18 वें वर्ग के तत्व , आयनन एन्थैल्पी , त्रिज्या , भौतिक रासायनिक गुण , वर्ग 18 के तत्व नाम , उपयोग (Group 18 Elements in hindi)
(Group 18 Elements in hindi) 18 वें वर्ग के तत्व , आयनन एन्थैल्पी , त्रिज्या , भौतिक रासायनिक गुण , वर्ग 18 के तत्व नाम , उपयोग : अठारहवें ग्रुप में कुल छ: तत्वों को शामिल किया गया है जो हीलियम (He), नियॉन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टन (Kr), क्सीनन (Xe), और रेडॉन (Rn) है।
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration)
आयनन एन्थैल्पी : इस वर्ग के तत्वों का अष्टक पूर्ण होने के कारण अर्थात स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होने के कारण इनकी आयनन क्षमता या आयनन एन्थैल्पी का मान उच्च होता है।
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों का आकार बढ़ता जाता है इसलिए ऊपर से नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता जाता है।
भौतिक और रासायनिक गुण
- इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के कारण ये सभी गैसे उच्च स्थायी अवस्था में होती है , और यही कारण है कि 18 वें वर्ग के तत्व सामान्य अवस्था में यौगिक नहीं बनाते है अर्थात अभिक्रिया में भाग नहीं लेते है।
- अपने स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के कारण ये सभी गैसे स्वतंत्र अवस्था में एक परमाणुक गैस के रूप में पाए जाते है।
- इस वर्ग के सभी तत्व या गैसे रंगहीन , गंधहीन और स्वादहीन होती है।
- इस वर्ग के तत्वों के कणों के मध्य कमजोर वान डर वाल्स बल पाया जाता है और जब वर्ग में ऊपर से नीचे जाते है तो इस बल का मान बढ़ता जाता है।
- ये सभी तत्व (गैसे) जल में अल्प विलेय होती है।
- चूँकि इन तत्वों के कणों के मध्य कमजोर वेन्डर वाल्स बल पाए जाते है इसलिए इस तत्वों का गलनांक और क्वथनांक का मान निम्न होता है।
- इस वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर आकार बढ़ता जाता है इसलिए क्वथनांक और गलनांक का मान बढ़ता जाता है।
- इन गैसों का द्रवीकरण किया जा सकता है अर्थात इस वर्ग के तत्वों को गैसीय अवस्था से द्रव अवस्था में बदला जा सकता है इसके लिए बहुत ही निम्न ताप रखा जाता है जिससे ये गैसें द्रवित हो जाती है , वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों का आकार बढ़ता जाता है इसलिए ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों का द्रवीकरण भी बढ़ता जाता है।
- 18 वें वर्ग के तत्व बहुत कम क्रियाशील होते है और इसका कारण इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है जिसके कारण ये तत्व अत्यधिक स्थायी होते है। इन तत्वों का संयोजकता कोश पूर्ण भरित होता है।
- इस वर्ग के तत्वों की धनात्मक और उच्च इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी और आयनन एन्थैल्पी होती है।
- स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होने के कारण प्रारंभ में इनकी क्रिया करके यौगिक का निर्माण करने की कोशिश विफल रही लेकिन 1962 में नील बर्टलेट नामक वैज्ञानिक ने सबसे पहले जिनोन की क्रिया प्लेटिनम से करके दिखाया , इन दोनों की क्रिया से एक यौगिक बना जिसे जिनोन हेक्साफ्लुओरोप्लेटिनेट (वी) नाम से जाना जाता है , इसके बाद तो इस वर्ग के तत्वों से मिलकर कई यौगिक बनाये गये।
- क्रिप्टोन तत्व क्रिया करके बहुत कम यौगिक बनाता है , क्रिप्टोन से मिलकर क्रिप्टन डाइ फ्लोराइड यौगिक बनता है , क्रिप्टन की आयनन एन्थैल्पी का मान जिनोन से अधिक होता है।
- रेडॉन की आयनन एन्थैल्पी का मान जिनोन से कम होती है , यह “रेडॉन डाइ फ्लोराइड” आदि कुछ यौगिक बनाता है।
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