हिंदी माध्यम नोट्स
मेखला व मेखलाएँ क्या है , परिभाषा , प्रकार , संरचना चित्र , संधियाँ girdle and joints in hindi
मेखलाएँ (मेखला) (girdle) : मनुष्य के अक्षीय कंकाल व अनुबंधी कंकाल को जोड़ने वाली अस्थियाँ मेखलाएँ कहलाती है , ये दो प्रकार की होती है –
- अंश मेखला (pectoral girdle) : यह अक्षीय कंकाल व अग्र पाद (हाथ) को जोड़ने वाली मेखला होती है , अंश मेखला दो प्रथक अस्थियों से निर्मित होती है –
- जत्रुक (clavicle) : यह सुविकसित , लम्बी , पतली छड रुपी अस्थि होती है , इसका एक सिरा अंस कुट प्रवर्ध से तथा दूसरा सिरा उरोस्थि से जुड़ा रहता है , जत्रुक को कोलर अस्थि भी कहते है |
- अंस फलक (scapula) : यह चपटी त्रिभुजाकार अस्थि होती है , जो कंधे का भाग बनाती है | इस पर दो उभार होते है , जो क्रमशः अंसकुट प्रवर्ध व अंसतुड प्रवर्ध कहलाते है , इन प्रवार्धो के समीप अंस उलूखल होता है , जिसमे ह्र्मुरस का सिर जुड़ा रहता है |
- श्रोणी मेखला (pelvic girdle) : यह अक्षीय कंकाल व पच्छ पाद के मध्य उपस्थित होती है , यह तीन अस्थियो – इलियम , इश्चियम व फ्युबिस से मिलकर बनी होती है | तीनो अस्थियां दृढ़ता पूर्वक जुडी रहती है , श्रोणी मेखला में तीनो अस्थियो के दो अर्धांश होते है , प्रत्येक अर्धांश के बाहरी किनारे पर एक खड्डा होता है , जिसे श्रोणी उलूखल कहते है जिसमें फीमर का सिर जुड़ा रहता है |
भुजाओ की अस्थियाँ
अग्र पाद में निम्न अस्थियां पायी जाती है –
- प्रगंडिका (Humurus) : यह हाथ के भुजा की अस्थि है , इसका एक सिरा अंस उलूखल से व दूसरा सिरा रेडियस अल्ना से जुड़ा रहता है |
- रेडियस अल्ना : ये कलाई की अस्थियां होती है , दोनों अस्थियाँ आपस में संयुक्त रहती है , बाहर की ओर रेडियम व अन्दर की ओर अल्ना होती है , इसका ऊपर सिरा हयूमुरस से व निचला सिरा मणिबन्ध से जुड़ा रहता है |
- मणिबंध (कार्पल्स) : ये चार गोलाकार अस्थियो का समूह होता है , ये कलाई का अन्तिम भाग बनाती है , इनके मध्य उपास्थि पायी जाती है |
- अन्गुलास्थियाँ (मेटाकार्पल्स) : ये हाथ के पंजे की अस्थियाँ होती है , हथेली में पाँच कृमिकाएं पायी जाती है तथा छोटी छोटी 14 अंगुला अस्थियाँ पायी जाती है |
पैर की अस्थियाँ
- फीमर : यह शरीर की सबसे लम्बी अस्थि होती है , यह ऊपर की ओर श्रोणी मेखला से तथा नीचे की ओर टिबिया फिबुला से जुडी रहती है |
- टिबिया फिबुला : फीमर के आगे टिबिया फिबुला जुडी रहती है , टिबिया बाहर की ओर व फिबुला अन्दर की ओर स्थित होती है |
- गुल्फा अस्थियाँ (टारसल्स) : ये तलवे व टखने की अस्थियां होती है इनकी संख्या 7 होती है , इनके मध्य उपास्थि पायी जाती है |
- प्रिपदीकाएं (मेटा टारसल्स) : इनकी संख्या पाँच होती है , ये अगुलि अस्थियो से जुडी रहती है |
- अँगुली अस्थियाँ : ये पैर की अँगुलियो की अस्थियाँ होती है , इनकी संख्या 14 होती है |
- पटेल्ला (घुटना फलक) : यह घुटने की अस्थि होती है , यह प्याले के समान संरचना की होती है , इसके मध्य इसके छिद्र को जानुफलक कहते है |
संधियाँ (joints)
दो या अधिक अस्थियो के मध्य या अस्थि व उपास्थि के मध्य सम्पर्क स्थल को संधि कहते है , सन्धि के कारण कंकाल गति कर सकता है , गति के आधार पर संधियाँ तीन प्रकार की होती है |
- स्थिर या अचल संधि : ऐसी सन्धि में तंतुमय संयोजी उत्तक द्वारा अस्थियाँ दृढ़ता से जुडी रहती है , अस्थियों के मध्य अवकाश नहीं होता है |
उदाहरण – करोटी की अस्थियाँ
- आंशिक चल संधि : तनाव व एंठन के कारण अस्थियो में सिमित गति संभव हो पाती है , ऐसी सन्धि को आंशिक चल सन्धि कहते है , यह दो प्रकार होती है –
- धुराग्र सन्धि : इसमें पाशर्व गति होती है , जैसे एटलस एक्सिस व कशेरुकाओ के मध्य सन्धि |
- विसर्पी संधि : इस सन्धि में अस्थियाँ एक दूसरे पर विर्सपण करती है जैसे – कलाई की सन्धि , टखने की संधि |
- चल सन्धि : इस संधि से जुडी अस्थियाँ एक या अधिक दिशा में गति कर सकती है , इन अस्थियों के मध्य अवकाश (संधि कोटर) उपस्थित रहता है | इन संधियों पर तरल कचाभ पायी जाती है जो पोषण तथा संधि को स्नेह प्रदान करता है |
यह संधि तीन प्रकार की होती है –
- कन्दुक खलिका संधि : इस संधि से जुडी अस्थियो में एक अस्थि चारो ओर गति कर सकती है जैसे – कंधे व श्रोणी की संधियाँ |
- कब्ज़ा संधि : इस सन्धि से जुडी अस्थियाँ एक दिशा में गति कर सकती है , जैसे : कोहनी , घुटने व अँगुलियो की संधियाँ |
- दीर्घ वृतज संधि : इस संधि से जुडी अस्थियाँ एक दूसरे पर सरकर गति कर सकती है जैसे – रेडियस , टखने , व कार्पल्स की संधियाँ |
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…