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Genetic Triplet Code in hindi , आनुवंशिक त्रिकुट किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है

पढ़ें Genetic Triplet Code in hindi , आनुवंशिक त्रिकुट किसे कहते हैं , परिभाषा क्या है ?

आनुवंशिक त्रिकुट (Genetic Triplet Code)

प्रत्येक कोशिका, जाति या जीव विशेष में विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन होते हैं। ये विशिष्ट प्रोटीन्स, कोशिका स्वयं को बनाने में सक्षम नहीं होते हैं । इन विशिष्ट प्रोटीन्स को बनाने की जानकारी डीएनए अणु (molecule) में उपस्थित रहती है। यह जानकारी डीएनए अणु के सूत्रों में उपस्थित न्यूक्लियोटाइड युग्मों (nucleotide) के विशिष्ट क्रम में उपस्थित होती है। इस आनुवंशिक जानकारी को हम आनुवंशिक कूट (genetic code) कहते हैं। यह जानकारी, डीएनए से प्रोटीन्स बनाने की श्रंखला में, m-आरएनए के रूप में भेजी जाती है। यह आनुवंशिक कोड m – आरएनए में उपस्थित न्यूक्लियोटाइड के विशिष्ट को निर्धारित करते हैं। नाइट्रोजन क्षारकों का विशिष्ट अनुक्रम जिसमें प्रोटीन अणुओं के संश्लेषण के लिये संदेश लिखा रहता है उसे आनुवंशिक कूट कहते हैं। तीन क्षारकों से निर्मित कूट त्रिकूट कहलाता है जिसे वास्तव में कोडोन (codon) कहते हैं । यही अमीनो अम्लों की पहचान करने के लिये स्पष्ट संदेश अर्थात् कोड ( code ) करता है। हर कोडोन अलग अमीनो अम्ल के लिये कोड करता है जिसे आज पूर्ण रूप से ज्ञात कर लिया गया है।

आनुवंशिक संकेत की प्रकृति (Nature of Genetic Code)

जीवों में लगभग 20 प्रकार के अमीनों अम्ल पाये जाते हैं। एक डीएनए अणु में चार प्रकार के न्यूक्लियोटाइड पाये जाते हैं अर्थात् A- एडेनीन (Adenine), T- थायमीन (Thymine in DNA), U- यूरेसिल (Uracil in RNA), C- सायटोसिन (Cytosine), G – ग्वानिन ( Guanine)।

न्यूक्लियोटाइड्स व अमीनों अम्ल में एक – एक (one to one) का सम्बंध स्थापित नहीं हो सकता क्योंकि एक क्षारक (base) एक अमीनो अम्ल को बनाने का कार्य करने के लिए कोड ( code ) नहीं कर सकता क्योंकि इस तरीके से कुल चार अमीनो अम्ल का ही क्रम बनेगा अर्थात् एक प्रोटीन में कुल चार अमीनों अम्ल बनेंगे। अगर 2 क्षारों का एक क्रम ( sequence) एक अमीनो अम्ल को संकेत (code) करेंगे (4×4) यह उपयुक्त नहीं है। अगर तीन क्षारों का एक क्रम एक अमीनों अम्ल को कूट (code) करे, तो 4 क्षार मिलकर 64 अमीनों अम्लों को संकेत ( code ) कर सकते हैं अर्थात् (4×4 × 4) कुल मिलाकर (4)+ = 4×4 × 4 × 4 = 256 संकेत प्राप्त होते हैं। अतः तीन क्षारों का क्रम, अर्थात् त्रिकूट (triple code) ही एक सरल कोड (simple code) हो सकता है जो कि 20 अमीनो अम्ल (amino acids) को संकेत (code) करें। इस प्रकार से डीएनए अणु में 3 क्षारों के विशिष्ट क्रमों को ही आनुवंशिक कूट (genetic code) कहते हैं। सबसे पहले 1954 में जार्ज गेमोव (George Gammov) ने इन त्रिकूट के बारे में बताया। बाद में 1961 में क्रिक (Crick) ने निष्कर्ष निकाला कि m-आरएनए के धागे में तीन क्षारों का एक विशिष्ट क्रम एक पॉलीपेप्टाइड श्रंखला (polypeptide chain) में उपस्थित एक अमीनों अम्ल की स्थिति या क्रम को निर्धारित करता है। कुछ समय बाद नीरेनबर्ग तथा मथई (Nirenberg and Mathaei) ने प्रयोगों द्वारा दर्शाया कि आनुवंशिक कूट त्रिसमूही (triplets) होते हैं ।

