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golgi complex in hindi , गॉल्जी सम्मिश्रण किसे कहते हैं गाल्जी कॉम्पलेक्स की उत्पत्ति , के कार्य
जाने golgi complex in hindi , गॉल्जी सम्मिश्रण किसे कहते हैं गाल्जी कॉम्पलेक्स की उत्पत्ति , के कार्य ?
गाल्जी कॉम्पलेक्स की उत्पत्ति
गाल्जी सम्मिश्र की उत्पत्ति तीन स्रोतों से हो सकती है-
(1) केन्द्रक कला से (From nuclear membrane)—– सन् 1965 में ब्रूच ने बताया कि शैवालों में केन्द्रक आवरण की बाहरी झिल्ली से पुटिकाएँ कटती हैं वे डिक्टियोसोम के निर्माण पर एकत्रित होकर सिस्टर्न बनाती हैं।
(2) अन्तः प्रद्रव्यी जालिका से (From endoplasmic reticulum ) — सम्मिश्र को अन्तः प्रद्रव्यी जालिका से विभेदित हिस्सा मानते हैं, क्योंकि दोनों के बीच संरचनात्मक सम्बन्ध होता है। एस्सनर तथा नोविकॉफ (Essner and Novikoff, 1962) तथा बैम्स व कोस्सल (Beams & Kossel, 1968 ) के अनुसार गाल्जी सिस्टर्न की उत्पत्ति अन्तःप्रद्रव्यी जालिका से हुई है। उन्होंने बताया कि दोनों कोशिकाओं की झिल्लियों में थायमीन पायरोफोस्फेटेज क्रिया पायी जाती है। केन्द्रक आवरण से, अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की झिल्लियों का प्रचुरोद भवन (Proliferation) होता है वे गाल्जी झिल्लियों में लगातार लाइसोसोम्स या स्रावी कणिकाओं में बदलती रहती हैं।
(3) प्लाज्मा झिल्ली (From Plasma membrane ) — ऐसा देखा गया है कि वे गाल्जी सम्मिश्र जो प्लाज्माकला के करीब होते हैं वे रासायनिक संरचना में प्लाज्मा कला से समानता रखते हैं। पदार्थों के कोशिका से बाहर स्रवण के लिए स्रावी पुटिकाएँ पहले प्लाज्मा कला के साथ जुड़ जाती है तथा बाद में उसमें ही विलीन हो जाती हैं। इस प्रकार गाल्जी सम्मिश्र प्लाज्मा कला का हिस्सा बन जाता है। सन् 1954 में डैनिल्स ने गाल्जी सिस्टर्नी की उत्पत्ति प्लाज्मा झिल्ली से देखी ।
रासायनिक संघटन (Chemical composition)
गाल्जी सम्मिश्र में निम्न रासायनिक पदार्थ पाये जाते हैं-
(1) फॉस्फोलिपिड (Phospholipid)—– गाल्जी कलाएँ मुख्य रूप से लाइपोप्रोटीन से बनी होती हैं। गाल्जी कलाओं में मुख्य फोस्फोलिपिड घटक सिफेलिन तथा लेसिथिन (Cephalin & Lecithin) होते हैं।
(2) एन्जाइम (Enzymes ) तथा प्रोटीन (Protein) –— गाल्जीकाय में लिपिड तथा प्रोटीन संचित पदार्थ के रूप में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न एन्जाइम, जैसे- एटीपेज ( ATPase), एडीपेज (ADPase), सीटी पेज (CT Pase) थायमीन पायरोफोस्फेटेज (thiamine – Pyrophosphatase), एन.ए.डी.एच. तथा एन. ए. डी. पी. एच. साइटोक्राम C- रिडक्टेज (NADPH-cytochrome-C Reductase), यू.डी.पी.एन. एसीटाइल ग्लूकोसामीन ट्रॉन्सफरेज (UDP-N-acetyl-glucosamine transferase),- ग्लेक्टोसाइल ट्राँसफरेज (galactosyl transferase) ग्लूकोज – 6-फोस्फेटेज (glucose-6-phosphatase) आदि पाये जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से पाया जाने वाला प्रोटीन ग्लाइकोसाइल ट्रांसफरेज (glycosyl transferase) होता है जो ओलिगोसैकैहेराइड्स (Oligosaccharides) को प्रोटीन में बदलता है जिससे ग्लाइकोप्रोटीन का निर्माण होता है।
