हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
आपातकालीन प्रावधान क्या है ? आपातकालीन प्रावधान किस देश से लिया गया है emergency provision meaning in hindi
emergency provision meaning in hindi आपातकालीन प्रावधान क्या है ? आपातकालीन प्रावधान किस देश से लिया गया है ?
आपात्काल प्रावधान
आपात्काल प्रावधान अनुच्छेद 352 से 360 के तहत संविधान के भाग-ग्टप्प्प् में दिए गए हैं। तीन प्रकार की आपास्थितियाँ हैं जो घोषित की जा सकती हैंः
सामान्य आपातस्थिति
आपास्थिति की उद्घोषणा तब की जा सकती है जब देश की सुरक्षा को खतरा हो अथवा वह युद्ध-काल अथवा बाह्य आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह के दौरान शत्रु देशों की किसी धमकी सेसंकटग्रस्त हो। (अनुच्छेद 352)। इस प्रावधान के तहत आपात्काल की घोषणा पहली बार 26 अक्तूबर, 1962 को चीन से साथ युद्ध के चलते की गई थी। यह 10 जनवरी, 1968 तक जारी रही। आपास्थिति की एक अन्य उद्घोषणा, भारत-पाकिस्तान युद्ध के चलते, 2 दिसम्बर, 1971 को हई। इसके जारी रहते, एक तीसरी आपात्स्थिति की घोषणा 25 जून, 1975 को की गई। यह 1977 में निरस्त हुई। आलोचकों का तर्क है कि तीसरी आपास्थिति की घोषणा का उद्देश्य श्रीमती इंदिरा गाँधी को कुछ और समय सत्ता में बनाए रखना था, न कि कोई वास्तविक खतरा। भारतीय लोकतन्त्र का यह सर्वाधिक अन्धा युग था जबकि दीर्धीकृत समयावधि के लिए मनमानी नजरबंदी हुई और मौलिक अधिकारों के व्यापक उल्लंघन के इल्जाम लगाए गए।
संवैधानिक आपास्थिति की घोषणा
सर्वाधिक विवादास्पद और दुष्प्रयुक्त आपात्काल प्रावधान है – अनुच्छेद 356। यदि राष्ट्रपति को किसी राज्य के राज्यपाल से इस आशय की कोई रिपोर्ट मिलती है कि संवैधानिक व्यवस्था-तन्त्र भंग हो चुका है अथवा राज्य का प्रशासन भारतीय संविधान में दिए गए प्रावधानों के अनुसार अब नहीं चलाया जा सकता है, उस राज्य में आपातस्थिति घोषित की जा सकती है। राष्ट्रपति ऐसा तब भी कर सकता है यदि उसे किसी राज्य में संवैधानिक गड़बड़ी का अन्यथा निश्चय हो। यह प्रावधान राज्य सरकार को भंग किए जाने और इसे राष्ट्रपति-शासन अथवा केन्द्रीय-शासन के तहत लाने की अनुमति देता है। ऐसी स्थिति में राज्य का राज्यपाल सभी प्रकार्यों का उत्तरदायित्व लेता है और राज्य में प्रशासन राष्ट्रपति की ओर से चलाता है, यानी संघीय मन्त्रिपरिषद् की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अपने सलाहकारों की मदद से केन्द्र की ओर से ।
ऐसे अनेक अवसर आये हैं जब अनुच्छेद 356 को विभिन्न राज्यों में लागू किया गया। अनुच्छेद 356 का वास्ता देकर किसी राज्य सरकार को भंग करने की पहली घटना 1959 में हुई जबकि उस सरकार को राज्य विधान-मंडल का विश्वासमत हासिल थाय केरल में, तत्कालीन कम्यूनिस्ट सरकार बर्खास्त कर दी गई। इसने एक बड़े विवाद को जन्म दिया और यह तर्क दिया गया कि यह एक गलत निर्णय था क्योंकि राज्य विधान सभा में सरकार के पास बहुमत था। दूसरी ओर, इस निर्णय के समर्थक यह मानते थे कि सरकार और उसकी नीतियों के विरुद्ध आन्दोलन के रूप में व्यक्त जन-असंतोष ही यह तय करने के लिए पर्याप्त कारण था कि वहाँ, वास्तव में, कानून-व्यवस्था भंग हो चुकी थी, और इसीलिए, राष्ट्रपति-शासन लागू करना उचित था।
अन्य उदाहरणों में शामिल है – दो बार राज्य सरकारों का सामूहिक रूप से निलम्बन, 1977 के आम चुनावों में जनता पार्टी की आसान जीत के बाद और उसके बाद 1979 में जब काँग्रेस पार्टी सत्ता में लौटी। अन्य विवादास्पद अवसर, जिन पर इस प्रावधान का वास्ता फिर दिया गया, हैं1984 में आन्ध्र प्रदेश और उसके बाद कर्नाटक में जब एस.आर. बोम्मई सरकार को बर्खास्त किया गया, और उसके बाद तुरन्त ही न्यायालय ने कहा कि यह निर्णय अनुचित था।
वित्तीय आपास्थिति
वित्तीय आपास्थिति की घोषणा अनुच्छेद 360 के तहत उन दशाओं में की जा सकती है जिनमें देश अथवा देश के किसी भाग की वित्तीय स्थिरता अथवा साख को खतरा हो। हालाँकि, जैसी कि. चवालीसवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1979 में व्यवस्था दी गई है, इस प्रकार की उद्घोषणा के लिए आवश्यक है कि इस आशय की उद्घोषणा की तिथि से दो माह के भीतर इसे लोक सभा और राज्य सभा, दोनों की स्वीकृति मिलनी चाहिए, अथवा, यदि उस समय लोकसभा भंग है, इसके (नए सदन) पुनर्गठन की तिथि से 30 दिनों के भीतर।
संघवाद
