ऊष्मा के सुचालक , चालकता , उष्मा का कुचालक , उष्मीय प्रतिरोध , wiedemann franz law in hindi

ऊष्मा के सुचालक (conductors of heat) : वह पदार्थ जिसमे ऊष्मा का संचरण बहुत ही आसानी से तीव्र वेग से होता है , ऊष्मा का सुचालक कहलाता है।  ऊष्मा चालक पदार्थो की ऊष्मा चालकता का मान भी बहुत अधिक होती है और इनमें मुक्त इलेक्ट्रान बहुतायत से पाए जाते है।  उदहारण : चाँदी , कॉपर , सोना आदि।

ऊष्मा चालकता के आधार पर ही किसी पदार्थ को ऊष्मा को अच्छा सुचालक या कुचालक कहा जाता है अत: ऊष्मा चालकता को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –

ऊष्मा चालकता “किसी पदार्थ की वह क्षमता जो पदार्थ से ऊष्मा के संचरण करने में सहायक हो। ”

अर्थात पदार्थ से ऊष्मा संचरण की क्षमता को ही ऊष्मा चालकता कहते है।

जो पदार्थ ऊष्मा को आसानी से संचरित करे उन पदार्थो को ऊष्मा का अच्छा चालक या सुचालक कहते है।

ऊष्मा के कुचालक (insulators of heat) : वे पदार्थ जिनसे होकर ऊष्मा का संचरण आसानी से नहीं हो पाटा है या ऊष्मा का संचरण बहुत ही धीमे गति से होता है या होता ही नहीं है , उन पदार्थो को ऊष्मा का कुचालक कहते है।

इन पदार्थो की ऊष्मा चालकता का मान बहुत कम होता है क्योंकि इन पदार्थो में मुक्त इलेक्ट्रान नहीं पाए जाते है या बहुत कम पाए जाते है।

उदाहरण : काँच , लकड़ी आदि।

नोट : मानव शरीर विद्युत के लिए एक सुचालक की तरह कार्य करता है लेकिन ऊष्मा के लिए कुचालक की तरह कार्य करता है।

उष्मीय प्रतिरोध (thermal resistance) : किसी भी पदार्थ का वह गुण जो ऊष्मा संचरण का विरोध करता है , उष्मीय प्रतिरोध कहलाता है। ऊष्मा संचरण का मान छड या पदार्थ मोटाई पर निर्भर करती है , जब छड की मोटाई अधिक होती है तो इसमें से ऊष्मा का संचरण भी आसानी से अधिक हो सकता है अत: ऊष्मा संचरण का मान छड की मोटाई के समानुपाती होता है।

विडमैन फ्रैंज नियम (wiedemann franz law in hindi) :  इस नियम के अनुसार एक निश्चित ताप T पर किसी पदार्थ के लिए ऊष्मा चालकता व विद्युत चालकता का अनुपात एक नियत राशी के बराबर होता है अर्थात नियत रहता है। इसी नियम के आधार पर हम कह सकते है कि जो पदार्थ विद्युत के अच्छे सुचालक है वे ऊष्मा के भी अच्छे सुचालक होंगे , हालांकि की इसमें कुछ अपवाद है जैसे की अभ्रक।