही होकर रह गयी ।
(2) आर्थिक परिणाम (Economic results) :
उन्नत बीजों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए अधिक जल, उर्वरक, कीटनाशी, कवकनाशी, खरपतवारनाशी आदि रसायनों की आवश्यकता हुई । अतः इनकी बढ़ती माँग के कारण उद्योंगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, श्रमिकों को रोजगार मिला, लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरी । अन्ततः देश की सकल घरेलू आय (GDP) में वृद्धि हुई ।
(b) वर्षभर सिंचाई हेतु विभिन्न बाँध बनाये गये, जिससे वर्षा का जल संचित किया जा सके। इन बाँधों में पर्याप्त मात्रा में संचित जल के प्रयोग से बिजली उत्पादन किया गया। जिसके परिणामस्वरूप औद्योगिक क्षेत्र में निरन्तर वृद्धि हुई ।
(c) कुछ विकसित देशों, जैसे- कनाडा में मेहनती व अनुभवी कृषकों की कमी थी। हमारे देश में पंजाब व हरियाणा राज्य के कृषकों की वहाँ अधिक माँग थी। इसके तहत हमारे बहुत से किसान भाई अपना हुनर दिखाने विदेश गये तथा वहीं बस गये। वहाँ उन्होंने बहुत पैसा कमाया तथा अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की। उस कमाई का काफी हिस्सा वे अपने रिश्तेदारों अथवा सम्बन्धियों को भेज देते थे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ ।
(3) सामाजिक परिणाम (Sociological results) :
हमारे देश के लोगों का सामाजिक स्तर सुधारने में हरित क्रान्ति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। देश में विभिन्न उद्योगों की शुरुआत ने लोगों के बौद्धिक स्तर, तकनीकी ज्ञान, एक साथ मिलकर कार्य करने की प्रवृत्ति, कृषि के लिए पारम्परिक उपकरणों के स्थान पर ट्रेक्टर तथा हारवेस्टर का मिल-जुलकर उपयोग करना आदि को बढ़ावा दिया।

(4) राजनीतिक परिणाम (Political results) :
(a) हरित क्रान्ति से जहाँ भारत देश भुखमरी से ग्रसित था, खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया तथा खाद्यान्नों का निर्यातक भी बन गया। इससे पूरे विश्व में भारत की पहचान बनी । (b) भारत में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का सबसे शक्तिशाली पार्टी के रूप में उभरने का एक कारण हरित क्रान्ति ही था, क्योंकि इस पार्टी के कार्यकाल में ही देश आत्मनिर्भर हुआ । इसका श्रेय इस पार्टी को मिला ।
हरित क्रान्ति की सीमाएँ (Limitations of green revolution) :
(a) आज भी भारत में कृषि उत्पादन में कभी-कभी बहुत कमी आ जाती है। इससे यह प्रमाणित होता है कि आज भी भारत देश खाद्यान्न उत्पादन क्षेत्र में स्थायी रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है। सन् 1979 व 1987 में भारत में बहुत कम वर्षा के प्रश्न उठा कि क्या हरित क्रान्ति चिरकालीन उपलब्धि है आवश्यकता है।
कारण सूखा पड़ा था, इससे यह अथवा नयी हरित क्रान्ति की
(b) भारत के सभी कृषिगत क्षेत्रों में, सभी फसलों के लिए आनुवंशिक रूप से उन्नत बीजों (HYV) का उपयोग सम्भव नहीं हो पाया। इसके परिणामस्वरूप कुछ ही राज्यों, जैसे- पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी बंगाल आदि में ही हरित क्रान्ति हुई, अन्य राज्यों में नहीं हो पायी।
(c) आज भी राजस्थान, उड़ीसा जैसे राज्यों के कुछ हिस्सों में अकाल जैसी स्थिति बनी हुई है, जहाँ लोग भोजन की कमी के कारण कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। इससे यह ज्ञात होता है कि हरित क्रान्ति ने खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में तो सफलता प्रदान की, किन्तु पूर्ण रूप से सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करने में असमर्थ रही। अतः हरित क्रान्ति को सौ फीसदी सफल नहीं माना जा सकता है।
(d) हरित क्रान्ति के कारण पारिस्थितिकी तन्त्र दुष्प्रभावित होने लगा है। कृषि के विस्तारीकरण एवं
गहनीकरण के कारण पर्यावरण निम्न रूपों में प्रभावित हो रहा है – ( 1 ) वन विनाश एवं भूमि का खेती हेतु उपयोग वन्य जीवों को प्रभावित कर रहा है। (2) रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवार नाशक तथा रासायनिक पदार्थों का बढ़ता प्रयोग मिट्टी में पाये जाने वाले सूक्ष्मजीवों को प्रभावित करता है, जिससे भूमि क्षरण, लवणीयता का बढ़ना, pH प्रभावित होना आदि समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। (3) सिंचाई के विस्तार से जलप्लवन, जल प्रदूषण बढ़ रहा है। मिट्टी की संरचना में तेजी से परिवर्तन, लवणीकरण, क्षारीकरण तथा दलदल की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। अतः इन समस्याओं को देखते हुए फिर से एक नयी हरित क्रान्ति की आवश्यकता है जिसमें इन समस्याओं के समाधान की पूर्ण व्यवस्था हो ।
अभ्यास-प्रश्न
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very short answer questions) : 1. भारत में सर्वप्रथम गेहूँ पर प्रजनन कार्य किसने शुरू किया ?
2. गेहूँ की कौनसी प्रजाति ‘ब्रेड व्हीट’ (Bread Wheat) कहलाती है ?
3. चावल की इण्डिका एवं रिमी किस्मों को……………….किस्म से उत्परिवर्तन प्रजनन विधि द्वारा प्राप्त किया गया है ?

4. गेहूँ की चार नयी किस्मों के नाम लिखो ।
5. चावल की चार किस्मों के नाम लिखो।
6. भारत में हरित क्रान्ति के जनक का नाम लिखो ।
लघूत्तरात्मक प्रश्न ( Short Answer Questions ) :
1. आनुवंशिक रूप से उन्नत बीजों (HYV) के लक्षण लिखिए ।
2. डॉ. नॉरमैन बॉरलॉग का हरित क्रान्ति में योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए |
3. हरित क्रान्ति की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay type Questions ) :
1. भारतवर्ष में गेहूँ में किए गये पादप प्रजनन कार्य का वर्णन कीजिए ।
2. भारतवर्ष में चावल में किए गए पादप प्रजनन कार्य का उल्लेख कीजिए ।
3. हरित क्रान्ति पर निबन्ध लिखिए।

उत्तरमाला (Answers)
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न :
1. डॉ. एल्बर्ट
2. ट्रिटिकम एस्टीवम
3. जेपोनिका ।