गॉल्जी सम्मिश्रण के कार्य (Functions of Golgi complex)
गाल्जी सम्मिश्र का प्रमुख कार्य विभिन्न पदार्थों का स्रवण (Secretion) तथा उनके परिवहन (transportation) में हिस्सा लेना है। इसके अतिरिक्त यह कोशिकांग विभिन्न महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ सम्पन्न करता है। यह लाइसोसोम्स तथा अन्य कोशिकीय अन्तर्वस्तुएँ जिनमें एन्जाइम पाये जाते हैं उनके निर्माण में भी भाग लेता है। इसके अलावा पेन्क्रियाज, पिट्यूटरी तथा मेमेरी ग्रन्थियों की कोशिकाओं में स्रावी कण बनाने में भाग लेता है 1
(1) स्त्रावी पुटिकाओं का निर्माण करना (Formation of secretory vesicles) –गाल्जी सम्मिश्र का मुख्य कार्य स्रवण है । विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में कणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका में संश्लेषित पदार्थों का स्थानान्तरण गाल्जीकाय में हो जाता है । वहाँ से ये प्लाज्मा झिल्ली द्वारा पिनोसाइटोसिस (Pinocytosis) की क्रिया द्वारा कोशिका से बाहर स्रावित कर दिये जाते हैं ।
(2) एन्जाइम बनाने में मदद करना (Help in Enzyme formation)—– बॉबेन (Bowen) के अनुसार गाल्जी सम्मिश्र एन्जाइम संश्लेषण के केन्द्र होते हैं। पैलेडे तथा उसके साथियों (Palade & his coworkers, 1967) ने पेन्क्रियाज की कोशिकाओं (Pancreatic cells) में गाल्जी सम्मिश्र से स्रावी पुटिकाओं के निर्माण का अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि Amylase (एमाइलेज) पाचन एन्जाइम का संश्लेषण कणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की बाहरी सतह पर उपस्थित राइबोसोम्स में होता है। यह एन्जाइम ER की झिल्ली से गुजर कर उसकी गुहा में चला जाता है तथा वहाँ यह छोटी पुटिकाओं में संचित हो जाता है। वहाँ से ये पुटिकाएँ गाल्जी सिस्टर्नी के अग्र मुख पर पहुँच जाती हैं। गाल्जी सिस्टर्नी में प्रोटीन का सान्द्रण होता है तथा यह प्रोटीन झिल्ली द्वारा घिर जाता है। ये संरचना जाइमोजन कण (Zymogen granules) कहलाती है । ये स्रावी पुटिकाएँ होती हैं जो कोशिका शीर्ष पर पहुँच जाती हैं । वहाँ प्लाज्मा कला द्वारा अपना स्राव पेन्क्रियाज नलिकाओं (Pancreatic ducts) में छोड़ देती है । वहाँ से यह पाचन एन्जाइम आँतों में चला जाता है ।
(3) हॉरमोन बनाना (Formation of hormones) –— अन्त: स्रावी ग्रन्थियों (endocrine glands) की कोशिकाओं में गाल्जीकाय हॉर्मोन स्रवण में मदद करती है । काउड्राई (Cowdry) ने बताया था कि थायराइड ग्रन्थि की कोशिकाओं में गाल्जीकाय में किसी भी प्रकार की क्षति के परिणामस्वरूप थायराइड हॉर्मोन के स्रवण में कमी आती है।
