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वृद्धि हार्मोन किस ग्रंथि से स्रावित होता है , growth hormone is secreted by which gland in hindi
पीयूषिका के अग्रपिण्ड अथवा एडीनोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रावित हारमोन (Hormones secreted by anterior lobe or adenohypophysis of pituitary)
- सोमेटोट्रोपिन अथवा वृद्धि हारमोन (Somototropin or Growth hormone) STH or GH
वृद्धि हार्मोन पियुष ग्रंथि से स्त्रावित होता है |
एसिडोफिल (acidophils) कोशिकाओं द्वारा स्रावित यह हारमोन ग्लोब्यूलिन प्रकार का प्रोटीन है, इसका अणु भार विभिन्न जंतुओं में 21000 से 48000 तक होता है। एक जाति का हॉरमोन अन्य जाति के जंतुओं पर भी प्रभाव रखता है। यह हारमोन हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित वृद्धि/हॉरमोन कारक (Growth Hormone releasing factor) द्वारा उत्तेजित एवं संदमनकारी कारक (Growth Hormone inhibitory factor) द्वारा संदमित होता है। एस्ट्रोजन के प्रभाव से भी वृद्धि हॉरमोन का स्रवण बढ़ जाता है। यह हॉरमोन देह को निम्न प्रकार से प्रभावित करता है-
(i) उपस्थित व अस्थि ऊत्तकों में वृद्धि कर कंकाल तंत्र को प्रभावित करता है।
(ii) कार्बोहाइड्रेट्सा, वसा एवं प्रोटीन उपापचय, डी. एन. ए. आर. एन. ए. तथ प्रोटीन संश्लेषण के उत्तेजित करता है। अतः समस्त दैहिक कोशिकाओं में वृद्धि होती है। सर्वाधिक वृद्धि • शिशुवस्था के प्रथम वर्ष में होती है। पश्चात् युवास्था तक धीमी गति वे निरन्तर बनी रहती है वृद्धि अस्थियों में वृद्धि कैल्शियम व फॉस्फोरस के निक्षेपण (deposition) के कारण होती है।
(ii) वृद्धि हॉरमोन अग्नाशय के इन्सुलिन एवं ग्लूकागोन स्रवण को उत्तेजित करता है। (iv) इस हॉरमोन से वृक्कों के परिणाम एवं क्रिया में वृद्धि हो है अतः नाइट्रोजन उत्सर्जन व मूत्र के निष्कासन में वृद्धि होती है।
(v) यह हरिमान रक्ताणुओं की उत्पति को भी प्रभावित करता है।
(vi) वृद्धि हारमोन जंतुओं के दुग्ध स्रावण में वृद्धि करता है। शिशु अवस्था में इस हॉरमोन की अधिक मात्रा स्राव दोने से अतिकायता (gigantism) अवस्था उत्पन्न हो जाती है, अर्थात् 7-8 फुट लम्बा चौड़ा हष्ट-पुष्ट भीमकाय देह वाला बन जाता है। इस हॉरमोन की कमी होने पर वामनता (dwarfism) अवस्था उत्पन्न होती है अर्थात् व्यक्ति 3-4 फुट लम्बा लैंगिक दृष्टि से अवपरिपक्व एवं बौना रह जाता है। युवावस्था प्राप्त होने पर हारमोन की अधिकमा से एक्रोमेगेली (acromegaly) अवस्था के अन्तर्गत लम्बे हाथ पाँव वाला व्यक्ति जिसके जबड़े गालों व चेहरे की अस्थियों व पेशियों में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है, बन जाती है। यह हॉरमोन अन्य ग्रन्थियों पर विशिष्ट प्रभाव उत्पन्न नहीं करता, किन्तु अन्य हारमोन के साहचर्य में कार्य पर प्रभावशाली साहचर्य (synergist) के रूप में क्रियाशील बना रहता है।
- थायरोट्रोपिन अथवा थायरॉइड उद्दीपन हारमोन (Thyrotropin to thyroia stunykating hormone) TSH
Acromegaly
चित्र – 8.10 : एक्रोमेगेली
बेसोफिल (basophils) कोशिकाओं द्वारा स्रावित यह हॉरमोन ग्लाइकोप्रोटीन प्रकृति का होता है | जिसका अणुभार विभिन्न जंतुओं में 10,000 से 30,000 तक होता है। यह हॉरमोन्स हाइपोथैलेमस द्वारा स्रवित थायरोट्रोपिन नियंत्रकारी कारक (Thyrotropin erleasing factor TRF) जो कि ट्राइपेप्टाइड है द्वारा नियंत्रित किया जाता है। थायरोक्सिन हॉरमोन एडिनोहाइपोफोइसिस पर TRF की क्रिया को संदति करता है। इस प्रकार ऋणात्मक पुर्नभरण पद्धति से TSH का स्रवण नियंत्रित किया जाता है।
