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Categories: BiologyBiology

पादप का वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया क्या है how to give scientific name of plants in hindi process

how to give scientific name of plants in hindi process पादप का वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया क्या है पादपों को या फलों को वैज्ञानिक नामकरण कैसे किया जाता है ?

कुलों के नाम (names of the families) : कुल का नाम एक बहुवचन विशेषण होता है। यह उस कुल के किसी वंश को विधिसम्मत दिए गए लैटिन भाषा में से प्रत्यय अथवा अनुलग्नक लगाने से बनता है। जैसे माल्वा से माल्वेसी। लेकिन यह सिद्धान्त संवहनी पौधों के आठ कुलों में लागू नहीं होता है। इन आठ कुलों के नाम के अंत में -aceae प्रत्यय नहीं जोड़ा जाता लेकिन फिर भी काफी समय से प्रयुक्त किये जाने के कारण ये नाम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है , हालाँकि पिछले कुछ वर्षो में नामकरण संहिता के अनुरूप इनके वैकल्पिक नाम भी प्रस्तुत किये गए है। इन कुलों के मूल नाम और वैकल्पिक नाम इस प्रकार से है –

वास्तविक नाम वैकल्पिक नाम
पामी अरेकेसी
ग्रेमिनी पोएसी
क्रुसीफेरी ब्रैसिकेसी
लेग्यूमिनोसी फेबेसी
गट्टीफेरी क्लूसीयेसी
अम्बेलीफेरी एपियेसी
लेबियेटी लेमियेसी
कम्पोजिटी एस्टेरेसी

वंश का नाम (name of genus)

वंश का नाम एक संज्ञा शब्द होता है तथा सदैव बड़े अक्षर से प्रारम्भ होता है। ये नाम प्राय: एकवचन में होते है। पहले वंशीय नाम केवल लैटिन शब्दों में ही हुआ करते थे लेकिन अब अनेक वंशो के नाम प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के नामों का लैटिनीकरण करके रखे गए है। उदाहरणार्थ थिओफ्रेस्टा वंश का नाम वनस्पतिशास्त्र के जनक कहलाने वाले महान दार्शनिक थिओफ्रेस्टस के नाम पर लीनिया वंश का नाम कैरोलस लिनियस और जैफरसोनिया वंश का नाम थामस जैफरसन के नाम पर रखा गया है। इसके अतिरिक्त कुछ वंशों के नाम उनकी खोज के स्थान पर और क्षेत्रीय नामों के आधार पर भी रखे गए है। सामान्यतया वंश के नाम में केवल एक ही शब्द होता है लेकिन कुछ वंशो के नाम में दो शब्द है। ऐसी स्थिति में दोनों शब्दों का हाइफन द्वारा जोड़ दिया जाता है।

वंश नामों का संरक्षण (nominica generica conservanda)

कुछ ऐसे वंशीय नाम जो काफी लम्बे समय से प्रयुक्त हो रहे थे उनको प्राचीनतम नहीं होते हुए भी सर्वसम्मति से मान्यता प्रदान की गयी है। स्टॉकहोम कांग्रेस में संवहनी पौधों के 787 वंश नामों को संरक्षित किया गया था। यह प्राथमिकता के सिद्धान्त की सीमा है।

प्रजाति का नाम (name of the species)

प्रजाति का नाम प्राय: छोटे अक्षर से प्रारम्भ होता है और इसमें एक या दो शब्द होते है। यदि किसी जातीय नाम में दो या दो से अधिक शब्द हो तो इनको हाइफन लगाकर जोड़ दिया जाता है जैसे निक्टेंथस आरबोर ट्रिस्टिस।

प्रजातीय नाम निम्नलिखित स्रोतों से लिए जा सकते है –

(i) प्रजातीय संकेतक पद किसी प्रतिष्ठित वनस्पतिशास्त्री के नाम पर हो सकता है , जैसे – साइडा त्यागियाई में प्रजाति नाम प्रो। बी. त्यागी के सम्मान में रखा गया है। इस प्रकार के जातीय नाम किसी भी लिंग में हो सकते है।

