hindu festival name list in hindi हिन्दू धर्म के त्योहारों के नाम , लिस्ट , हिंदू त्योहार पहचानो , हिन्दु फेस्टिवल्स
हिंदु त्यौहार
हिन्दू त्यौहार विक्रम संवत (विक्रमी कैलेंडर) के अनुसार मनाये जाते है |विक्रम कैलेंडर “ईस्वी कैलेंडर” से 57 वर्ष आगे चलता है | अर्थात विक्रमी संवत = ईस्वी कैलेंडर सन + 57 वर्ष
विक्रमी कैलेंडर चन्द्रमा आधारित कैलेंडर होता है।
सूर्य आधारित कैलेंडर (ईस्वी कैलेंडर) के बराबर करने के लिए प्रत्येक 3 वर्षो में विक्रमी कैलेंडर में एक अतिरिक्त महिना जोड़ दिया जाता है , इस अतिरिक्त महीने को अधिक मास कहते है।
सूर्य आधारित कैलेंडर से विक्रमी कैलेंडर 11 दिन 3 घाटी और 48 पल छोटा होता है। (1 वर्ष में)
विक्रमी कैलेंडर (विक्रमी संवत) के महीने –
1. चैत्र 2. वैशाख
3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़
5. श्रावण 6. भाद्रपद
7. आश्विन 8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष 10. पौष
11. माघ 12. फाल्गुन
विक्रमी कैलेंडर के महीनो में 15-15 दिन के दो पखवाड़े होते है | प्रथम 15 दिन के पखवाड़े को कृष्ण पक्ष कहा जाता है।
अगले 15 दिन के पखवाडे को शुक्ल पक्ष कहा जाता है।
हिंदु नववर्ष : चैत्र शुक्ल एकम को हिन्दू नववर्ष मानते है।
प्रथम हिन्दू त्यौहार : छोटी तीज (श्रावण शुक्ल तृतीया)
अंतिम हिन्दू त्यौहार : गणगौर (चैत्र शुक्ल तृतीया )
छोटी तीज को हिन्दुओं का प्रथम त्यौहार तथा गणगौर को अंतिम त्यौहार माना जाता है।
हिन्दू त्यौहार के लिए कहा भी जाता है –
“तीज त्यौहारा बावड़ी , ले डूबी गणगौर”
अर्थात तीज हिन्दू में त्यौहार लेकर आती है तथा गणगौर के साथ हिंदु त्योहारों का अंत होता है। (1 वर्ष में)
श्रावण मास में त्यौहार
श्रावण कृष्ण पक्ष के त्यौहार :-
1. श्रावण कृष्ण पंचमी : नाग पंचमी –
नाग पञ्चमी को नाग (सर्प) की पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर नाग पंचमी श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है।
2. श्रावण कृष्ण नवमी : निडरी नवमी –
निडरी नवमी को नेवले की पूजा की जाती है।
3. श्रावण कृष्ण अमावस्या : हरियाली अमावस्या –
इसे पिटठोरी व्रत भी कहा जाता है।
जिन महिलाओं की संतान प्रसूति के बाद मर जाती है। मुख्य रूप से वे महिलाएँ इस दोष के निवारण के लिए व्रत रखती है।
हरियाली अमावस्या को कल्प वृक्ष की पूजा की जाती है। अजमेर जिले में मांगलियावास नामक गाँव में कल्पवृक्ष का मेला भरता है।
हरियाली अमावस्या पर अन्य मेले –
फ़तेह सागर मेला – उदयपुर
बुद्दा जोहड़ मेला – श्री गंगानगर
श्रावण शुक्ल पक्ष के त्यौहार :-
श्रावण शुक्ल तृतीया : छोटी तीज –
यह मुख्यतः स्त्रियों एवं नव विवाहिताओं का त्यौहार होता है , इसमें महिलायें अपने पति की दीर्घ आयु के लिए व्रत करती है। यह पति पत्नी के प्रेम का त्यौहार होता है।
छोटी तीज को श्रावणी तीज भी कहा जाता है।
जयपुर की छोटी तीज विश्व प्रसिद्ध है। इस दिन जयपुर में तीज माता की भव्य सवारी निकाली जाती है।
छोटी तीज को देवी पार्वती के प्रतिक के रूप में तीज की पूजा की जाती है।
सिंजारा : नवविवाहिता के लिए ससुराल पक्ष द्वारा कपडे , श्रृंगार सम्बन्धित उपहार भेजे जाते है , इन्हें सिंजारा कहा जाता है।
नवविवाहिता स्त्रियाँ इस दिन श्रृंगार (सिंजारा) आदि करती है तथा लहरियाँ ओढनी ओढती है। नवविवाहित महिलाओ को तीज से पहले पीहर में भेज दिया जाता है तथा उनके लिए ससुराल पक्ष द्वारा सिंजारा भेजा जाता है। ऐसी परम्परा है कि नवविवाहिता अपना पहला तीज पीहर में मनाएगी तथा शादी के बाद का श्रावण माह भी पीहर भी बिताएगी।