- कॉर्टिकोट्रोपिन अथवा एड्रिनोकॉर्टिकोट्रोपिन हॉरमोन (Corticotropin or Adreno-corticotropin hormone) ACTH
बेसोफिल कोशिकाओं द्वारा स्रावित 39 अमीनों अम्ल की श्रृंखला से बना पॉलीपेप्टाइड प्रकृति के इस हॉरमोन्स का अणुभार लगभग 45000 होता हैं यह हॉरमोन अधिवृक्क ग्रन्थि ( adrenal gland) के कार्टेक्स भाग की सामान्य वृद्धि एवं स्रवण क्रिया को प्रभावित करता है। इस हॉरमोन के अन्य प्रभाव भी देखे गये हैं इनमें वसा अपघटनी किण्वकों को सक्रिय करना एवं मलेनिन संश्लेषण को उत्तेजित करना प्रमुख है।
(regulatory factors) CRF द्वारा नियंत्रित होता है। ACTH एवं एड्रिनल कॉर्टेक्स ग्रन्थि के हारमोन, यह हॉरमोन्स हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित कॉर्टिकोट्रोपिन नियंत्रकारी कारक (Corticotropin परस्पर ऋणात्मक पुनर्भरण पद्धति द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं।
- ल्युटिओट्रोपिक हॉरमोन या प्रोलैक्टिन (Lutrotrophic hormone or prolactin ) LTH
यह हॉरमोन ल्यूटिओट्रोफिन या मैमोट्रोफिक हॉरमोन (Lutrotrophin or Mammotrophic hormone) के नाम से भी जाना जाता है। एसिडोफिल (acidophils) कोशिओं द्वारा स्रावित यह हॉरमोन प्रोटीन प्रकृति का होता है। इस अनुभार लगभग 25000 होता है। यही हॉरमोन का कार्य । गर्भकाल के दौरान स्तन ग्रन्थियाँ को दुग्ध स्रावण हेतु उत्तेजित करना, माता के व्यवहार को प्रभावित करना एवं सन्तानोत्पत्ति के पश्चात् दुग्ध स्रवण करना होता है। ल्युटिनाइजिंग हॉरमोन (leuteinizing hormone) LH के साथ यह कार्पस ल्युटियम द्वारा प्रोजेस्टिरॉन के स्रवण को एवं एस्ट्रोजन के सर्व यह स्तन ग्रन्थियों की वृद्धि को प्रभावित करता है। पक्षियों के क्राप मिल्क (crop milk) अर्थात अन्नपुट द्वारा स्रवित पेशोषीय तरल स्रवण भी इस हॉरमोन द्वारा प्रभवित होता है। यह हॉरमोन हाइपोथेलेमस द्वारा स्रावित प्रोलैक्टिन मोचक कारक (prolcatin releasing factor) PRF द्वारा उत्तेजित एवं प्रोलैक्टिन संदमक कारक (prolactin inhibiry factor) PIF द्वारा संदमित किया जाता है।
एपिनेफ्रिन व नारएपिनैफ्रिन प्रोलैक्टिन की माचक क्रिया को संदमित एवं एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोजन मोचक क्रिया को उत्तेजित करते हैं। FSH व LH का मोचन की हाइपोथैलेमिक हाइफोइसियल प्रणाली प्रोलेक्टिन की मुक्ति य मोचन को संदमित करती है। प्रोलैक्टिन का स्रवण एवं दुग्ध उत्पादन अन्य गोनेडोट्रोपिन्स के संदमन के फलस्वरूप होता है। माता के द्वारा को दुग्ध पान कराते समय यह स्तनाग्र ( nipple) के उद्दीपन के कारण निरन्तर उत्पन्न होता रहता है।
- पुटक उद्दीपन हॉरमोन (Follicle stimulating hormone) FSH
बेसोफिल (basophils) कोशिकाओं द्वारा स्रवित यह हॉरमोन ग्लाइकोप्रीटीन प्रकृति का होता है जिसका अणुभार विभिन्न जन्तुओं में 30,000, 67,000 तक होता है। मादाओं में इस हॉरमोन क प्रभाव अण्डाशय के पुटकों का परिवर्धन व परिपक्वन होता है एवं इनके द्वारा स्रवित एस्ट्रोजन हॉरमोन का नियंत्रण किया जाता है। मादाओं में अण्डोत्सर्ग (ovulation) क्रिया भी इसके द्वारा प्रभावित होती है। नर जन्तुओं के वृषण में स्थित रेता नलिकाओं (seminiferous tubules) की पुटिकाओं को वृद्धि कर शुक्रजनन हेतु उत्तेजित करने का कार्य भी इसी हॉरमोन द्वारा किया जाता है। यह हॉरमान हाइपोथैलमस द्वारा स्रवित पुटिका उद्दीपन हॉरमोन नियंत्रकारी कारक (follicle stimulating hormone regulator factor) FSH-PH द्वारा संचालित होता है। एन्ड्रोजन्स (androgens) व पुटिका उद्दीपक हारमोन्स के मध्य ऋणात्मक पुनर्भरण पद्धति से नियंत्रण रखा जाता है।
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