ग्लाइकोलाइसिस : ग्लाइकोलाइसिस से निर्मित Pyruvic acid का भविष्य , Kreb cycle / Tricarboxylic acid (TCA) चक्र / सिट्रिक अम्ल (CA) चक्र 

कोशिका द्रव्य में संपन्न होने वाले ग्लाइकोलाइसिस (glycolysis) का सार : ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया के फलस्वरूप 6 कार्बन वाले एक ग्लूकोज के अणु से 3 कार्बन वाले दो Pyruvic acid के अणु का निर्माण होता है।
glycolysis (ग्लाइकोलाइसिस) की क्रिया के अंतर्गत फास्फोरिलीकरण की क्रिया के द्वारा UATP का निर्माण होता है परन्तु निर्मित चार ATP में से 2-ATP खर्च हो जाते है। अत: इस क्रिया का शुद्ध लाभ 2 ATP होते है।
ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया के दौरान 1,3 Di PGAL से 1,3 Di PAG निर्मित होते समय दो NAD , 2-NADH2 में परिवर्तित हो जाते है जिनके द्वारा इलेक्ट्रॉन Transport ehain की सहायता से माइटोकॉण्ड्रिया में 6 ATP का निर्माण किया जाता है अर्थात एक NADH2  , 3ATP का निर्माण करता है।
उपरोक्त तथ्यों के अनुसार ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया के फलस्वरूप निर्मित ATP की संख्या 10 होती है तथा निर्मित ATP की शुद्ध संख्या 8 या 6 ATP पायी जाती है।
ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया के दौरान न ही कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन होता है और न ही ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।
ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया के दौरान निर्मित होने वाले कुछ मध्यवर्ती उत्पादों को अन्य क्रिया के लिए उपयोग किया जाता है। जैसे PGAL को ग्लिसरोल के संश्लेषण में तथा कई प्रकार के एमिनो अम्ल के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
Glycolysis (ग्लाइकोलाइसिस) के दौरान मध्यवर्ती उत्पादों से अन्य उत्पाद उत्पन्न करने हेतु जिस अभिक्रिया की सहायता ली जाती है उसे Oxidative Anabolism या Catabolic resunthasis के नाम से जाना जाता है।
उपरोक्त अभिक्रिया की सहायता से PGAL के द्वारा संश्लेषित की जाने वाली एमिनो अम्ल निम्न है –
ग्लाइसिन , serine , custine
ग्लाइकोलाइसिस से निर्मित Pyruvic acid का भविष्य : ग्लाइकोलाइसिस से निर्मित प्य्रुविक अम्ल निम्न पथ की सहायता से आगामी विघटन संपन्न होता है जो निम्न प्रकार से है –

Puruvic acid का वायवीय ऑक्सीकरण

ग्लाइकोलाइसिस से निर्मित होने वाले 2 अणु Pyruvic acid कोशिका द्रव्य से कोशिका के माइटोकॉण्ड्रिया में प्रवेश करते है।
प्य्रुविक अम्ल के कोशिका के माइटोकॉण्ड्रिया में प्रवेश करने पर श्वसन का द्वितीय चरण प्रारंभ हो जाता है। श्वसन के इस दुसरे चरण के अन्तर्गत प्य्रुविक अम्ल के माइटोकॉण्ड्रिया के आधारी भाग में प्रवेश करने पर प्रत्येक Pyruvic acid (प्य्रुविक अम्ल) के एक अणु का एक कार्बन ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइ ऑक्साइड का निर्माण करता है तथा यह क्रिया Oxidative decarboxylation के नाम से जानी जाती है।
Pyruvic acid के शेष बचे कार्बन का एक विशिष्ट एंजाइम Pyruvate dehydrognase की उपस्थिति में ऑक्सीकरण संपन्न होता है जिसके पश्चात् ऑक्सीकृत Pyruvic acid co-enzyme-A के साथ संयुक्त होकर तथा कुछ सह कारक जैसे Mg2+ , LA (Lipoic acid) तथा TPP (Thiamine pyro phosphate) की उपस्थिति में एसिटिल co-enzyme-A के दो अणुओं का निर्माण करता है।
Pyruvic acid के इस वायवीय ऑक्सीकरण के अंतर्गत 2-NAD से 2 अणु NADH2 का निर्माण होता है जिनके द्वारा ऊर्जा के रूप में 6 ATP का निर्माण किया जाता है।
प्य्रुविक अम्ल के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप निर्मित होने वाला acetyl-co-enzyme-A गाइकोलिसिस तथा Creb-cycle के मध्य योजक कड़ी की तरह कार्य करता है अत: संपन्न होने वाली अभिक्रिया को Gateway अभिक्रिया या प्रवेश अभिक्रिया या Gateway of Kreb cycle के नाम से जाना जाता है।

