हार्डी सुल्जे का नियम (hardy schulze rule in hindi) , स्कंदन मूल्य या उर्णन मान

(hardy schulze rule in hindi) हार्डी सुल्जे का नियम : इस नियम के बारे में पढने से पहले पढ़ते है कि स्कंदन क्या होता है ताकि यह नियम और अधिक अच्छे से समझ आ सके।
स्कंदन : किसी कोलाइडी विलयन में कोलाइड कणों पर विद्युत आवेश उपस्थित रहता है और यही विद्युत आवेश कोलाइड विलयन के स्थायित्व का एक कारण होता है , यदि किसी विधि द्वारा कणो के आवेश को नष्ट कर दिया जाए तो कोलाइड कण आपस में संगुणित हो जाते है और गुरुत्वीय प्रभाव मे पात्र के पैंदे में बैठ जाते है , इस प्रकार आवेशित कणों का उदासीन होकर नीचे एकत्रित हो जाता या बैठने की प्रक्रिया को स्कंदन कहते है।
स्कंदन करने की विधि : किसी कोलाइड विलयन को स्कंदित करने की सबसे प्रचलित विधि है दो विपरीत आवेशित कोलाइड विलयन को आपस में मिला देना या किसी कोलाइड विलयन में विपरीत आवेश का पदार्थ (आयन) मिलाने से कोलाइडी कण इस आवेश को ग्रहण कर लेते है और उदासीन हो जाते है और इससे इनका स्कंदन हो जाता है।

हार्डी सुल्जे का नियम (hardy schulze rule)

किसी आयन अर्थात स्कंदन आयन की संयोजकता जितनी अधिक होती है , उसकी स्कन्दन करने की क्षमता उतनी ही अधिक होती है , इसी को हार्डी सुल्जे का नियम का नियम कहते है।
किसी ऋणात्मक कोलाइड विलयन के स्कंदन की क्षमता का धनात्मक आयनों का घटता हुआ क्रम निम्न है –

Al3+ > Ba2+ > Na+

इसी प्रकार धनावेशित कोलाइड कणों के प्रति ऋणायन आयनों की स्कंदन क्षमता का घटता हुआ क्रम -PO43- > SO42- > Cl
या
किसी कोलाइडी विलयन का स्कंदन करने में विद्युत अपघट्य का वह आयन प्रभावी होता है जिस पर आवेश , कोलाइड कणों पर उपस्थित आवेश के विपरीत प्रकृति का होता है।
जैसे धनात्मक आवेशित कोलाइड विलयन (Fe(OH)3) कणों के लिए ऋणायन स्कंदन का कार्य करता है , ठीक इसी तरह किसी ऋण आवेशित कोलाइड कणों (As2S3) के लिए धनायन स्कंदन का कार्य करता है।
स्कंदन मूल्य : किसी भी विद्युत् अपघट्य के मिली मोलो की वह संख्या की न्यूनतम संख्या जो एक लीटर कोलाइडी विलयन के स्कन्दन करने के  आवश्यक होती है , उसे ही विद्युत अपघट्य का स्कंदन मूल्य या उर्णन मान कहते है।
नोट : जिस विद्युत अपघट्य का स्कंदन या उर्णन मान का मान कम होता है उस विद्युत अपघट्य की स्कंदन शक्ति अधिक होती है।