JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Uncategorized

भारत सरकार अधिनियम 1935 क्या है | भारतीय अधिनियम १९३५ की विशेषता में कितनी धाराएं थी government of india act 1935 in hindi

government of india act 1935 in hindi भारत सरकार अधिनियम 1935 क्या है | भारतीय अधिनियम १९३५ की विशेषता में कितनी धाराएं थी ?

प्रस्तावना
भारतीय संविधान देश की जनता की आकांक्षा है। यह प्रशासन के विस्तृत सक्रियात्मक मापदण्ड तय करता है। यह संविधान संविधान-सभा में उन दीर्घ मन्त्रणाओं के बाद तैयार किया गया जो 6 दिसम्बर 1946 को आरम्भ हुई और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हो गया।

भारत सरकार अधिनियम, 1935
भारतीय संविधान का अग्रदूत था – 1935 का भारत सरकार अधिनियम, जिसे प्रायः अधिनियम 1935 से जाना जाता है। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने माना कि जब तक कोई नया संविधान लागू न हो, अधिनियम 1935 ही भारत की संवैधानिक विधि-संहिता रहे।

अधिनियम 1935 एक संयुक्त निर्वाचित समिति (Joint Select Committee) की उस रिपोर्ट का परिणाम था जिस पर, 2 अगस्त 1935 को इसे अन्ततः महारानी की सम्मति मिलने से पूर्व, ब्रिटिश पार्लियामेण्ट में विचार-विमर्श हुआ था। अधिनियम 1935 की कुछ विशिष्टताएँ, परिवर्तनों के साथ, यद्यपि, भारतीय संविधान में बाद में समाहित की गईं। इनमें शामिल हैं – एक संघ सरकार और राज्य सरकार(रों) के रूप में एक ख्संघीय संरचना केन्द्र और राज्य (एक/अनेक), और उनके बीच सत्ता-शक्तियों का विभाजन (संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची), द्विसदनी विधायिका – निम्न सदन और उच्च सदन (संघ स्तर पर लोकसभा एवं राज्य सभा, तथा राज्य स्तर पर राज्य विधान-सभा एवं विधान-परिषद्), संघीय न्यायालय (सर्वोच्च न्यायालय)।

 संविधान सभा
एक संविधान लिखे जाने के उद्देश्य से एक संविधान सभा संयोजित की गई। संविधान बनाना कोई आसान काम नहीं था। इस संविधान को उन लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना था जो कई शताब्दियों से अन्याय, सामाजिक शोषण और भेदभाव, साथ ही दो शताब्दियों से औपनिवेशिक शासन को झेलते आ रहे थे। इसके अतिरिक्त, यदि यह विविध धार्मिक, राजनीतिक एवं क्षेत्रीय वर्गों के लिए अनुप्रयोज्य और स्वीकार्य होता, यह उनके हितों को मूर्तरूप देता। वह आदर्श-वाक्य जिसको लेकर इस संविधान निर्माण की कवायद का उपक्रम किया जा रहा था, वह था ‘सर्वसम्मति‘, बजाय ‘बहुमत सिद्धान्त‘ के। इसमें भिन्न-भिन्न विचारधाराओं की पृष्ठभूमि वाले, और उनमें भी अनेक कानूनसंबंधी पृष्ठभूमि वाले प्रतिनिधियों ने मिलकर काम किया। इस कवायद के शीर्ष पर थे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, एक वयोवृद्ध स्वतन्त्रता आन्दोलनकारी जिन्होंने बाद में लगातार दो कार्यकाल तक भारत के राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला, और पथ-प्रदर्शक ज्योति थे स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू। इस सभा के सुपरिचित सदस्यों में शामिल थे – टी.टी. कृष्णमाचारी, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर और गोपालस्वामी अयंगर, यामा प्रसाद मुखर्जी, जे. बी. कृपलानी, वल्लभभाई पटेल तथा पट्टाभि सीतारमैया।

