JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

Homeostasis in hindi समस्थिति या होमियोस्टेसिस को उदाहरण सहित समझाइए क्या है परिभाषा किसे कहते हैं

पढों Homeostasis in hindi समस्थिति या होमियोस्टेसिस को उदाहरण सहित समझाइए क्या है परिभाषा किसे कहते हैं ?

समस्थिति या होमियोस्टेसिस (Homeostasis)

मूत्र निर्माण एवं उसके बाहर निष्कासन के अलावा वृक्क का कार्य जल-संतुलन (water balance), लवण संतुलन (salt balance) एवं अम्ल-क्षार संतुलन (acid-base balance) भी बनाये रखता है। इसके शरीर को स्थिर अवस्था (constant state) में बनाये रखता हैं वाल्टर केनन (Walter canon) ने इसे सर्वप्रथम समस्थिति या होमियोस्टेसिस (homeostasis) नाम दिया। इसे निम्न 4 कार्यों द्वारा समझाइयो जा सकता है।

  1. द्रव्य सन्तुलन का नियंत्रण (Regulation of fluid balance) : वृक्क शरीर में जल की मात्रा को निश्चित बनाये रखते हैं। यह शरीर में ली जाने वाली जल की मात्रा (intake of water) एवं बाहर निकाले जाने वाली मात्रा (output of water) में सम्बन्ध स्थापित करते हैं। उदाहरण के लिये यदि किसी व्यक्ति के शरीर से उल्टी (vomiting) या दस्त (diarrhoea) के रूप में अधिक पानी का ह्रास (loss) होता है तो वृक्क कम मात्रा में मूत्र शरीर से बाहर निकालते हैं। इससे शरीर में पानी की मात्रा और अधिक कम नहीं हो पाती है तथा अन्तरिक वातावरण स्थिर बना रहता है। 2. नाइट्रोजन युक्त पदार्थों का निष्कासन (Elimination of nitrogenous wastes) : मूत्र के रूप में वृक्क प्रोटीन उपापचय (protien metabolism) से प्राप्त पदार्थ जैसे अम्बेनिया,

एवं यूरिक अम्ल को शरीर से बाहर निकालते हैं। इन पदार्थों का रूधिर से निस्पंदन (filtration) मूत्र नलिकाओं द्वारा होता है ।

  1. रूधिर से अन्य पदार्थों का निष्कासन (Removal of other substances from blood): वृक्कों द्वारा रूधिर से नाइट्रोजन युक्त पदार्थों के अतिरिक्त खनिज लवणों (mineral salty) दवाईयाँ जैसे आयोडाइड्स (drugs as iodides), सेन्टोनिन ( santonin), आर्सेनिक ( arsenic) जीवाणुओं (bacteria) आदि को भी शरीर से बाहर निकाला जाता है।

वृक्कों द्वारा रेनिन (renin) नामक हार्मोन स्त्रावित होता है जो धमनियों में रक्त दाब को नियम करता है इससे होमियोस्टेसिस की स्थिति बनी रहती है।

  1. अम्ल-क्षार संतुलन (Acid base balance) : वृक्क शरीर से अकार्बनिक लवण नाइट्रोजनी पदार्थों को लगातार बाहर निकालते रहते हैं जिससे शरीर का अम्ल क्षार संतुलन बना र है। शरीर में निरन्तर कोशिकीय ग्लूकोज से उपापचय से CO2 उत्पन्न होती है। कुल उत्पति का 30% CO2 RBC के जल के साथ मिलकर कार्बोनिक अम्ल (HCO3) बनता है। यह तुरन्त वियोजित है (dissociate) होकर Ht एवं HCO, आयन देता है। इस तरह मुक्त H+ के कारण रक्त का अम्लत निरन्तर बढ़ती है। अत: इन H’ आयन का निष्क्रियन आवश्यक होता है। यह कार्य अमोनिया ? किया जाता है। इस तरह रक्त में अम्ल क्षार संतुलन स्थिर रह जाता है।

समस्थापन (Homeostasis)