(4) प्रोटीन का संचय ( Storage of protein) — गाल्जी सम्मिश्र के मुख्य घटकों, पुटिकाओं (Vesicles) तथा रिक्तिकाओं ( Vacuoles) में लाइपोप्रोटीन पदार्थ संचित रहते हैं वे स्रवण के कार्य में मदद करते हैं ।
(5) शुक्राणु में ऐक्रोसोम का निर्माण करना (Formation of Acrosome in sperms)— गाल्जीकाय शुक्राणु परिपक्वन के समय ऐक्रोसोम निर्माण में मदद करती है । इसके लिए गाल्जीका की सिस्टर्नी पटलिकाएँ (lamellae) समानान्तर रूप से व्यवस्थित होकर कप की आकृति ( cup shaped) बनाती है। इन पटलिकाओं की परिधि से छोटी-छोटी पुटिकाएँ अथवा रिक्तिकाएँ कटती रहती हैं। धीरे- धीरे सिस्टर्नी पटलिकाओं के स्थान पर अधिक संख्या में पुटिकाएँ एवं नलिकाएँ बन जाती हैं जिनमें कुछ छोटे-छोटे कण दिखायी देते हैं । ये कण गाल्जी सम्मिश्र के ही स्रवण पदार्थ होते हैं। वे पुटिकाएँ जिनमें ये कण पाये जाते हैं आपस में मिलकर एक एक्रोसोम बनाती हैं जो कि एक बड़ी पुटिका में उपस्थित रहता है। बाद में यह शुक्राणु केन्द्रक की सतह पर जुड़ जाता है। ऐक्रोसोम पुटिकाएँ केन्द्रक झिल्ली से जुड़ जाती हैं तथा टोपी पदार्थ ऐक्रोसोम बनाती हैं ( चित्र 2.25 ) ।
(6) कोशिका भित्ति निर्माण (Formation of plant cell wall ) — पादप कोशिकाओं में गाजीका विभिन्न प्रकार के पॉलीसेकैहेराइड्स (Polysaccharides), जैसे- पैक्टिन, हेमी सेल्यूलोज तथा Y – सेल्यूलोज के माइक्रोफाइब्रिल्स संश्लेषित करती है । ये स्रवण हेतु पुटिकाओं (Phragmosomes) में संचित हो जाते हैं । समसूत्री विभाजन के दौरान गाल्जीकाय स्पिन्डल के केन्द्र में कोशिका पट्टिका (Cell plate) का निर्माण करती है। इस कोशिका पट्टिका पर गाल्जीकाय द्वारा स्रावित विभिन्न पदार्थ जैसे- पैक्टिन, हमी सेल्यूलोज तथा y-सेल्यूलोज के माइक्रोफाइब्रिल आकर जमते रहते हैं तथा कोशिका भिति का निर्माण करते हैं । (चित्र 2.6)
(7) विभिन्न यौगिकों का अवशोषण (Absorption of different compounds)—हर्च एवं
उसके साथियों (Hirsch et al.) ने बताया कि जब जन्तुओं को लौह, शर्करा युक्त पोषण दिया जाता
है तो लौह तत्त्व गाल्जीकाय द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इसी प्रकार गाल्जीकाय अन्य तत्त्वों जैसे कॉपर तथा गोल्ड के यौगिकों को अवशोषित कर लेती है। वानटील (Val Teel) व केड्रोस्की (Kedrowsky) ने बताया कि ओपेलाइना (Opalina) की गाल्जीकाय ऐल्यूमिनियम, बिस्मिथ तथा सिल्वर के यौगिकों को अवशोषित करती है । इसमें लिपिड्स भी अवशोषित हो जाते हैं । अवशोषित पदार्थों के सान्द्रण के लिए गाल्जीकाय संघनन ( condensation) का कार्य करती है जिससे जल बाहर आ जाता है। फिर ये पदार्थ बूँदों या कणों के रूप में कोशिका सतह से निष्कासित कर दिये जाते हैं।
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