स्वतन्त्रताप्राप्ति के समय देश की विविधता इस प्रकार की थी कि संविधान-निर्माताओं ने सोचा कि इसे एक संघीय संरचना के भीतर एक सशक्त संघीय सरकार (केन्द्र) प्रदान करना उपयुक्त रहेगा। केन्द्र-राज्य संबंधों से संबंधित प्रावधान संविधान के भाग-ग्प् में उल्लिखित हैं। भारतीय संविधान सरकार के लिए विभिन्न राज्यों में विशिष्ट अधिकारों को भी व्यवस्था देता है। भारत का संविधान इस प्रकार केन्द्रीकृत और विकेन्द्रीकृत, दोनों ही अभिलक्षणों वाला है।
स्वतन्त्रता के बाद डेढ़ दशक से भी अधिक तक, केन्द्र और राज्यों के बीच प्रायः कोई समस्या नहीं थी। विद्वजन इसका श्रेय इन बातों को देते हैं – केन्द्र के साथ-साथ देश में अधिकतर राज्यों में कांग्रेस सरकारों का अस्तित्व, तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू का कीर्तिमय व्यक्तित्व, और केन्द्र के साथ-साथ राज्यों में नेतृत्व भी, जो विच्छेदोन्मुखी कम, बल्कि आदर्शवाद-निर्देशित अधिक था।
उस समय संबंधों में संतुलन केन्द्र के पक्ष में अधिक अभिनत रहा जब इन्दिरा गाँधी देश की प्रधानमन्त्री थीं। ऐसा केवल आपास्थिति की वजह से नहीं था जो 1975 में लगाई गई थी, बल्कि राज्य-स्तर पर कमजोर नेताओं के कारण भी था जिनका राजनीतिक सत्ता में अस्तित्व इस आघात पर निर्भर था यदि वे केन्द्र-स्तर पर शक्ति-प्रयोग कर सकते थे।
नब्बे के दशक तक कम-से-कम कुछ राज्य तो केन्द्र के समकक्ष अधिक शक्ति-प्रयोग करने ही लगे। उस केन्द्रीय सरकार, जिसके पास संसद में पूर्ण बहुमत का अभाव था, को अपने संश्रितों के समर्थन पर निर्भर करना पड़ा – तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम और ऑल-इण्डिया अन्ना मुनेत्र कषगम, आन्ध्र प्रदेश में तेलुगुदेशम्, महाराष्ट्र में शिव सेना, जम्मू-कश्मीर में नैशनल कॉन्फ्रेंस, असम में असॅम गण परिषद् और पूर्व जनता पार्टी के अभी हाल ही के विछिन्न गुट जिन्होंने स्वयं को विभिन्न राज्यों में स्थापित कर लिया था।
न्यायपालिका
सरकार का तीसरा और सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है- न्यायपालिका । पुनर्विचार के लिए प्रार्थना करने की उच्चतम अदालत है – सर्वोच्च न्यायालय। सर्वोच्च न्यायालय के पास अपील संबंधी और मौलिक दोनों अधिकार क्षेत्र हैं, जैसा कि उच्च न्यायालयों के पास अपने-अपने राज्यों में होता है।
सर्वोच्च न्यायालय संविधान का अभिरक्षक है। विधायिका द्वारा अधिनियमित कानून सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवैध घोषित किए जा सकते हैं, यदि उसका मत है कि वे संविधान के प्रावधानों से मेल नहीं खाते। इस शक्ति को ‘न्यायिक पुनरावलोकन‘ अधिकार के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय सरकार और उसके अभिकर्ताओं को परमादेश जारी कर सकते हैं। एक सुपरिचित उदाहरण हैं – बंदी प्रत्यक्षीकरण का परमादेश। ऐसे परमादेश को जारी किए जाने के लिए दलील देकर एक आवेदक सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन किए जाने के लिए दलील देकर एक आवेदक सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन करता है कि संबंधित पुलिस प्राधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वे अदालत के सामने उस व्यक्ति को पेश करें जो गुम है और माना जाता है कि उनके अभिरक्षण में है।
भारत का राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के सभी न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीशों को नियुक्त करता है । संविधान यह भी स्पष्टतः बताता है कि न्यायाधीशों पर महाभियोग के लिए क्या प्रक्रिया है और सर्वोच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश पर केवल संसद ही महाभियोग लगा सकती है। किसी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर महाभियोग प्रारंभ करने की घटना सिर्फ एक बार हुई, जब न्यायविद् के. रामास्वामी पर महाभियोग लगाये जाने के लिए पूछताछ हुई, लेकिन इस प्रस्ताव को सफलता नहीं मिली।
सर्वोच्च न्यायालय और संसद के बीच रस्साकशी का अवसर भी आया है। अंततः इसका हल संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से निकाला गया जिसमें कहा गया है कि कोई अधिनियम संविधान के प्रावधानों से मेल खाता है अथवा नहीं, सर्वोच्च न्यायालय का अधिकार सिर्फ बताने भर का है।
Recent Posts
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…
elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है
दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…
FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in hindi आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित
आरादंती तरंग की फूरिये श्रेणी क्या है चित्र सहित FOURIER SERIES OF SAWTOOTH WAVE in…