श्रृंखला प्रारम्भन या आरम्भिक कोड: AUG यह मिथियोनीन के लिए कोड करता है। GUG को प्रोटीन के लिए आरम्भन कोडोन माना जाता है ।

एक अमीनो अम्ल के लिए एक विशिष्ट कोडोन : UGG ट्रिप्टोफॉन

एक अमीनो अम्ल के लिए दो कोडोन : GAG, GAU – एस्पार्टिक एसिड

AAC, AAG-एस्परजीन

एक अमीनो अम्ल के लिए तीन कोडोन : AUC, AUU, AUA – आइसोल्यूसीन

एक अमीनो अम्ल के लिए छ: कोडोन : AGA, AGG CGA, CGG CGC, CGU -आरजीनीन

अन्तस्थ या नॉनसेंस कोडोन : UAA, UAG, UGA

वोबल परिकल्पना (Wobble Hypothesis) |

प्रत्येक त्रिक कोड ( triplet code ) में तीन अक्षर ( nucleotide ) होते हैं। इनमें से दो विशिष्ट होते. हैं लेकिन तीसरा अक्षर विशिष्ट नहीं होता है। इस अक्षर को वोबल अक्षर (Wobble letter) कहते हैं। इस तथ्य को समझाने के लिए क्रिक ने 1966 में वोबल परिकल्पना प्रस्तुत की। 61 कोडोन विशिष्ट अमीनो अम्लों को कोडित करते हैं अत: 61 1-आरएनए अणु तथा प्रत्येक एक एन्टीकोडोन के साथ कोशिका में उपस्थित होना चाहिए। वर्तमान में 61 से काफी कम – आरएनए के बारे में ही ज्ञात है अत: यह माना जाता है कि 1- आरएनए के एन्टीकोडोन m-आरएनए के एक से अधिक कोडोन को पढ़ते हैं। जैसे यीस्ट – आरएनए ऐलेनीन a / a जिसका क्षारक्रम 5’IGC3′ m – आरएनए के तीन कोडोनों 5′-GCU, GCC एवं GCA – 3′ को पढ़ कर पहचान सकता है।

इनोसिन I साधारणतया 5′ क्षारक के रूप में एन्टीकोडोन पर पायी जाती है और कोडोन के साथ युग्म (pair) करते समय डगमगाहट (wobble) के कारण किसी भी क्षारक (U, C अथवा A ) के साथ युग्म बना लेती है। इस प्रक्रिया को देखते हुए क्रिक ने रिपोर्ट किया कि एन्टीकोडोन के 5 सिरे के क्षारक (base) का किसी भी एक क्षारक से स्थिर सम्बन्ध नहीं होता है (जैसे अन्य दो क्षारकों का होता है) तथा यह कोडोन का 3′ सिरे के किसी भी क्षारक (U, C, या A) के साथ हाइड्रोजन बंध बना सकता है। यह वॉबल परिकल्पना कहलाती है।

आनुवंशिक कूट के विशिष्ट गुण (Characteristics of Genetic Code)

