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आदर्श गर्भ निरोधक , गर्भ निरोधक उपाय (विधियाँ) , महत्व Ideal contraceptive in hindi

Ideal contraceptive in hindi आदर्श गर्भ निरोधक , गर्भ निरोधक उपाय (विधियाँ) , महत्व

आदर्श गर्भ निरोधक:-

1 प्रयोगकर्ता के हितों की रक्षा करने वाली हो

2 गोपनीयता

3 दुष्प्रभाव कम से कम हो अथवा थोडा हो

4 आसानी से उपलब्ध हो।

5 उपयोगकर्ता की कामेच्छा व मैथुन क्रिया में बाधक न हो।

गर्भ निरोधक उपाय (विधियाँ):- 

A – प्राकृतिक विधियाँ

1 आवधिक संयम:- निषेच्य अवधि के दौरान मैथून क्रिया न करना।

2 अंतरित मैथुन:-

मैथुन क्रिया के दौरान वीये संखलन से पहले पुरूष अपना लिंग मादा की योनि से बाहर निकाल लेता है। इस क्रिया को अंतरित मैथुन कहते है।

3 स्तनपान अनार्तव :-

शिशु को स्तनपान करवाने की अवधि 4-6 माह तक गर्भधारण की संभावना कम होती है।

महत्वः

किसी भी औषधि /साधन का प्रयोग नहीं करना पडता अतः दुष्प्रभाव काफी होते है। ये प्रथम सन्तान या सन्तानों में अन्तर रखने के लिए उपयुक्त है।

 कमी/दोष:- इनकी सफलता की दर कम होती है।

B  कृत्रिम विधियाँ:-

1 रोध ठंततपमत विधियाँ:- क्रियाविधि (सिद्धान्त):-

इनमें शुक्राणु एवं अण्डाणु को आपस में मिलने नहीं दिया जाता है।

उदाहरण:- कण्डोम (निरोध), डायफ्राम, गर्भाशय ग्रीवाटोप, बोल्ट, शुक्राणुनाशक क्रीम, जैली या फोम

महत्व:-

1 गोपनीयता:- स्वयं प्रयोग कर सकता है।

2 योैन रोगों से बचाव:-

 दुष्प्रभाव कम:-

 अंतः गर्भाशय युक्तियाँ क्रियाविधि(Intrauterine device )(IUD ):-

1 शुक्राणु की गतिशीलता कम करना।

2 भ्रुण की रोपण के अयोग्य बनाना

3 ओषधि रहित:- लिप्टेस लूप उदाहरण:-

1 ताँबा मोचक Cu-T , Cu -7 , मल्टीलोड 375 – T

2 हार्मोन मोचक  IUD – प्रोजेस्टॉर्ट LNG 20

महत्व:-

सन्तानों में अन्तराल रखने की सर्वातम विधि है। अतः महिलाओं द्वारा अधिक प्रयोग की जाती है।

 कमी:- यह किसी विशेषज्ञ या प्रशिक्षित नर्स द्वारा लगवायी जानी चाहिए

3 खाने वाली औषधियाँ:-

 क्रिया विधि:-

1. प्रतिदिन 1 से 21 (22 से 28):- आयरन

2. साप्ताहिक:-

गैर-स्टीरायॅड सहेली माला-प्ट लखनऊ

3. खोज:-

केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान ब्व्त्प् आपातकालीन:-unwanted .72

4. अन्तर्रौप टीके:-

ये प्रोजेस्टोरोन या एस्ट्रोजन या इनके संयोजन से बने होते है इन्हें टीके के रूप में बाँहांे में लगाया जाता है अथवा छोटा सा चीरा लगाकर बाँह की त्वचा के नीचे रखा जाता है ये लम्बे समय तक प्रभावी रहते है।

5. बन्धयकरण/शल्यक्रिया/नसबंदी:-

ऐसे दम्पती जिन्हें आगे और सन्तान नहीं चाहिए वे शल्य क्रिया को अपनाते है यह गर्भनिरोध का स्थाई समाधान है । यह क्रिया दो प्रकार की होती है।

1- शुक्रवाहक उच्छेपन (वासैक्टोनी):- 

(पुरूष नसबंदी) इसमें शुक्रवाहक के छोटे भाग को चीरा लगाकर हटा देते है या बांध देते है

2- डिम्बवाहिनी उच्छेपन टुबेक्टोनी- महिला नसबंदी:-

इसमें महिला के उदर में छोटा सा चीरा लगाकर अथवा योनी मार्ग के द्वारा डिम्वाहिनी के छोटे से भाग को काँट या बाँध दिया जाता है।

सावधानियाँ:- किसी योग्य विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक की सलाह से इनका प्रयोग करना चाहिए।

दुष्प्रभाव:- पेटदर्द, उल्टी, जी घबराना, रक्त स्त्राव, अभिव्यक्ति, मासिक धर्म, वजन बढना, स्तर कैंसर