समस्थापन मानव शरीर में एक प्राकृतिक कार्यिकीय (Physiologycal) क्रिया है। इसका अर्थ Homeo = same, statsis = stainding still है। वातावरण हमेशा परिवर्तनशील होता है पर हमारे शरीर का आन्तरिक वातावरण हमेशा एक सा रहता है। बाह्यी वातावरण के परिवर्तन के बाद भी शरीर का आन्तरिक वातावरण एक सा रहे। इसे ही समस्थापन ( Homeostasis) कहते हैं। बाही वातावरण का तापक्रम ज्यादा या कम हो सकता है पर हमारे शरीर का तापक्रम हमेशा समान है। रहता है। यह हमारे शरीर की समस्थापन की क्षमता के कारण होता है। जन्तु जगत में मानव में यह क्षमता सबसे अधिक होती है। हमारे शरीर में जल की सान्दता हमेशा एक सी ही बनी हरती है। अगर जल की मात्रा कम होती है तो उसे हम जल पीने से पूरा करते हैं एवं अधिक हो तो उसे उत्सर्जन के द्वारा शरीर से बाहर निकालते हैं। अर्थात् शरीर में जल हमेशा समस्थापन अवस्था में रहता है। इसी प्रकर से हमारे शरीर Nat, K+ का भी समस्थापन आवश्यक है। अगर Nat की मात्रा ज्यादा या कम हो तो यह जल की समस्थापन को प्रभावित करता है। शरीर का स्वस्थ रखने के लिये Na+ एवं K + का समस्थापन अवस्था में रहना आवश्यक होता है। हम जानते हैं कि शरीर को समस्थापन अवस्था में रखने का महत्वपूर्ण कार्य त्वचा एवं उत्सर्जन तन्त्र करता है। अगर वातावरण का तापक्रम अधिक है तो त्वचा का ताप बढ़ जाता है। पसीना आने से त्वचा का तापक्रम हो जाता है एवं शरीर के ताप क्रम को समस्थापन हो जाता है। 100 प्रतिशत उत्सर्जन द्रव्य में से 98 प्रतिशत पदार्थ फिर से अवशोषित कर लिये जाते हैं। सिर्फ 2 प्रतिशत मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकाले जाते हैं। अगर ऐसा न हो तो शरीर के आन्तरिक वातावरण की समस्थापन गड़बड़ हो जायेगा। हमारा शरीर लाखों करोड़ों कोशिकाओं से मिलकर बनाता है। प्रत्येक कोशिका के स्तर पर समस्थापन रखने की क्षमता होती है।

हमारे शरीर में समस्थापन में लगभग सभी हार्मोन्स अपना महत्वपूर्ण कार्य करते हैं पर निम्नलिखित महत्वपूर्ण है।

  1. थाइरॉइड हार्मोन ये शरीर के 25% उपाचय को नियन्त्रित करते हैं।
  2. कॉर्टिसाल ये स्वयं भी प्रभावित करते हैं और दूसरे हार्मोन्स को भी प्रभावित कर समस्थापन में महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
  3. पेराथाइरॉइड हार्मोन (PTH): यह केल्सियम और फास्फोरस के स्तर को नियन्त्रित करता है।
  4. वेसाप्रेसिन उत्सर्जन के जल हानि को रोकता है।
  5. मिरलोकॉर्टिकोइड यह रूधिर मात्रा (Vascular Volume) को नियन्त्रित करता है साथ ही इलेक्ट्रोलाइट (Na’, K’) की सान्द्रता को नियन्त्रित करता है।
  6. 6 इन्सूलिन यह शरीर में ग्लूकोस की मात्रा को नियन्त्रित करता है।
  7. हमारे शरीर में रासायनिक के कई पैरामीटर होते हैं। इन सब क्रियाओं में सन्तुलन बना रहना आवश्यक है। अगर शरीर के आन्तरिक वातावरण में समस्थापन में कम या अधिकता हो तो व्यक्ति रोग ग्रसित हो जाता है। स्वस्थ रहने के लिये शरीर के आन्तरिक वातावरण में समस्थापन आवश्यक
  8. है।
  9. प्रश्न
  10. (Questions )
  11. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिये। (Answer the following questions in detail)
  12. मूत्र निर्माण क्रिया विधि का वर्णन कीजिये। इसमें परानिस्पंदन तथा वरणात्मक पुनरषण की क्या भूमिका होती है ? ये क्रियाएँ कहाँ व कैसे होती है।
  13. उत्सर्जन क्रिया से आप क्या समझते हैं ? स्तनधारियों के यकृत में अमीनों अम्ल से यूरिया निर्माण कैसे होता है ?
  14. नाइट्रोजनयी अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन शरीर से कैसे होता है ? सचित्र वर्णन कीजिये । 4. उत्सर्जन में यकृत की भूमिका समझाइये ।
  15. स्तनियों में उत्सर्जन क्रिया पर एक निबन्ध लिखिये ।
  16. मनुष्य के एक प्रारूपी नेफ्रॉन का सम्पूर्ण पृष्ठीय नामांकित आरेखी चित्र बनाइये और इसमें मूत्र-निर्माण की क्रिया – विधि का विस्तृत वर्णन कीजिय ।
  17. परानिस्पंदन एवं पुनः अवशोषण की क्या भूमिकाएँ होती है ? ये क्रिया कहाँ व कैसे होती है ?
  18. वृक्कों द्वारा परासरण नियंत्रण क्रिया को विस्तार से समझाइये |
  19. जन्तुओं के प्रमुख उत्सर्जी पदार्थों का वर्णन कीजिये ।
  20. उत्सर्जन क्या है ? अमोनोटेलिक, यूरिओटेलिक एवं यूरिकोटेलिक से आप क्या समझते हैं ?
  21. विभिन्न प्रकार के नाइट्रोजनी उत्पादों का वर्णन कीजिये तथा इनके निर्माण में यकृत का योगदान बताइये।
  22. वृक्क की रचना का वर्णन कीजिये तथा स्तनियों में मूत्र के निर्माण की क्रिया को विस्तार से समझाइये।
  23. मूत्र के सान्द्रण की प्रतिधारा क्रियाविधि का वर्णन कीजिये तथा हारमोन्स द्वारा मूत्र निर्माण के नियंत्रण का उल्लेख कीजिये ।
Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now