डीएनए के आनुवंशिक कूट के अपने स्थापित गुण निम्न हैं-

  • आनुवंशिक कूट की त्रिसमूही प्रकृति (Triplet Nature of Genetic Code ) – आनुवंशिक कूट एक त्रिकूट होता है। तीन निकटवर्ती (adjacent) क्षार जिनको कोडोन (codon) कहते हैं एक विशिष्ट अमीनों अम्ल को संकेत (कोड) करते हैं। पहला, दूसरा व तीसरा क्षार, 5′ व 3′ सिरे को दर्शाते हैं।

(2) अनतिव्यापी आनुवंशिक कोड (Non-overlapping of genetic code ) – ये कोडोन्स अतिव्यापी (overlap) नहीं होते । प्रत्येक कोडोन में एक क्षार उसका हिस्सा होता है।

प्रोटीन संश्लेषण के समय, CCUCAG को CCU तथा CAG पढ़ा जाता है न कि CCU, CUC, UCA, CAG|

अगर एक प्रोटीन 100 अमीनों अम्ल से बना होता है तो इस प्रोटीन की अमीनों अम्लों को कोड करने के लिए 300 न्यूक्लियोटाइड एक रेखा में व्यवस्थित रहते हैं। अगर त्रिकूट में अतिव्यापी (overlapping) होगी, तो 6 न्यूक्लियोडाइड की श्रंखला क्रम से कम 4 अमीनो अम्ल को कोड करेगी। वास्तव में ऐसा नहीं होता। यह 2 अमीनों अम्लों को ही कोड कर सकती है।

(3) कोमा रहित आनुवंशिक कूट (No Punctuation in Genetic Code ) – आनुवंशिक कूट कोमा (,) रहित अर्थात् पास-पास व्यवस्थित होते हैं अर्थात् त्रिकूटों के बीच में कोई विराम चिन्ह (punctuation marks) या खाली स्थान ( gaps ) नहीं होते हैं। कोडोन्स को पढ़ने का कार्य एक निर्धारित स्थान से निर्विध्न शुरू होता हैं व बिना रुके चलता है जब तक की अन्तस्थ कोडोन (terminator codon) नहीं हो जो कि सूचना (message) के अंत को चिन्हित (mark) करता है अर्थात् एक त्रिकूट (triplet ) द्वारा अमीनो अम्ल को स्वतः कोडित कर दिया जाता है । यह कोड करने की क्रिया निरन्तर चलती रहती है बीच में कोई क्षार इस क्रिया को निर्धारित नहीं करता ।

(4) सार्वत्रिक आनुवंशिक कूट (Universal Genetic Code ) – आनुवंशिक कूट सार्वत्रिक (universal) होता है अर्थात् प्रत्येक जीव में डीएनए व m – आरएनए के कोडोन्स के समान प्रकार के अमीनों अम्लों को निर्धारित करते हैं चाहे जीव बेक्टीरिया हो या मनुष्य । यह निष्कर्ष चूजे के अण्डवाहिनी (oviduct ) से लिया गया m-आरएनए और ई. कोलाई बेक्टीरिया के प्रोटीन संश्लेषण संस्थान के राइबोसोम तथा t- आरएनए मिलकर ऑवलबुमिन ( ovalbumin), चूजे के अण्डे का सफेद प्रोटीन बनाते हैं अर्थात विशिष्ट अमीनोअम्लों के आनुवंशिक कूट्स एक ही होते हैं चाहे जीव, पौधे हो या जन्तु-सूक्ष्म हो अथवा वृहत् ।

(5) अपहासित आनुवंशिक कूट (Degeneration of Genetic Code) – अर्थात् इसके त्रिकूट (triplet) एक से ज्यादा अमीनों अम्लों को कोड कर सकते हैं। मिथियोनीन (Methionine), ट्रिप्टोफेन, (Tryptophan) अमीनों अम्लों के लिए सिर्फ एक 2 त्रिकूट कोडोन होता है। बाकी अन्य अमीनो अम्लो लिए 2-6 त्रिकूट क्षार निर्धारित होते हैं जैसे- फिनाइलअमीन (Phenylamine) के लिए दो कोडोन (UUU और UUC), आरजीनीन (Arginine) के लिए 6 कोडोन्स (CGU, CGC, CGA, CGG AGA, AGG) । यहाँ पर अपहृसन (degenerancy) का अर्थ एक कोडोन एक अमीनों अम्ल के संदर्भ हैं।