(ii) प्रजातीय नाम पौधे के किसी विशेष लक्षण या जहाँ वह पाया जाता है उस स्थान के नाम पर भी रखे गए है , जैसे – शोरिया रोबस्टा स्वस्थ और सबल वृक्ष के लिए। ऐसी प्रजातीय नामों का लिंग वंशीय नाम के लिंग के समान होता है। प्रजातीय नाम वर्णात्मक विशेषण हो सकते है। ऐसे नाम दो या अधिक शब्दों के लैटिनीकरण से बनाये जाते है , जैसे प्रजातीय नाम ह्रदयाकार पत्ती के लिए , चौड़ी पत्ती वाली प्रजाति के लिए और रैखिक पत्ती वाली प्रजाति के लिए प्रयुक्त होता है। यदि प्रजाति किसी वंश से समानता प्रदर्शित करती है तो इन वंशों के नाम में प्रत्यय जोड़कर प्रजातीय नाम बनाये जाते है जैसे जैट्रोफा गोपीसीफोलिया में प्रजातीय नाम गोसीपीफ़ोलिया कपास की पत्तियों से समानता रखने के कारण निर्धारित किया गया है। प्रत्येक अवस्था में प्रजातीय उपनाम , वंश उपनाम से भिन्न होना चाहिए। ऐसे नाम जिनमें वंश तथा प्रजातीय उपनाम समान हो , पुनर्नाम कहलाते है , जैसे – लाइनेरिया लाइनेरिया। ऐसे नाम पादप नामकरण संहिता के अनुसार अवैध माने जाते है और अस्वीकृत किये जाने योग्य होते है।

खेतिहार पौधों के नाम (name of plants in cultivation) : यदि किसी प्राकृतिक अवस्था में पाए जाने वाले या जंगली पौधे को कृषि के लिए प्रयुक्त किया जाए तो उसका वास्तविक नाम बदला नहीं जाता।

लैटिन भाषा निदान (latin diagnosis) : इस नियम के अनुसार 1 जनवरी 1955 के बाद किसी भी नए वर्गिकीय वर्गक का वर्णन बिना लैटिन अनुवाद के मान्य नहीं होगा। इसके पूर्व किसी भी अन्य भाषा में वर्णन को स्वीकार कर लिया जाता था।

लेखक नाम सन्दर्भ (citation of author name)

किसी भी स्तर के वर्गक अथवा वर्गिकीय श्रेणी के नाम के साथ लेखक का नाम अनिवार्य रूप से होना चाहिए। जैसा कि निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है –

  1. liliaceae adans (इसका तात्पर्य है कि लिलियेसी कुल की स्थापना माइकल एडनसन द्वारा की गयी)
  2. Garuga roxb. (इसका अर्थ है कि गेरुगा वंश की स्थापना विलियम रॉक्सबर्ग द्वारा की गयी)
  3. garuga pinnata roxb. इसका अर्थ है कि गेरुगा वंश की पिन्नेटा प्रजाति की स्थापना रॉक्सबर्ग ने की थी।

यदि किसी पौधे का नामकरण एक लेखक द्वारा किया गया हो लेकिन मान्य विधि द्वारा प्रकाशन दुसरे लेखक द्वारा किया जाए तो दोनों लेखकों के नाम (संक्षिप्तीकरण में) पौधे के नाम के बाद लिखे जाने चाहिए , जैसे – सिसेमपिलोस पेरीरा बुच – हेम. एक्स डीसी। इसका तात्पर्य यह है कि सिसेमपिलोस पेरीरा नामक पौधे का नाम बुचानन और हेमिल्टन द्वारा किया गया लेकिन उन्होंने इस नाम के पौधे का विवरण प्रस्तुत नहीं किया था। इसका प्रमाणिकता वर्णन बाद में डी केन्डोले ने दिया था।

अन्य नियम

  1. जब एक वंश को दो अथवा अधिक वंशो में विभाजित किया जाता है तो प्रारंभिक , प्रामाणिक और मौलिक होलोटाइप वंश के लिए रखा जाता है। जब किसी प्रजाति का विभाजन आगे चलकर अन्य प्रजातियों के रूप में किया जाता है तब भी इसी नियम की पालना की जाती है। जैसे acer saccharum marsh नामक एसर की प्रजाति को दो अलग अलग प्रजातियों में क्रमशः और acer nigrum michx. F. के रूप में विभाजित किया गया था। परन्तु इसमें मौलिक नाम होलोटाइप के लिए रखा गया है।
  2. जब किसी पादप प्रजाति को अन्य वंश में मिला दिया जाता है तो मिलाने के बाद भी जातीय पद नाम संकेतक उसके साथ बना रहता है। उपर्युक्त तथ्य को निम्नलिखित उदाहरण द्वारा भली प्रकार समझा जा सकता है –

अमरीकन लार्क नामक वृक्ष का वानस्पतिक नामकरण डू रॉई द्वारा पाइनस लेरिसियाना के नाम से किया गया।

