हाल गुणांक का प्रायोगिक मापन (Experimental determination of Hall effect) hall effect in hindi हॉल प्रभाव क्या होता है परिभाषा किसे कहते हैं ?
हाल प्रभाव (HALL EFFECT)
सन् 1879 में हाल नामक वैज्ञानिक ने प्रयोग द्वारा यह ज्ञात किया कि जब किसी चालक प्लेट पर किसी एक दिशा में (माना 2 दिशा में ) चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाता है और दूसरी दिशा ( माना x दिशा में ) में धारा प्रवाहित की जाती है तो दोनों के परस्पर लम्बवत् दिशा में अर्थात् v दिशा में चालक पर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जैसा कि चित्र (2.17 – 1) में दर्शाया गया है। इस प्रभाव को हाल प्रभाव कहते हैं।
इस प्रभाव द्वारा हाल ने यह ज्ञात किया कि चालक में आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं।
हाल प्रभाव के संकल्पना के लिए माना एक ताँबे की पट्टिका में x दिशा में I धारा प्रवाहित हो रही है। जब इस ताँबे की पट्टिका पर चुम्बकीय क्षेत्र Bz (कागज के तल के अन्दर की ओर) लगाया जाता है तो गतिशील आवेश वाहक चुम्बकीय बल q(Va XB) अनुभव करते हैं जिसके कारण आवेश वाहक बल की दिशा में अपवाह (drift) करेंगे। यदि पट्टिका के C तथा D सिरे बाह्य रूप से जुड़े नहीं हों तो चालक के एक पृष्ठ पर आवेश वाहक का जमाव तथा दूसरे सिरे पर आवेश वाहकों की कमी हो जाएगी। लेकिन आवेश वाहक पट्टिका के सिरों पर लगातार एकत्रित नहीं होते जाएंगे। इसका कारण है कि आवेश वाहकों का विस्थापन अनुप्रस्थ विद्युत क्षेत्र EH उत्पन्न कर देगा। यह विद्युत क्षेत्र चालक के अन्दर आवेश वाहकों के अपवाह का विरोध करेगा। जब चुम्बकीय बल का मान विद्युत बल के बराया एवं विपरीत हो जाएगा तब आवेश वाहकों का अपवाह रूक जाएगा और फलस्वरूप स्थिर अवस्था प्राप्त हो जाएगी। स्थिर अवस्था पर प्रेरित विद्युत क्षेत्र E को हाल विद्युत क्षेत्र कहते हैं।
.: स्थिर अवस्था (steady state) में,
लारेन्ज बल
जहाँ आवेश वाहक का आवेश q तथा अपवाह वेग vd है।
……………………(1)
हम जानते हैं कि धारा 1 के प्रवाह के कारण धारा घनत्व ( current density)
Jx = nq vd …………………….(2)
जहाँ आवेश वाहकों की संख्या प्रति एकांक आयतन n है।
Vd का मान समीकरण (1) में रखने पर
…………………………..(3)
अनुपात हाल नियतांक RH कहलाता है।
………. …(4)
प्रयुक्त धारा घनत्व Jx चुम्बकीय क्षेत्र Bz तथा इनसे प्रेरित हाल विद्युत क्षेत्र EH का प्रायोगिक मापन कर हाल नियतांक या गुणांक (Hall constant or Hall coefficient) RH का परिकलन किया जा सकता है। हाल गुणांक के मापन से निम्न महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होते हैं।
(i) हाल गुणांक द्वारा आवेश वाहकों की प्रकृति का पता चलता है। यदि हाल गुणांक RH ऋणात्मक प्राप्त होता है तो चालक में आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं और यदि हाल गुणांक धनात्मक प्राप्त होता है तो चालक में आवेश वाहक धनात्मक होल (positive holes) होंगे। निम्न सारिणी में कुछ चालकों के हाल गुणांकों के मान दिये गये हैं-
(ii) यदि आवेश वाहकों का आवेश q को इलेक्ट्रॉन के परिमाण के बराबर मान लें तो हाल गुणांक चालक में उपस्थित आवेश वाहकों की संख्या n के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् कम हाल गुणांक वाले चालक में अधिक आवेश वाहक तथा अधिक हाल गुणांक वाले चालक में कम आवेश वाहक होते हैं। अतः हाल गुणांक R के मापन से चालक में आवेश वाहकों की संख्या की गणना की जा सकती है। (iii) हाल गुणांक द्वारा आवेश वाहकों की गतिशीलता का भी परिकलन किया जा सकता है। गतिशीलता की परिभाषा से
जहाँ प्रयुक्त विद्युत क्षेत्र Ex द्वारा आवेश वाहकों का अपवाह वेग Va है।
समीकरण (1) से va का मान रखने पर
Ex/Bz का मान समीकरण (4) से रखने पर
(iv) हाल गुणांक द्वारा चालक की चालकता भी ज्ञात की जा सकती है।
……………………………..(7)
अर्धचालकों में हाल प्रभाव-
अर्धचालकों में दोनों प्रकार के इलेक्ट्रॉन तथा होल आवेश वाहक होते हैं। यदि अर्धचालक पर x दिशा में विद्युत
धारा प्रवाहित की जाए तो
क्रमशः इलेक्ट्रॉन तथा होल की गतिशीलताएँ हैं तथा Vex व Vhx क्रमशः इलेक्ट्रॉन तथा होल के अपवाह वेग हैं।
यदि इन आवेश वाहकों पर z दिशा में चुम्बकीय क्षेत्र Bz आरोपित किया जाए तो इलेक्ट्रॉन तथा होल दिशा में विपरीत गति करेंगे जिससे y दिशा में विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाएगा। साम्यावस्था में प्रेरित विद्युत क्षेत्र EH इलेक्ट्रॉन तथा होल दोनों पर लारेन्ज बल का मान शून्य कर देगा ।
Vhx तथा Vex का मान रखने पर
Ex का मान समीकरण (8) से रखने पर
………………………………….(10)
नैज़ अर्धचालकों के लिए n = P
…………………………..(11)
हाल गुणांक का प्रायोगिक मापन (Experimental determination of Hall effect) :
हाल गुणांक को ज्ञात करने की प्रायोगिक व्यवस्था चित्र (2.17-2) में दर्शाया गया है। जिस पदार्थ का हाल गुणांक ज्ञात करना होता है उसका l लम्बाई, b चौड़ाई तथा t मोटाई का एक प्रतिदर्श (sample) शक्तिशाली चुम्बकीय ध्रुवों के बीच इस प्रकार रखते हैं कि lb क्षेत्रफल वाला पृष्ठ चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रहे। इस चुम्बकीय क्षेत्र Bz का मान गॉस मीटर (gauss meter) द्वारा ज्ञात कर लिया जाता है। अब bt क्षेत्रफल वाले पृष्ठों के मध्य धारा lx प्रवाहित की जाती है जिसका मान प्रतिदर्श के श्रेणी क्रम में लगे अमीटर द्वारा ज्ञात करते हैं। प्रतिदर्श में धारा Ix प्रवाह के कारण It क्षेत्रफल वाले पृष्ठ के मध्य हाल वोल्टता VH प्रेरित हो जाता है जिसका मान सुग्राही विभवमापी द्वारा ज्ञात कर लेते हैं।
इस सूत्र में VH, Ix, B2 तथा 1 के मान रखने पर प्रतिदर्श का हाल गुणांक ज्ञात हो जाता है।