(6) समरेखता (Collinearity) – डीएनए दो रेखीय पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स श्रंखलायें होती हैं। एक प्रोटीन में भी एक पोलीपेप्टाइड श्रंखला द्वारा अमीनों अम्ल एक रेखीय क्रम में स्थापित रहते हैं। अमीनों अम्लों का एक रेखीय क्रमबद्धता व डीएनए की एक श्रृंखला में पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स (poly nucleotides) की एक रेखीय क्रमबद्धता में गहरा सम्बंध है। इसी को कोलीनियरिटी (collinearity) कहते हैं अर्थात् एक जीन्स एक पॉलीपेप्टाइड श्रंखला को कोड करती हैं ये दोनों समरेख (collinearity) कहलाते हैं

(7) असंदिग्ध कूट (Non-Ambiguity) – आनुवंशिक कूट असंदिग्ध होता है क्योंकि इसके कोडोन्स हमेशा निश्चित अमीनों अम्लों को कोड करते हैं अर्थात् एक कोडोन एक निश्चित अमीनों अम्ल को ही कोडोन करेगा किसी दूसरे अमीनों अम्ल को नहीं ।

आनुवंशिक कूट सभी जीवों (प्रोकेरियोट्स तथा यूकेरियोट्स) में समान होते हैं। एक अमीनों अम्ल को एक से अधिक कोड, कोडित करते हैं लेकिन एक कोड एक से अधिक अमीनों अम्लों को कोडित नहीं कर सकता है। जैसे UCU, UCC, UCA, UGG यह सभी कोड सीरीन ( serine) अमीनो अम्ल को कोड करते हैं अब यह चारों कोड किसी अन्य अमीनो अम्ल को कोड नहीं करेंगे।

कुल 64 प्रकार के आनुवंशिक कूट होते हैं जिनमें 3 समापन संकेत (termination code ) कहलाते हैं। ये कोड किसी भी अमीनों अम्ल को कोडित नहीं करते हैं । इस प्रकार से अमीनो अम्लो को कोडित करने वाले 61 ही आनुवंशिक कूट होते हैं।

आनुवंशिक कूट कभी-कभी एक या दो अक्षर वाले भी होते हैं। इन्हें एक कोड (uni-code) या द्विकोड (Di-code) भी कहते हैं ।

इन कूटों को केवल एक दिशा में ही पढ़ा जा सकता है दूसरी दिशा में नहीं ।

एक जीन मे कुछ कॅट होते हैं जो इसकी अभिव्यक्ति हेतु आवश्यक होते हैं AUG एक आरम्भिक कोड हैं उसी प्रकार से श्रंखला का समापन कुछ कोडोन द्वारा संपन्न होता है। इनको अन्तस्थ कोड (terminal code) कहते हैं जैसे- UAG UAA, UGA.

आनुवंशिक कूट के कुछ भाग प्रोटीन श्रंखला में भाग नहीं लेते हैं उन्हें इन्ट्रॉन (Introns) कहते हैं जबकि इनके मध्य के भाग एक्सॉन ( Exons) कहलाते हैं जो प्रोटीन संवर्धन में भाग लेते हैं।

बेक्टोरियोफाज में कुल प्रोटीन की संख्या इनमें पाये जाने वाले जीन की संख्या से अधिक होती है। बैरल व साथियों ने एक से अधिक प्रोटीन के लिये एक ही डीएनए अनुक्रम द्वारा कोड करना रिर्पोट किया।

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