Kreb cycle / Tricarboxylic acid (TCA) चक्र / सिट्रिक अम्ल (CA) चक्र

kreb चक्र की खोज एक ब्रिटिश वैज्ञानिक H.A. kreb के द्वारा की गयी।
इनके द्वारा इस चक्र की खोज 1937 में की गयी तथा इस खोज हेतु सन 1953 में इन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उपरोक्त वैज्ञानिक जैव रासायनिक क्षेत्र से सम्बन्धित थे तथा इनके सम्मान में इसका नाम kreb चक्र रखा गया।
kreb चक्र के अन्तर्गत प्रथम स्थायी उत्पाद सिट्रिक अम्ल होता है जिसके फलस्वरूप इसे सिट्रिक अम्ल चक्र के नाम से जाना जाता है तथा इस चक्र के अंतर्गत निर्मित प्रथम उत्पाद सिट्रिक अम्ल में 3 , -COOH समूह पाए जाते है जिसके कारण इस चक्र को ट्राई कार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र के नाम से जाना जाता है।
पायरूविक अम्ल के वायवीय ऑक्सीकरण के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले acetyl-co-enzyme-A के द्वारा चार कार्बन वाले ऑक्सालो एसिटिक अम्ल के साथ मिलकर उपरोक्त चक्र के प्रथम उत्पाद सिट्रिक अम्ल का निर्माण किया जाता है।
उपरोक्त चक्र 10 पदों में संपन्न होता है जो निम्न प्रकार से है –
1. Citric acid का निर्माण : Pyruvic एसिड के वायवीय ऑक्सीकरण के द्वारा निर्मित acetyl-co-enzyme-A ऑक्सेलो एसिटिक अम्ल के साथ मिलकर एक विशिष्ट एंजाइम Citrate synthetase तथा जल योजन के द्वारा एक 6 कार्बन वाले यौगिक सिट्रिक अम्ल का निर्माण करता है तथा इस क्रिया के अंतर्गत co-enzyme-A मुक्त हो जाता है।
2. सिट्रिक अम्ल से सीस-अकोनिटिक अम्ल या सिस अकोनेट का निर्माण : सिट्रिक अम्ल के निर्माण के पश्चात् एक विशिष्ट एंजाइम aconitase की सहायता से cis aconitic acid का निर्माण होता है।  इस अभिक्रिया के अन्तर्गत एक जल के अणु का उत्सर्जन होता है।
3. cis aconitic एसिड से सिट्रिक अम्ल का निर्माण : इस अभिक्रिया के अंतर्गत जल योजन के द्वारा तथा aconitase एंजाइम की सहायता से iso सिट्रिक अम्ल का निर्माण होता है।
4. Iso citric acid से oxalo suceinic एसिड का निर्माण : इस अभिक्रिया के अन्तर्गत iso सिट्रिक अम्ल , iso citric dehydrognase एंजाइम की उपस्थिति में oxalo succinic एसिड में परिवर्तित हो जाती है तथा इस क्रिया हेतु NAD , NADH2 में परिवर्तित होता है तथा कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन भी होता है।
5. Oxalo succinic acid से α-Ketoglutaric एसिड का निर्माण : oxalo succinic अम्ल से decarboxylase एन्जाइम की उपस्थिति में एक पांच कार्बन वाले यौगिक का निर्माण होता है जिसे α-Ketoglutaric acid के नाम से जाना जाता है तथा उसी के साथ एक अणु कार्बन डाइ ऑक्साइड का भी उत्सर्जित होता है।
नोट : Kreb cycle के अंतर्गत केवल छ: कार्बन वाले तथा चार कार्बन वाले यौगिको का निर्माण होता है परन्तु एक यौगिक पाँच कार्बन वाला निर्मित होता है जिसे α-Ketoglutaric अम्ल के नाम से जाना जाता है।
6. α-Ketoglutaricacid से succinyl-co-A का निर्माण : इस अभिक्रिया के अंतर्गत oxidative decarboxylation की क्रिया संपन्न होती है तथा α-Ketoglutaric अम्ल , co-एंजाइम-A के साथ क्रिया कर α-Ketoglutaric dehydrogenase एन्जाइम की उपस्थिति में succinyl co-एन्जाइम-A का निर्माण करता है तथा एक अणु कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है व इस अभिक्रिया में एक NAD , NADH2 में परिवर्तित होती है।
7. succinyl co-A से succinic अम्ल का निर्माण : इस अभिक्रिया के अंतर्गत succinyl CO-A को succinyl thio kinase के साथ अभिक्रिया करवाकर CO-एंजाइम-A को पृथक किया जाता है तथा इस अभिक्रिया के अन्तर्गत सुसिनिक अम्ल का निर्माण होता है व GDP-GTP में परिवर्तित हो जाती है जो बाद में ATP का निर्माण कर लेती है।
8. सुसेनिक अम्ल से फुमरिक अम्ल का निर्माण : इस अभिक्रिया के अंतर्गत succinic acid , succinia dehydrogase नामक एंजाइम से क्रिया करती है तथा इसे फुमरिक अम्ल में बदल देती है।
इस क्रिया के दौरान FAD-FADH2 में परिवर्तित हो जाते है।
9. फूमरिक अम्ल से मलिक अम्ल का निर्माण : इस अभिक्रिया के अंतर्गत fumerase नामक एन्जाइम की सहायता से तथा जल योजन से मैलिक अम्ल का निर्माण किया जाता है।
10. मैलिक अम्ल से ऑक्सलो एसिटिक अम्ल का निर्माण : इस अभिक्रिया में Malate Dehydrogenease की उपस्थिति में oxalo acetic acid का निर्माण होता है तथा इस क्रिया के दौरान NAD से NADH2 का निर्माण होता है।
नोट : निर्मित होने वाला oxalo एसिटिक अम्ल पुनः pyruvic अम्ल के वायवीय ऑक्सीकरण से निर्मित होने वाले acetyl co-एंजाइम-A के साथ जुड़कर पुनः सिट्रिक अम्ल का निर्माण करता है जो kreb cycle की निरन्तता को बनाये रखता है।