लेकिन बाद में माइकॉक्स ने इसे अन्य कोनीफर वंश लेरिक्स की एक प्रजाति के रूप में स्थापित किया और इसके नाम को परिवर्तित करके , इसका नाम लेरिक्स अमेरिकाना रखा।

लेकिन उपर्युक्त नियमानुसार यहाँ माइकॉक्स द्वारा नामकरण गलत है क्योंकि प्रजाति विशेषण नहीं होकर इसके लिए लेरिसियाना होना चाहिए था। बाद में इस त्रुटी का निदान के. कोच के द्वारा किया गया और उन्होंने इसका सही नामकरण लेरिक्स लेरिसियाना के रूप में प्रस्तुत किया।

  1. जब दो अथवा दो से अधिक समान स्तर वाली वर्गिकीय श्रेणियों को मिलाया जाता है तो इनमें प्राचीनतम विशेषण अथवा नाम को ही चयनित किया जाता है। अगर दोनों नाम समकालीन अथवा एक दिन प्रस्तुत हुए हो तो इस कार्य को सम्पादित करने या नाम को जोड़ने वाला लेखक अपनी इच्छा से किसी एक को चुन सकता है।
  2. जब किसी वर्गिकीय श्रेणी के स्तर में परिवर्तन किया जाता है अर्थात वंश को कुल में अथवा कुल को वंश में परिवर्तित किया जाता है तो सबसे पुराना नाम अथवा प्राचीनतम विशेषण नवीन वर्गक को प्रदान किया जाता है।

नाम को अस्वीकृत करना अथवा अस्वीकरण (rejection of names in taxonomy)

  1. किसी भी पौधे का नाम अथवा पद संकेतक केवल इसलिए अस्वीकृत , रूपान्तरित अथवा परिवर्तित नहीं किया जा सकता है कि वह भली भाँती चयनित नहीं है अथवा सहमती योग्य नहीं अथवा यदि इसका दूसरा नाम रख दिया जाए तो वह अधिक प्रसिद्ध होगा या और अच्छी तरह से जाना जायेगा।
  2. केवल अवैध नाम को ही अस्वीकृत किये जाने योग्य माना जा सकता है। यहाँ अवैध नाम से हमारा तात्पर्य निम्नलिखित कमियों अथवा त्रुटियों वाले नाम से है –

(i) नामकरण पद्धति के अनुसार एक से अधिक नाम हो अथवा कृत्रिम और सतही नामकरण हो।

(ii) जब नामकरण निर्दिष्ट धाराओं अथवा उपनियमों के अनुसार नहीं किया गया हो।

(iii) यदि एक ही नाम दो प्रजातियों को दिया गया हो (समनाम homonyms) तो बाद में दूसरी प्रजाति को दिया गया नाम अवैध होगा।

(iv) यदि एक अस्वीकृत करने योग्य वंशीय नाम हो।

(v) यदि यह प्रजातीय नाम ऐसे कार्य या शोध लेख प्रकाशन के अंतर्गत प्रकाशित हुए हो , जिसमें द्वि पद नामकरण पद्धति का अनुसरण नहीं किया गया हो।

(vi) यदि कोई नाम पुनर्नाम अथवा टाटोनिम हो तो वह अस्वीकृत किये जाने योग्य है ,

जैसे – फ्रेगमाइटिस फ्रेगमाइटिस।

एक पौधे साइलेन की एक प्रजाति का वैध नाम साइलेन कुकुबेलस है लेकिन इसी प्रजाति के अनेक अवैध नाम भी है , जैसे – साइलेन वल्गेरिस और साइलेन लेटीफ़ोलिया।

  1. किसी वर्गक का यदि कोई नाम भ्रान्तिपूर्ण हो अथवा भ्रम उत्पन्न करता हो अथवा इस नाम के कई अर्थ निकलते हो तो ऐसे नाम को छोड़ देना चाहिए , ऐसे नामों को संदिग्थ नाम अथवा नोमिना एम्बिगुआ कहते है।
  2. दो अलग अलग तत्वों को मिलाकर बने हुए वर्गक के नाम को अस्वीकृत कर दिया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए एक चीनी संग्रहकर्त्ता ने एस्कुलस के पादप प्रतिरूप की अपनी शीट में शीर्षस्थ कलिका के ऊपर वाइबरनम का पुष्पक्रम संलग्न कर दिया , इस हरबेरियम शीट प्रतिरूप के आधार पर ओलिवर ने इस पादप वंश का नामकरण एक्टिनोटिनम पादप के रूप में किया लेकिन यह वंश क्योंकि 2 भिन्न वर्गक (पादप) तत्वों के संश्लेषण से बनाया था अत: यह नामकरण प्रारंभ से ही गलत है। इसे भ्रांत नाम अथवा नामेन कन्क्युजम कहते है।
  3. अवैधानिक वंशीय नामों को अस्वीकृत कर दिया जाना चाहिए। ऐसा निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जा सकता है –

