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हैलोजन व्युत्पन्न (halogen derivatives in hindi) , एल्किल हैलाइड का वर्गीकरण , वाइनिल , एरिल
(halogen derivatives in hindi) हैलोजन व्युत्पन्न :
यह निम्न है –
- एल्किल हैलाइड
- एरिल हैलाइड
- एल्किल डाई हैलाइड
- एल्किल ट्राई हैलाइड
- एल्किल टेट्रा हैलाइड
- फ्रेओन्स
- D.D.T
- B.H.C
- अल्काइल हैलाइड: संतृप्त हाइड्रोकार्बन में एक हाइड्रोजन के स्थान पर हैलोजन जुडा हो तो ऐसे यौगिक एल्किल हैलाइड कहलाते है।
उदाहरण : एल्किल हैलाइड , मैथिल क्लोराइड।
एल्किल हैलाइड का सिंपल फार्मूला : CnH2n+1X
यहाँ : n = 1 , 2 , 3 ….
X = F , Cl , Br , I
एल्किल हैलाइड का वर्गीकरण
प्रश्न : 10 , 20 , 30 एल्किल हैलाइड को उदाहरण की सहायता से समझाते हुए हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।
उत्तर : (i) प्राथमिक एल्किल हैलाइड [10]
उदाहरण : एथिल क्लोराइड।
(ii) द्वितीय एल्किल हैलाइड [20]
उदाहरण : आइसो प्रोपिल क्लोराइड।
(iii) तृतीय एल्किल हैलाइड [30]
उदाहरण : टेट्रा ब्यूटाइल क्लोराइड।
प्रश्न : 10 , 20 , 30 ऐलाइल हैलाइड के उदाहरण देते हुए हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।
उत्तर : (i) प्राथमिक ऐलाइल हैलाइड [10]
उदाहरण : ऐलाइल क्लोराइड।
(ii) द्वितीय ऐलाइल हैलाइड [20]
उदाहरण : 3-क्लोरो-1-बुटेन
(iii) तृतीय ऐलाइल हैलाइड [30]
उदाहरण : 3-क्लोरो-3-मैथिल-1-बूटेन
प्रश्न : 10 , 20 , 30 बेन्जिल हैलाइड का उदाहरण की सहायता से समझाइये व हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।
उत्तर : (i) प्राथमिक बेन्जिल हैलाइड [10]
उदाहरण : बेन्जिल क्लोराइड या क्लोरो फेनिल मीथेन
(ii) द्वितीय बेन्जिल हैलाइड [20]
उदाहरण : 1 क्लोरो -1-फेनिल एथेन
(iii) तृतीय बेन्जिल हैलाइड [30]
उदाहरण : 2-क्लोरो-2-फेनिल प्रोपेन
प्रश्न : पाइनिल हैलाइड को उदाहरण की सहायता से समझाइये एवं हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था बताइये।
उदाहरण : विनाइल क्लोराइड क्लोरो एथेन (क्लोरो साइक्लो हेक्सेन)
समावयवता
- chain isomerism
उदाहरण : 1-क्लोरो बुटेन
1-क्लोरो-2-मैथिल प्रोपेन
- स्थिति समावयवता
उदाहरण : 1-क्लोरो बुटेन
2-क्लोरो बुटेन
- optical isomerism: chiral carbon containing halide show the optical isomerism .
