आनुवाँशिक कूट/प्रकूट (genetic code ) ,t-RNA/S-RNA स्थानान्तरण RNA

genetic code t-RNA/S-RNA in hindi

 आनुवाँशिक कूट/प्रकूट (genetic code ):- प्रोटीन संश्लेषण के दौरान अमीनो अम्लो के अनुक्रमों का निर्धारण करने वाले क्षरकों के विशेष क्रम को आनुवाँशिक दूर करते है।

आनुवाँशिक प्रकूट त्रीक के रूप में होते है यह जानकारी गैमो, निरेनकर्म तथा डाॅ. हरगोविन्द खुराना ने की।

 विशेषता:-

1- ये त्रीक के रूप में होते है।

2- ये लगातार पढे जाते है।

3- ये कुल 64 होते है।

4- तीन कूट किसी भी यकीनों अम्ल का निर्धारण नहीं करते है यह निर्थ/संप्रकूट कहते है।

 उदाहरण:-UUA , UGA , UAG

5- एक कोडोन एक अमीनो अम्ल का निर्धारण करता है अर्थात प्रकूट असंदिग्ध जिससे कोई शक न हो एवं विशिष्ट होते है।

6-एक अमीनो अम्ल के लिए एक से अधिक कोड हो सकते है जिसे अपहासित कूट कहते है।

7- ये सार्वभौमिक होते है। UUA-Phe फेनिन एंलेनिन

8- AUG दोहरा कार्य करता है यह मेथियोनिन शकीनों अम्ल का कूट लेखन करता है तथा प्रारम्भ प्रसूय स्टार्ट कोडोन के रूप में कार्य करता है।

 t-RNA/S-RNA/ स्थानान्तरण RNA/ अंतरण RNA / अनुकुलक अणु:- 

अमीनो अम्लों में प्रफूट को पढने की कोई संरचनात्क विशेषता नहीं होती अतः कोड को पढने का कार्य t-RNA द्वारा किया जाता है इसलिए t-RNA को अनुकूलक अणु कहते है। t-RNA की संरचना एक पितिया पर्ण के समान दिखाई देती  है इसलिए इसे तिपतियाँ माॅडल कहते है इसमें एक प्रतिकूल (एंटीकोडोर्म) (leaf modal) शिरा होता है तथा इसके विपरीत सिरे पर अीनों अमल कहते है जिसे अमीनो अम्ल स्वीकार्य सिरा कहते है।

प्रत्येक अमीनो अमल के लिए अलग-अलग t-RNA होते है इसके अतिरिक्त प्रारभक प्रफुट के लिए अतिरिक्त t-RNA होता है। जिसे प्रारम्भक t-RNA कहते है किन्तु रोध प्रफूेट के लिए कोई t-RNA नहीं होता है।

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 अनुवादरण/स्थानान्तरण/रूपान्तरण (translation/tranclacation/tranfmuation) RNA द्वारा प्रोटीन के निर्माण की क्रिया को रूपांतरण कहते है। इसमें अमीनो अम्लो के बहुलकन के द्वारा पाॅलीप्पेटाइड श्रृंखला का निर्माण होता है।

कोशिका के प्रोटीन कारखाने राइबोसोम होते है राइबोसोम त्छ। व प्रोटीन के बने होते है इनकी दो पुटिकाएं होती है।

1- छोटी इकाई

2- बडी इकाई

जैसे ही m-RNA राईबोसोम के छोटी उप इकाई से जुडता है। प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया प्रारंभ हो जाती है तथा बडी इकाई में t-RNA के द्वारा अमीनों अम्लो के स्थानान्तरण से पाॅलीप्पेटाइड श्रृंखला बनाने लगती है। प्रावम्भन क्रिया के तहत राइबोसोम m-RNA के स्टार्ट क्रोडोन से जुडता है इसकी पहचान प्रारम्भक t-RNA द्वारा की जाती है तथा क्रिया प्रारम्भ हो जाती है। द्विर्घीकरण प्रक्रम में विभिन्न  t-RNA द्वारा अमीनो अम्लों का कनान्तरण होता है तथा अमीनो अम्ल पेप्टाइड बंध के द्वारा परस्पर जुडते जाते है एवं पाॅलीपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण होता जाता है।  समापन कार्यक रोध प्रफूट से जुडता है एवं क्रिया समाप्त हो जाती है।

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RNA मेै 5′ सिरे पर प्रारम्भन कोडोन से पहले तथा 3 पर stop coclon के बाद कुछ स्थान ऐसे होत ेहै जो प्राटीन संश्लेषण में भागबही लेते किन्तु रूपान्तरण क्रिया हेतु आवश्यक है इन्हें आस्थानातंरित स्थल UTR कहते है।ं