(i) यदि इनके शब्द उद्देश्यपूर्ण न हो।

(ii) आकारिकी लक्षणों को निरुपित करने वाले तकनिकी शब्दों के समान हो।

(iii) यदि अपने प्रजातीय नाम के समान हो।

(iv) यदि उनमें 2 अलग अलग और बिना हाइफन वाले शब्द हो।

  1. वे अवैधानिक प्रजातीय नाम भी अस्वीकृत कर दिए जाने योग्य होते है जो –

(i) उद्देश्यविहीन शब्दों वाले हो।

(ii) विस्तृत विवरण के लिए प्रयुक्त सामान्य विशेषण हो।

(iii) अगर ये वंशीय नाम की पुनरावृत्ति करते हो अर्थात पुनर्नाम हो।

(iv) अगर ये प्रजातीय नाम ऐसे प्रकाशन में उल्लेखित किये गए हो , जिसके अंतर्गत द्विपद नाम पद्धति का अनुसरण नहीं किया गया हो।

  1. टाइपिंग अथवा हस्तलेख में की गयी भूल को छोड़कर नामकरण में नाम के मौलिक अक्षर विन्यास को बनाये रखना चाहिए।

सुझाव अथवा संस्तुति (recommendations)

इसके अंतर्गत नामकरण सम्बन्धी नियमों के उपयोगो की व्याख्या की गयी है। इन सुझावों का उद्देश्य भविष्य में किये जाने वाले पादप नामकरण में एकरूपता और स्पष्टता स्थापित करना है। उदाहरण के लिए यहाँ एक संस्तुति को लिया जा सकता है जो निम्नलिखित है –

सभी प्रजातीय और तृतीयक नाम अथवा पद संकेत अंग्रेजी के छोटे अक्षर से प्रारंभ से प्रारंभ किये जाने चाहिए। अपवाद स्वरूप अंग्रेजी के बड़े अक्षरों का उपयोग प्रजातीय नाम के लिए तभी किया जा सकता है जब वे सीधे मनुष्यों के आराध्य देवों के नाम से लिए गए हो। यह उल्लेखनीय तथ्य यहाँ है कि आजकल भारत सहित अधिकांश देशो और क्यू बुलेटिन में सभी प्रजातिय और अन्तराजातीय विशेषणों को छोटे अक्षरों में लिखे जाने की परम्परा है।

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1 : पादप नामकरण कहते है किसी पौधे को –

(अ) वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया

(ब) प्राचीन ग्रन्थ में लिखे नाम

(स) स्थानीय नाम देने की प्रक्रिया

(द) लैटिन नाम देने की प्रक्रिया को

उत्तर : (अ) वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया

प्रश्न 2 : लेखक द्वारा नामकरण के लिए प्रयुक्त पादप प्रारूप कहलाता है –

(अ) चयन प्ररूप

(ब) नाम प्ररूप

(स) सम प्ररूप

(द) सह प्ररूप

उत्तर :(ब) नाम प्ररूप

प्रश्न 3 : नामकरण की द्विनाम पद्धति का उपयोग लिनियस ने किया था –

(अ) जेनेरा लान्टेरम में

(ब) पाइनेक्स में

(स) स्पीसीज प्लान्टेरम में

(द) ओरिजिन ऑफ़ स्पिसिज में

उत्तर : (स) स्पीसीज प्लान्टेरम में

प्रश्न 4 : गेस्पार्ड बहिन द्वारा लिखित पुस्तक का नाम है –

(अ) जेनेरा प्लान्टेरम

(ब) स्पीसीज प्लान्टेरम

(स) नोमिना प्लान्टेरम

(द) पाइनेक्स

उत्तर : (द) पाइनेक्स

प्रश्न 5 : अस्वीकृत किये जाने योग्य है –

(अ) पुनर्नाम

(ब) प्रजाति नाम

(स) वंश नाम

(द) नाम प्ररूप

उत्तर : (अ) पुनर्नाम

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