C-X बंध की प्रकृति
(i) एल्किल हैलाइड :
- इसमें C-X बंध का निर्माण SP3-P अतिव्यापन द्वारा होता है।
- इसमें C-X बंध लम्बाई 1.78 एंगस्ट्राम होती है।
(ii) वाइनिल हैलाइड :
- इसमें C-X बंध का निर्माण SP3-P अतिव्यापन द्वारा होता है।
- इसमें C-X बंध की लम्बाई 1.69 A होती है।
- इसमें बंध लम्बाई , एकल बन्ध से कम व द्विबंध से अधिक होती है।
- ऐसा अनुनाद पाए जाने के कारण होता है।
(iii) एरिल हैलाइड :
- इसमें C-X बंध का निर्माण SP3-P अतिव्यापन द्वारा होता है।
- इसमें C-X बंध की लम्बाई 1.6 A है।
- इसमें C-X बंध नहीं टूटता है क्योंकि अनुनाद पाया जाता है।
प्रश्न : विभिन्न हैलोजन की मैथिल समूह के साथ बंध लम्बाई दीजिये।
उत्तर :
यौगिक | बंध लम्बाई (pm) |
CH3-F | 139 pm |
CH3-Cl | 178 pm` |
CH3-Br | 193 pm |
CH3-I | 214 pm |
बनाने की विधियाँ :
(i) एल्केन के हैलोजनीकरण द्वारा :CH3-CH3 + Cl2 → CH3-CH2-Cl
(ii) एल्किन की HX (HCl , HBr) से क्रिया द्वारा :
(iii) एल्कोल द्वारा :
निम्न विधियाँ प्रयुक्त करते है –
(a) हलोजन अम्ल की क्रिया से
(b) थिओनिल क्लोराइड की क्रिया से
(c) PCl5 and PCl3 की क्रिया से
(a) हलोजन अम्ल की क्रिया द्वारा :
नोट :
- इस अभिक्रिया से सान्द्र H2SO4 and Anhydo ZnCl2 द्वारा H2O का अवशोषण किया जाता है।
- इन अभिक्रियाओ में हैलोजन अम्लो की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न है –
HCl < HBr < HI
- इस अभिक्रिया में एल्कोहल की क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्न है –
CH3OH < 10 < 20 < 30
इस अभिक्रिया में HBr व HI को NaBr व NaI की सान्द्र H2SO4 की से प्राप्त करते है।
प्रश्न : R-Cl निर्माण की सर्वोत्तम विधि दीजिये।
उत्तर : एल्कोहल की अभिक्रिया SOCl2 से पिरिडीन की उपस्थिति में करने पर R-Cl बनता है। इसे डोर्जन अभिक्रिया भी कहते है।
इस अभिक्रिया में सह उत्पाद SO2 व HCl गैसीय अवस्था में होने के कारण आसानी से पृथक हो जाते है। इसलिए इसे R-Cl निर्माण की सर्वोत्तम विधि कहते है।
प्रश्न : डॉर्जन अभिक्रिया में उत्प्रेरक का मिश्रण दीजिये।
उत्तर : SOCl2 +पिरिडीन
प्रश्न : डॉर्जन अभिक्रिया द्वारा R-Cl बनता है जबकि R-Br और R-I नहीं बनता है , क्यों ?
उत्तर : क्योंकि SOBr2 अस्थायी है तथा SOI2 अज्ञात है।
हैलोजन विनिमय विधि (by halogen exchange method) :
- फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया
- स्वार्ट अभिक्रिया
- फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया: इस अभिक्रिया द्वारा मुख्य रूप से आयोडाइड बनाये जाते है।
R-X + NaI → R-I + NaX
यहाँ X = Cl , Br
उदाहरण :
C2H5-Cl + NaI → C2H5-I + NaCl
नोट : इस अभिक्रिया में NaI शुष्क एसीटोन में विलेय होने के कारण अभिक्रिया आसानी से संपन्न होती है।
NaCl व NaBr अवक्षेपित होने के कारण अभिक्रिया आसानी से ला-शेतेलिय के नियम से अग्र दिशा में संपन्न होती है।
- स्वार्ट अभिक्रिया: इस अभिक्रिया द्वारा मुख्य रूप से एल्किल फ्लोराइड बनाये जाते है।
R-X + AgF → R-F + AgX
यहाँ X = Cl , Br
उदाहरण :
C2H5-Cl + AgF → C2H5-F + AgCl
- वसा अम्लो के सिल्वर लवणों द्वारा या हुन्संडीकर अभिक्रिया या विकार्बोक्सीलीकरण ब्रोमिनिकरण अभिक्रिया :
- वसा अम्लो के बने सिल्वर लवणों की अभिक्रिया CCl4 की उपस्थिति में ब्रोमिन के साथ करवाने पर एल्किल या एरिल ब्रोमाइड बनते है , इसे हूंस डीकर अभिक्रिया कहते है।
- इस अभिक्रिया में एक कार्बन कम वाला उत्पाद प्राप्त होता है।
- इस अभिक्रिया में CO2 का त्याग होता है व ब्रोमिन जुड़ता है इसलिए इस अभिक्रिया को संयुक्त रूप से विकार्बोक्सिलीकरण ब्रोमिनीकरण अभिक्रिया भी कहते है।
- एमिन द्वारा: एमिन की अभिक्रिया टिल्डेन अभिकर्मक या नाइट्रोसील क्लोराइड (NOCl) के साथ करवाने पर एल्किल क्लोराइड बनते है।
R-CH2-NH2 + NOCl → R-CH2-Cl + N2 + H2O
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