इस संविधान सभा में 381 सदस्य होने थे। ये विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करते थे और काँग्रेस पार्टी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, प्रजा पार्टी, कृषक प्रजा पार्टी, अनुसूचित जाति संघ, नॉन-कांग्रेस सिख्स, यूनियनिस्ट मुस्लिम्स तथा मुस्लिम लीग के सदस्य थे। इसके अलावा, स्वतन्त्र सदस्य और गवर्नर के प्रान्तों और राजसी राज्यों के प्रतिनिधि भी इस सभा में प्रतिनिधित्व करते थे। सभासदों की यह पूरी संख्या कभी नहीं रही।

इस सभा में उसके विचारार्थ प्रस्तुत किए जाने से पूर्व संविधान के प्रावधानों पर उन अनेक समितियों में विस्तृत रूप से वाद-विवाद किया जाता था जो इसी उद्देश्य से गठित की गई थीं। सभा में हुए विचार-विमर्श के आधार पर, प्रारूपण समिति जो 29 अगस्त 1947 को गठित की गई, ने संविधान का प्रारूप मूल-पाठ तैयार किया। डॉ. भीमराव अम्बेडर इस प्रारूपण समिति के अध्यक्ष थे। अन्तिम दस्तावेज पर, प्रारूप संविधान में रद्दोबदल किए जाने के बाद, 26 नवम्बर 1949 को हस्ताक्षर किए गए, और दो माह बाद यह लागू हो गया। हम संविधान-निर्णय की कवायद की जाँच अधिक विस्तार से खंड 2 की इकाई 5 में कर चुके हैं।

वास्तव में, यह प्रशंसायोग्य है कि संविधान तैयार करने की कवायद संविधान सभा के सदस्यों ने तीन वर्ष की अवधि के भीतर ही समाप्त कर ली और दस्तावेज पर अपने हस्ताक्षर भी कर दिए जबकि अन्य देशों को अपना प्रथम संविधान बनाने में कहीं अधिक वर्ष लगे थे। तथापि, इसका श्रेय देश को ही जाता है और यह संविधान निर्माताओं की बृहद् दृष्टि का प्रमाण है कि भारतीय संविधान का कभी निराकरण नहीं हुआ, न ही कोई नया लाया गया। भारतीय संविधान जब से लागू लागू हुआ है इस पर कभी कोई गंभीर सवाल नहीं उठाया गया। संविधान में प्रभावी संशोधनों के माध्यम से परिवर्तनशीलता वांछनीयताओं पर बेशक ध्यान दिया गया है जबकि इसके अनिवार्य अभिलक्षण बरकरार रहे, यद्यपि उन पर अक्सर दवाब बना।

 महत्त्वपूर्ण अभिलक्षण
भारतीय संविधान के अनिवार्य अभिलक्षण इस प्रकार हैं: यह संविधान सर्वोच्च हैय भारत की संप्रभुता को अभिभूत अथवा प्रत्याभूत नहीं किया जा सकता हैय भारत एक गणतन्त्र है और किसी राजतन्त्र में नहीं बदला जा सकता है। लोकतन्त्र जीवन की एक दिशा है न कि मात्र वयस्क मताधिकार की व्यवस्थाय धर्मनिरपेक्षता और स्वतन्त्र न्यायपालिका इस लोकतन्त्र की दो पीठिकाएँ हैं। हम इनमें से कुछ अभिलक्षणों पर चर्चा करेंगे।

 संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणतन्त्र
संविधान की ‘प्रस्तावना‘ यह घोषित करती है कि इस देश के वासी संप्रभु हैं। अन्य शब्दों में, ‘संप्रभुता‘ लोगों में निहित है और उन संस्थाओं के माध्यम से व्यवहृत है जो इसी उद्देश्य से सृजित की गई हैं। देश की संप्रभुता प्रतिभूत नहीं की जा सकती, यानी, भारत को किसी अन्य देश के उपनिवेश अथवा पराश्रितता में नहीं बदला जा सकता है। स्वतन्त्रता आन्दोलन की संपूर्ण प्रक्रिया संप्रभुता के इसी सर्वोत्कृष्ट सिद्धान्त पर थी।