यह प्रकृति प्रेम का त्यौहार होता है , इस दिन नवविवाहिताएं पेड़ पर झूला झूलती है और ऋतू तथा श्रृंगार से सम्बंधित गीत गाती है।
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा – रक्षा बंधन
इस त्योहार को नारियल पूर्णिमा या सत्य पूर्णिमा भी कहा जाता है।
यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार होता है , बहने , अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है।
इस दिन मुख्य द्वार के दोनों तरफ श्रवण कुमार के चित्र बनाये जाते है तथा श्रवण कुमार की पूजा की जाती है। इस दिन श्रवण कुमार (मांडने) की व सप्त ऋषि की पूजा की जाती है।
भाद्रपद माह के त्यौहार
भाद्रपद कृष्ण पक्ष में त्यौहार :-
भाद्रपद कृष्ण तृतीया – बड़ी तीज / बूढी तीज / कलजी तीज / सातुड़ी तीज –
इस दिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखा जाता है। देवी पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में महिलाओ द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता है। इस व्रत को गौरी व्रत भी कहते है।
इस दिन महिलाओ द्वारा नीम की पूजा की जाती है। बूंदी में “कजली तीज” की भव्य सवारी निकलती है जो प्रसिद्ध है।
भाद्रपद कृष्ण षष्ठी : हल छठ / उब छठ
इस दिन को भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम की जयन्ती (जन्मोत्सव) के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन “हल” की पूजा की जाती है। इस दिन पुत्रवती महिलाएं व्रत रखती है।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी : कृष्ण जमाष्टमी –
इस दिन को कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि को रात को बारह बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते है।
राजसमंद जिले में स्थित नाथद्वारा में जन्माष्टमी का मेला भरता है।
भाद्रपद कृष्ण नवमी : गोगा नवमी –
इस दिन को राजस्थान के लोकदेवता गोगा जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गोगा जी की पूजा की जाती है।
इस दिन किसान हल को 9 गाँठ वाली राखी बाँधते है। इस दिन हनुमानगढ़ जिले में स्थित “गोगामेडी” नामक स्थान पर मेला लगता है। तथा चुरू जिले के “ददरेवा” स्थान पर भी मेला भरता है।
भाद्रपद कृष्ण द्वादशी / बारस : बछ बारस –
इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है , इस व्रत को “वत्स द्वादशी तथा वैदिक धेनु द्वादशी ” कहा जाता है।
इस दिन बछड़े की पूजा की जाती है , अंकुरित खाना जैसे चने , मटर आदि का सेवन किया जाता है और चाक़ू का प्रयोग नहीं किया जाता।
भाद्रपद कृष्ण अमावस्या : सती अमावस्या – भादवा बदी अमावस्या को सती अमावस्या (सतियाँ की अमावस्या) कहते है।
झुंझुनू में “रानी सती का मेला ” भरता है।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष के त्यौहार :-
भाद्रपद शुक्ल द्वितीया : बाबे री बीज
इस दिन को राजस्थान के लोक देवता राम देव जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इसे रामदेव जयंती भी कहा जाता है।
इस दिन रुणिचा (रामदेवरा) में मेला भरता है।
रुणीचा (रामदेवरा) का मेला भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से एकादशी तक लगता है। इस मेले को ‘मारवाड़ का कुम्भ’ भी कहा जाता है।
