विदलन व अंतरोर्पण , सगर्भता व भ्रूणीय परिवर्तन , अपरा के कार्य

अपरा के कार्य , भ्रूणीय परिवर्तन व सगर्भता  , अंतरोर्पण व विदलन Gestational and embryonic changes in hindi

विदलन व अंतरोर्पण

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निषेचन के पश्चात् बना युग्मनज तेजी से अण्डवाहिनी के संकीर्ण पथ से गर्भाशय की ओर गति करता है। इस दौरान उसमें होने वाले समसूत्री विभजनों को विदलन कहते है। इससे क्रमशः 2, 4, 8, 16 कोव व दण्ड बनाते है। 8-10 को वक्र खण्डों से बनी संरचना तूतक (माॅरूसा) कहलाती है यह गर्भाशय में प्रवेश करके कोरकपुटीबलाटोसिरट बनाती है इसमें कोशिकाओं का बाहरी स्तर पोठकोरक कहलाता है पोटकोरक के भीतर स्थित कोशिकानी का समूह अंतर कोशिका समूह प्ददमत ब्मसस उंेे कहलाता है। अंतरकोशिका समूह की कुछ कोशिकाएं किसी भी उत्तक अथवा अंग का निर्माण कर सकती है ऐसी कोशिकाओं को स्टेन सैल स्तम्भकोशिका कहते है।

सगर्भता व भ्रूणीय परिवर्तन:-

कोरकपुटी के गर्भाशयक अंत स्तर में स्थापित हो जाना अन्तरोपणपउचसंदजंजपवद कहलाता है इसके साथ ही गर्भधारण हो जाता है जिसे सर्गभता कहते है।

भ्रूण ने अंगुली के समान उभार बन जाते है जिन्हें जरायु अकुंरक कोरिमोनिक विलाई कहते है भू्रूण गर्भाशय एवं मानक ऊतक से अध्वाँदित हो जाता है।

भ्रूण के जरायु अकुंरक एवं गर्भायी ऊतक एक अंतरा अंगुली युक्त संरचना बनाते है जिसे अरा कहते है। वह भ्रूण एवं मातृक ऊतक के मध्य क्रियात्मक संबंध बनाता है।

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अपरा के कार्य:-

1 भ्रूण को आॅक्सीजन एवं पोषक पदार्थे की आपूर्ति करती है।

2 ब्व्2 एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थो का उत्सर्जन करता है।

3 भ्रूण व माँ के मध्य आवश्यक पदार्थो का आदान-प्रदान करना जैसे औषधियाँ।

4 हार्मोन स्त्रावण:- अपरा द्वारा चार प्रकार के हार्मोन स्त्रावित होते है।

ए- मानव जरायु गोनेडोसपिन

बी- मानव अपरा लेक्टोजन

सी- प्रोजेस्टेरोन

डी- एस्टोजन

इसके अतिरिक्त सगर्भता के उत्तरार्द्ध में अण्डाशय द्वारा रिलेक्सिन हार्मोन स्त्रावित होता है सगर्भवा के दौरान ही सर्टिसाल, आइराॅक्सिन, प्रोलेक्टिन की मात्रा एवं उत्पादन बढ जाता है। जो माँ की उपाचयी क्रिया, सर्गता बनाये रखने एवं भ्रूण के विकास में सहायक होते है।

 तीन जनन स्तरों का निर्माण:-

भु्रण मे ंएक बाहय स्तर का निर्माण होता है जिसे एक्टोडर्म कहते है तथा भीतरी स्तर एण्डोडर्म कहलाता है। कुछ समय पश्चात् दोनो के मध्य एक तीसरा स्तर बनता है जिसे मिजोडर्म कहते है इन तीन जनन स्तरों के साथ ही सभी अंगों एवं तंत्रों का निर्माण होता है।