‘प्रस्तावना‘ में यह भी कहा गया है कि देश एक गणराज्य होगा और सरकार के लोकतान्त्रिक स्वरूप का पालन करेगा। एक गणराज्य में किसी राजतन्त्र के लोगों पर शासन करने की कोई सम्भावना नहीं होती, वरन् लोग स्वयं देश पर अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं।

राज्यों का संघ
हमारे संविधान का एक महत्त्वपूर्ण अभिलक्षण यह है कि इसने भारत को राज्यों के एक संघ के रूप में गठित किया है (अनु. 1) । संविधान में नए राज्यों के सृजन के साथ-साथ नए राज्यों को शामिल करने का भी प्रावधान है। इनके उल्लेखनीय उदाहरण हैं – 1956 में पहली बार एक भाषायी आधार पर तत्कालीन राज्यों में से कुछ का द्विभाजन करके बनाये गए राज्य – आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल। अभी हाल ही में, वर्ष 2000 में, तीन नए राज्य – उत्तरांचल, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड – बनाए गए। भारतीय संघ में नए राज्यों के प्रवेश का एक उदाहरण है1975 में सिक्किम का संघ में शामिल होना, जो कि अब तक भारत का एक संरक्षित राज्य था। नए राज्यों को शामिल करने का प्रावधान इस सन्दर्भ में भी समझा जाना चाहिए कि राजसी राज्यों में से कुछ इसके बावजूद भी भारत का अंग बनने को राजी नहीं थे कि यह संविधान लागू होने ही वाला था। हैदराबाद के निजाम का राज्य एक ऐसा ही उदाहरण है। और इसके अलावा, फ्रांसीसी और पर्तगाली उपनिवेश थे – पांडिचेरी और गोवा जो भारत के साथ एकीकृत बने रहे। यह संविधान, इस प्रकार नए राज्यों के सृजन और नए राज्य-क्षेत्रों के लिए स्थान रखने की व्यवस्था देता है। एक बार भारत का अंग बन जाने के बाद उन्हें फिर पृथक् होने का अधिकार नहीं है।

बोध प्रश्न 1
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए रिक्त स्थान का प्रयोग करें।
ख) उत्तर अपने शब्दों में देने का प्रयास करें।
1) वह कौन-सा सिद्धान्त था जिसने भारत में संविधान निर्माण की कवायद को सूचित किया?
2) वह कौन-सा राज्य था जो भारतीय संघ में 1975 में शामिल किया गया?
3) गणतन्त्र सरकार का वह स्वरूप है जिसमें –

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) सर्वसम्मति पर आधारित निर्णय ।
2) सिक्किम।
3) लोग स्वयं अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं।

प्रमुख अभिलक्षण
इकाई की रूपरेखा
उद्देश्य
प्रस्तावना
भारत सरकार अधिनियम, 1935
संविधान सभा
प्रमुख अभिलक्षण
संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणतन्त्र
राज्यों का संघ
मौलिक अधिकार
राज्य-नीति के निदेशक सिद्धान्त
मौलिक कर्तव्य
संघ: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका
आपात्काल प्रावधान
सामान्य आपात्स्थिति
संवैधानिक आपास्थिति की घोषणा
वित्तीय आपात्काल
संघवाद
केन्द्र-राज्य सम्बन्ध
आपेक्षिक सुनम्यता
सारांश
शब्दावली
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बोध प्रश्नों के उत्तर

उद्देश्य
इस इकाई में हम भारतीय संविधान के विशिष्ट लक्षणों की चर्चा उन सम्बद्ध घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में करेंगे जोकि संविधान के लागू होने से पूर्व घटित हुईं। इस यूनिट के अध्ययन के बाद आप इस योग्य होंगे किः
ऽ भारतीय संविधान के अनिवार्य लक्षणों को सूचीबद्ध कर सकें और
ऽ प्रमुख अभिलक्षणों की महत्ता को बता सकें।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

18 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

18 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now