भाद्रपद शुक्ल तृतीय : हरतालिका तीज
यह त्यौहार गौरी शंकर की पूजा करके मनाया जाता है , इस दिन महिलायें व्रत रखती है।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी : गणेश चतुर्थी
इस दिन को शिव चतुर्थी , कलंक चतुर्थी तथा चतरा चौथ आदि नामो से भी जाना जाता है।
इस दिन को गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाते है।
इस दिन राजस्थान का सबसे बड़ा मेला रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में त्रिनेत्र गणेश मेला भरता है।
इसके अलावा जैसलमेर में “चुंघी तीर्थ मेला” भी इसी दिन लगता है।
इस दिन शिवा चतुर्थी होती है , महिलायें इस दिन उपवास रखती है।
महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी त्यौहार को विशिष्ट रूप में मनाया जाता है , वहां इस दिन जुलुस निकालकर गणेश जी की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है।
भाद्रपद शुक्ल पंचमी : ऋषि पंचमी
इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन व्रत किया जाता है। यह व्रत जाने अनजाने में किये गए पापो के प्रक्षालन हेतु किया जाता है। इस दिन सप्त ऋषि की पूजा की जाती है।
माहेश्वरी समाज का रक्षा बंधन इसी दिन मनाया जाता है।
इस दिन भोजन थाली मेला (कांमा , भरतपुर) तथा हरिराम जी का मेला (झोरडा , नागौर) प्रमुख मेले लगते है।
भाद्रपद शुक्ल अष्टमी : राधा अष्टमी
इस त्यौहार को राधा जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन अजमेर में स्थित सलेमाबाद की निम्बार्क पीठ में निम्बार्क सम्प्रदाय का मेला भरता है।
भाद्रपद शुक्ल दसमी : तेजा दसमी
यह त्यौहार राजस्थान के लोक देवता तेजाजी की पूजा करके मनाया जाता है।
इस दिन नागौर के परबतसर में विशाल मेला लगता है तथा खेजडली वृक्ष मेला भी इसी दिन होता है। इसी दिन विश्वकर्मा दशमी भी मनाई जाती है जिसमे लोग औजारों (यंत्रो) की पूजा करते है।
भाद्रपद शुक्ल एकादशी : जल झूलनी एकादशी
इसे देव झुलनी ग्यारस (एकादशी) भी कहा जाता है। इस दिन ठाकुर जी (कृष्ण , विष्णु जी) की सवारी निकाली जाती है , जिसे रेवाड़ी कहते है। इस दिन ठाकुर जी को बेवाण (विमान) में विराजमान कर गाजे बाजे के साथ जलाशय में स्नान करवाया जाता है। इस त्यौहार को विष्णु परिवर्तनोत्सव भी कहते है।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी : अनंत चतुर्दशी
इस दिन गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। इसी दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत भी रखा जाता है। व्रत में अनन्त के रूप में भगवन श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। स्त्रियाँ तथा पुरुष दोनों अपने हाथ में अनंत धारण करते है।
अनंत , कपास व रेशम के धागे से निर्मित होता है जिसमे चौदह गाँठे लगायी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि बांधा गया यह अनंत सूत्र संकटों से सबकी रक्षा करता है तथा सभी कष्ट दूर हो जाते है।
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा : श्राद्ध पक्ष
इस दिन से श्राद्ध प्रारंभ हो जाते है तथा अगले 15 दिन तक श्राद्ध चलते है अर्थात श्राद्ध भाद्र शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक चलते है। इसे पितृ पक्ष तथा महालय भी कहते है।
बुजुर्गो की मृत्यु तिथि के दिन श्राद्ध होता है।
श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य वर्जित माने जाते है।